श्वेत प्रदर
श्वेत प्रदर

श्वेत प्रदर  

अविनाश सिंह
व्यूस : 13376 | जून 2010

श्वेत प्र्रदर आचार्य अविनाश सिंह श्वेत प्रदर स्त्रियों की एक आम समस्या है, जो कई स्त्रियों में मासिक धर्म से पूर्व, या पश्चात, एक दो-दिन सामान्य रूप से भी होती है। कई बार यह समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है, जिससे स्त्रियों के स्वास्थ्य, यौवन और सौंदर्य में धीरे-धीरे गिरावट आती जाती है। श्वेत प्रदर का अर्थ है स्त्रियों के गुप्तांगों से श्वेत, नीले, पीले या हल्के लाल रंग का चिपचिपा स्राव आना। यह स्राव अधिकतर श्वेत वर्ण का ही होता है। इसलिए इसे श्वेत प्रदर का नाम दिया गया है। अंग्रेजी में इसे ल्यूकोरिया कहते हैं। यह स्राव कभी-कभी चिपचिपा नहीं होता है और गंधरहित भी होता है। स्त्रियों में यह रोग बहुत आम है, जो भारत में ही नहीं, अपितु सभी देशों में है। प्रायः हर आयु की स्त्रियां इस रोग से ग्रस्त पायी जाती हैं।

अविवाहित स्त्रियां भी इसकी शिकार हो जाती हैं। इस रोग का मुखय कारण पोषण की कमी तथा योनि के अंदर जीवाणु हैं। आयुर्वेद के अनुसार श्वेत स्राव पीलियायुक्त पित्त-कफजन्य तथा नीलिमायुक्त वात-कफजन्य होते हैं। लालिमायुक्त स्राव में रक्त का भी अंश मिश्रित रहता है। स्राव में पूथ के मिश्रण से बदबू आती है। श्वेत प्रदर में कफ विकार होना जरूरी है। यह स्राव केवल योनि द्वार से ही होता है। यदि मूत्र मार्ग से यह स्राव हो, तो इसे प्रदर न मान कर सोमरोग, या उष्णवात फिरंग पूथमेह आदि जन्य, या मूत्र मार्ग के क्षतजन्य स्राव मानेंगे। इन दोनों की चिकित्सा में अंतर है। सामान्य श्वेत प्रदर तो पोषण, अत्यधिक मानसिक तनाव, शक्ति से अधिक थकाने वाले कार्य करना आदि से होता है। आजकल यह रोग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। आज प्रायः 75 से 80 प्रतिशत शहरी स्त्रियों को यह रोग है, या हो चुका है और अगर किसी को नहीं हुआ है, तो होने की संभावना है।

इसी कारण धीरे-धीरे स्त्रियां दुर्बल, क्षीण एवं चिड़चिडी होती जा रही हैं। इस रोग के अन्य कारण जीवाणु, गर्भाशय के मुंह पर घाव, यौन रोग आदि हैं। इन कारणों से श्वेत प्रदर गंभीर रूप धारण कर सकता है। जीवाणुओं के कारण होने वाले रोगों को संक्रामक श्वेत प्रदर कहते हैं। ये जीवाणु दो प्रकार के होते हैं। अधिसंखय महिलाओं को 'ट्राइकोमोनास वेजाइनैलिस' नामक जीवाणु से यह रोग होता है। ये जीवाणु गर्भाशय के मुख और योनि की श्लेष्मीय झिल्ली को काटते रहते हैं, जिससे दुर्गंधित गाढ़ा स्राव निकलता है और हर समय योनि में खुजली एवं पीड़ा होती है। दूसरे जीवाणु खमीर जाति के होते हैं, जिनके कारण सफेद गाढ़ा स्राव निकलता है एवं खुजली होती है। स्राव में खट्टी बदबू होती है। इस संक्रामक श्वेत प्रदर की जांच किसी अच्छे महिला रोग विशेषज्ञ से अवश्य करवानी चाहिए, अन्यथा लापरवाही से रोग भयंकर रूप धारण कर सकता है।

चिकित्सकों के अनुसार श्वेत प्र्रदर के कारण :

