आध्यात्मिक वस्तुओं का माहात्म्य
आध्यात्मिक वस्तुओं का माहात्म्य

आध्यात्मिक वस्तुओं का माहात्म्य  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 7727 | फ़रवरी 2007

सनातन धर्म में मूर्ति पूजा का विधान है। इस संसार को बनाने वाली सŸाा मूर्ति रूप लेकर किसी न किसी वेश में अपने भक्तों के सामने प्रकट होती है। इसी के उदाहरण हैं षोडश कलायुक्त भगवान श्री कृष्ण एवं मर्यादा पुरुषोŸाम राम। यह आवश्यक नहीं कि वे मनुष्य रूप में ही जन्म लें। उन्होंने नरसिंह रूप में भी अवतार लिया, वामन अवतार, कूर्म अवतार, मत्स्य अवतार, वराह अवतार आदि अनेक रूपों में उन्होंने अपने को प्रकट किया।


Consult our expert astrologers online to learn more about the festival and their rituals


सही भी है, यदि वे विभिन्न कोटियों के प्राणियों, धरती, आकाश वायु, पर्वत आदि की रचना कर सकते हैं तो विभिन्न रूपों में स्वयं क्यों नहीं प्रकट हो सकते। इसीलिए सनातन धर्म में आकृति और वस्तु को विशेष महत्व दिया गया है। और यही कारण है कि मंदिरों में भगवान की प्रतिमाओं को अनेकानेक रूपों में पूजा जाता है।

वेदों में देवी देवताओं की पूजा आराधना की विभिन्न विधियों का उल्लेख मिलता है जिनके द्वारा मनुष्य इस संसार में रहते हुए अपनी सांसारिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है। विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा पूजा अर्चना का विधान है। उपर्युक्त पदार्थ यदि रत्न के बने हों, तो सर्वोŸाम और यदि स्वर्ण के हों तो उŸाम होते हैं। इन दोनों के अभाव में क्रमानुसार रजत ताम्र या किसी अन्य धातु अथवा किसी पत्थर, काष्ठ या कागज से बनी सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।

इस प्रकार से रत्न की वस्तुएं सर्वाधिक प्रभावशाली मानी गई हैं। अन्यथा स्वर्णनिर्मित रत्नजड़ित वस्तुएं उŸाम मानी गई हैं। इसी प्रकार से देवताओं के आवाहन एवं मंत्र सिद्धि के लिए स्वर्ण निर्मित यंत्रों के उपयोग का उल्लेख मिलता है। इसके अभाव में धातु निर्मित स्वर्णयुक्त यंत्रों को उŸाम माना गया है। उपयोगिता के अनुसार कुछ वस्तुओं का उपयोग निम्न प्रकार से है:

विभिन्न मालाएं

विभिन्न मंत्रों के जप तथा कामनाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार की मालाएं प्रयोग की जाती हैं जैसे शिव मंत्र के लिए रुद्राक्ष माला, लक्ष्मी मंत्र के लिए कमल गट्टे की माला, सरस्वती मंत्र के लिए सफेद चंदन की माला, मंगल मंत्र के लिए लाल चंदन या मूंगे की माला, गुरु मंत्र के लिए हल्दी माला, दुर्गा मंत्र के लिए स्फटिक माला, महामृत्युंजय मंत्र या स्वास्थ्य वृद्धि के लिए पारद माला, शांति लाभ के लिए तुलसी माला, प्रेमवृद्धि के लिए फिरोजा माला, आकर्षण के लिए वैजयंती माला, नवग्रह शांति के लिए नवरत्न माला आदि।

यंत्र: शास्त्रों में अनेक प्रकार के यंत्रों का उल्लेख मिलता है। मंत्रों को सिद्ध करने के लिए यंत्रों की स्थापना आवश्यक है। स्वर्ण पत्र पर निर्मित यंत्र सर्वोŸाम, रजत पत्र पर उत्तम एवं ताम्र पत्र पर मध्यम होता है। भोजपत्र पर भी यंत्र बनाए जाते हैं। इन सभी के अभाव में यंत्रों का निर्माण कागज या दीवार पर भी किया जा सकता है। यंत्र पर अंकित ज्यामितिक रेखाएं व मंत्र ही यंत्र का निर्माण करते हैं। विभिन्न प्रकार के फलों की प्राप्ति के लिए अनेक यंत्रों के एक साथ उपयोग का विधान भी है।

श्री यंत्र: दरिद्रता दूर करने एवं सुख समृद्धि की वृद्धि के लिए श्री यंत्र की स्थापना सर्वोŸाम मानी गई है। धन धान्य की पूर्ति के लिए स्फटिक श्री यंत्र या स्वर्णनिर्मित श्री यंत्र, स्वास्थ्य के लिए पारद श्री यंत्र, शक्ति एवं ऊर्जा के लिए सनसितारा निर्मित श्री यंत्र, विजय के लिए मूंगे के श्री यंत्र, ज्ञानवृद्धि के लिए मरगज या पन्ने के श्री यंत्र और ग्रह शांति के लिए अष्टधातु के श्री यंत्र की स्थापना उŸाम फलदायक होती है।

नवरत्न: रत्न ग्रहों की रश्मियों को एकत्रित करने में अतिसक्षम होते हैं। इन्हें धारण कर ग्रहों के अनुकूल प्रभाव को संवर्धित किया जाता है।

नवरत्न लाॅकेट: यह सभी साधकों के लिए लाभकारी होता है। जिस व्यक्ति को अपनी जन्मतिथि जन्म समय आदि पता न हों, वह इसे धारण कर सकता है। यह सभी नौ ग्रहों का प्रतीक है। यह अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करता है। दक्षिणावर्ती शंख: यह भगवान विष्णु का प्रतीक है। इसे पूजा स्थल पर रखने और इससे सूर्य को अघ्र्य देने से धन धान्य और यश सम्मान की प्राप्ति होती है।

गोमती चक्र: यह समुद्र में पाया जाता है। यह लक्ष्मी नारायण का प्रतीक है एवं धन प्रदायक है। एकाक्षी नारियल: यह नारियल शिव का प्रतीक है और शिव की आराधना के लिए इसकी पूजा अत्यंत शुभ मानी गई है।

शालिग्राम: यह नदी में पाया जाता है एवं इसके अंदर विष्णु के प्रतीक सुदर्शन चक्र के चिह्न पाए जाते हैं। शालिग्राम की पूजा विष्णु भगवान की आराधना मानी जाती है।


Navratri Puja Online by Future Point will bring you good health, wealth, and peace into your life


श्वेतार्क गणपति: यह श्वेत आक की जड़ में मिलता है। यह अत्यंत दुर्लभ है। इसे पूजा स्थल पर रखने से सारे विघ्न दूर हो जाते हैं।

पिरामिड: जीवन को सुखमय बनाने के लिए पिरामिड का उपयोग किया जाता है। इससे जातक को आकाशीय ऊर्जा मिलती है।

इंद्रजाल: यह समुद्र में पाया जाता है। इसके दर्शन से भूत प्रेत जनित और अन्य ऊपरी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

काले घोड़े की नाल: यह शनि के प्रभाव को कम करता है। व्यक्ति के अपने ऊपर चल रहे शनि के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए इसे निवास या व्यापार स्थान के मुख्य द्वार पर अंग्रेजी के यू आकार में लगाना चाहिए। सच्ची श्रद्धा से एवं शाास्त्रानुसार उचित सामग्री प्रयोग कर मंत्र द्वारा पूजा अर्चना करने से शुभ फल शीघ्र अवश्य मिलते हैं।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.