बहुत पहले से हमारे शास्त्र में शकुनों के बारे में घटनाओं के अनुसार वर्णन है। संसार में सभी जातियों, धर्मों और संप्रदायों में स्वप्नों के बारे में मान्यता है। जैसे कौआ पक्षी का बोलना यह संकेत देता है कि आज कोई मेहमान आने वाला है। बिल्ली का रास्ता काटना, छींक का आ जाना, छिपकली का गिर पड़ना। रामायण में शुभ/अशुभ शकुनों के अनेक उदाहरण हैं।
जब हम शकुन पर विचार करते हैं तो कई प्रकार के विचार मस्तिष्क में आते हैं, पक्षियों के बारे में, पशुओं के बारे में, शरीर के अंगों के फड़कने के बारे में, छींक के बारे में और अन्यान्य जंतुओं के बारे में।
प्राचीन काल में हमारे परम्परागत ऋषि वनों में रहते थे। वे अपनी जीवन शैली के साथ-साथ बनों में रहने वाले सभी प्रकार के जीवों का, उनके आचरण का गहन अध्ययन करते थे। वे ही अनुभव कालांतर में प्रामाणिक शकुन लक्षण हो गए। जैसे कि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस की कुछ चैपाइयों में राम विवाह से संबंधित उदाहरण दिया। यह शकुन प्रसंग श्री रामजी की वन यात्रा के पश्चात दशरथ जी के देहांत के बाद भरत जी को वशिष्ठ जी महाराज ने जब बुलवाया, तबका शकुन लक्षण है। तब भरत जी को जो स्वप्न हुआ उसका वर्णन इन चैपाइयों में है।
देखही रात भयानक सपना। जाग करही कर कोटी कल्पना।।
विप्र जेवाई देही दिन दाना। शिव अभिषेक करही विधी नाना।
असगुन होई नगर पेठाई, रटहि कुभाती कुखेत कटारा।
खर सियार बोलही प्रतिकूला, सुनि सुनि होई भरत मन सूना।।
पक्षी संबंधी शकुन
ऐसे पक्षियों में उल्लू, बाज, कोयल, मुर्गा, कौवा, कबूतर आदि शामिल हैं। उल्लू की आवाज अधिकतर रात्रि के समय में सुनाई देती है। यदि उसकी आवाज रात्रि के प्रथम प्रहर में दूसरे प्रहर में तथा चैथे प्रहर में सुनाई दे तो अभिलाषा का पूरा होना, अर्थ लाभ होना, व्यापार में लाभ होना, राजदरबार में लाभ होना आदि शुभ शकुन है। परंतु एक ही दिशा में बार-बार आवाज होना, उसका दिखना, ज्यादा कल्याणकारी नहीं है। ऐसा होने पर व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि वह मनुष्य को निश्चित रूप से स्वास्थ्य की हानि करता है।
बाज पक्षी दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा में दिखाई दे या आवाज सुनाई दे तो यह शुभ लक्षण है। ऐसा लगातार होने पर अच्छा अन्न उत्पादन (खेती) होगा। परंतु अन्य समय में उसकी आवाज सुनाई दे तो राज्य से परेशानी होने की स्थिति आती है।
दिन के प्रथम प्रहर में कोयल की आवाज सुनाई दे तो हानि होती है। ऐसा सुनने में आया है कि अधिकतर कोयल का ज्यादा बोलना लगभग हानिप्रद ही होता है। इसलिए इस संदर्भ में जब भी ऐसी आवाज सुने तो वहां से हट जाना चाहिए।
दिन के प्रथम प्रहर या दूसरे प्रहर में मुरगे की आवाज सुनाई दे तो किसी पुराने व्यक्ति से मिलन होता है तथा सुख सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होती है। तीसरे और चैथे पहर में सुनाई दे तो चोट लगने तथा जलने का योग रहता है।
