जानें अंग लक्षण से व्यक्ति विशेष के बारे में
जानें अंग लक्षण से व्यक्ति विशेष के बारे में

जानें अंग लक्षण से व्यक्ति विशेष के बारे में  

यशकरन शर्मा
व्यूस : 245872 | जून 2014

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति का चेहरा उस व्यक्ति विशेष के बारे में काफी कुछ कह जाता है। इसके जरिए आप किसी के स्वभाव के बारे में काफी नजदीक से जान सकते हैं। नाक, आंख, गाल, आई ब्रो, तिल, जीभ जैसे कई अंग हमारे बारे में काफी कुछ कहते हैं।

यदि चेहरे पर दाहिने भाग में लाल या काला तिल हो, तो वह व्यक्ति यशस्वी, धनवान तथा सुखी होता है। यदि नीचे के होठ पर तिल का चिह्न हो, तो ऐसा व्यक्ति निर्धन होता है तथा जीवन भर गरीबी में दिन व्यतीत करता है। यदि बायें कान के ऊपरी सिरे पर तिल का चिह्न हो, तो वे व्यक्ति दीर्घायु पर कमजोर शरीर के होते हैं। यदि नासिका के मध्य भाग में तिल हो, तो वह व्यक्ति यात्रा करने वाला तथा दुष्ट स्वभाव वाला होता है। यदि ललाट की दाहिनी कनपटी पर तिल हो, तो ऐसा व्यक्ति प्रेमी, समृद्ध तथा सुखपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाला होता है। यदि ऊपर के होठ पर तिल का चिह्न हो, तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक विलासी और काम पिपासु होता है। यदि ठोड़ी पर तिल हो, तो वह व्यक्ति अपने काम में ही लगा रहने वाला होता है तथा स्वार्थी होता है। यदि दाहिने कान के ऊपरी सिरे पर तिल का चिह्न हो, तो वे व्यक्ति सरल स्वभाव के तथा युवावस्था में पूर्ण उन्नति करने वाले होते हैं। यदि दाहिने कान के पास तिल हो, तो ये व्यक्ति साहसी होते हैं। यदि गर्दन पर तिल हो, तो वे व्यक्ति-बुद्धिमान होते हैं तथा अपने प्रयत्नों से धन संचय करते हैं।

जिस जातक का ललाट और नासिका क्षेत्र उन्नत तथा विस्तृत होता है, वह बुद्धिमान, ज्ञानवान, विचारशील, व्यावहारिक, चतुर, साहसी तथा सफल होता है। जिस जातक का मुख क्षेत्र विस्तृत होता है, वह गम्भीर, चालाक, चतुर, धूत्र्त, विचारवान, कामी और स्थिति को पहचानने वाला होता है, ऐसे जातक अधिक स्वार्थी होते हैं। ये आवश्यकता पड़ने पर असत्य एवं अन्याय का भी सहारा लेने से पीछे नहीं हटते। यदि किसी जातक के नासिका क्षेत्र की अपेक्षा मुख क्षेत्र अधिक विकसित होगा तो व्यक्ति कामुक, वासनायुक्त, असभ्य, एवं हिंसक होगा। यदि नासिका क्षेत्र मुख क्षेत्र से अधिक विकसित हो तो जातक, जल्दबाज, स्पष्टवक्ता, मनमौजी संरक्षक एवं न्यायप्रिय होगा।

यदि ललाट में चार रेखाएं हों, तो वह सच्चरित्र तथा बुद्धिमान होता है। जिसके ललाट में तीन रेखाएं सीधी, सरल और स्पष्ट हों, वह व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है।

जिसके ललाट में बहुत अधिक रेखाएं टूटी-फूटी हों, तो वह व्यक्ति दुर्भाग्यशाली एवं रोगी होता है। ललाट पर पांच रेखायें शतजीवी की होती है। चार रेखायें अस्सी वर्ष की आयु बतलाती है। तीन रेखायें सत्तर की आयु की सूचक है। यदि दोनों भौंहों के बीच में त्रिशूल का चिन्ह होता है तो जीवन में उसका निश्चय ही अंग-भंग होता है।

