यंत्र धारण/पूजन द्वारा ग्रह दोष निवारण
यंत्र धारण/पूजन द्वारा ग्रह दोष निवारण

यंत्र धारण/पूजन द्वारा ग्रह दोष निवारण  

रमेश शास्त्री
व्यूस : 8017 | सितम्बर 2010

यंत्र धारण /पूजन द्वारा ग्रह दोष निवारण सूर्य यंत्र: यदि सूर्य अशुभ हो तथा जीवन में स्वास्थ्य ठीक न रहता हो, पिता आदि कुटुम्बियों से अनबन रहती हो, ऐसी परिस्थितियों मे ंचांदी में बना सूर्य यंत्र धारण करने से लाभ होता है। इस यंत्र को रविवार के दिन प्रातःकाल में शुद्ध करके गंध, अक्षत, धूप-दीप से पूजन करके लाल धागे में धारण करना चाहिए। चंद्र यंत्र: कुंडली में यदि चंद्र अशुभ हो, मानसिक बेचैनी रहती है। माता से अनबन रहती हो। रात्रि में ठीक से नींद न आती हो तो ऐसी स्थिति में चांदी में बना चंद्र यंत्र लाॅकेट, कच्चेदूध गंगा जल आदि से शुद्ध करके सफेद धागे में या चांदी की चेन में सोमवार को धारण करें। मंगल यंत्र: मंगल खराब हो, मन घबराता हो, भाई बहनों से मेल-जोल न रहता हो, पेट की खराबी आदि रहती हो।

चांदी में बना मंगल यंत्र शुद्ध करके मंगलवार के दिन सुबह के समय लाल धागे में या चेन में धारण करें। बुध यंत्र: कुंडली में बुध कमजोर होने के कारण स्मरण शक्ति कमजोर हो, वाणी दोष हो, व्यापार आदि में घाटा हो, ऐसी परिस्थितियों में बुध यंत्र लाॅकेट चांदी में शुद्धीकरण आदि करके हरे धागे में बुधवार को सुबह धारण करना चाहिए। बृहस्पति यंत्र: बृहस्पति ग्रह यदि अशुभ स्थिति में हो, पढ़ाई लिखाई में मन न लगता हो, धन की कमी रहती हो; ऐसी स्थिति में बृहस्पति यंत्र पूजा पाठ करके पीले धागे में प्रातःकाल के समय धारण करना चाहिए। शुक्र यंत्र: शुक्र ग्रह की प्रतिकूलता के लिए इस यंत्र को धारण किया जाता है। वैवाहिक जीवन का सुख न मिलता हो, प्रेम संबंध आदि में कष्ट रहता हो तो ऐसी परिस्थितियों में शुक्र यंत्र चांदी में शुक्रवार के दिन पूजा, पाठ करके प्रातःकाल में चांदी की चेन या सफेद धागे में धारण करना चाहिए।

शनि यंत्र: शनि की अशुभता की शांति के लिए यह यंत्र धारण किया जाता है। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा, अंतर्दशा के समय इस यंत्र को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। चांदी में बना यंत्र लाॅकेट पूजा करके काले धागे में शनिवार सायं काल में धारण करना चाहिए। राहु यंत्र: राहु ग्रह की अनुकूलता के लिए इस यंत्र को धारण किया जाता है। यदि पेट संबंधी समस्याएं हो, कोर्ट, कचहरी आदि विवाद चल रहा हो, जीवन में उतार-चढ़ाव अधिक रहता हो; ऐसी परिस्थितियों में भी इस यंत्र को काले या नीले धागे में शनिवार को पूजा करके सूर्यास्त के बाद गले में धारण करना चाहिए। केतु यंत्र: इस यंत्र को केतु ग्रह की अनुकूलता के लिए धारण किया जाता है। इसके अतिरिक्त यदि जीवन में स्थिरता न रहती हो, अचानक कार्य बिगड़ता हो; ऐसी परिस्थितियों में इस यंत्र की पूजा, प्रतिष्ठा आदि करके बुधवार के दिन प्रातः काल धारण करना चाहिए। नोट: जो व्यक्ति यंत्र को लाॅकेट में धारण न करना चाहे तो वे यंत्र को अपने घर में पूजा कर के रख सकते हैं। लाभ होगा।



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