जीवन और स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य शहद प्रकृति की मानव को अनुपम देन है। यह महज एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि इसके अनेक औषधीय गुण हैं। फूलों के पराग से मधुमक्खियों द्वारा निकाला गया यह पदार्थ मनुष्य के स्वास्थ्य का संवर्द्धन तो करता ही है, उसे ऊर्जा और स्फूर्ति भी देता है।
यहां इसके विभिन्न औषधीय गुणों का उल्लेख प्रस्तुत है। शहद का दवा के रूप में प्रयोग कब शुरू हुआ इस बारे में कोई निश्चित राय नहीं है। मिस्र में चिकित्सा के माध्यम के रूप में इसका प्रयोग ईसा पूर्व 16वीं शताब्दी में शुरू हुआ।
मेसोपोटामिया तथा असीरिया में भी इसके इस्तेमाल का इतिहास बहुत पुराना है। भारत की उपचार पद्धति में यह अति प्राचीन काल से उपयोग में लाया जाता रहा है। इसे संजीवक की संज्ञा दी गई है और कहा जाता है कि भोजन के साथ शहद के सेवन से आयु बढ़ती है।
शहद में 80 प्रतिशत प्राकृतिक चीनी, 19 प्रतिशत जल और 2 प्रतिशत खनिज की मात्रा रहती है। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन, पाॅलेन और प्रोटीन की मात्रा भी रहती है। इस तरह इसमें मुख्यतः फल शर्करा, द्राक्षा शर्करा और जल की अधिकता पाई जाती है।
शहद में पाए जाने वाले पिनोसेंब्रिन और पिनोबैंक्सिन जैसे एंटिआॅक्सिडेंट स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। इसमें पाए जाने वाले ओलिगोसैक्राइड्स के कारण इसका उपयोग डायरिया और एंटिबायोटिक्स के बुरे प्रभाव से मुक्ति के लिए किया जाता है। शहद का उपयोग घावों के उपचार में भी किया जाता है।
अपने परासरण् ाी गुणों के कारण, यह घोल के रूप में एक नम घाव उपचारक वातावरण का निर्माण करता है जो घाव के ऊतकों से चिपकता नहीं है। शहद शोथ और रिसाव को अन्य किसी भी दवा से जल्द कम कर सकता है।
इसमें मौजूद शर्करा घाव की नमी को सोख लेती है और उसमें विद्यमान जीवाणुओं को खत्म कर देती है। न्यूजीलैंड स्थित वाइकाटो विश्वविद्यालय के हनी रिसर्च यूनिट में शोध कर चुके डाॅ. पीटर मोलान के शोध के अनुसार यह घाव संक्रमण उत्पन्न करने वाले सात जीवाणुओं को खत्म कर देता है।
शहद शरीर की बाहरी एवं अंदरूनी संक्रमण से भी रक्षा करता है। शोध से पता चला है कि इसकी कुछ खास किस्में पेट के अंदर अल्सर पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देती हैं। न्यूजीलैंड में अल्सर से पीड़ित अनेक रोगियों को रोजाना 4 चम्मच शहद का सेवन कराने पर उन्हें बहुत आराम मिला।
शरीर के विभिन्न अंगों के पोषण एवं रोगों के उपचार में शहद इस प्रकार गुणकारी होता है-
हृदय: हृदय की मांसपेशियां सतत काम करती रहती हैं, जिसमें ऊर्जा का अत्यधिक नाश होता है। ऐसे में ऊर्जा की पुनः प्राप्ति के लिए उन्हें शर्करा की जरूरत पड़ती है। शहद का हृदय पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसमें पाई जाने वाली शर्करा आसानी से पच जाती है। हृदय के विभिन्न रोगों से ग्रस्त रोगियों के हृदय की दुर्बल मांसपेशियों का पोषण भी करता है। रोजाना औसतन 70 ग्राम शहद लेने से हृदय रोगी अपने को बेहतर महसूस करते हैं, उनका रक्त दोष दूर होता है, हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि होती है और कार्डियोवैस्कुलर के पेशी संकोच में सुधार होता है।
मस्तिष्क: हल्का जलयुक्त शहद रक्त में 7 मिनट के अंदर घुल जाता है। इसमें मौजूद चीनी के स्वतंत्र अणु मस्तिष्क के कार्य को सुचारु करते हैं क्योंकि चीनी का सर्वाधिक उपयोग मस्तिष्क ही करता है। प्रख्यात चिकित्सक इब्न सिना के अनुसार चावल के मांड़ के साथ शहद का सेवन करने से चेहरे के लकवे में आराम मिलता है। इस तरह शहद मस्तिष्क का रक्षक है, जो आघात से रक्षा करता है, ग्रीवा-धमनी को ठीक रखता है, अंतःस्तरीय कार्य को सुचारु और खराब कोलेस्ट्राॅल को कम कर मैक्रोएंजियो- पैथीज के खतरे को कम करता है।
ष्वसन तंत्र: शीतोष्ण जलवायु और ऐसे स्थानों पर जहां तापमान में उतार-चढ़ाव अधिक आता हो, शहद कफ तथा मुंह, गले या सांस में हो रही उत्तेजना और संक्रमण के उपचार में काम आता है। जीवाणुरोधी गुणों के अतिरिक्त शहद में पुराने कफ तथा गल-शोथ को दूर करने के गुण भी होते हैं। शहद का भाप लेने से बंद नाक खुल जाती है। इसके इन्हीं गुणों के कारण कफ सिरप और एक्स्पेक्टोरेंट में इसका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। शोध से पता चला है कि यह इन्फ्लुएंजा के कीटाणुओं को खत्म कर रोगी को फ्लू से बचाता है।