1. गुप्तांगो की अस्वच्छता

2. खून की कमी

3. अति मैथुन तथा तरह-तरह के अप्राकृतिक आसनों का उपयोग

4. अधिक उपवास

5. अति श्रम

6. तीखे, तेज मसालेदार और तेल से तले पदार्थों का अधिक सेवन

7. मन में कामुक विचार का अधिक होना

8. योनि में जीवाणु संसर्ग

9. ऋतु स्राव की विकृति

10. योनि, या गर्भाशय के मुख पर छाले

11. बार-बार गर्भपात, या गर्भाशय शोध

12. अधिक संतान उत्पन्न करना

13. मूत्र स्थान में संक्रमण

14. अश्लील बातों और काम वासना के विचारों में अति रुचि रखना

15. स्थानीय ग्रंथियों की अति सक्रियता। सामान्य लक्षण : रागे के प्रारभं में स्त्री को दुर्बलता का अनुभव होता है। खून कम होने से चक्कर आना, आंखों के सामने अंधेरा छा जाना, भूख न लगना, शौच साफ न होना, बार-बार मूत्र त्याग, पेट में भारीपन, कटि शूल, जी मिचलाना, योनि में खुजली होना, मासिक धर्म से पहले, या बाद में सफेद चिपचिपा स्राव होना इस रोग के लक्ष्ण हैं। इससे रोगी का चेहरा पीला हो जाता है।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


उपचार : श्वेत प्रदर म ें स्त्रिया ें को खाने-पीने में सावधानी बरतनी चाहिए। खट्टी-मिठी चीजों और तेल-मिर्च का त्याग करना चाहिए। गुप्तांगो की सफाई हमेशा रखनी चाहिए। खून की कमी को पूरा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। हरी सब्जियां, बंद गोभी, टमाटर, पालक, सिंघाड़ा, गूलर आदि फलों का सेवन लाभकारी होता है। कुुछ सामान्य घरेलू उपचारः सिंघाड़े के आटे के हलुवे का सेवन इस रोग में हितकारी है। गूलर के सूखे फल पीस कर, उसमें मिस्री और शहद मिला कर खाएं। मुलहठी, मिस्री, जीरा, अशोक छाल क्रमश 1, 2, 6 के अनुपात में पीस कर, दिन में तीन बार, 4 से 6 मास सेवन करने से लाभ होता है।

सफेद मूसली या ईसबगोल, शर्बत के साथ, दिन में दो बार लें। सिंघाड़ा, गोखरू, बड़ी इलायची, बबूल की गोंद, समेल का गोंद और शक्कर, समान मात्रा में मिला कर, सुबह-शाम सेवन करें। गोंद को शुद्ध घी में तल कर, शक्कर की चाशनी में डाल कर, खाने से लाभ होता है। पक्के टमाटर का सूप पीने तथा आंवले का मुरब्बा खाने से भी लाभ होता है।

तुलसी के पत्तों का रस, बराबर की मात्रा में शहद में मिला कर, सुबह-शाम चाटने से विशेष लाभ होता है। आंवले का चूर्ण शहद के साथ चाटने से आराम मिलता है। शिलाजीत एक मास दूध के साथ सेवन करें। ज्योतिषीय दृष्टिकोण : ज्योतिषीय दृष्टि से श्वेत प्रदर रोग चंद्र और शुक्र के दुष्प्रभावों से होता है। काल पुरुष की कुंडली में सप्तम भाव योनि, गर्भाशय और मूत्र प्रनाली का कारक भाव है और इस भाव का कारक ग्रह शुक्र है। अष्टम भाव बाह्य गुप्तांगो का भाव है और इस भाव का कारक ग्रह शनि है, जो संक्रामक और धीरे-धीरे बढ़ने वाले रोगों का कारक है।

जब सप्तम भाव का कारक, या स्वामी त्रिक स्थानों पर और अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, तो मूत्राशय और योनि रोग उत्पन्न करता है। इसके साथ-साथ लग्नेश और लग्न पर अशुभ प्रभाव होना, चंद्र का अशुभ भावों में और अशुभ प्रभावों में रहना श्वेत प्रदर रोग उत्पन्न करता है, जैसे चंद्र त्रिक स्थानों का स्वामी हो कर सप्तम भाव में हो, या सप्तमेश के साथ हो और लग्नेश त्रिक स्थानों में शनि के प्रभाव में हो, चंद्र अगर शुभ भावों का स्वामी है और त्रिक स्थानों में, या त्रिक स्वामियों के प्रभाव में है और सप्तम कारकेश अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो, तो स्त्रियों में श्वेत प्रदर रोग देता है।

विभिन्न लग्नों में श्वेत प्रदर रोगे :

मेष लग्न : सप्तमशे शक्रु द्वादश भाव में बुध के साथ हो और बुध अस्त न हो, चंद्र छठे भाव में लग्नेश के साथ हो और शनि से दृष्ट हो, तो स्त्रियों के लिए श्वेत प्रदर रोग होने की संभावना होती है।

