आलू
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आलू  

अविनाश सिंह
व्यूस : 9299 | जून 2014

आलू, कौन नहीं है परिचित इस सब्जी से, विश्व में सबसे अधिक पकाई, खाई जाने वाली सब्जी सर्वप्रिय है, अनेक प्रकार के व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। आलू मेथी, आलू मटर, आलू के पराठे, समोसे, आलू टिक्की आदि हर प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन हैं जिसे हम सभी बड़ी चाव से खाते हैं। आलू हर प्रकार के मौसम में 12 माह बाजार में मिलता है। यह एक जड़ रूपी गोलाकार मटियाले रंग का होता है। इसकी उत्पत्ति संसार में अन्य भोज्य पदार्थों की अपेक्षा अधिक होती है। आलू एक संपूर्ण आहार है।


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जहां यह शरीर को पौष्टिकता प्रदान करता है वहीं अपने औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाता है। आयुर्वेद में आलू के गुणों के उल्लेख से मालूम होता है कि आलू का सब्जी एवं औषधी के रूप में प्रयोग वैदिक काल से है। प्रकृति, गुण-धर्म आलू की प्रकृति शुष्क और गर्म है। इसमें कैल्शियम, फाॅस्फोरस, लोहा, विटामिन सी, बी, काफी मात्रा में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रोटीन, वसा, खनिज, रेशा, कार्बोहाइड्रेट्स भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। आलू की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह अत्यंत क्षार युक्त है जो शरीर में विद्यमान क्षारों को नियंत्रित एवं संतुलित बनाये रखने में बहुत उपयोगी है।

यह शरीर के यूरिक एसिड और खट्टेपन को घोलने में बहुत सहायक है जिससे पाचन संस्थान सुचारू रूप से कार्य करता है और शरीर स्वस्थ रहता है, कब्ज आदि से भी राहत मिलती है। आलू के प्रयोग से शरीर की रक्त वाहिनियां लचकदार बनी रहती हैं। रक्त वाहिनियों के कठोर और कमजोर होने से हृदय रोग एवं उच्च रक्त चाप जैसे रोगों की संभावना होती है।

इसलिए आलू का निरंतर प्रयोग करने वाले दीर्घ आयु वाले होते हैं। विभिन्न रोगों में आलू का उपयोग गुर्दे की पथरी आलू गुर्दे की पथरी निकालने में सहायक होता है। जिन्हें गुर्दे की पथरी की शिकायत है उन्हें नियमित रूप से आलू खिलाते रहना चाहिए। यदि रोगी को केवल आलू के आहार पर रखा जाये और खूब पानी पिलाते रहें तो पथरी आसानी से निकल जाती है। आलू में मैग्नेशियम की अधिकता के कारण पथरी खारिज होती है और पथरी बनना भी बंद हो जाता है।

कब्ज विकार आलू में विद्यमान क्षार शरीर के क्षारों को संतुलित करता है जिससे पाचन तंत्र को शक्ति मिलती है और आंतों में इकट्ठे हुए मल को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसलिए कब्ज की शिकायत हो तो आलू का उपयोग लाभकारी होता है। एसिडिटी (अम्ल) आलू के उपयोग से एसिडिटी से भी राहत मिलती है। जिन्हें खट्टी डकारें आती हैं, गैस अधिक बनती हैं उनको भूना हुआ आलू गेहूं की रोटी के साथ खाने से लाभ होता है, एसिडिटी से राहत मिलती है। इसके साथ पानी भी पीना चाहिए। गठिया गठिया रोग में आलू का प्रयोग लाभकारी रहता है। कच्चे आलू का रस पीने से गठिया में बहुत लाभ होता है।

आलू का छिलका भी गठिये में बहुत उपयोगी है। यदि आलू के छिलके को पानी में उबालकर काढ़ा बना कर रोगी को पिलाया जाये तो शरीर में विद्यमान हानिकारक क्षार समाप्त हो जाते हैं और रोगी को आराम आने लगता है। आलू के छिलके के काढे़ को रोगी को दिन में तीन-चार बार 100 ग्राम की मात्रा में लेना चाहिए। घुटनों में दर्द कच्चे आलू को पीसकर दर्द वाले घुटने पर लेप करने से आराम मिलता है।

