काला जादू जिसे अभिचार (Abhichara) के नाम से भी जाना जाता है, जोकि विष्व के विभिन्न स्थानों में कई रूपों में प्रचलित है, इसके द्वारा नकारात्मक शक्तियों को जागृत किया जाता है। काला जादू का मुख्य ध्येय शत्रु को उस स्थान से भगाना, उसे मार देना या पागल कर देना होता है। काला जादू को एक आसान उपाय के रूप में वो लोग अपनाते हैं
जोकि दूसरों की सफलता से ईष्र्या करते हैं। इस तरह के व्यक्तियों के अन्दर नकारात्मकता, ईष्र्या, लालच, निराषा, कुंठा इस तरह से घर कर जाती है कि वे दूसरों की सफलता, उन्नति, समृद्धि को स्वीकार नहीं कर पाते हैं तथा वे उस व्यक्ति से प्रतिषोध लेने के लिए काला जादू के द्वारा उसके लिए परेषानियां पैदा कर आनंद का अनुभव करते हैं।
कई समृद्ध व्यक्तियों को काला जादू के द्वारा बर्बाद किया जा चुका है। काला जादू का प्रयोग दूसरे व्यक्ति को हानि पहंुचाने या चोट पहुंचाने के लिए कुछ विषेष तरह की क्रियाओं के द्वारा सम्पन्न किया जाता है। इस प्रथा का प्रभाव हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति पर भी देखा गया है। इस तरह की ऊर्जा प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर मौजूद होती है जिसका प्रभाव व्यक्ति की सोच तथा उसकी आत्मा की प्रकृति पवित्र या दुष्ट है
इस पर निर्भर करती है। इस शक्ति का प्रयोग किसी विषेष व्यक्ति के स्वार्थपूर्ति हेतु या किसी दूसरे व्यक्ति या जगह को हानि पहुंचाने में किया जा सकता है। काला जादू के कुछ साधारण लक्षण हैं जैसे मानसिक अवरोध, श्वांसों में भारीपन तथा तेज चलना, गले में खिंचाव, जांघ पर नीले रंग के निषान बिना किसी चोट के, घर में बिना किसी विषेष कारण के कलह/ लड़ाई-झगड़ा, घर के किसी सदस्य की अप्राकृतिक मृत्यु, व्यवसाय में अचानक हानि का होना आदि। कुछ और लक्षण भी हैं जैसे कि हृदय में भारीपन महसूस होना, निद्रा पर्याप्त न आना, किसी की मौजूदगी का भ्रम होना, कलह आदि साधारणतया देखने में आते हैं।
व्यक्ति अषांत सा रहता है तथा उसको किसी भी तरह से शांति नहीं मिलती है। निराषा, कुंठा तथा उत्साह की कमी भी इसी का परिणाम है। यदि काला जादू का समय रहते उपाय न किया जाए तो यह अत्यंत विनाषकारी, भयानक तथा घातक हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप जातक की जिंदगी तबाह तथा बर्बाद हो सकती है या फिर उसे कोई भयानक बीमारी अपने अधीन कर सकती है । कुंडली में ग्रहों के विषेष संयोग होते हैं जो कि जातक को काला जादू के प्रभाव में ला सकते हैं ।
यदि कुण्डली में सूर्य, चन्द्रमा, शनि, मंगल आदि ग्रह कुछ विषेष भावों में राहु तथा केतु से पीड़ित होते हैं तभी काला जादू व्यक्ति पर प्रभाव डाल सकता है अन्यथा इसका प्रभाव व्यक्ति पर नहीं होता है। वे जातक जिनके लग्न तथा सूर्य कमजोर होते हैं उनके काला जादू के प्रभाव में आने के ज्यादा अवसर होते हैं। सूर्य ग्रह को आत्मविष्वास का प्रतीक माना जाता है। यदि कुण्डली में ग्रहण योग है या राहु बहुत अनिष्टकारी स्थिति में है या शनि की टेढ़ी दृष्टि है या कुण्डली में मंगल तथा शनि का संयोग है या चन्द्रमा का शनि के साथ संयोग हो तो भी जातक ऋणात्मक शक्तियों के प्रभाव में आ सकता है तथा काला जादू से प्रभावित हो सकता है।
