तनुजा की मानसिक वेदना
तनुजा की मानसिक वेदना

तनुजा की मानसिक वेदना  

आभा बंसल
व्यूस : 4164 | अप्रैल 2012

तनुजा बचपन से पढ़ने में अत्यंत मेधावी रही। उसको गुड़ियों से खेलने की बजाए अपनी किताबों से खेलना अच्छा लगता। वह अधिकतर समय फूलों की बागवानी में बिताती। रोज पूरा समाचार पत्र पढ़ कर अपने माता-पिता को सुनाना उसे अच्छा लगता। उसके पिता उसे बड़ा अफसर बनाना चाहते थे इसलिए कभी भी उसकी पढ़ाई के आड़े नहीं आए और उसको उच्चतर शिक्षा दिलवाने के पूरे प्रयास किये।

चूंकि तनुजा पढ़ने में सदा ही प्रथम श्रेणी में रही इसलिए उसने एम. एस. सी. कैमेस्ट्री भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसकी दिली तमन्ना थी कि वह किसी अच्छी जगह पर उच्चस्थ नौकरी करें। वह इस दिशा में प्रयास कर रही थी कि अचानक उसके लिए रोहन का रिश्ता आ गया। रोहन एक विजनेस फैमिली से थे और उनके संयुक्त परिवार का बिजनेस था। इतने अच्छे घर से रिश्ता आया तो तनुजा के पिता इन्कार नहीं कर सके और उन्होंने फौरन हां कर दी।

वे अपने और तनुजा के भाग्य को सराह रहे थे कि बिना किसी कोशिश के उन्हें इतना बढ़िया खानदान मिल गया है। तनुजा अजीब-सी कशमकश में थी। कहां तो वह नौकरी देख रही थी और अपनी शिक्षा के बल पर अपना जीवन स्वच्छंद रूप से जीना चाहती थी व अपनी एक पहचान बनाना चाहती थी, वहीं दूसरी ओर उसका विवाह एक संयुक्त परिवार में हो रहा था जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानती थी।

उसने पिता की खुशी में ही अपनी खुशी मान ली और बिना कुछ कहे विवाह के बंधन में बंध गई। रोहन काफी शांत तबियत के इन्सान थे लेकिन वह अपना अधिकतम समय अपने बिजनेस में ही लगाते और तनुजा का अधिकतर समय रसोई में बीतता। संयुक्त परिवार होने के कारण उसे सभी रिश्ते नातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता।

कुछ समय बाद तनुजा के दो बच्चे हो गये और तनुजा उनमें व्यस्त हो गई लेकिन तनुजा के मन में हमेशा एक टीस रहती कि वह चाहकर भी अपने जीवन से न्याय नहीं कर पाई और उसने ऐसा कुछ नहीं किया जिस पर वह नाज कर सके। कुछ साल पहले तनुजा के देवर का विवाह हुआ और देवरानी एक एम. एन. सी. में काम करती थी।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


सारा परिवार उसके आगे पीछे घूमता और उसको बहुत इज्जत के साथ-साथ सर माथे पर रखता। उसकी नौकरी के कारण अचानक ही वह घर में बहुत माननीय हो गई थी। यह बात तनुजा को बहुत परेशान करने लगी। चाहती तो वह भी आज बहुत अच्छी नौकरी कर रही होती लेकिन परिवार के लिए उसने अपना जीवन कुर्बान कर दिया यह सोच सोच कर वह मानसिक बीमारी (डिप्रेशन) से ग्रस्त हो गई उसे यही दुख सताने लगा कि वह अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकी।

रोहन उसे बहुत समझाते पर उनके पास भी अधिक टाइम न होने के कारण वे अक्सर झल्ला उठते। बच्चे भी अब बड़े हो गये थे, पर दोनों अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे। उनके पास अपनी मां के साथ समय बिताने का समय नहीं था इसलिए तनुजा अपने आप को बहुत अकेला महसूस करने लगी। उसने अपने आप को अपने कमरे तक सीमित कर लिया।

घर वाले उससे बात करना भी चाहते तो वह उसको नजर अंदाज करती। रोहन ने उसका काफी इलाज कराया, पर शायद तनुजा का अंतर्मन इतना आहत हो चुका था कि कोई भी दवाई मरहम का काम नहीं कर रही थी और अचानक एक दिन उसकी मानसिक वेदना इतनी बढ़ी कि तनुजा ने अपनी कोठी की छत से कूद कर अपनी जान दे दी और इस दुनिया से मुक्त होकर शांति की तलाश में प्रभु की शरण में चली गई।

