रुद्राक्ष क्यों हैं खास नीरज शर्मा बात चाहे धर्म की हो, आध्यात्म की या ज्योतिष की, रुद्राक्ष शब्द हमारे सुनने में आता ही रहता है। तो यह रुद्राक्ष वास्तव में है क्या? पुराणों के अनुसार महादेव भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न आंसू जब पृथ्वी पर गिरे, तो वहां कुछ विशेष वृक्षों की उत्पŸिा हुई। इन्हीं वृक्षों पर लगने वाले फल के भीतर से निकलने वाले बीज को ही हम रुद्राक्ष कहते हैं जिसे भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है। रुद्राक्ष पर विशेष प्रकार की धारियां होती है जिन्हें मुख भी बोला जाता है रुद्राक्ष वैसे तो एक से इक्कीस मुखी तक होते हैं परंतु इनमें भी एक मुखी रुद्राक्ष का सबसे अधिक महत्व है। इसका कारण यह है कि एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् भगवान शिव-स्वरूप माना जाता है और दूसरी ओर ग्रहों में भी इसका प्रतिनिधित्व ग्रहों के राजा सूर्य करते हैं जो कि जगत की आत्मा भी हैं। एक मुखी रुद्राक्ष दो प्रकार का होता है गोल व काजू अर्थात अर्द्ध चंद्राकार। वर्तमान में गोलाकार एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होने से काजू की आकृति का एक मुखी रुद्राक्ष ही प्रचलन में है। एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ: सर्व प्रथम तो यह स्मरण रखें कि रुद्राक्ष आपके जीवन में आत्मा, मन और आध्यात्म के स्तर पर विशेष उन्नति करायेगा परंतु इसे धारण करने से आपके सामान्य जीवन में आ रहीं बहुत सी समस्याओं का समाधान भी सहज ही हो जायेगा। एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, हीन भावनाएं समाप्त होती है, यश की प्राप्ति होती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, नेत्र-ज्योति अच्छी रहती है हृदय संबंधी समस्याओं का नियत्रंण होता है। पिता-पुत्र के संबंधों में मधुरता आती है, सरकार या राजनीति में उन्नति करने की इच्छा रखने वाले जातकों को इससे विशेष लाभ होता है और व्यक्ति का अशांत मन अध्यात्म में एकाग्र होता है। धारण विधि: एक मुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन पहले गाय के कच्चे दूध से अभिषेक कराएं फिर गंगाजल से शुद्ध कर धूप-दीप दें व ऊँ नमः शिवाय तथा ऊँ घृणिः सूर्याय नमः इन दोनों मंत्रों का एक-एक माला जप करके, पूर्वाभिमुख होकर रुद्राक्ष लाल धागे में धारण करें। यदि आपने पूर्ण श्रद्धा के साथ विधि-विधान से एक मुखी रुद्राक्ष धारण किया तो आपको जीवन में अनेकों सकारात्मक परिवर्तन निश्चित ही दिखाई देंगे। ग्रहों को भी साधते हैं रुद्राक्ष: यदि हमारी जन्मकुंडली में कोई भी ग्रह कमजोर स्थिति में हो, तो उस ग्रह के कारक तत्वों से जुड़ी अनेकों समस्याएं हमारे जीवन में उपस्थित होती रहती हैं और उसके लिए हम विभिन्न प्रकार के प्रयास जैसे रत्न धारण, मंत्र जप आदि करते रहते हैं। परंतु कमजोर ग्रहों को साधने के लिए रुद्राक्ष धारण भी एक विशेष व सरल उपाय है। दूसरी बात यह है कि किसी भी ग्रह का रत्न धारण करने में आपको उसके शुभ कारक या अकारक होने को देखना होगा अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक रत्न धारण नहीं कर सकता। परंतु रुद्राक्ष धारण करने में ऐसा नहीं है। रुद्राक्ष हमेशा सकारात्मक परिणाम ही देते हैं अतः आपकी कुंडली के कारक व अकारक सभी ग्रहों के लिए रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है। यदि कोई ग्रह कमजोर स्थिति में है तो उस ग्रह से संबंधित रुद्राक्ष आप धारण कर सकते हैं। सूर्य: सूर्य यदि कमजोर स्थिति में हो तो एक मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे कुंडली में सूर्य जिस भाव का स्वामी है, उसमें लाभ होगा ही, साथ ही आत्म-विश्वास में वृद्धि, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, सकारात्मक विचारों में वृद्धि, नेत्र ज्योति की प्रबलता आदि में लाभ होगा। चंद्रमा: चंद्रमा के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे कुंडली में चंद्रमा बली होगा, साथ ही मानसिक शांति व एकाग्रता बढ़ेगी, डिप्रेशन में लाभ होगा, दाम्पत्य जीवन में मधुरता होगी व मन स्थिर होगा। मंगल: मंगल के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें। उससे कुंडली में स्थित मंगल बली होगा, व शक्ति, पराक्रम में वृद्धि होगी निर्भयता आयेगी, प्रतिस्पर्धा में शुभ परिणाम होंगे। बुध: बुध की शुभता के लिए चार मुखी रुद्राक्ष करें। इससे कुंडली में बुध बली होगा और बुद्धि-क्षमता व तर्क-शक्ति बढ़ेगी, वाक्शक्ति बढ़ेगी, त्वचा रोगों में लाभ होगा व स्मरण शक्ति बढ़ेगी। गुरु: गुरु के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें। उससे कुंडली में गुरु की स्थिति बली होगी व विद्या में विकास होगा, विवेक में वृद्धि होगी, धर्म में एकाग्रता बढ़ेगी। शुक्र: शुक्र के लिए छः मुखी रुद्राक्ष धारण करें जिससे कुंडली में शुक्र बली होगा और आर्थिक पक्ष सुधरेगा, वैभव में वृद्धि होगी, पुरुषों के लिए वैवाहिक जीवन में शुभ परिणाम होंगे। शनि: शनि के लिए सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे कुंडली में शनि बली होगा और व्यवसायिक जीवन में उन्नति होगी, पेट की समस्याओं व जोड़ों के दर्द में लाभ होगा व जनता का समर्थन मिलेगा। किसी भी रुद्राक्ष को, सोमवार के दिन लाल धागे में डालकर तथा गंगाजल से अभिषेक व ऊँ नमः शिवाय का जप करके ही गले में धारण करना चाहिए।