गुलाबी होठ प्रतिभावानों के होते हैं। मोटे होठ प्रफुल्ल व्यक्तियों के होते हैं। लम्बाई लिए होठ कामी के होते हैं। छोटे होंठ भीरू (डरपोक) के होते हैं। रुखे, पतले और कुरूप होठ धनहीन दुःखी व्यक्तियों के होते हैं। बत्तीस दांत वाले व्यक्ति भाग्यवान होते हैं। तीस दांत वाले धन के अभाव में चिन्तित रहते हैं। इकत्तीस दांत वाले भोगी होते हैं। जिनके नीचे जबड़े में अधिक दांत हों उनको मां का सुख नहीं मिलता। यदि कान जन्म से ही लम्बे हों, तो वह सुखी व्यक्ति होता है। बड़े-बड़े रोम युक्त कान दीर्घायु को स्पष्ट करते हैं। बहुत मोटे कान नेतृत्व करने वाले के सूचक होते हैं। अत्यन्त छोटे कान वाला व्यक्ति कंजूस होता है। बड़े कान वाला व्यक्ति पूजनीय होता है। स्त्रियों के कानों पर केश होना विधवापन का सूचक है। जब दो व्यक्ति आमने सामने बैठकर बातें करते हैं उस समय जो व्यक्ति बात करते समय इधर उधर देखे उसे कपटी तथा बार-बार पलकें झपकाने वाले चरित्रहीन एवं ऊपर की ओर देखने वाले अच्छे तथा आंखों से आंखें मिलाकर बात करने वाला विश्वासी कहा गया है। तोते जैसी नाक वाले अधिक भाग्यशाली होते हैं। हाथी के समान नाक वाला व्यक्ति भोगी होता है। जिनके नथुने छोटे हों, वे भाग्यवान पुरुष होते हैं। नुकीली नाक वाला राजा होता है। छोटी नाक वाला धर्मात्मा होता है। कटी हुई नाक वाला व्यक्ति पापी होता है। यदि नाक के आगे का हिस्सा लम्बाई लिए हुए हो, तो वह रानी के समान सुख भोगती है। अत्यधिक लम्बी नाक वाली स्त्री सुखहीन होती है। छोटी गर्दन वाला भाग्यशाली होता है।

गोल और मजबूत गर्दन वाला व्यक्ति धनवान होता है। लम्बी गर्दन वाला व्यक्ति भोगी होता है। टेढ़ी गर्दन वाला चुगलखोर होता है। मांसहीन गर्दन निर्धनता की सूचक है। मांस से भरी हुई सुन्दर गर्दन श्रेष्ठता की सूचक होती है। तीन रेखाओं से युक्त गर्दन वाली स्त्री धनी होती है। मोटी गर्दन वाली स्त्री विधवा होती है। जिसके गले में नाड़ियां दिखाई देती हों, वे दरिद्री होती हैं। जिसकी चिबुक अर्थात् ठोड़ी में गड्ढा हो वह व्यक्ति सुंदर, भोगी, सुखी, यशस्वी व धनी होता है।

बेचैनी से एक दूसरे से हाथ रगड़ने वाले व्यक्ति किंकर्तव्यविमूढ़, हतोत्साह और स्वभाव से अमीर होते हैं। केहुनी पर मुड़े हुए हाथ आत्मगर्व, प्रपंच और दूसरों के प्रति हेय भावना रखने वाले होते हैं।

यदि जातक के हाथों की दसों उंगलियों पर चक्र हों तो वह राजा का सेवक और नौ उंगलियों में चक्र रहने से राजा होता है।

अंगूठे के जोड़ पर यव का चिह्न बुद्धि और सम्पत्तिवान पुरुषों के होते हैं। नसयुक्त टेढ़े पृष्ठभाग वाला व्यक्ति दरिद्र होता है। छोटी ग्रीवा श्रेष्ठ व्यक्ति की होती हैं। टेढ़ी ग्रीवा चुगलखोर व्यक्ति की होती हैं। चैड़ा मुंह दुर्भाग्य का सूचक है। लम्बी ग्रीवा अधिक भोजन वाले व्यक्तियों की होती है। स्त्रियों के समान मुख संतानहीनों का होता हैं। चैकोर मुंह धोखेबाज, मायावी व्यक्तियों का होता है। छोटे मुंह वाले व्यक्ति कंजूस कहे जा सकते हैं।

