जन्मकुंडली, नवग्रह और अष्टलक्ष्मी
जन्मकुंडली, नवग्रह और अष्टलक्ष्मी

जन्मकुंडली, नवग्रह और अष्टलक्ष्मी  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 4654 | अकतूबर 2017

मां लक्ष्मी की पूजा से इंसान को धन की प्राप्ति होती है। अगर आप काफी समय से आर्थिक तंगी में हंै तो अपने काम के साथ-साथ मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है अर्थात जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। अतः लक्ष्मी अर्थात धन को स्थायी बनाने के लिए कुछ उपाय, पूजन, आराधना, मंत्र-जाप आदि का विधान है। माँ लक्ष्मी को शास्त्रों-पुराणों-वेदों के अनुसार अलग-अलग रूप में पूजा जाता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है कि महालक्ष्मी के आठ स्वरुप हैं। लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। माँ महालक्ष्मी का धनलक्ष्मी या वैभवलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, अधिलक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी और संतान लक्ष्मी के रूप में पूजन किया जाता है।

वे रूप इस प्रकार से हैं- 1. आद्यलक्ष्मी 2. विद्यालक्ष्मी 3. सौभाग्यलक्ष्मी 4. अमृतलक्ष्मी 5. कामलक्ष्मी 6. सत्यलक्ष्मी, 7. विजयालक्ष्मी, 8. भोगलक्ष्मी एवं 9. योगलक्ष्मी । हम यहाँ आपको अष्ट लक्ष्मी के बारे में बताने जा रहे हैं कि- अष्टलक्ष्मी को किस रूप में पूजा जाता है और अष्ट लक्ष्मी के नाम क्या-क्या हैं और इनकी पूजा -उपासना-आराधना-जप से किस प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है।

अतः अष्ट (आठ) लक्ष्मी के, नाम ये हैं-

1. धनलक्ष्मी अष्ट लक्ष्मियों में सबसे पहले जो लक्ष्मी होती है उसे धन लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मी मां, धनलक्ष्मी के रूप में अपने सभी भक्तजनों को आर्थिक समस्याओं, दीनता एवं गरीबी को उसके घर परिवार से दूर करके उसे धन-दौलत से परिपूर्ण कर, घर में ऋद्धि-सिद्धि (बरकत) देती हैं। धनलक्ष्मी की कृपा यदि किसी के घर-परिवार में हो जाती है तो समझो उसके परिवार से व्यर्थ का व्यय, कर्जा और समस्त प्रकार की आर्थिक परेशानियां समाप्त हो जायेंगी। धन लक्ष्मी मंत्र - ऊँ धनलक्ष्म्यै नमः (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना धन में बढ़ोत्तरी करता है)।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


2. यशलक्ष्मी कई लोगों को आपने यह कहते हुए सुना होगा कि- हम जो भी काम करते हैं उसमें हमें मान-सम्मान, यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति नहीं होती है। करते हम हैं शाबाशी किसी और को मिलती है। ऐसे में व्यक्ति को जिसे अपने कार्य में यश की प्राप्ति नहीं मिलती उसे यश, ऐश्वर्य लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। यशलक्ष्मी या ऐश्वर्य लक्ष्मी रूप में लक्ष्मी जी की पूजा-जप-उपासना-उपवास- आराधना करने से व्यक्ति को संसार में मान-सम्मान, यश, ऐश्वर्य की प्राप्ति होने लगती है। यश देने वाली यह देवी अपने सभी भक्तजनों को विद्वत्ता और विनम्रता के गुण प्रदान करती हैं और संसार से मिलने वाली समस्त शत्रुता जड़ से समाप्त कर देती हैं। यशलक्ष्मी - ऊँ यशलक्ष्म्यै नमः।। (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना यश में बढ़ोत्तरी करता है)।

3. आयुलक्ष्मी जब परिवार में किसी की संतान होती है तब समस्त परिवार कामना करता है कि उस बालक की रक्षा हो, वह दीर्घायु (लंबी आयु) और निरोगी रहे। इसलिए मनोकामना पूर्ण करने के लिए आयुलक्ष्मी के रूप में माँ लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप शारीरिक और मानसिक कष्टों से हमारे परिवार की रक्षा करता है और समस्त परिवार, भक्तजनों व व्यक्ति विशेष की आयु में वृद्धि करता है। आयुलक्ष्मी - ऊँ आयुलक्ष्म्यै नमः (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना आयु में बढ़ोत्तरी करता है)।