प्रथम पहर में कौए की आवाज सुनाई दे तो मेहमान का आना होता है। दूसरे पहर में व्यापार में लाभ होता है। परंतु तीसरे और चैथे पहर में खराब संदेश प्राप्त होगा। प्रथम प्रहर में दक्षिण दिशा में कौए की आवाज सुनाई देना अर्थ लाभ कराता है। मध्यान्ह में सुनाई दे तो पद की प्राप्ति होती है। किसी नगर या ग्राम में कौओं का झुंड इक्ट्ठा हो तो विवाद का कारण बनता है। घर पर बहुत सारे कौओं का बैठना मृत्यु तुल्य कष्ट देता है। चलते हुए सिर पर कौओं का स्पर्श करना भी स्वास्थ्य और आयु के लिए अच्छा नहीं होता।
दिवस के प्रथम पहर में कबूतर की गुटर गूं सुनाई दे तो अर्थलाभ होता है। तीसरे पहर में सुनाई दे तो विवाह या प्रेम-संबंध की स्थिति आती है। परंतु चैथे भाग में सुने तो कार्य में हानि होने का योग रहता है। कबूतर का सिर के ऊपर से उड़ना जीवन के कष्टों को कम करता है। कबूतर का किसी स्थान पर रहना उस स्थान के रहने वालों को नुकसान पहुंचाता है। इस प्रकार के पक्षियों से संबंधित अपशकुनों से बचने के लिए गरीबों को अन्न-दान, वस्त्र-दान और तिल व तेलीय पदार्थों का दान करना चाहिये।
पशु संबंधी शकुन
यात्रा के समय में बिल्ली अगर रास्ता काट दे तो अशुभ माना जाता है और बिल्ली द्वारा शरीर के किसी हिस्से को चाटने से परिवार पर अथवा शरीर पर बड़ी विपत्ति आती है, परंतु यात्रा के समय बाईं ओर वापसी पर दाई ओर बिल्ली दिखाई दे तो शुभ माना जाता है।
अगर सुअर दिखाई दे तो अच्छा होता है। परंतु वही अगर कीचड़ में सना हो तो ज्यादा अच्छा नहीं होता।
बंदर यदि बाईं ओर दिखाई दे तो शुभ माना जाता है।
अगर यात्रा पर जाते समय गधा पीछे से बोले तो शुभ माना जाता है। परंतु सामने से आने पर अशुभ माना जाता है।
बैल अथवा भैंस का दाईं ओर दिखना अशुभ माना जाता है।
मार्ग की दाहिनी ओर कुत्ता दिखाई दे तो शुभ माना जाता है। कुत्ता अपने आप को खुजलाता या झिड़कता हुआ दिखाई दे तो अच्छा नहीं माना जाता है।
अगर यात्रा में हिरन दिखाई दे तो शुभ माना जाता है। परंतु काले हिरन का दिखना अच्छा नहीं होता।
सियार का दिखना भी ज्यादा अच्छा नहीं होता। यह असफलता का सूचक होता है।
शरीर के अंगों का फड़कना
मनुष्य में पुरुष का दाहिना अंग फड़कना कल्याणकारी होता है। बांईं तरफ के अंग का फड़कना स्त्री के लिए मंगलदायक होता है। परंतु मस्तिष्क, मूलाधार, हृदय का फड़कना स्त्री, पुरुष दोनों के लिए श्रेष्ठ होता है। सिर, गरदन और दाहिने कान के फड़कने पर सौभाग्य, विदेश यात्रा अथवा विदेश से लाभ होता है। दाहिनी आंख फड़कने पर मित्रों से अथवा प्रिय लोगों से भेंट होती है। इसी तरह गाल फड़कने पर स्वास्थ्य लाभ होता है। नाक के फड़कने से धन लाभ होता है पर बाईं तरफ फड़कना चिंता उत्पन्न करता है। दोनों नथुनों के फड़कने पर मान-सम्मान प्राप्त होता है। बाजू, कोहनी और कंधा फड़कने पर इच्छा पूर्ति होती है। हाथ की हथेली में फड़फडाहट होने पर कार्यों में सफलता मिलती है। पीठ, पसली, कमर फड़कने पर संतान संबंधी लाभ होता है। पैर, टखना व घुटने का फड़कना जातक को कठिनाईयां देता है। पैर की उंगलियां फड़कने पर प्रतिष्ठा मिलती है और अच्छी यात्रा होती है।
छींक: छींक को बड़ा प्राचीन शकुन माना जाता है। हमारे शास्त्रों में प्राचीन काल में ऐसी मान्यता रही है कि छींक के माध्यम से शरीर से खराब आत्माएं बाहर निकलती है।
खुद के छींक आने पर किसी भी कार्य के आरंभ में शुभ माना जाता है। पर कोई और छींके तो समय व दिशा का विचार करना चाहिए। विदेशों में भी छींक के बारे में अनेक मान्यताएं हैं।
