रुद्राक्ष का औषधीय महत्व
रुद्राक्ष का औषधीय महत्व

रुद्राक्ष का औषधीय महत्व  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 8667 | फ़रवरी 2007

नवीन चितलांगिया? जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। चंद्रमा शिवजी के भाल पर सदा विराजमान रहता है अतः चंद्र ग्रह जनित कोई भी कष्ट हो तो रुद्राक्ष धारण से बिल्कुल दूर हो जाता है। किसी भी प्रकार की मानसिक उद्विग्नता, रोग एवं शनि के द्वारा पीड़ित चंद्र अर्थात साढ़ेसाती से मुक्ति में रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है। शिव सर्पों को गले में माला बनाकर धारण करते हैं। अतः काल सर्प जनित कष्टों के निवारण में भी रुद्राक्ष विशेष उपयोगी होता है।

रुद्राक्ष एक विशेष किस्म का प्राकृतिक जंगली फल है। रासायनिक संघटन के दृष्टिकोण से इसमें 50.024 प्रतिशत कार्बन, 0.1461 प्रतिशत नाइट्रोजन, 17.798 प्रतिशत हाइड्रोजन और 30.4531 प्रतिशत आॅक्सीजन का समावेश है तथा इसमें अल्यूमिनियम, कैल्सियम, क्लोरीन, तांबा, कोबाल्ट, निकेल, लाहै , मगै नीज, फास्फारे स, पाटै ेि शयम, सोडियम, सिलिकन -आॅक्साइड, जिंक इत्यादि तत्व (ट्रेस इलीमेंट्स) भी अति सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं।

आॅक्सीजन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण यह एक औषधि भी है। इसकी प्रकृति गर्म और तर है तथा यह नीम के समान कृमिनाशक और ओजप्रद होता है। रुद्राक्ष उच्च रक्तचाप और मिर्गी रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है। इसकी माला इस प्रकार धारण की जाए कि वह हृदय स्थल को स्पर्श करे तो अधिक लाभ देती है। उत्तरकाशी के जंगलों में आंवलाकार दुर्लभ रुद्राक्ष मिलता है। इस पर धारियां नहीं होतीं, पृष्ठ भाग भी उभरा नहीं होता। आयुर्वेद, चरक संहिता आदि में औषधि के रूप में इसके उपयोग का उल्लेख मिलता है।

क्षयरोग, चर्म रोग, कुष्ठ रोग और कैंसर रोग में इसका उपयोग लाभकारी होता है। इसका शुद्धिकरण नारियल पानी में 24 घंटे डालकर करते हैं। रुद्राक्ष के तेल का भी विभिन्न रोगों में उपयोग किया जाता है। इसकी एक ग्राम भस्म एक ग्राम स्वर्ण भस्म के साथ 21 दिन दो बार मक्खन के साथ सेवन करने से अनिद्रा रोग से मुक्ति मिलती है और अच्छी नींद आती है। तकिए में रुद्राक्ष रख कर सोने से बुरे स्वप्न नहीं आते।

तीन रुद्राक्ष (बीज आकार के) रात भर तांबे के गिलास में रखकर प्रातः उस पानी के साथ एक लहसुन लेने से हृदय की सभी पीड़ाएं दूर होती हैं। यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभकारी है। दो ग्राम रुद्राक्ष चूर्ण में लहसुन का रस समान रूप से मिलाकर अल्प मात्रा में दिन में खाली पेट ग्रहण करने से पाचन शक्ति बढ़ती है। दो ग्राम रुद्राक्ष चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर उसका अवलेह बनाकर लेने से शरीर का सुन्नपन दूर होता है।

समस्त अरिष्ट निवारक एकमुखी रुद्राक्ष एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है। यह सर्वसिद्धिदायक एवं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला रुद्राक्ष है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एकमुखी रुद्राक्ष सूर्य द्वारा शासित है। इसके शुभ फलों की प्राप्ति व सभी अरिष्टों के निवारण हेतु इसे धारण किया जाता है। मधुर संबंध प्रदायी दोमुखी रुद्राक्ष दोमुखी रुद्राक्ष देवी पार्वती और देवता शंकर स्वरूप अर्थात अर्धनारीश्वर रूप है। इसे धारण करने से शरीर की अनेक व्याधियां दूर हो जाती हैं।

