आपकी कुंडली में छिपा है पूर्वजन्म का रहस्य
आपकी कुंडली में छिपा है पूर्वजन्म का रहस्य

आपकी कुंडली में छिपा है पूर्वजन्म का रहस्य  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 52869 | सितम्बर 2011

जीवात्मा का एक देह से दूसरी देह में जन्म लेना वैसा ही है, जैसे मनुष्य पुराने वस्त्र त्याग कर दूसरे नये वस्त्र धारण करता है। इसी प्रकार जीवात्मा भी नया शरीर धारण करती है। शरीर का नाश होता है, आत्मा का नहीं। पुराणों के अनुसार मनुष्य पाप और पुण्य का फल भोगने के लिए ही पुनर्जन्म लेता है।

पुराणों में भी भगवान विष्णु के दस मुखय अवतारों (पुनर्जन्म) की धारणा को स्वीकारा गया है। महर्षि पराशर के अनुसार सूर्य से राम, चंद्रमा से कृष्ण, मंगल से नरसिंह, बुध से भगवान बुद्ध, गुरु से वामन, शुक्र से परशुराम, शनि से कूर्म, राहु से वराह और केतु से मत्स्य अवतार हुए हैं।

भगवान गौतम बुद्ध के बारे में कहा गया है कि उन्हें अपने पूर्व के 5000 जन्मों की स्मृति थी। मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार 84 लाख योनीयों में से किसी एक योनी में जन्म लेता है। मनुष्य के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि मैं पूर्व जन्म में कौन था, किस योनी में था और कहा से आया हूं?

इन सब प्रश्नों के उत्तर भारतीय ज्योतिष के द्वारा संभव है। जन्म कुंडली का पंचम भाव, पंचम भाव का स्वामी एवं पंचम भाव स्थित ग्रह व सूर्य और चंद्रमा में जो ग्रह बली हो उसकी द्रेष्काण में स्थिति, पुनर्जन्म के बारे में बताती है।

महर्षि पराशर के ग्रंथ बृहतपराशर होरा शास्त्र के अनुसार जन्मकालिक सूर्य और चंद्रमा में से जो बली हो, वह ग्रह जिस ग्रह के द्रेष्काण में स्थित हो, उस ग्रह के अनुसार जातक का संबंध उस लोक से था। कुंडली के पंचम भाव के स्वामी ग्रह से जातक के पूर्वजन्म के निवास का पता चलता है।

पूर्वजन्म में जातक की दिशा : जन्म कुंडली के पंचम भाव में स्थित राशि के अनुसार जातक के पूर्वजन्म की दिशा का ज्ञान होता है।

पूर्वजन्म में जातक की जाति : जन्म कुंडली में पंचमेश ग्रह की जो जाति है, वही पूर्व जन्म में जातक की जाति होती है।

पुनर्जन्म के संकेत : मनुष्य की मृत्यु के समय जो कुंडली बनती है, उसे पुण्य चक्र कहते हैं। इससे मनुष्य के अगले जन्म की जानकारी होती है।

मृत्यु के 13 दिन बाद उसका अगला जन्म कब और कहां होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। जातक-पारिजात में मृत्यूपरांत गति के बारे में बताया गया है। यदि मरण काल में लग्न में गुरु हो तो जातक की गति देवलोक में, सूर्य या मंगल हो तो मृत्युलोक, चंद्रमा या शुक्र हो तो पितृलोक और बुध या शनि हो तो नरक लोक में जाता है।

यदि बारहवें स्थान में शुभ ग्रह हो, द्वादशेश बलवान होकर शुभ ग्रह से दृष्ट होने पर मोक्ष प्राप्ति का योग होता है। यदि बारहवें भाव में शनि, राहु या केतु की युति अष्टमेश के साथ हो, तो जातक को नरक की प्राप्ति होती है। जन्म कुंडली में गुरु और केतु का संबंध द्वादश भाव से होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.