आइये, जानें तनुजा की कुंडली के मर्म को- तनुजा की कुंडली की ग्रह-स्थिति पर गौर करें तो यह एक उच्च महत्वाकांक्षी नारी की जन्मकुंडली है। जन्मपत्रिका में कर्म भाव में उच्च का राहु, लग्न में उच्च राशिगत बुध के साथ बुधादित्य योग, पंचम में स्वगृही शनि आदि ग्रह तनुजा के उच्चाभिलाषी प्रवृŸिा होने के प्रत्यक्ष संकेत दे रहे हैं।

पंचमेश शनि एवं पंचम स्थान का कारक बृहस्पति स्वराशिगत होने से इन्होंने अपने अध्ययनकाल में अच्छी शिक्षा प्राप्त की तथा पढ़ाई लिखाई के प्रति हमेशा रुझान बना रहा है। लग्नस्थ बुध एवं सूर्य इनकी ऊंची सोच तथा मान, प्रतिष्ठा के प्रति अधिक भावुक बना रहे हैं।

दूसरी ओर कर्म स्थान में उच्चस्थ राहू इन्हें हमेशा अपने कार्यक्षेत्र में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा दे रहा है। तनुजा की कुंडली में दो पंचमहापुरुष योग बन रहे हैं, पहला लग्न में उच्च का बुध होने से भद्र महापुरुष योग तथा दूसरा सप्तम केंद्र में स्वगृही बृहस्पति के कारण हंस महापुरुष योग इन योगों के फलस्वरूप इनके अंदर अपने से बड़े लोगों के प्रति सम्मान का भाव, मेधावी तथा अच्छे धनाढ्य परिवार में विवाह हुआ।

घर में सभी प्रकार के भौतिक सुख संसाधनों की प्राप्ति हुई। पति भी सुशील मिला। संतान आदि का सुख भी समय पर प्राप्त हुआ। पंचमेश शनि एवं पंचम स्थान पर अष्टमेश मंगल की दृष्टि होने से इन्हें अपने बच्चों के द्वारा भी मानसिक संतोष प्राप्त नहीं हुआ, इन्हें फिर भी अकेलापन ही सताता रहा है।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


अब हम महत्वपूर्ण विषय पर ज्योतिषीय ग्रह योग पर विचार करेंगे कि इस जातिका की कुंडली में इतने अच्छे ग्रह योग होने पर भी इनके जीवन में कौनसी ग्रह स्थिति इतने बड़े हादसा का कारण बनी। इनके सप्तम स्थान के संबंध में विचार करें तो इस स्थान की अशुभ ग्रह स्थिति ही इसका अधिकांश कारण बनी। इनके सप्तम भाव में बृहस्पति की स्थिति अशुभ है, द्विस्वभाव लग्न के लिए सप्तमेश बाधक ग्रह भी हैं

तथा वह बाधक स्थान पर ही स्थित है, इसलिए वह और अधिक बाधक फल प्रदान कर रहा है, जिसके कारण इनकी महत्वाकांक्षा पूर्ति में इनका विवाह का बंधन ही बाधक बन गया। विवाह होने के बाद यह कुछ नहीं कर पायी और परिवार में बंध कर रह गयी। इसके अतिरिक्त बृहस्पति मारकेश होकर मारक स्थान में होने से तथा केंद्राधिपत्य दोष से दूषित होने के कारण पतिकारक ग्रह बृहस्पति अशुभ है तथा नवांश में भी अपनी नीच राशि में है।

एक तरफ सप्तम स्थान बाधक व मारक है दूसरी ओर मन का कारक चंद्रमा द्वादश भाव में कमजोर हो गया है। द्वादश भाव का चंद्रमा अक्सर व्यक्ति को डिप्रेशन का रोेग दे देता है अथवा व्यक्ति को बहुत ज्यादा भावुक बना देता है जिससे उसे अपनी भावनाओं तथा कृत्यों पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता है। इसके अतिरिक्त द्वादशेश सूर्य जो कि स्वयं पृथकतावादी ग्रह है और द्वादशेश जिस भाव या ग्रह के साथ स्थित होता है उसके कारक व तथ्य से विरक्ति कराता है।

प्रथम भाव जातक की मानसिकता व आयुष्य का कारक होता है, जिस कारण जातक को कभी मानसिक शांति प्राप्त न हो सकी तथा मानसिक रूप से त्रस्त रही। तनुजा की कुंडली में द्वितीयेश शुक्र द्वितीय भाव मारक स्थान में अष्टमेश मंगल के साथ स्थित होने से स्थिति और खराब हो गई और वह अपने मन को काबू में नहीं रख पाई तथा सामान्य आयु में आत्महत्या कर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुई।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.