किसी भी व्यक्ति की यह उत्कट अभिलाषा होती है कि वह अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करे ताकि बच्चे जीवन में चहुंमुखी विकास कर सकें तथा देश के सभ्य एवं गणमान्य नागरिकों में उनकी गिनती हो सके और यह तभी संभव है जब माता-पिता अपनी इस अभीष्ट की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से बच्चों पर ध्यान दें। इसके लिए बच्चों के व्यवहार, संस्कार, आचरण इन सभी सूत्रों के माध्यम से हम इनका ऐसा मार्गदर्शन करें जिससे उनकी शिक्षा, उनका स्वास्थ्य, उनकी सोच उनके जीवन को ज्ञानवर्धक और भविष्य में समाज में, परिवार में जिस भी क्षेत्र में की जाये एक आदर्श के रूप में अपना जीवन व्यतीत करें। इन सभी चीजों को पाने के लिए एक मार्ग ऐसा भी है जिसे हम भारतीय पुरातन विद्याओं में ज्योतिष तथा वास्तु के द्वारा भी अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वलता की ओर ले जाने के साथ-साथ प्रेरणादायक भी बना सकते हैं। ऐसी ही कुछ सावधानियों पर चर्चा करेंगे। व्यावहारिकता से देखा जाये तो बच्चों का कमरा उत्तर तथा पूर्व की ओर होना चाहिए।
हमें अपने बच्चों को उनकी किताबें रखने की जगह, किताबों को सलीके से रखना, पढ़ने की टेबल पर कायदे से रखे होना, कमरे का वातावरण आपको एक ताजगी दे, इसके लिए उसके रंगों का सही चयन हो इस पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। खासकर ऐसे रंगों का चयन करें जो तेज ना हो। बच्चों के कमरे के लिए हल्के गुलाबी, पीले रंगों का प्रयोग करें या फिर सफेद रंग, उत्तर की दीवार पर हल्का पीला रंग, पूर्व की दीवार पर हल्का गुलाबी रंग पश्चिम की दीवार पर हल्का आसमानी रंग तथा दक्षिण की दीवार पर सफेद रंग का प्रयोग करें। कमरे में ऐसे चित्र ही लगायें जो बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दें जैसे पूर्व की तरफ सूर्य देव तथा माता सरस्वती का चित्र लगायें अथवा वेदमाता, गायत्री का चित्र भी लगा सकते हैं। उत्तर की तरफ ब्रह्मदेव का चित्र लगायें, यह चित्र ज्ञान तथा शिक्षा को सरलता से ग्रहण करने में लाभ देगा।
इन सभी बातों के साथ पढ़ते समय बच्चों का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए क्योंकि संसार में समस्त प्रकार के अंधकार को दूर करना, अथवा ज्ञान की दृष्टि से सही दिशा में प्रेरणा पाने की ऊर्जा सूर्य देव से ही प्राप्त होती है। पढ़ने वाले कमरे में इस बात का भी ध्यान रखें कि उस कमरे में प्रकाश की व्यवस्था कैसी है। रोशनी ऐसी न हो जो आंखों को चुभे, मुख्य रूप से बच्चों को पूर्व दिशा में देख कर ही पढ़ाई करनी चाहिए। कभी भी दरवाजे की तरफ पीठ करके ना पढ़ें। अगर अधिक बच्चे एक साथ पढ़ते हों तो उस कमरे में सामुहिक रूप से पढ़ते हुए बच्चों का चित्र भी लगा सकते हैं। सुबह उठते ही बच्चों को सूर्य अघ्र्य और 10 बार गायत्री जप का नियम सिखायें। माता-पिता के चरण छूकर ही विद्यालय जायें, इस बात की आदत डालें। बच्चों को दूध में शहद का प्रयोग करके पिला कर ही स्कूल के लिए भेजें, चाहें तो मीठा गेहूं का दलिया खिलाकर भेजें। इन सभी बातों को जीवन में अपनायं और अपने बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनायें।