इंजीनियर कहें या कार्टूनिस्ट, अभिनेता कहें या डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, व्यंग्यकार कहें या फिर काॅमेडियन, जसपाल भट्टी कला क्षेत्र की एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने जहां भी हाथ आजमाया वहां अपनी अमिट छाप छोड़ी। जसपाल भट्टी शुरू से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग काॅलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले जसपाल का झुकाव शुरू से ही अभिनय की तरफ रहा। कालेज के दिनों में नानसेंस क्लब के जरिये इन्होंने स्ट्रीट प्ले से शुरूआत की।
उसके बाद द ट्रिब्यून अखबार में कार्टूनिस्ट के तौर पर भी काम किया और दूरदर्शन पर जब अपना उल्टा-पुल्टा शो लेकर आए तो बहुत सुर्खियां बटोरीं। विशुद्ध कामेडी और बिना द्विअर्थी संवाद के ही उन्होंने कामेडी की एक नई मिसाल पेश की। इसके बाद नौवें दशक में उनका फ्लाॅप शो आया। फिर फुल टेंशन, हाय जिंदगी, बाय जिंदगी जैसे हास्य सीरियल आए। पहली फिल्म ‘माहौल ठीक है’ और अंतिम फिल्म ‘पावर कट’ रही। इसके अलावा ‘फना’, ‘आ अब लौट चलें’ आदि फिल्मों में हास्य भूमिकाएं रहीं।
नच बलिए जैसे शो में नजर आए। मोहाली में ‘जोक फैक्ट्री’ के नाम से प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की ताकि हास्य-व्यंग्य कलाकारों को प्रशिक्षण दिया जा सके। भट्टी जी की कुंडली पर नजर डालें तो लग्नेश मंगल अपनी मूल त्रिकोण राशि मेष में स्थित है तथा चंद्रमा से ग्यारहवें भाव में भी है। इसी मंगल पर पराक्रमेश शनि की दृष्टि है जिसके कारण भट्टी जी साहसी, परिश्रमी तथा मान प्रतिष्ठा के धनी हुए और इसी कारण इन्हें व्यंग्यों के द्वारा अपनी कड़वी बात कहने का भय भी नहीं था। पंचमेश बृहस्पति की अष्टम भाव में भाग्येश चंद्रमा तथा केतु के साथ युति का संकेत है
कि भट्टी जी अपने जीवन में कुछ नया तथा अन्य कलाकारों से अलग कला दर्शन करने में समर्थ थे। इन्होंने अपने जीवन में हास्य व्यंग्य तथा कार्टून के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई और विशेष छाप छोड़ी। पराक्रम भाव में बुध-शुक्र की युति तथा उनकी भाग्य भाव चंद्रमा की राशि पर पूर्ण दृष्टि होने से इन्हें कला के क्षेत्र में शीघ्र सफलता प्राप्त हुई। कर्मेश सूर्य बृहस्पति के नवमांश में तथा धनेश पंचमेश बृहस्पति बुध के नवमांश में होने से इन्होंने मोहाली में नये कारों के लिए प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की। इनकी कुंडली में नीचस्थ राहु है ले
नवमांश में उच्चस्थ है तथा राहु जिस राशि में नीच का हो रहा है उस राशि का स्वामी बृहस्पति चंद्र लग्न से केंद्र में है जिससे राहु का नीच भंग हो रहा है। इसी के फलस्वरूप इन्हें जीवन में उत्तम धन, संपत्ति, सुख, मान-प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। आयु के संबंध में इनकी कुंडली पर दृष्टि डालें तो कुंडली के चारों केंद्रों में कोई शुभ ग्रह नहीं है। मारक स्थानों में भी विशेष शुभत्व नहीं है।
ग्रह बुध अपने घर से अष्टम में अर्थात लग्न से तृतीय भाव में मारकेश शुक्र के साथ स्थित है जो कि मध्यम आयु की ओर संकेत है। इनकी कुंडली से मृत्यु के समय का विचार करें तो उस समय पर इनकी अष्टमेश बुध की महादशा तथा प्रबल मारकेश शुक्र की अंतर्दशा चल रही थी।
इसी दशा काल में इनके लिए यह दशा मारक बनी। गोचर में भी इस समय शनि-बृहस्पति का गोचर भी शुभ नहीं था। शुक्र वाहन का कारक भी होता है। इसलिए उनके लिए मारकेश शुक्र की अंतर्दशा वाहन के द्वारा मारक सिद्ध हुई।