मोर, बिल्ली अथवा शेर जैसी चाल वाले व्यक्ति भाग्यवान होते हैं। हंस, हाथी और बैल की तरह चलने वाले व्यक्ति निरन्तर धर्म, अर्थादि कार्यों में तत्पर होेते हैं। गीदड़, ऊंट और खरगोश जैसी चाल वाले समाज में सम्मान खो बैठते हैं।

अत्यधिक चैड़ी हथेली वाले व्यक्ति तुरन्त निर्णय नहीं ले पाते और किसी भी कार्य को करने से पूर्व बहुत अधिक सोचते-विचारते रहते हैं। संकड़ी हथेली वाले व्यक्ति अपने स्वार्थ साधन में यदि अन्य व्यक्ति का अहित भी हो जाता है, तो ये परवाह नहीं करते। समचैरस हथेली वाले व्यक्ति जो भी बनते हैं या जो भी उन्नति करते हैं वह अपने प्रयत्नों के माध्यम से ही करते हैं। चैड़ी हथेली वालांे की कथनी और करनी में कोई भेद नहीं होता और एक बार जो ये बात अपने मुंह से कह देते हैं, उस पर ये खुद भी दृढ़ रहते हैं

सख्त हाथ वालेे व्यक्तियों का जीवन रूखा और कठोर-सा होता है और प्रेम के मामले को भी ये युद्ध के मामले की तरह समझते हैं। अत्यन्त सख्त हाथ बुद्धि की न्यूनता और अत्याचार को प्रदर्शित करता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों को दुखी देखकर आनन्द का अनुभव करते हैं। अपराधी वर्ग के हाथ ऐसे ही होते हैं। जल्लाद या पेशेवर हत्यारे के हाथों में इसी प्रकार की स्थिति देखी जा सकती है। नरम हाथ वाले सामान्यतः कल्पनाशील व्यक्ति होते हैं। अधिकतर ऐसे हाथ स्त्रियों के होते हैं। यदि किसी पुरुष का भी ऐसा हाथ हो जाए तो यह समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति में स्त्री सम्बन्धी गुण विशेष हैं। किसी व्यक्ति का हाथ बहुत ही अधिक ढीला-ढाला हो तो ऐसे व्यक्ति आलसी, निकम्मे तथा अत्यन्त स्वार्थी होते हैं।

मांसलयुक्त कछुए की पीठ की तरह उन्नत तथा नस विहीन पांव श्रेष्ठ माना गया है। पांवों की उंगलियों का आपस में एक दूसरे से मिले हुए होना, नाखून सुन्दर होना, एड़ियां मांसल तथा गोलाई लिए हुए हो तथा गुल्फ की हड्डियों का दबा रहना शुभ लक्षण माना जाता है। जिसके पांव के तलवे का रंग पीला हो वह कामी तथा व्यभिचारी माना गया है। जिनके पांव बीच में कुछ अधिक उठे हुए हों वे ज्यादा यात्रा करते हैं। जिनके पांव का रंग जली हुई मिट्टी के रंग जैसा हो वे पाप कर्म तथा हिंसक स्वभाव के होते हैं। जिनके पांवों के तलवे में रेखाएं न हो जो कठोर, फटे हुए अथवा रूखे हांे ंऐसे व्यक्ति दुखी रहते हैं। जिनके पावों के तलवे मांस रहित प्रतीत हो वे व्यक्ति रोगी रहते हैं। जिनके पावों के तलवे का मध्य भाग उठा हुआ हो वे यात्रा प्रेमी माने गए हैं। पांव के तलवे में पाई जाने वाली रेखा सरल, सुन्दर, स्पष्ट, निर्दोष तथा एड़ी से तर्जनी तक गई हो ऐसा व्यक्ति परम ऐश्वर्यशाली माना जाता है। पांव का अंगूठा यदि सर्प के फण के समान गोल आकृति वाला, उन्नत तथा मांसलयुक्त हो तो वह शुभ माना जाता है। यदि अंगूठे पर नसें दिखती हो, वह बहुत छोटा हो या बहुत बड़ा हो, टेढा अथवा चपटा हो वह अशुभ होता है।

