‘‘नैन अंतःकरण के झरोखे होते हैं। आशय है कि नैनों में झांक कर मानव की आंतरिक स्थिति की पूर्ण जानकारी सुगमता से पाई जा सकती है। यह भी कहा गया है कि छिपाये छिप नहीं सकती, किसी की दिल की बेताबी। ये आंखें ही हैं जो सब कुछ बता सकती हैं। निःसंदेह यह उक्ति बहुत ही तथ्यपूर्ण है। नैनों के द्वारा आंतरिक स्थिति का जितना परिचय प्राप्त किया जा सकता है, उतना अन्य किसी अंग से नहीं किया जा सकता। सर्वप्रथम पुतलियों के रंगों पर विचार करना उचित है। सामान्यतः काली, लाल, नीली, पीली और नारंगी रंग की पुतलियां देखी जाती हैं। इन रंगों के मिश्रण तथा हल्के-गाढ़े की किस्म से अनेक रंग निर्मित होते हैं।
इन सब मिश्रणों के विषय में विशद वर्णन करना थोड़ा कठिन है। प्रधान रंगों के विषय में ज्ञान हो जाने से उनके मिश्रण और मात्रा का विश्लेषण करके पहचान करना अभ्यासियों की कुशाग्र बुद्धि पर निर्भर करता है। संक्षेप में प्रधान रंगों के बारे में संक्षिप्त चर्चा निम्नवत है: नीली पुतलियों वाले कोमल स्वभाव के होते हैं। स्याह-काली पुतलियां कठोरता, फुर्ती और शक्ति की पहचान हंै। अपार कुशलता और बुद्धिमानी भी ऐसे व्यक्तियों में अधिक पायी जाती है। गाढ़ा नीला रंग विश्वसनीय होने का प्रतीक है परंतु ऐसे लोगों में चतुराई प्रायः कम ही होती है। हल्के नीले रंग से प्रकट होता है कि स्थिरता, विचारशीलता, धैर्य और मधुरता की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
आमतौर से सभी हल्के रंग चालाकी और ईमानदारी प्रकट करते हैं। किंतु यह बात नीले रंग पर लागू नहीं होती, हल्के नीले रंग के पुतलियों वाले व्यक्ति प्रायः अच्छे स्वभाव के पाये जाते हैं। बाइबिल में शैतान के नेत्र को हरा बताया गया है। ऐसी पुतलियों वाले दुराचारी, अविश्वसनीय, स्वार्थी और विश्वासघाती पाये जाते हैं, किंतु यदि साथ ही भूरी पुतलियां हों, तो यह हरापन सुशीलता, सच्चरित्रता, विद्वत्ता और विश्वसनीयता की पहचान है। यदि ऐसी आंखों में किसी अन्य रंग की पुतलियां हों, तो प्रतिभा, प्रसन्नता, परोपकार, कुशलता एवं कलाप्रियता की अधिकता होगी।
पीली या नारंगी पुतलियां काफी कम नजर आती हैं, फिर भी इस प्रकार की आंखें चंचलता, भावुकता, कवित्व, स्वार्थपरता तथा असहिष्णुता की निशानी अवश्य कही जा सकती हैं। ब्राउन यानी भूरी, थोड़ी लालिमा लिए हुए पुतलियां सर्वश्रेष्ठ होती हैं। ऐसे व्यक्ति प्रेमी, बात के धनी, चतुर तथा गंभीर होते हैं। ईमानदारी तथा व्यवहार की सच्चाई उनमें विशेष रूप से पाई जाती है। इसके उपरांत भी उनमें दो कमजोरियां देखी जाती हैं- एक जरा सी बात पर नाराज हो जाना तथा दूसरा लम्पटता की ओर झुक पड़ना। हल्का काला रंग छल, कपट, बनावट, ढोंग तथा धूर्तता का चिह्न है, किंतु गाढ़ा रंग स्थिरता और समझदारी व्यक्त करता है। काले रंग के साथ यदि थोड़ी लालिमा मिली हुई हो, तो सदाचारी एवं सद्गुणी होने की निशानी है। बिल्ली की सी कंजी आंखों वाले प्रायः बिल्ली की प्रकृति के होते हैं। बाहर से बहुत सीधे दिखाई देते हैं, किंतु अवसर आने पर करारी चोट करने में नहीं चूकते।
