गरदन सुबह से ही तिरछी है, सीधी करने पर भयानक दर्द हो रहा है। क्या बताऊं? बस एकदम उठा और कमर की नस चढ़ गई। इस तरह की बातें आपको अकसर अपने दोस्तों, परिवार जनों या अन्य लोगों से सुनने को मिलती होंगी। इसे साधारण भाषा में चोलड़ाजाना कहते हैं।
मेरा हाथ उपर उठाते ही नहीं बन रहा है, ऊपर की ओर करते ही असह्य वेदना होने लगती है। यह समस्या भी अजीब है कि इसका कोई डाक्टरी इलाज नहीं है। तीन-चार दिनों तक रहने के बाद यह बीमारी अपने आप ठीक होने लगती है। मगर ये तीन-चार दिन अत्यधिक भारी होते हैं। गांवों में तो इस मर्ज के जानकार कुछ लोग होते हैं जो दर्द में कुछ राहत दे देते हैं मगर शहरों में इस बीमारी की बड़ी दुविधा है। इसकी एक औषधि है जंबमणि यह एक वनस्पति है। जिसका उल्लेख पुराणों में मिलता है।
इसके धारण करने से इस पीड़ा में कमी आती है। जंबमणि जंब वृक्ष की लकड़ी नक्षत्र विशेष में प्राप्त कर बनाई गई एक गुटिका है जिसे दर्द के स्थान पर लगाने से दर्द दूर हो जाता है। यह अनुभूत अनुभव है। कई लोग इससे ठीक हुए हैं। यह वृक्ष घने जंगलों में पाया जाता है। वनवासी लोग एवं हकीम, पुराने वैद्य इसे जानते हैं। इसके पत्तों की धूनी से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
रविपुष्य में दंडिका प्राप्त करें, यह वास्तव में जादू की छड़ी का काम करेगी। दर्द में तत्काल राहत मिलेगी। जो लोग रात में डर जाते हों, बच्चे चमक जाते हो, जिन्हें हर समय अज्ञात भय बना रहता हो, जिन लोगों पर कुछ असामाजिक लोग तंत्र प्रयोग कर देते हों, प्रेत बाधा सताती हो, बुरे स्वप्न आते हों, उन्हें इसके छोटे छोटे दाने बनाकर गले में पहनने से इन सारी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
इसकी माला बांह या कलाई पर भी पहनी जा सकती है। जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी हो, उन्हें इसके आधे इंच के दाने की माला पहनाने से उनमें आत्मविश्वास जागता है। जिन विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन नहीं लगता हो, वे इसे पहनें, आश्चर्यजनक लाभ होगा।
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