ब्रिटेन में कोष्टा जाति के लोग छींक के शकुन पर विचार करते हैं। गुलु जाति के लोग छींक आने पर अच्छा मानते हैं। जमैका के लोग छींक आने पर ऐसा मानते हैं कि कोई उनकी बुराई कर रहा है। एस्टन्टिका के वासी छींक आने पर ऐसा मानते हैं कि कन्या संतान की उत्पत्ति होगी। और दो लोगांे को छींक आने पर पुत्र संतान की उत्पत्ति होगी। जर्मनी में यात्रा के शुरु में छींक आने पर शुभ शकुन मानते हैं। मुस्लिमों की छींक के बारे अन्य राय है। उनके अनुसार छींक आने से रात्रि में कुछ शैतानी आत्माएं घर में आ जाती हैं और छींक आने पर नाक को बंद करती हैं। युनानी लोग छींक को दैवी की क्रीड़ा मानते हैं। यात्रा के समय छींक आने पर, सरदी के समय छींक होने से, वास्तविकता से छींक सुनाई देने पर, दूसरों द्वारा छींक आने पर अलग-अलग फल होते हैं। भारतीय संस्कृति में छींक का अलग-अलग स्थिति में अलग-अलग फल है। कुछ खरीदते समय, धार्मिक अनुष्ठान के सामने, व्यापार शुरु करते समय, मकान प्रवेश के समय, दवा खाने के समय और यात्रा के आरंभ के समय सामने से आई छींक अशुभ मानी जाती है। परंतु सत्य है कि भोजन करते समय और एक से अधिक और बाईं ओर से आई छींक व पीछे से हुई छींक, शुभ मानी जाती है।
जंतुओं संबंधी शकुन
छिपकली - दो प्रकार की होती हैं, एक जंगली और एक घरेलू। जिसे हम जंगली कहते हैं, उस नस्ल का नाम गिरगिट होता है। रविवार या मंगलवार को लाल रंग की छिपकली तथा शनिवार को काले रंग की छिपकली से कम हानि होती है। कभी-कभी जो घरों में छिपकली होती है उसके शरीर पर गिरने से शकुन/अपशकुन माना जाता है। स्त्री के शरीर के बायें भाग पर, पुरुष के शरीर के दाहिनी तरफ गिरना ठीक होता है। परंतु छिपकली का नीचे से ऊपर की ओर चढ़ना शुभ माना जाता है। ऊपर से नीचे की ओर गिरना अच्छा नहीं होता। छिपकली का स्पर्श होने पर स्नान करके मंदिर जाना चाहिए और भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए।
शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों पर छिपकली के गिरने से लाभ/ हानि -
- सिर पर गिरने से स्वास्थ्य हानि।
- कनपटी पर गिरने से परिवार में विवाद, भाइयों को कष्ट।
- गाल पर गिरने से शुभ समाचार
- आंख पर गिरने से मुसीबत का सामना
- नाक पर गिरने से स्वास्थ्य हानि
- गर्दन पर गिरने से शत्रुओं पर विजय
- हथेली पर गिरने से सौभाग्य सूचक
- घुटने पर गिरने से संपŸिा की प्राप्ति
- सिर से ऊपर के हिस्से पर गिरगिट के गिरने से रोग मुक्ति
- कंधे पर गिरने से अर्थ लाभ और होता है।
- हाथ पर गिरने से दुर्घटना से बचता है
- पैर पर गिरगिट के गिरने से कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है।
- चींटियों का झुन्ड दिखाई देना वर्षा का प्रतीक है।
- कछुए का किसी भी रूप में दिखाई देना शुभ शकुन है।
- मछली का दिखाई देना भी सदा कल्याणकारी माना गया है।
व्यवहार संबंधी शकुन- जाते समय भोजन का अनुरोध करना, जाते समय भिखारी का सामने आना, किसी का सिर खुजलाना , कौए का बोलना, धूल-मिट्टी से भरी तेज हवा चलना, अच्छे शकुन नहीं माने जाते। जिनकी शकुन शास्त्र में विशेष रुचि है वे बृहत् सहिंता और केरल के महान् ग्रंथ प्रश्न मार्ग को पढ़ सकते हंै।