ज्योतिष में दोमुखी रुद्राक्ष चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। अतः चंद्रमा के कारण उत्पन्न रोगों से मुक्ति के लिए इसे धारण किया जाता है। इसे गुरु-शिष्य, पिता-पुत्र, पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका इत्यादि का प्रतीक मानकर इनके संबंधों की मधुरता व सुदृढ़ता हेतु धारण किया जाता है।

रक्तचाप नियंत्रक तीन मुखी रुद्राक्ष तीनमुखी रुद्राक्ष साक्षात अग्नि का स्वरूप है। इसे सात्विक, राजसी और तामसी तीनों शक्तियों का अर्थात ब्रह्मा-विष्णु-महेश का स्वरूप, इच्छा, ज्ञान और क्रिया का शक्तिमय रूप तथा पृथ्वी, आकाश और पाताल क्षेत्रों से संबंधित माना गया है। ज्योतिष में यह रुद्राक्ष मंगल ग्रह द्वारा शासित है।

मंदबुद्धि बालकों के बुद्धि-विकास हेतु तथा निम्न-रक्तचाप एवं रक्त विकार संबंधी समस्या के निवाराणार्थ इसे धारण किया जाता है। मनोरोगहारी चारमुखी रुद्राक्ष चारमुखी रुद्राक्ष स्वयं ब्रह्म स्वरूप है। यह चारों वेदों का द्योतक, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाला तथा अभीष्ट सिद्धिप्रदायक परम गुणकारी रुद्राक्ष है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से चारमुखी रुद्राक्ष बुध ग्रह द्वारा शासित है। इसे धारण करने से जातक की बुद्धि का विकास होता है, स्नायु एवं मानसिक रोग का नाश होता है। आयुष्यवर्धक पांचमुखी रुद्राक्ष पांचमुखी रुद्राक्ष स्वयं कालाग्नि रुद्र का स्वरूप है। यह पंच-ब्रह्मा का स्वरूप और पंचतत्वों का प्रतीक भी है।

यह दुख दारिद््रयनाशक, स्वास्थ्यवर्धक, आयुष्यवर्धक, सर्वकल्याणकारी, मंगलप्रदाता, पुण्यदायक एवं अभीष्ट सिद्धि प्रदायक है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। जंघा व लीवर की बीमारियांे से मुक्ति और बृहस्पति के कारण उत्पन्न कष्टों व अरिष्ट के निवारणार्थ इसे धारण किया जाता है।

शत्रुविनाशक छःमुखी रुद्राक्ष छहमुखी रुद्राक्ष स्वयं शिवकुमार भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। यह शत्रंुजय रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह गुप्त एवं प्रकट शत्रुओं का नाश करता है। यह छह प्रकार के दोषों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर) को दूर करने वाला है। ज्योतिष के अनुसार छहमुखी रुद्राक्ष शुक्र ग्रह द्वारा शासित है।

दाम्पत्य जीवन की सफलता एवं परस्पर प्रेम, काम-शक्ति में वृद्धि तथा शुक्र जनित रोगों से मुक्ति हेतु इसे धारण किया जाता है। छः मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अनेक प्रकार के चर्म रोग, हृदय रोग तथा नेत्र रोग दूर होते हैं। मृत्युतुल्य कष्टहारी सातमुखी रुद्राक्ष सातमुखी रुद्राक्ष अनंग, साक्षात कामदेव स्वरूप है। यह सप्तऋषियों का प्रतीक है।

यह मानव के सात आवरणों पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि, महत्व और अहंकार के दोष को मिटाता है। ज्योतिष के अनुसार सातमुखी रुद्राक्ष शनि द्वारा शासित है। इसे धारण करने से शनि ग्रह के दोषों का नाश होता है, जातक को आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है।

