वास्तु से संवारे अपना कैरियर

आजकल की तेज तर्रार जिंदगी में प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों के कैरियर के प्रति इतने सजग हो गए हैं कि, जैसे ही उनका लड़का या लड़की 10 वीं पास करते हैं वह उसके कैरियर के लिए ऐसी राहें तलाद्गाने लगते हैं कि, जिससे की उनके बच्चे को अच्... और पढ़ें

वास्तुस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारव्यवसायसुख

अप्रैल 2010

व्यूस: 11009

वास्तु सम्मत अस्पताल

वास्तु सम्मत अस्पताल

प्रमोद कुमार सिन्हा

अस्पताल एक ऐसा स्थल है जो समाज के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। अतः ऐसे संस्थान का निर्माण वास्तु के नियमों के अनुसार होना चाहिए जिससे बीमार व्यक्ति यथाशीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें। इससे डॉक्टर और मरीज दोनों को लाभ ह... और पढ़ें

वास्तुस्वास्थ्यसंपत्तिव्यवसायिक सुधारभवनसुख

अकतूबर 2010

व्यूस: 11275

दक्षिण-पश्चिम का दोष प्रगति में बाधक

चुम्बकीय कंपास के अनुसार 202 डिग्री से लेकर 247 डिग्री के मध्य के क्षेत्र को नैर्ऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा कहते हैं। दक्षिण-पश्चिम का क्षेत्र पृथ्वी तत्व के लिए निर्धारित है। यह सभी तत्वों से स्थिर है। यह दिशा सभी प्रकार की विषमता... और पढ़ें

वास्तुउपायस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

जुलाई 2013

व्यूस: 21772

दर्पण भी दूर करता है वास्तु दोष

आज के युग में विशेष तौर पर बड़े शहरों में जहां रहने के लिए घरों का मिलना ही बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाता है, ऐसे में संपूर्ण वास्तु सम्मत निवास का मिलना असंभव सा प्रतीत होता है। ऐसे में किसी दिशा विशेष का विस्तार कम हो या दिशा विपरीत... और पढ़ें

वास्तुउपायस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

अप्रैल 2011

व्यूस: 18042

पिरामिड द्वारा वास्तु दोष निवारण

वास्तु दोष-निवृत शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है- पहला, नये भवन का निर्माण करते समय और दूसरा, जब भवन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका हो। तत्पश्चात् निर्मित भवन के दोषों का पता चले, निर्मित भवन में कोई भी तोड़-फोड़ कराना आसान... और पढ़ें

वास्तुउपायस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

जुलाई 2012

व्यूस: 16889

क्यों जरूरी है गृहप्रवेश से पहले वास्तु शांति करवाना

नए घर में प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है तभी घर शुभ प्रभाव देता है जिससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्... और पढ़ें

वास्तुउपायस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

जुलाई 2013

व्यूस: 36977

वास्तु संबंधित प्रश्न

प्रद्गन : पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा करती है। अर्थात् पृथ्वी स्थिर नहीं है। ऐसे में वास्तु की प्रासंगिकता क्या है? उत्तर : यह सही है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा करती है, साथ ही हमारा पूर... और पढ़ें

वास्तुस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

अकतूबर 2010

व्यूस: 14638

भोजशाला (रसोई)

भोजशाला (रसोई)

सेवाराम जयपुरिया

जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन (16 कक्षों की कल्पना के कारण में भोजनालय भी है।) इसलिये रसोईघर घर का सबसे संवेदनशील स्थान होता है। यह सर्वविदित है कि प्रत्येक प्राणी के जीवन में भोजन का बहुत महत्त्व है। क्योंकि यह शारीरिक व मानसिक द... और पढ़ें

वास्तुस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

अकतूबर 2010

व्यूस: 23085

ज्योतिषीय व वास्तु उपायों का संबंध

प्रत्येक व्यक्ति में यह स्वभाविक इच्छा होती है कि मैं सदा सुखी, धनी व स्वस्थ रहूं। जब उसकी किसी भी इच्छा की पूर्ति नहीं होती तो वह विचलित हो जाता है। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए वह ज्योतिषीय वास्तु उपायों का सहारा लेता है।... और पढ़ें

ज्योतिषवास्तुउपायस्वास्थ्यसंपत्तिगृह वास्तुव्यवसायिक सुधारसुख

अकतूबर 2010

व्यूस: 12320

अंक मेलापक: प्रेम संबंध व दाम्पत्य सुख

जिस तरह नामांक के मेल से वैवाहिक जीवन में अनुकूलता लाई जा सकती है, उसी तरह मूलांक व भाग्यांक के आधार पर भी अनुकूल जीवन साथी चुनकर दाम्पत्य जीवन में अधिक स्थिरता और सुख-सौहार्द का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।... और पढ़ें

अंक ज्योतिषकुंडली मिलानविवाहभविष्यवाणी तकनीकसुख

जून 2015

व्यूस: 25017

एक सभ्य समाज के निर्माण की प्रक्रिया

विश्वव्यापी बहाई समुदाय इस कार्य में तल्लीन है कि किस प्रकार सभ्यता निर्माण की प्रक्रिया में यह अपना योगदान दे सके। यह दो प्रकार के योगदान को महत्व दे रहा है। पहले प्रकार का योगदान बहाई समुदाय के विकास और उन्नति से सम्बन्धित है और... और पढ़ें

ज्योतिषस्थानअध्यात्म, धर्म आदिसुखविविध

मई 2014

व्यूस: 20049

भगवान श्रीराम की गया यात्रा एवं गया श्राद्ध

राज्याभिषेक होने के बाद राजतंत्र को सृदृढ़ कर प्रजा की रक्षा के लिए विधि व्यवस्था कर भगवान श्रीराम ने तीर्थों की यात्रा की थी। अयोध्या से चलकर पूर्व दिशा के शोराभद्रादि तीर्थों में अवगाहन एवं अपने पितरों का तर्पण पिंड दान करते हुए ... और पढ़ें

उपायस्थानदेवी और देवमन्दिर एवं तीर्थ स्थलअध्यात्म, धर्म आदिसुख

अकतूबर 2008

व्यूस: 9058

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