मंत्र 1: ऊँ ग्लौम गौरीपुत्र, वक्रतुण्ड गणपति गुरु गणेश। ग्लौम गणपति रिद्धिपति, सिद्धिपति! मेरे कर दूर क्लेश।। विधि: दीपावली के दिन 108 दूर्वाकुर, एक लड्डू व सिंदूर लेकर गणेश जी के मंदिर में जायें। गणपति जी को सिंदूर का तिलक लगायें, लड्डू चढ़ायें फिर उपरोक्त मंत्र 108 बार जपना है, हर एक मंत्र जप के बाद एक दूर्वाकुर गणपति जी को चढ़ाते जायें। इस तरह 108 मंत्रों के साथ 108 दूर्वाकुर गणपति पर चढ़ाकर, गणेश जी को प्रणाम कर घर पर आ जायें। हो सके तो सायंकाल में वृष लग्न में संपन्न करें। इसके करने के बाद शीघ्र ही परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ेगी और तमाम क्लेश शांत हो धन लाभ प्राप्त होगा।
मंत्र 2: यदि जीवन में लाख प्रयास करने पर भी धन लाभ नहीं हो रहा, व्यवसाय मंदा चल रहा है या नौकरी में परेशानी चल रही है या कोई भयंकर विपदा आई हो या भारी कष्टों में घिरे हांे या कर्ज नहीं उतरने का नाम ले रहा हो तब निम्न प्रयोग को करें - दीपावली के दिन स्नान करके गीले कपड़े पहने ही निम्न मंत्र की ग्यारह माला (रूद्राक्ष की माला से) खड़े-खड़े ही जप करें। यदि अपने सामने गुरु गोरक्षनाथ का चित्र भी लगा सकें तो और बेहतरीन रहेगा लेकिन चित्र लगाने पर मंत्र जप करते समय चित्र में गुरु गोरक्षनाथ की आंखों में देखते रहंे। मंत्र:ःः- ऊँ चैतन्य गोरक्षनाथाय नमः
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मंत्र 3:ः ऊँ नमो आदेश गुरू को, नमो सिद्ध गणपति प्रसादात विघ्नहर्तु गणपत गणापत वसो मसाण, जो फल चीहुं, सो फल आण। पंच लाडुँ, सिर सिंदूर। रिद्धि सिद्धि आण। गौरी का पुत्र सिंहासन बैठा। राजा कँपे, प्रजा कँपे। द्रष्टे राजा सिम चाँपे। पंच कोष पूर्व पश्चिम से आण। उत्तर से आण, दक्षिण से आण। इतनी कर रिद्धि सिद्धि मारे घेर द्वार आण। राजा प्रजा अभि मेरे पड़े पाँव, ना पड़े तो लाजे मैया गौरी। जो मैं देखुँ गणेश बाला कर मंत्र का सत की फट् फट् स्वाहा। उपरोक्त मंत्र को दीपावली की रात्रि मात्र 1600 बार जपंे, इतने पर ही यह मंत्र सिद्ध होकर लक्ष्मी की प्राप्ति और वाक् सिद्धि की प्राप्ति प्रदान करता है और व्यक्ति शीघ्र ही धनवान हो जाता है।
मंत्र 4: भँवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा कर मेरा। उठै जो डण्डी बिकै जो माल, भँवर वीर, सोखे नहिं जाये।। उपरोक्त मंत्र व्यापार वृद्धि के लिए, दुकान व्यवसाय की सफलता के लिए बेहद उपयोगी है। दीपावली के दिन इस मंत्र की किसी भी माला से सात माला जप कर लें। जप के दौरान धूप, दीप जलता रहना चाहिए। फिर जब आप व्यवसाय स्थल, दुकान पर जायें तब अपने बैठने के स्थान, दफ्तर की सफाई करने के बाद काली उड़द के दानों पर 108 बार उपरोक्त मंत्र पढ़कर दुकान में फैला दें। कुछ दाने गद्दी या अपने बैठने की सीट के नीचे अवश्य डाल दंे। फिर यह प्रयोग सप्ताह में किसी भी एक दिन सात सप्ताह तक करें। इससे व्यापार में आशातीत वृद्धि होती है। यदि दुकान बंधी हो तो वह भी खुल जाती है।