4. वाहनलक्ष्मी जब किसी के ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा शुरू हो जाती तो उसके घर में सुख-समृद्धि बढ़नी शुरू हो जाती है। परिवार की इच्छा अनुसार वाहन की जरूरत होने पर इस देवी को प्रसन्न किया जाता है। वाहन की कामना पूर्ति हेतु माँ वाहन लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। वाहनलक्ष्मी की कृपा से वाहन सुख प्राप्त होता है और वाहनों की सही तरीके से रक्षा, शुभ मंगल यात्रा और वाहनों से शुभ लाभ की प्राप्ति वाहन के द्वारा मिलने लगती है। वाहनलक्ष्मी- ऊँ वाहनलक्ष्म्यै नमः।। (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना वाहन में बढ़ोत्तरी करता है)।

5. स्थिरलक्ष्मी कहते हैं माँ लक्ष्मी का एक नाम चंचला भी है। लक्ष्मी रुपी मां चंचला की वृद्धि और स्थिरता के लिए स्थिरलक्ष्मी की पूजा उपासना से माँ लक्ष्मी घर में माँ पार्वती और अन्नपूर्णा रूप में स्थायी रूप में निवास करती हैं। इनकी कृपा से घर में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती और घर में सदैव धन-धान्य की समृद्धि से घर-परिवार हमेशा भरा रहता है। स्थिरलक्ष्मी - ऊँ स्थिरलक्ष्म्यै नमः।। (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना स्थिरलक्ष्मी में बढ़ोत्तरी करता है)।


Consult our astrologers for more details on compatibility marriage astrology


6. सत्यलक्ष्मी सत्यलक्ष्मी और भार्या लक्ष्मी, एक ही हंै। माँ सत्यलक्ष्मी की कृपा जब किसी व्यक्ति पर होती है तब व्यक्ति को घर की लक्ष्मी अर्थात मन की इच्छा के अनुसार सुभार्या (पत्नी) मिलती है जो एक अच्छी मित्र, सलाह देने वाली, आपके जीवन में भक्ति, धर्म की वृद्धि करने वाली धर्मपत्नी बनकर हमेशा आपका साथ निभाती है। सत्यलक्ष्मी - ऊँ सत्यलक्ष्म्यै नमः।। (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना सत्यलक्ष्मी में बढ़ोत्तरी करता है)।

7. संतानलक्ष्मी जब किसी की संतान नहीं होती है तो इस स्थिति में संतान लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सभी स्त्रियों को जिनकी संतान नहीं होती उन मांओं को संतान लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। संतानहीन स्त्री के द्वारा संतानलक्ष्मी की उपासना करने से संतान की प्राप्ति और उनके गर्भ की रक्षा भी होती है और जिनकी संतान है उनकी संतान की रक्षा भी माँ संतान लक्ष्मी करती हैं। साथ ही उनके वंश की वृद्धि करने में भी मां संतान लक्ष्मी की पूरी कृपा दंपत्ति परिवार पर रहती है। संतानलक्ष्मी के रूप में देवी माँ उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर, आशीर्वाद रूप में संतान देती हैं। संतानलक्ष्मी - ऊँ संतानलक्ष्म्यै नमः।। (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना संतानलक्ष्मी में बढ़ोत्तरी करता है)।

अपने जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता होती है। जिस मनुष्य को मकान की आवश्यकता है उन्हें माँ गृहलक्ष्मी के रूप में माँ लक्ष्मी की पूजा जप करना चाहिए। माँ गृहलक्ष्मी के पूजन से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हंै और अपने भक्तों के स्वयं के घर का सपना पूर्ण (पूरा) करती हैं और जो मनुष्य किराये के मकान या किसी भी सरकारी मकान या रिश्तेदारों के मकान में रहता था। आज माँ गृहलक्ष्मी की कृपा से उनके दिये हुए प्रसाद रूप में उन्हें मकान, गृह की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है। इस रूप में माँ सुख-संपदा अपने सभी भक्तों को देती है। गृहलक्ष्मी - ऊँ गृहलक्ष्म्यै नमः ।। (दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करना गृहलक्ष्मी में बढ़ोत्तरी करता है)। जन्मकुंडली में अष्टलक्ष्मी उपरोक्त विवेचन में हमने शास्त्रोक्त रुप से अष्टलक्ष्मी जी को जाना।