सातमुखी रुद्राक्ष वात रोगों एवं मृत्यु तुल्य कष्टों से छुटकारा दिलाता है। अष्टसिद्धि प्रदायी आठमुखी रुद्राक्ष आठमुखी रुद्राक्ष साक्षात विनायक (गणेश) स्वरूप है। इसे बटुक भैरव का रूप भी माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति की रक्षा आठ देवियां करती हंै, उसे आठों प्रकार की प्रकृतियों भूमि, आकाश, जल, अग्नि, वायु मन, बुद्धि और अहंकार पर विजय प्राप्त होती है, आठों दिशाओं की बाधाओं से व्यक्ति को बचाव होता है।

भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति हेतु, असाध्य रोगों के निवारण हेतु एवं राहु ग्रह के दोषों के शमन हेतु इसे धारण किया जाता है। नव शक्ति का प्रतीक नौमुखी रुद्राक्ष नौमुखी रुद्राक्ष का नाम भैरव है। जो व्यक्ति इसे अपनी वाम भुजा में धारण करता है, उसका बल भैरव समान हो जाता है। उसे भुक्ति-मुक्ति व नौ प्रकार की निधियों की प्राप्ति होती है।

यह रुद्राक्ष नवशक्ति से संपन्न भगवती दुर्गा का स्वरूप है। इसे धर्मराज (यम) का रूप भी माना गया है। इसे धारण करने से व्यक्ति के भीतर वीरता, धीरता, साहस, पराक्रम, सहनशीलता, दानशीलता आदि में वृद्धि होती है। इसे आकस्मिक घटनाओं से बचाव तथा अशुभ केतु से संबंधित दोषों की शांति हेतु धारण किया जाता है।

सुख, शांति एवं समृद्धिदायी दसमुखी रुद्राक्ष दसमुखी रुद्राक्ष साक्षात जनार्दन अर्थात भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसे धारण करने से पिशाच, बेताल, ब्रह्मराक्षस आदि का भय नहीं रहता। मान्यता है कि इसमें भगवान विष्णु के दसों अवतारों की शक्तियां सन्निहित हंै। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है। यह सुख, शांति एवं समृद्धिदायक होता है।

संकट मोचन ग्यारहमुखी रुद्राक्ष ग्यारहमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र है। यह 11 रुद्रों एवं भगवान शंकर के ग्यारहवें अवतार संकटमोचन महावीर बजरंगबली का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सांसारिक ऐश्वर्य और संतान सुख प्राप्त होता है और उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं। सर्वबाधा विनाशक बारहमुखी रुद्राक्ष द्वादशमुखी रुद्राक्ष को कान में धारण करने से बारहों आदित्य देव प्रसन्न होते हैं।

उसे शस्त्रधारी लोगों, सींग वाले जानवरों और बाघ आदि का भय नहीं होता, न ही आधि-व्याधि का भय होता है। इसे आदित्य रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसे धारण करने से बाधाओं और सूर्य के कारण उत्पन्न रोगों से बचाव होता है। समस्त ऐश्वर्य प्रदायी तेरहमुखी रुद्राक्ष तेरहमुखी रुद्राक्ष साक्षात इंद्र का स्वरूप है। यह कार्तिकेय के समान समस्त प्रकार के ऐश्वर्य देता है और कामनाओं की पूर्ति करता है।

इसे धारण करने से व्यक्ति सभी प्रकार की धातुओं एवं रसायनों की सिद्धि का ज्ञाता हो जाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार कामदेव को भी तेरहमुखी रुद्राक्ष का देवता माना गया है। इसका प्रभाव शुक्र ग्रह के समान होता है। यह निःसंतान को संतति प्रदान करने वाला, सुख, शांति, सफलता एवं आर्थिक समृद्धि प्रदायी रुद्राक्ष है।

शनि व मंगल दोषहारी चैदहमुखी रुद्राक्ष चैदहमुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे शिखा पर धारण करने से मनुष्य शिव स्वरूप होकर परम पद को प्राप्त होता है। यह हनुमत रुद्राक्ष के नाम से प्रसिद्ध है और सकल अभीष्ट सिद्धियों का दाता, व्याधिनाशक एवं आरोग्यदायक है।

इस रुद्राक्ष को धारण करने से शनि और मंगल के दोष की शांति होती है। गर्भ की रक्षा करे पंद्रहमुखी रुद्राक्ष पंद्रहमुखी रुद्राक्ष भगवान पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह धारक को आर्थिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर उठाकर उसे सुख, संपदा, मान- सम्मान-प्रतिष्ठा एवं शांति प्रदान करता है।