वृष लग्न : चदं र छठे भाव, या सातवें भाव में, सप्तमेश चतुर्थ भाव में गुरु से युक्त हो, लग्नेश लग्न में शनि से दृष्ट हो, तो श्वेत प्रदर रोग उत्पन्न करते हैं।

मिथुनुनुन लग्न : चदं र षष्ठ भाव में अनुराधा नक्षत्र में हो और उस पर शनि की दृष्टि हो, मंगल कर्क, वृश्चिक या मीन राशि में हो, तो श्वेत प्रदर रोग देता है।

कर्क लग्न : चद्र त्रिक स्थानों पर शनि के प्रभाव में रहे, बुध-शुक्र लग्न में और सप्तम भाव में गुरु हो, या सप्तम भाव पर गुरु दृष्टि रखे और मंगल जल राशियों में रहे, तो श्वेत प्रदर दुःखी करता है।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


सिंह लग्न : चद,्र बध्ुा, शक्रु सप्तम भाव में हों, सूर्य षष्ठ या अष्टम भाव में हो, मंगल द्वादश भाव में, या अष्टम भाव में हो, तो स्त्री को श्वेत प्रदर होता है।

कन्या लग्न : चदंर शक्रु सप्तम भाव में, बुध षष्ठ भाव में, गुरु अष्टम भाव में शनि से दृष्ट हो, मंगल कर्क, अर्थात एकादश भाव में हो, तो श्वेत प्रदर रोग होता है।

तुुला लग्न : शक्रु -मगं ल द्वितीय भाव में, चंद्र अष्टम भाव में, गुरु सप्तम भाव में शनि से दृष्ट हो, तो श्वेत प्रदर रोग देते हैं।

वृृिश्चिक लग्न : मगं ल लग्न म,ें चंद्र-शुक्र षष्ठ, या सप्तम भाव में हों और बुध सप्तम भाव में रहे तथा राहु-केतु से दृष्ट, या युक्त हो, तो श्वेत प्रदर रोग की संभावना रहती है।

धनु लग्न : लग्नश्े ा द्वादश या अष्टम भाव में हो, मंगल मीन राशि में चतुर्थ भाव में रेवती नक्षत्र पर हो, शुक्र षष्ठ भाव में, या सप्तम भाव में चंद्र से युक्त हो, तो स्त्री जातक को श्वेत प्रदर रोग होता है।

मकर लग्न : लग्नश्े ा सप्तम भाव में हो, सप्तमेश गुरु से युक्त हो, शुक्र-बुध षष्ठ भाव में हों और सप्तम भाव पर राहु-केतु की दृष्टि से श्वेत प्रदर जैसा रोग उत्पन्न होता है।

कुभ्भ लग्न : चदंर सप्तम भाव में हो, सप्तमेश जल राशि में रहे, बुध अस्त न हो, गुरु षष्ठ भाव में शनि से युक्त हो और मंगल अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो श्वेत प्रदर रोग उत्पन्न करता है।

मीन लग्न : शक्रु सप्तम भाव म,ें नीच का चंद्र अष्टम भाव में, सूर्य कर्क राशि में, बुध षष्ठ भाव में, शनि षष्ठ, या अष्टम भाव पर पूर्ण दृष्टि रखे, मंगल जल राशि में रहे, तो स्त्री जातक को श्वेत प्रदर रोग होता है। उपर्युक्त सभी योग, अपनी दशा-अंतर्दशा और गोचर स्थिति से सक्रिय हो कर, अपने स्वभाव अनुरूप, रोग, या कष्ट देते हैं। प्रस्तुत कुंडली एक स्त्री जातक की है, जो श्वते पद्रर रागे से पीडित़ है। इस कुंडली में जन्म समय वृष लग्न उदित हो रहा था। लग्नेश लग्न में, गुरु, राहु, मंगल, शनि चतुर्थ, चंद्र षष्ठ, केतु-बुध दशम और सूर्य मीन राशि में एकादश भाव में स्थित हैं। यह कुंडली वृष लग्न की है। चंद्र षष्ठ भाव में और लग्नेश लग्न में स्थित हैं तथा उस पर शनि की दृष्टि है।

सप्तमेश मंगल अष्टमेश और एकादशेश के साथ चतुर्थ भाव में शनि-राहु से युक्त हो कर पीड़ित है। चंद्र भी शनि की दृष्टि में है, इसलिए शनि की महादशा में जब चंद्र का अंतर शुरू हुआ, तो यह रोग शुरू हो गया। शनि की दशा जब तक रहेगी, तब तक जातक को इस रागे से पीडित़ रहना पडगे़।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.