अनबूझे संबंध
अनबूझे संबंध

अनबूझे संबंध  

आभा बंसल
व्यूस : 3994 | दिसम्बर 2006

कुमार साहब आज बहुत प्रसन्न थे। कितने दिन बाद उनके आंगन में खुशी और उत्सव के पल आए थे। उनका परिवार भरा पूरा था। ईश्वर की कृपा से उन्हें दो पुत्रियों और दो पुत्रों का सुख प्राप्त था और अब मात्र दस दिन बाद उनकी ज्येष्ठ पुत्री नताशा का विवाह संपन्न होने जा रहा था। लेकिन खुशी के साथ साथ विषाद की रेखाएं भी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थीं क्योंकि उनकी सुपुत्री विवाह से बिलकुल भी खुश नहीं दिख रही थी और बार-बार विवाह न करने की जिद पर अड़ी हुई थी।

वे समझ नहीं पा रहे थे कि यह उसकी अपनी भावी जिंदगी के प्रति असुरक्षा की भावना है या कुछ और। किसी युवक के प्रति उसकी आसक्ति भी इसका कारण नहीं थी। इसी सोच में बैठे थे कि ज्येष्ठ पुत्र ने आकर बताया कि दीदी ने तो अपने कमरे को अंदर से बंद कर लिया है और कहती है कि अगर जबरदस्ती मेरा विवाह करेंगे तो अन्न जल त्याग दूंगी। घर में घोर सन्नाटा छा गया। कुमार साहब और उनकी धर्मपत्नी को काटो तो खून नहीं । अभी एक दो दिन में तो कितने रिश्तेदार आ जाएंगे और न जानें वे क्या सोचें। नताशा का यह रवैया उनकी सोच के बाहर था।

साथ ही यह चिंता भी सता रही थी कि कहीं वह कोई भयंकर कदम ही न उठा ले। नताशा की कई मिन्नतें करने पर भी उसने दरवाजा नहीं खोला और यही कहती रही कि जब तक शादी के लिए मना नहीं करेंगे तब तक मैं बाहर नहीं आऊंगी। पूरी रात कुमार साहब पसोपेश में पड़े रहे और सुबह होते-होते उन्होंने अपना फैसला ले लिया और दिल पर पत्थर रखकर सुबह ही उन्होंने अपने भावी समधी को फोन कर अत्यंत शर्मिंदा होते हुए शादी के लिए मना कर दिया और उनके सवालों का जवाब न देने की स्थिति में अपनी रुलाई रोकते हुए फोन बंद कर दिया।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


हंसते खेलते घर में मानो मातम छा गया। सभी बच्चों और बड़ों के मन में एक ही सवाल था, आखिर क्यों नताशा शादी नहीं करना चाहती? इतना अच्छा घर और पति उसने क्यों ठुकरा दिया? नताशा बचपन से बहुत शैतान और पुरुष प्रकृति की लड़की थी। अपने छात्र जीवन में वह अत्यंत मेधावी थी और आज एक उच्च सरकारी पद पर आसीन थी। ऐसी अनुशासित लड़की का ऐसा व्यवहार उनके हृदय को बहुत व्यथित कर रहा था। जब नताशा को पता चला कि उसके विवाह के लिए मना कर दिया गया है, तो उसने दरवाजा खोला, किंतु इतनी देर में उसने सब सामान सूटकेस में रख लिया था।

उसने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वह जीवन भर विवाह नहीं करेगी और कोई भी उससे इस बारे में कोई प्रश्न नहीं करेगा। सभी को यह फैसला मंजूर है, तो वह घर में रहेगी अन्यथा बाहर अलग घर लेकर रह लेगी। माता-पिता एवं भाई-बहनों के आंसू भी उसे पिघला न सके और अंत में समाज में अपनी इज्जत का ख्याल करते हुए कुमार साहब ने उसे घर में ही रहने को कहा और मन ही मन मानो उसे अपने दिल से जुदा कर दिया।

नताशा के बाकी भाई बहनों का विवाह समय से हो गया, किंतु उसके माता-पिता को उसके व्यवहार से ऐसा घुन लगा कि वे समय से पहले ही मृत्यु लोक को प्रस्थान कर गए। नताशा को लेकर सभी के मन में तरह-तरह के प्रश्न उठते रहते, पर नताशा ने मानो मुंह पर पट्टी बांध रखी थी। वह चाह कर भी कुछ कह नहीं सकती थी। वह सबसे कैसे कह देती कि किसी भी पुरुष के प्रति उसके मन में कोई आकर्षण नहीं होता और न ही उसका मन किसी भी पुरुष के साथ जीवन संगिनी की तरह रहने की गवाही देता था।

उसे बचपन से अपनी सखी सहेलियां बहुत पसंद थीं और अब भी वह अपनी एक दो सहेलियों के साथ ही समय बिताना पसंद करती थी। पिछले वर्ष अपनी एक प्रिय सहेली के विवाह पर वह बहुत रोई थी तथा उसने उसे भी विवाह न करने के लिए बहुत मनाया था। पर उसने अपने माता-पिता को नताशा की तरह धोखा नहीं दिया। अब कई वर्षों से नताशा अपने भाई-भाभी से अलग अपना घर लेकर रहती है और अपने जीवन की प्रौढ़ अवस्था में पहुंच चुकी है।