यदि कोई गर्भवती स्त्री इसे धारण करे तो उसके गर्भपात का भय नहीं रहता और प्रसव-पीड़ा में कमी होती है। पक्षाघात हरे सोलहमुखी रुद्राक्ष सोलहमुखी रुद्राक्ष को हरि-शंकर अर्थात विष्णु और शिव का रूप माना गया है। पक्षाघात (लकवा), सूजन, कंठादि रोगों में इसे धारण करना लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त आग, चोरी, डकैती आदि का भय नहीं रहता है। स्मरणशक्ति वर्धक सत्रहमुखी रुद्राक्ष सत्रहमुखी रुद्राक्ष को सीता-राम का स्वरूप कहा गया है।

कई विद्वान विश्वकर्मा को इसका प्रधान देवता मानते हैं। इसे धारण करने से भूमि, मकान, वाहनादि का सुख और अनचाहे धन, समृद्धि और सफलता का लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त याददाश्त में वृद्धि होती है तथा, आलसीपन और कार्य करने के प्रति अनिच्छा दोनों दूर होते हैं। अकाल मृत्युहारी अठारहमुखी रुद्राक्ष अठारहमुखी रुद्राक्ष को भैरव का रूप माना गया है।

इसे धारण करने से शरीर पर आने वाली विभिन्न विपदाओं (यथा आकस्मिक दुर्घटना आदि) का नाश होता है, व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। यदि कोई गर्भवती स्त्री इसे धारण करे तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की रक्षा होती है। रक्त विकार रोधी उन्नीसमुखी रुद्राक्ष उन्नीसमुखी रुद्राक्ष को भगवान नारायण का स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से मनुष्य सत्य एवं न्याय के पथ पर अग्रसर होता है। उसे आर्थिक सुख-संपदा का लाभ मिलता है, और रक्त व स्नायु तंत्र से संबंधित रोगों से उसकी रक्षा होती है।

भयमुक्तिदायी बीसमुखी रुद्राक्ष बीसमुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से भूत, पिशाच आदि का भय नहीं रहता साथ ही क्रूर ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ता है। वह श्रद्धा एवं तंत्र विद्या के जरिए विशेष सफलता प्राप्त करता है। उसे सर्पादि विषधारी प्राणियों का भय नहीं होता है।

कुंडलिनी जाग्रत करे इक्कीसमुखी रुद्राक्ष इक्कीसमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव स्वरूप है। इसमें सभी देवताओं का वास माना गया है। इसे धारण करने से स्वास्थ्य आर्थिक दृष्टि से व्यक्ति सुखी रहता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति के भीतर आज्ञा चक्र कुंडलिनी को जाग्रत करता है। सुखी वैवाहिक जीवन का आधार गौरी-शंकर रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से आपस में जुड़े गौरी-शंकर रुद्राक्ष को शिव-पार्वती के समान अपार शक्ति वाला शिव-शक्ति का स्वरूप माना गया है।

इसे धारण करने से शिव और शक्ति अर्थात माता पार्वती की कृपा समान रूप से प्राप्त होती है। इसे धारण करने से पति-पत्नी के आपसी प्रेम में वृद्धि होती है और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। स्वास्थ्य अनुकूल रहता है, आयु में वृद्धि होती है तथा प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही यह काम संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी लाभदायक होता है।

बौद्धिक विकास में सहायक गणेश रुद्राक्ष जिस रुद्राक्ष पर गणेश जी की सूंड के समान अलग से एक धारी उठी हुई दिखाई दे, उसे गणेश रुद्राक्ष कहा जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को ऋद्धि-सिद्धि, कार्यकुशलता, मान-प्रतिष्ठा, व्यापार में लाभ इत्यादि की प्राप्ति होती है।

यह विद्यार्थी वर्ग के लिए विशेष लाभदायक है, जिसे धारण करने से विद्यार्थी की स्मरणशक्ति एवं ज्ञान में वृद्धि होती है, उसका बौद्धिक विकास होता है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.