कोलेस्ट्राॅॅल नियंत्रण: चाय के 16 आउंस पानी में तीन बड़े चम्मच शहद और तीन छोटे चम्मच दालचीनी मिलाकर सेवन करने से कोलेस्ट्राॅल का बढ़ा स्तर दो घंटों के अंदर अंदर 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है। शहद आॅक्सिडेशन को भी नियंत्रित रखता है।
आमाषय: शहद आमाशय के रोगों को भी दूर करता है। इसके सेवन से दस्त और पेचिश से रक्षा करता है। सुबह खाली पेट एक चम्मच शहद और आधा चम्मच नींबू का रस एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर सेवन करने से पेट स्वस्थ रहता है। यह भूख जगाता है और पाचन शक्ति को दुरुस्त रखता है। हलके गर्म शहद को गेहूं के थोड़े चोकर के साथ मिलाकर और फिर उसे ठंडा कर सेवन करने से कब्ज दूर होता है। दो बड़े चम्मच शहद में दालचीनी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से एसिडिटी दूर होती है।
आंखें: जीवाणु और शोथ निरोधी गुणों के कारण शहद का उपयोग आंखों के इलाज में भी किया जाता है। आखों के चिकित्सक फूली, मोतियाबिंद आदि से बचाव के लिए इसके उपयोग की सलाह देते हैं। किंतु इसका उपयोग किसी योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए।
दांत: शहद मीठा होने के बावजूद दांतों की रक्षा करता है। अध्ययन से पता चला है कि यह अम्ल उत्पाद को तेजी से कम करता है और दांतों के क्षरण और जीवाणुओं की उत्पत्ति को रोकता है।
रक्त: शहद में रक्त उत्पादन के लिए आवश्यक ऊर्जा होती है। इसके अतिरिक्त यह रक्त की सफाई में सहायक होता है और रक्त संचार को नियमित करता है।
वजन: चीनी की तुलना में शहद 40 प्रतिशत कम कैलोरी देता है। यह शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है, पर वजन नहीं बढ़ाता। रोज सुबह नाश्ते से आधा घंटे पहले खाली पेट और रात में सोने के समय एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच शहद और दालचीनी का चूर्ण मिलाकर नियमित रूप से लेते रहने से वजन कम होता है। इससे शरीर में वसा की मात्रा भी नहीं बढ़ती।
सिरदर्द तथा माइग्रेन: भोजन के साथ दो चम्मच शहद लेने से माइग्रेन से रक्षा होती है।
अनिद्रा रोग: गुनगुने पानी या दूध के साथ एक चम्मच शहद लेने से अनिद्रा रोग दूर होता है। यह मनुष्य के खराब हो चुके स्नायु तंत्र को ठीक करता है।
तनाव: रोज पानी के साथ शहद लेते रहने पर तनाव से मुक्ति मिलती है।
बांझपन: शहद बांझपन दूर करने में भी सहायक होता है। शायद यही कारण है कि उत्तरी यूरोप में नवविवाहित दम्पतियों के लिए ‘हनीमून’ की प्रथा चली, जिसमें उन्हें शहद खाने और शहद से बनी मदिरा का पान करने की सलाह दी जाती थी।
जहरीले कीड़ों का दंष: किसी जहरीले कीड़े के काटने पर एक भाग सूखे चूने, चार भाग शहद और चार भाग जैतून के तेल का लेप शरीर के प्रभावित भाग पर लगाने से जहर का प्रभाव दूर हो जाता है।
गंजापन: सिर के गंजे भाग को प्याज से तब तक रगड़ें जब तक कि वह भाग लाल न हो जाए। फिर उस पर शहद लगाएं। इससे बाल पनप सकते हैं।
श्रवण शक्ति: रोज सुबह और रात को दालचीनी के साथ शहद लेते रहने से श्रवण शक्ति की कमी दूर होती है।
कैंसर: जापान और आॅस्ट्रेलिया में हुए शोधों से पता चला है कि शहद पेट तथा हड्डियों के कैंसर से मुक्ति दिला सकता है। कैंसर से पीड़ित रोगियों को एक चम्मच शहद एक चम्मच दालचीनी के साथ एक महीने तक दिन में तीन बार लेते रहना चाहिए।
दुर्गंधयुक्त सांस: दक्षिण अफ्रीकी लोग प्रातःकाल सबसे पहले एक चम्मच शहद और दालचीनी के चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर गरारा करते हैं। इससे उनकी सांस दिन भर ताजा रहती है और दुर्गंध नहीं निकलती।
त्वचा: शहद त्वचा के लिए अत्यंत पुष्टिकर है। यह त्वचा में नमी पैदा करता है और उसे झुर्रियों से बचाता है। तीन चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी के चूर्ण का लेप दो सप्ताह तक रात को सोने से पहले मुहांसों पर लगाकर सुबह गर्म पानी से धो देने पर मुहांसे दूर जाते हैं।
इसके अतिरिक्त शहद और दालचीनी के समान भाग का लेप नियमित इस्तेमाल करते रहने से एक्जीमा, दाद, त्वचा के अन्य कई रोग दूर होते हैं। शहद और आयुर्वेदिक औषधि भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्ध ति आयुर्वेद में शहद के गुणों और उससे उपचार का विषद उल्लेख है। इस उपचार पद्धति में इसका उपयोग श्वसन संक्रामण, मुंह के घाव, मोतियाबिंद आदि रोगों में खास तौर से किया जाता है। साथ ही इसका उपयोग टाॅनिक के रूप में भी किया जाता है।
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