मंत्र 5: घर से भागे हुए को बुलाने के लिए, रूठकर दूर चले गए को बुलाने के लिए, अपने प्रति किसी के मन में प्रेम जगाकर अपने करीब लाने के लिए यह मंत्र सिद्ध करें। मंत्र: ऊँ नमो आदि पुरुषाय अमुकस्य आकर्षणं कुरू कुरू स्वाहा। विधि: उक्त मंत्र का दीपावली के दिन 12,500 जप धूप दीपक जलाकर करें, मंत्र में लिखा अमुकस्य के स्थान पर उस व्यक्ति, स्त्री, बच्चे का नाम लें जिसे आप बुलाना चाहते हैं, मनाना चाहते हैं। मंत्र का स्मरण दीपावली पर सिद्ध किये जाने के बाद भी करते रहें। अन्य विधि:- काले धतूरे का रस लेकर उसमें गोरोचन मिलाकर स्याही जैसा लेप तैयार करें। फिर कनेर की जड़ की कलम की सहायता से भोजपत्र पर यह मंत्र लिखंे। इसके बाद कत्थे की लकड़ी जलायें और जलती हुई लकड़ी के अंगार में मंत्र लिखा हुआ उक्त भोजपत्र डाल दें। मंत्र का स्मरण करते रहें। घर से भागा या रूठा हुआ व्यक्ति जल्द ही आपके पास या अपने स्थान पर होगा।
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मंत्र 6:-यह मंत्र याददाश्त बढ़ाने के लिए बेहद कारगर है। मंत्रः- ऊँ नमः भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाग् वादिनी। मम विद्यां देहि, भगवती हंस वाहिनी समारूढ़ा। बुद्धि देहि देहि, प्रज्ञां देहि देहि विद्यां देहि देहि। परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा। विधि: दीपावली के दिन भगवती सरस्वती का एक चित्र एक लकड़ी के पाटे के ऊपर रखें, पहले उस लकड़ी के पाटे पर नया नीले रंग का वस्त्र बिछायें। फिर खरीदा हुआ सरस्वती चूर्ण या शंखपुष्पी चूर्ण या ब्राह्मीवटी या अश्वगंधा चूर्ण भी सरस्वती के चित्र के आगे रख दें। धूप-दीप जलाकर 11 माला जप किसी भी माला द्वारा उक्त मंत्र का करें। फिर अगले दिन से वह चूर्ण उस पर लिखी विधि अनुसार लंे। आप पायेंगे कि आप पढ़ाई में तेज हो गए हैं, सारी बातें याद रहने लगी हैं। आपका मस्तिष्क तेज हो गया है और स्मरण शक्ति निरंतर बढ़ रही है।
मंत्र 7: ऊँ नमो देवी कामाक्षा। त्रिशूल, खड्ग हस्त पाधा पाती गरूड़, सर्व लखी तू। प्रीतये समागम, तत्व चिन्तामणि नरसिंह! चल चल, क्षीण कोटी कात्यानी, तालब प्रसाद के। ऊँ ह्रों ह्रों क्रूं त्रिभवन चालिया चालिया स्वाहा। विधि: उक्त मंत्र को दीपावली के दिन चैदह तुलसी की पत्तियों पर 108 बार बोलकर खा लें। ऐसा करने से आपके मस्तिष्क में मात्र सोचने से ही आपके प्रश्नों का हल मिल जायेगा, आप ज्योतिष क्षेत्र में हैं तो आपको ज्योतिष में विशेष निपुणता प्राप्त होने लगेगी और यदि आप विद्यार्थी हैं तो पढ़ाई में, चिकित्सक हंै तो चिकित्सा में, शिक्षक हैं तो शिक्षा में विशेष निपुण व स्मरणशक्ति युक्त होने लगेंगे।
मंत्र 8: लक्ष्मी आगमन हेतु: दीपावली के दिन स्फटिक का कछुआ उत्तर दिशा में इस प्रकार रखें कि उसका मुंह घर के अंदर की ओर रहे तो लक्ष्मी का निरंतर प्रवाह होने लगता है। गल्ले और तिजोरी में भी स्फटिक का कछुआ, सोने-चांदी के सिक्के और चावल रखने से भी लक्ष्मी आती है।
मंत्र 9: आर्थिक दशा बिगड़ जाने पर ः कभी-कभी पूर्व जन्मकृत कर्म फल या बंधन प्रयोग या किसी भी प्रकार की बाधा होने पर आर्थिक व्यवस्था बिगड़ जाती है, तमाम प्रयास असफल हो जाते हैं। यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है तो दीपावली के दिन सायंकाल वृष लग्न में उड़द की दाल के दो साबुत बड़े लंे और इनपर थोड़ा सा दही लगा लें तथा थोड़ा सा सिंदूर भी दोनों बड़ों पर लगा लें, फिर इन बड़ों को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे रख आएं और घर आकर स्नान कर लें। सुधार व सुख की तरफ बढ़ते चले जाएंगे।
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