दयानिधि मारन : (रजी स्पेक्ट्रम घोटाला)
दयानिधि मारन : (रजी स्पेक्ट्रम घोटाला)

दयानिधि मारन : (रजी स्पेक्ट्रम घोटाला)  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 6738 | सितम्बर 2011

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसे पूर्व संचार मंत्री (मौजूदा कपड़ा मंत्री) दयानिधि मारन को भी इस्तीफा देना पड़ गया क्योंकि मामले की जांच कर रही सी.बी.आई की स्टेटस रिपोर्ट के बाद सरकार के सामने कोई विकल्प बचा ही नहीं था।

कुंभ कोणम् में वृश्चिक लग्न में जन्मे दयानिधि मारन तमिलनाडु के डी. एम.के.के नेता तथा पूर्व मुखयमंत्री के बेटे हैं। चेन्नई के लोयोला कालेज से स्नातक दयानिधि 2004 में केंद्र में सं.प्र.ग.-1 सरकार में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बनाये गये। सं.प्र.ग.-2 में भी डी.एम. के कोटे से उन्हें कपड़ा मंत्री बनाया गया हालांकि बनना चाहते थे वे फिर से संचार मंत्री ही।

उनकी पत्रिका में लग्नेश मंगल, भाग्येश चंद्रमा के साथ लाभ में योगकारक है। इस योग के कारण ही इन्हें बचपन में किसी भी वस्तु की कमी महसूस नहीं हुई। इनके पिता डी. एम. के. के एक कद्दावर नेता और तमिलनाडू के दिग्गज नेताओं में से एक थे अतः इन्हें नाम व सम्मान उनकी वजह से मिलता रहा। धनेश, कुटुंबेश और पंचमेश बृहस्पति भाग्य स्थान में अपनी उच्च राशि में स्थित है।

फलतः शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। पराक्रमेश सुखेश शनि अपनी स्वग्रही मूल त्रिकोण राशि कुंभ में स्थित होकर, दशम तथा लग्न को देख रहा है, जिससे उन्होंने सत्ता के मद में कई अनैतिक, असंवैधानिक कार्य किये जिसकी उन्हें सजा अवश्य मिलेगी। उन्होंने लोगों को अपने मंत्री होने का एहसास कराया।

पंचमेश उच्च के बृहस्पति, भाग्येश चंद्रमा व लग्नेश मंगल के कारण मात्र 37-38 वर्ष की ही उम्र में वे यू.पी.ए-1 तथा 2 में मंत्री बनाए गये, लेकिन शनि के कारण दोनों ही समय में वे अपना कार्यकाल पूर्ण नहीं कर पाए। यूपीए-1 के समय उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया तथा कुछ लोगों को अनैतिक ढंग से लाभ भी पहुंचाया।

सरकारी तंत्र को निजी हित के लिए प्रयोग कर केंद्रीय सरकार को हानि पहुंचाई। छठे घर का राहु तथा व्यय स्थान का बुध और केतु बंधन योग बना रहे हैं। अर्थात् उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। कुंडली में कारावास योग भी बन गया है। सप्तमेश एवं व्ययेश शुक्र लग्न में दशमेश सूर्य के साथ अच्छा बुरा दोनों तरह का प्रभाव साथ लिए हुए है।

अष्टमेश व लाभेश बुध व्यय में अच्छा योगकारक है। धनेश व पंचमेश बृहस्पति और भाग्येश चंद्रमा बहुत अच्छा है। भाग्य स्थान का बृहस्पति अपनी उच्च राशि में भाग्य में बहुत अच्छा है जिसके कारण वे मात्र 37 वर्ष में केंद्रीय सरकार में मंत्री बने।

लेकिन शनि की दृष्टि के कारण वे दो कार्यकालों में मंत्री बनाए गये, लेकिन कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। लाभ स्थान में लग्नेश व षष्ठेश के साथ भाग्येश चंद्रमा भी स्थिति के कारण एक अच्छा योग बन गया है जो सभी भौतिक सुखों को देने वाला है। लेकिन लाभेश व्यय में अच्छा नहीं है जिससे ये कभी आसमान और कभी जमीन पर रहेंगे।

वर्तमान में विंशोत्तरी दशा क्रम में बृहस्पति की दशा में बुध का अंतर है जो एक बहुत ही खराब योग बना रहा है। जो सब प्रकार से खराब है इसमें 47 वर्ष 06 माह 21 दिन तक किसी भी प्रकार से अच्छा नहीं है। बंधन योग भी है। हर प्रकार से सावधान रहें।

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