उसने अपने घर में अपनी व्यक्तिगत सहायता के नाम पर अनेक किशोरियांे को रखा पर कोई भी अधिक समय तक नहीं टिक पाई, बस दीपा उसके साथ चार-पांच वर्षों से रह रही है और वह उसके प्रसाधन, वस्त्रों, गहनों तथा प्रत्येक शौक का इस कदर ध्यान रखती है कि शायद ही कोई पति अपनी पत्नी का रख पाए। भारत में इस तरह से किसी महिला का महिला के साथ रहना अप्रासंगिक लग सकता है। 


Consult our astrologers for more details on compatibility marriage astrology


इंग्लैंड और ब्राजील में इसे कानूनी मान्यता मिल चुकी है। और चंूकि आजकल समाचार पत्रों एवं टी वी चैनलों पर ऐसी अनेक खबरें दी जाती हैं और इसकी कानूनी मान्यता की मांग भी की जा रही है, मंै समझती हूं कि इस तरह की कुंडली की व्याख्या करना अप्रासंगिक एवं अनुचित नहीं होगा। शारीरिक एवं मानसिक सुख के लिए लग्न और चंद्र को विशेष रूप से देखा जाता है।

नताशा की कुंडली में लग्न राहु के नक्षत्र में है, राहु सप्तम भाव में नीच का होकर केतु के नक्षत्र में और केतु मंगल के नक्षत्र में है जो चंद्र राशि का स्वामी है और अस्त एवं परास्त है और साथ ही चंद्र को देख रहा है। इसी तरह से चंद्र, जो मन का कारक है, गुरु के नक्षत्र में, गुरु और अस्त मंगल की दृष्टि में है। परंतु गुरु पाप कर्तरी योग से पीड़ित है।

इस परिस्थिति में लग्न और चंद्र दोनों ही पीड़ित हैं जिन्होंने उसे शारीरिक एवं मानसिक सुखों से वंचित रखा है। इन्हीं की वजह से नताशा के व्यवहार एवं विचारों में अप्राकृतिक परिवर्तन आया। नताशा के लग्न में नीच ग्रह केतु पर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि नहीं है और सारे ग्रह राहु और केतु के बीच कालसर्प दोष से ग्रस्त हैं। चंद्र नीच का है और राहु और शनि के मध्य स्थित होने से पापकर्तरी योग से पीड़ित है।

अपनी इस स्थिति में चंद्र नाताशा के मन को विचलित रखता है। यह उसके चरित्र एवं स्वभाव को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। परंतु चंद्र पर गुरु की दृष्टि होने से समाज में उसकी मर्यादा को कोई ठेस नहीं पहुंची। धन स्थान में धन कारक गुरु उच्च राशि में स्थित है और कर्म स्थान को देख रहा है। इसलिए वह कर्म जीवन में उच्च पद पर आसीन रही और उसकी आर्थिक स्थिति बहुत सृदृढ़ रही।

पराक्रम भाव में पाप ग्रह सूर्य और मंगल एवं शुभ ग्रह बुध तथा शुक्र की युति और उन पर राहु की दृष्टि ने उसे पुरुष प्रकृति का किंतु व्यवहारकुशल बनाया है। सूर्य और मंगल की युति छोटे भाइयों से मतभेद एवं परस्पर दूरी की सूचक है। इसीलिए उसने अपने भाई बहनों के भविष्य की चिंता न करते हुए विवाह न करने का दृढ़ निश्चय किया। सुख भाव में बुध चलित कुंडली में स्थित है और स्वयं सुख भाव का स्वामी भी है, इसलिए उसे अपने जीवन में हर प्रकार का सुख प्राप्त हुआ। पंचम भाव में उच्च का शनि केतु की दृष्टि में है और पंचमेश शुक्र कारक हो कर अस्त हो गया है।

इसलिए विद्या के क्षेत्र में उसने अनेक विदेशी भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया, पर संतान सुख नहीं मिला क्योंकि संतान भाव का कारक गुरु भी पाप कर्तरी योग में पीड़ित है। प्राकृतिक पाप ग्रह राहु शनि से दृष्ट होकर सप्तम जाया भाव में नीच राशि में स्थित है और कलत्र कारक ग्रह शुक्र अस्त है। स्त्री जातक के लिए गुरु (जो कि कलत्र कारक माना जाता है) भी पापकर्तरी योग से पीड़ित है। इसलिए नताशा का विवाह संपन्न नहीं हुआ। वर्तमान समय में शुक्र की महादशा प्रभावी है जो 26/3/2020 तक चलेगी।

तब तक नताशा का दीपा या किसी अन्य महिला से संपर्क बना रहेगा। परंतु चूंकि सप्तम भाव में राहु शून्य अंश का अत्यंत कमजोर होकर बाल्यावस्था में है और किसी शुभ ग्रह की दृष्टि में भी नहीं है। इसलिए नताशा मानसिक सुख से वंचित रहेगी और अपने मनोवांछित सुख की प्राप्ति के लिए तरसती रहेगी। इस कुंडली में एक बात और ध्यान देने योग्य है


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


कि जहां एक ओर चंद्र लग्न से सप्तम भाव का स्वामी शुक्र अस्त है वहीं उसने चंद्र लग्न के स्वामी मंगल को परास्त कर रखा है। साथ ही परास्त मंगल की चंद्र पर पूर्ण दृष्टि ने उसकी मानसिक स्थिति को और अधिक विचलित कर दिया और पुरुष वर्ग के प्रति उसके आकर्षण को समाप्त ही कर दिया।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.