Book Online 9 Day Durga Saptashati Path with Hawan


आईये अब हम अष्ट लक्ष्मी को ज्योतिष के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं। ज्योतिष शास्त्र हमारा मार्गदर्शन करता है कि हमारी जन्मकुंडली में कौन सा ग्रह कमजोर या पीड़ित है। उसी के अनुसार अष्ट लक्ष्मी जी रुप को प्रसन्न करने हेतु उपाय कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। ज्योतिष में नवग्रह होते हैं और नवग्रहों की नव प्रकार की लक्ष्मी होती है एवं नौ ही प्रकार की अलक्ष्मी भी होती है। उपायों के द्वारा नव प्रकार की अलक्ष्मी को दूर कर लक्ष्मी को प्राप्त करने की चेष्टा की जा सकती है। यह सर्वविदित है कि प्रत्येक ग्रह प्रसन्न होने पर विशेष प्रकार की प्रसन्नता देता है एवं अप्रसन्न होने पर विशेष प्रकार की हानि देता है।

सूर्य ग्रह और श्री लक्ष्मी - सूर्य प्रसन्न होने पर खूब सारी दौलत, विपुल सम्पत्ति एवं राज्य लक्ष्मी देता है एवं अप्रसन्न होने पर अराज्य लक्ष्मी देता है।

चंद्र और श्री लक्ष्मी - इसी प्रकार जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अनुकूल हो तो आरोग्य की प्राप्ति होती है, चंद्रमा आरोग्य लक्ष्मी देता है। प्रतिकूल होने पर अनारोग्य अलक्ष्मी देता है। ऐसे जातक के सारे रुपये दवाई व रोगों के इलाज में खर्च हो जाते हैं।

मंगल ग्रह और श्री लक्ष्मी - मंगल को ऋणमोचन माना जाता है। अनुकूल होने पर व्यक्ति पर किसी प्रकार का कर्जा नहीं रहने देता, यह उऋण लक्ष्मी देता है। प्रतिकूल होने पर व्यक्ति को सदा के लिए कर्जदार बना देता है तथा कुऋण अलक्ष्मी देता है।

बुध ग्रह और श्री लक्ष्मी - बुध बुद्धिदायक ग्रह है। यह अनुकूल होने पर सुज्ञान लक्ष्मी देता है तथा प्रतिकूल होने पर कुज्ञान अलक्ष्मी देता है। ऐसा जातक बुरे व्यसनों एवं कुबुद्धि, गलत निर्णयों से सारे घर का धन फूंक देता है।

गुरु ग्रह और श्री लक्ष्मी - गुरु ग्रह संतान प्रदाता है। यह सुसंतान सुलक्ष्मी देता है विपरीत होने पर कुपुत्र कुलक्ष्मी देता है।

शुक्र ग्रह और श्री लक्ष्मी -शुक्र ग्रह स्त्री प्रदाता है। अनुकूल होने पर सुभार्या सुलक्ष्मी देता है तथा प्रतिकूल होने पर कुभार्या कुलक्ष्मी देता है।

शनि ग्रह और श्री लक्ष्मी - शनि व्यक्ति को करोड़पति बना देता है श्रेष्ठा लक्ष्मी देता है एवं अप्रसन्न होने पर फकीर, महादरिद्री बना डालता है।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


राहु ग्रह और श्री लक्ष्मी - राहु सुमित्र लक्ष्मी देता है एवं दूसरी अवस्था में शत्रु अलक्ष्मी देता है। केतु ग्रह और श्री लक्ष्मी -केतु कीर्तिदायक, यश, पताका, ध्वजा का प्रतीक है। यह सुकीर्ति सुलक्ष्मी देता है एवं प्रतिकूल होने पर अपकीर्ति अलक्ष्मी देता है। अतः जब कुंडली में यह यह पता चल जाता है कि अमुक ग्रह के कारण नुकसान हो रहा है तो उस ग्रह की विशेष शांति अलग से विशिष्ट रुप से करा लेनी चाहिए। जो व्यक्ति इन नौ प्रकार की लक्ष्मी एवं अलक्ष्मी के रहस्य को जानता है एवं उनके सही निदान को जानता है वह व्यक्ति भाग्य बदलने का सामथ्र्य रखता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.