बाधकेष की कुण्डली में स्थिति भी उस समय महत्वपूर्ण है। यदि इस समय छठे भाव तथा उसके स्वामी से संबंधित दशा चल रही हो तथा दशानाथ प्रथम, सप्तम, द्वादष भाव में स्थित हो तथा मंगल का संबंध लग्न से हो साथ ही केतु की स्थिति चतुर्थ, प्रथम तथा दषम भाव में हो । यदि बुध ग्रह मंदी या गुलिका से संबंधित हों तथा मंगल बाधक स्थान में हो और दोनांे का आपस में दृष्टि संबंध बने तो भी व्यक्ति काला जादू के प्रभाव में आ सकता है। इस तरह के संयोग जन्म कुण्डली में हांे तो जातक इन संयोगों की दषा/ अन्तर्दषा में काला जादू के प्रभाव में आ सकता है।
इस तरह के संयोग कुछ ही जातकों की कुण्डलियों में देखने को मिलते हंै जिसे कि कोई विद्वान ज्योतिषी ही जान सकता है। जब हम जीवन के बहुत ही बुरे समय से गुजर रहे होते हैं तो हम किसी व्यक्ति या वस्तु को ढूंढ़ते हैं दोष मढ़ने के लिए। वह व्यक्ति जो कि काला जादू करते हैं या किसी के द्व ारा काला जादू करवाते हैं उनको उन व्यक्तियों से ज्यादा भुगतना होता है जिनके ऊपर ये किया जाता है, क्योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हम जैसा दूसरों के साथ करते हैं वही हमें वापस मिलता है, अच्छा या बुरा ;ॅींज ूम कव जव वजीमते ूपसस बवउम इंबा जव नेए हववक वत इंकद्धण् कौन कर सकता है या करवा सकता है
काला जादू: किसकी है बुरी नजर यदि व्यक्ति का सूर्य प्रभावपूर्ण है लेकिन उन पर राहु और शनि का प्रभाव है तो वह व्यक्ति आत्मविष्वास से परिपूर्ण होता है लेकिन दुष्ट प्रभाव में होने के कारण उनके अन्दर ईष्र्या का विकास हो जाता है
जो कि अपनी चरम स्थिति में पहुंच जाता है। उस व्यक्ति की आंतरिक शक्तियां उस व्यक्ति की जीवन शक्ति को नष्ट कर सकती हैं, जो उसका षिकार बनता है। इसी तरह कुछ अन्य ग्रहों के योग भी हैं। जैसे यदि जातक के द्वितीय तथा तृतीय भाव में दुष्ट ग्रहों शनि, राहु, मंगल तथा षष्ठेष का प्रभाव हो तो उस जातक के पास काला जादू या बुरी नजर की शक्ति होती है जिसके द्वारा वह व्यक्ति किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
यदि जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य प्रभावी स्थिति में है तथा चतुर्थ भाव में शनि, राहु आदि दुष्ट ग्रहों का प्रभाव है तो भी उस व्यक्ति की नजर बुरी होती है तथा वह बुरी शक्तियों से दूसरे के जीवन पर ऋणात्मक प्रभाव डाल सकता है। वास्तव में काला जादू, षिकार व्यक्ति के जीवन में भूचाल ला सकता है।
यह व्यक्ति के जीवन के किसी भी महत्वपूर्ण पक्ष करियर, धन, समृद्धि, पारिवारिक जीवन, बेकार की चिंता, डर, बच्चों तथा परिवार पर नकारात्मक प्रभाव, लम्बी स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक शांति का भंग होना, बुद्धि तथा खुषियां, आंतरिक खलबली, अषांति और असामान्य व्यवहार और इसके साथ ही विषेष परिस्थितियों में अप्राकृतिक मृत्यु भी हो सकती है। उपयुक्त समय पर उचित उपायों के द्वारा ज्योतिषीय परामर्ष से काला जादू और बुरी नजर से बचा जा सकता ह