बोलते समय जिस स्त्री का स्वर वीणा के समान हो, वह श्रेष्ठ होती है। कोकिल के समान स्वर वाली भाग्यशाली स्त्री ’मानी’ जाती है। जिसकी ध्वनि मोर के समान हो, उसका धनी पुरुष से विवाह होता है। फटी सी आवाज रखने वाली स्त्री दुखी होती है। घरघराहट सी आवाज वाली स्त्री दुखी होती है। छोटे-छोटे और काले बालों वाली पलकें जिस स्त्री के हों, वह स्त्री सौभाग्यशाली होती है।

महिला के हाथों पर बाल होने से पाश्चात्य मत वालों का कहना है कि वह स्त्री दुष्टा और लड़ाकू होती है। पुरुष के होने से वह आक्रोश प्रकृति का होता है।थोड़े बाल और कहीं कहीं पर बाल होना मतलबी और दूरदर्शिता का सूचक है। अधिक बालों वाला व्यक्ति पंडित और गुणी होता देखा गया है।

जिस स्त्री के पैर की कनिष्ठा अंगुली से लेकर आगे तक जितनी अंगुलियां चलते समय जमीन से उठी रहें, वह उतने ही पति के दुर्भाग्य का कारण बनती है। आशय यह है कि वह बार-बार विधवा होती है। यदि पैर का अंगूठा छोटा, गोल, टेढ़ा, चपटा हो तथा लाल रहता हो तो स्त्री अशुभ फलों की मूर्ति अर्थात् मनहूस होती है। कनिष्ठा अंगुली चलते समय जमीन को स्पर्श न करे तो वह शीघ्र विधवा हो या दुःखी जीवन हो। लंबी अंगुलियों वाली स्त्री कुलटा कही गई है। फैली हुई अंगुलियां दरिद्रता का संकेत देती है। एक अंगुली दूसरी अंगुली पर चढ़ी हो तो अपने पति के लिए षड्यंत्र करती है और अशुभ कही गयी है। जिस स्त्री के पांव की तर्जनी बड़ी हो वह स्वच्छन्द कामचारणी कही गई है। राह में चलते समय स्त्री के पैर से मिट्टी उड़े तो उसके घर में आने के बाद से कई परिवार नष्ट होंगे। ऐसी स्त्री व्यभिचारिणी व बदनाम होती है। जिसकी अंगुलियां लाल कमल की तरह कोमल हों, वह सदा सुख भोगती है।

स्त्रियों के दायें हाथ में आयुरेखा से पति का विचार करना चाहिए। धनरेखा से सास का विचार होता है। स्त्री के दायें हाथ की पितृरेखा से ससुर का विचार करना चाहिए। जिस स्त्री की दोनों आंखें पीली होती हैं, वह कामातुर होती है। जिस स्त्री के नेत्र जल से भरे हुए होते हैं, वे शुभ कहलाते हैं। जिन स्त्रियों की भौंहें न हों, वे निर्धन होती हैं। कण्ठ पर तिल हो तो उसके पहला पुत्र होता है। जिसके नेत्र लम्बे चैड़े हों तथा चैड़ी छाती एवं पतली कमर हो, वह समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करती है। जिस स्त्री के ललाट में चार रेखाएं होती हैं, वह सौभाग्यशाली होती है। जिन स्त्रियों के चलते समय थप-थप की आवाज आती है, वे मूर्ख होती हैं। जिनके पैरों में शंख, कमल, ध्वजा या मछली का चिह्न हो, वे धनवान से शादी करती हैं। यदि पैर की उंगलियां पतली हों, तो वे धनहीन होती हं। टेढ़ी उंगलियों वाली स्त्री कुटिल होती है।



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