अध्ययन कक्ष कैसा हो
अध्ययन कक्ष कैसा हो

अध्ययन कक्ष कैसा हो  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 5642 | दिसम्बर 2006

अध्ययन की एकाग्रता ही विद्यार्थी को अपने लक्ष्य तक ले जाती है। आज विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए दिन-रात एक कर पढ़ाई करते हैं, ऐसे में उनका कक्ष यदि वास्तु सिद्ध ांतों के अनुरूप बना हो और वहां का वातावरण खुशनुमा हो तो मस्तिष्क पर बेहद सक¬ारात्मक प्रभाव पड़ता है, कैसे आइए जानें...

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व, उत्तर एवं ईशान दिशाएं ज्ञानवर्धक दिशाएं कहलाती हैं, अतः अध्ययन उत्तर-पूर्व या ईशान दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए। यदि किसी कारणवश अध्ययन कक्ष पश्चिम दिशा में भी हो, तो पढ़ते समय मुंह उपर्युक्त दिशाओं की ओर ही होना चाहिए। विज्ञान के अनुसार इंफ्रारेड किरणें उत्तरी पूर्वी कोण अर्थात ईशान कोण से ही मिलती हैं, ये किरणें मानव शरीर तथा वातावरण के लिए अत्यंत लाभदायक हैं।

ये शरीर की कोशिकाओं को शक्ति और मन को एकाग्रता प्रदान करती हैं। अध्ययन कक्ष ऐसा हो, जिसमें अध्ययन की हर सुविधा उपलब्ध हो। उसमें किताबों की रैक हो और मेज ऐसी हो जिस पर आवश्यक लेखन सामग्री के अलावा लिखने की पर्याप्त जगह हो। दीवारों पर महापुरुषों के चित्र और उनके वचन आदि भी लगा सकते हैं। साथ ही यदि मेज पर फूलों का गमला रखें, तो वातावरण और भी स्वाभाविक होगा।

इसके अतिरिक्त अध्ययन कक्ष में एक बुक शेल्फ के अलावा आवश्यक फाइल, रजिस्टर आदि रखने की पूरी जगह हो। पेन, पेंसिल, फ्लापी आदि रखने के लिए दीवारों पर लगाए जाने वाले शेल्फ का प्रयोग किया जा सकता है। अध्ययन कक्ष की देखभाल भी समय-समय पर करते रहनी चाहिए। किताबों को व्यवस्थित करना और उन्हें यथास्थान रखना भी किसी कला से कम नहीं हैं। किताबें और अन्य वस्तुएं यदि तरतीब से रखी होंगी, तो उन्हें खोजने में समय नष्ट नहीं होगा।

अध्ययन कक्ष में डस्टबिन का होना आवश्यक है जिसमें कागज के टुकड़े, पुरानी रिफिल गैर जरूरी सामान आदि डाले जा सकें। पुस्तकें सदैव र्नै त्य में रखें। र्नैत्य में स्थान का अभाव हो, तो दक्षिण या पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं। अध्ययन कक्ष में मेज के सामने या पास मंे आईना न रखें। मेज बीम के नीचे नहीं होनी चाहिए। मेज सदा पूर्व दिशा की तरफ रखें, इससे पढ़ाई में मन लगेगा और एकाग्रता में वृद्धि होगी।

पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं। अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती की तस्वीर लगाएं एवं आराध्य देव का फोटो ईशान (उत्तरी-पूर्वी ) कोण में लगाएं। कंप्यूटर आग्नेय (दक्षिण-पूर्वी) कोण में रखें। यदि अध्ययन कक्ष बड़ा हो, तो लाइब्रेरी भी उसी में बना सकते हैं। अध्ययन बड़ा होने पर कंप्यूटर की व्यवस्था वहीं करना उचित होगा। दीवारों का रंग हल्का नीला, भूरा, हल्का हरा या गुलाबी होना चाहिए। इससे स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। टेलीफोन वायव्य या अग्निकोण में रखें।

सरस्वती बीसा यंत्र एवं हनुमान कवच का नित्य पाठ भी विद्या अर्जन के लिए लाभकारी है। जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हों वे एकाग्रता के लिए स्टडी टेबल पर एजूकेशन टावर का इस्तेमाल करें। साथ ही उत्तर पश्चिम दिशा में ग्लोब रखें तथा उसे दिन में तीन बार अवश्य घुमाएं। माता-पिता अथवा अभिभावक चाहें तो कार्तिकेय का स्वरूप छः मुखी रुद्राक्ष भी विद्यार्थी को धारण करवा सकते हैं।

बच्चों को पूजा अर्चना आदि के क्रिया कलापों में लगाएं। धार्मिक चित्रों के उपयोग से बच्चों में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं धार्मिक विचार उत्पन्न होंगे। एवं मन को शुद्ध रखने में मदद मिलेगी। अध्ययन कक्ष में, या उससे लगा हुआ शौचालय हो, तो उसकी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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