सूजन होने पर भी बाह्य रूप से आलू के रस का प्रयोग लाभकारी होता है। त्वचा के दाग-धब्बे त्वचा के दाग-धब्बों पर कच्चे आलू का रस लगाने से दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं और त्वचा में निखार आता है। चूंकि आलू में पोटैशियम, सल्फर, फाॅस्फोरस और क्लोरीन भी होती है अतः त्वचा रोगों में भी आलू के उपयोग से लाभ होता है। आंखों के नीचे वाले गड्ढे आलू को छीलकर कद्दूकस कर लें, इसे एक कपड़े में डालकर पोटली सी बनाकर, आंखों को बंद करके पोटली को आंखों पर रखें।


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इससे लाभ होगा और आंखों की सुंदरता बढ़ेगी। रक्त पित्त रक्त पित्त होने का मुख्य कारण विटामिन ‘सी’ की कमी है जिसके कारण शरीर की शक्ति कम होने लगती है, मन में उदासी की भावना आने लगती है। रोगी थोड़े से परिश्रम से थक जाता है। शरीर पर छोटे-छोटे लाल चकते हो जाते हैं, मसूढ़े कमजोर हो जाते हैं इनमें रक्त स्राव भी होने लगता है। कभी-कभी हृदय की मांस पेशियांे में रक्त स्राव होने से पीड़ा होने लगती है। ये सभी लक्षण विटामिन ‘सी’ की कमी के कारण होते हैं।

आलू के उपयोग से विटामिन ‘सी’ की पूर्ति होती है और रोगी को लाभ होता है। बेरी-बेरी रोग इसका मुख्य लक्षण जांघों की नाड़ियां कमजोर पड़ जाना है। इससे रोगी को चलने में कठिनाई होती है। यदि कच्चे आलू के रस की दिन में चार बार एक-एक चम्मच की मात्रा रोगी को पिलाई जाये तो लाभ अवश्य होगा। चेहरे की सुंदरता के लिए कच्चे आलू के रस को चेहरे पर मलते रहने से सांवला रंग भी गोरा होने लगता है।

स्नान से पूर्व आलू के रस को त्वचा पर मलकर कुछ देर बाद स्नान करने से लाभ होता है। आलू के रस में नींबू के रस की कुछ बूंदंे और ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे व हाथों पर मलने से चेहरे व हाथों की झुर्रियों और त्वचा का सूखापन समाप्त हो जाता है। जिन्हें कील-मुंहासों की शिकायत हो उन्हें कच्चे आलू का रस निकालकर एक-दो चम्मच दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है। कील-मंुहांसों से राहत मिलती है।

बच्चों के लिए कमजोर बच्चों को आलू का रस थोड़ी मात्रा में पिलाने से उनकी कमजोरी दूर होती है और वे मोटे-ताजे होने लगते हैं। कमजोर बच्चों को उबले हुए या भूने हुए आलू में दो चार बूंदें शहद डालकर खिलाना लाभकारी है। सावधानियां मधुमेह के रोगियों को आलू कम खाना चाहिए क्योंकि इसमें स्टार्च अधिक मात्रा में होता है। यदि आलू में दुर्गन्धयुक्त पानी आ गया हो तो उसका उपयोग न करें।

आहार विशेषज्ञों का मानना है कि आलू के छिलके निकाल देने पर उसके कुछ तत्व नष्ट हो जाते हैं। अतः आलू उबालकर उसके पानी का उपयोग सब्जी आदि पकाने के लिए कर सकते हैं। अधिक आलू खाने से व्यक्ति आलू जैसा हो जाता है अर्थात मोटापा बढ़ता है। लैंगिक रोग से प्रभावित लोगों को आलू कम खाना चाहिए। मांस के साथ पका आलू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।



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