कौन व्यक्ति किस तरीके से देखता-भालता है साफ, खुलासा और बेधड़क दृष्टि से देखने वाले व्यक्तियों का चरित्र ऐसा होता है, जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं। जिन लोगों की दृष्टि यानी नजर चंचल होती है, चारांे ओर चपलतापूर्वक नजर दौड़ाते हैं, वे प्रायः लोभी, चोर, निष्ठुर या कपटी पाये जाते हैं। आंख मिलते ही झेंप जाने वाले के मन में कुछ और तथा मुंह पर कुछ और होता है। जिसके नैन नीले होते हैं, वह अपराधी मनोवृत्ति का डरपोक या कमजोर होता है। दृढ़तापूर्वक आंखों से आंखें लड़ाने वालों में उज्जडता, बेवकूफी, ऐंठ अधिक होगी। तिरछी नजर से देखने वाले निष्ठुर क्रूर, और झगड़ालू होते हैं।
आंखों के डले यदि कुछ आगे उभरे हुए हों, तो इसे विद्या, प्रेम तथा ज्ञान संपादन चिह्न समझना चाहिए, ऐसे लोगों की स्मरण शक्ति अच्छी होती है। साफ और खुलासा आंखों वाले व्यापार कुशल, व्यवहार पटु, परिश्रमी तथा बड़ी लगन वाले होते हैं। अधिक बड़ी आंखें तेजस्विता, सत्ता, वैभव, ऐश्वर्य तथा भोगविलास से प्रसन्न व्यक्तियों की होती है, किंतु परस्त्री गमन से इस प्रकार के लोग बहुत ही कम बच पाते हैं। बड़ी आंखों के बीच का फासला अधिक हो तो सादगी, सीधाई एवं स्पष्टवादिता का लक्षण जानना चाहिए। छोटी आंखें खिलाड़ीपन, लापरवाही और सुस्ती का प्रतीक है। गड्ढे में धंसी आंखों वाले ऐसे दुर्गुणों से ग्रस्त होते हैं, जिनके कारण जीवन में कोई योग्य प्रगति नहीं हो पाती। चिमचिमी आंखों वाले न तो दूसरों के ऊपर एहसान कर पाते है और न ही किसी के एहसान के प्रति कृतज्ञ होते हैं। पलक और पलकों के बाल-विरौनी से भी व्यक्तित्व का कुछ परिचय प्राप्त होता है।
विरौनी के बाल कम हों तो उनसे डरपोकपन प्रकट होता है, घनी विरौनी वाले धनवान, गहरे रंग की कड़ापन लिये हुए विरौनी वाले शूरवीर, कोमल तथा फीके रंग वाली विरौनी के आकर्षक स्वभाव के होते हैं। मोटे पलकों वाले विद्वान, विचारवान तथा पतले पलकों वाले स्वस्थ एवं तेजस्वी देखे जाते हैं। तेजस्वी और साधु वृत्ति के लोगों की बड़ी-बड़ी पलकें होती हैं। बहुत छोटी पलकों वाले लोग चटोरपन, लोभी, अतृप्त तथा बेचैनीयुक्त होते हैं। जिसकी एक आंख एक तरह की और दूसरी दूसरे तरह की हो, ऐसा ज्ञात होता है कि एक आंख किसी दूसरे की निकाल कर फिट की गई है, ऐसे व्यक्ति प्रायः अध-पगले, बेसमझ और औंधी खोपड़ी के होते हैं। दृष्टि की कमजोरी तथा तीक्ष्णता इस बात पर निर्भर है कि नैनों का कैसे उपयोग किया जाता है।
फिर भी इतनी बात तो है कि नीली आंखें सबसे दुर्बल और थोड़ा लाल रंग मिली हुई काली आंखें सबसे शक्तिवान होती हैं। नैनों में काले-काले तिल जैसे निशान होना आत्मबल की दृढ़ता का चिह्न है। यह तिल दो चार और छोटे ही हों तो शुभ हैं, किंतु यदि बड़े-बड़े बहुत से तिल हों, तो वे ऐसी दुर्बलताओं के प्रतीक हैं, जिनके कारण मनुष्य को दरिद्रता का दुख भोगना पड़ता है। जिनकी पुतलियां फिरती हैं, ऐसे भेंगे आदमी जिद्दी, बेसमझ किंतु बहादुर होते हैं। जिनकी आंखंे अधिक गीली रहती हैं, वे कातर, बेचैन तथा डरपोक पाए जाते हैं। जल्दी-जल्दी पलक मारने वाले लोग शेखीखोर, झूठे तथा बेपैर की उड़ाने वाले होते हैं। एक आंख को कुछ मिचका कर बात करने वाले दूसरों पर अविश्वास व संदेह किया करते हैं।