रत्न माला से रोग शांति आचार्य रमेश शास्त्राी मोती + रुद्राक्ष माला : यह माला पांच मुखी रुद्राक्ष एवं मोती रत्न से निर्मित होती है, रुद्राक्ष धारण से मन की शुद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। मोती रत्न व्यक्ति में सकारात्मक गुणों की वृद्धि करता है तथा धारणकर्ता को मानसिक शांति प्रदान करता है। इस माला को धारण करने से मनोबल की वृद्धि होती है। मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। क्रोध आदि पर नियंत्रण बना रहता है। इस माला को गंगाजल से शुद्ध करके सोमवार को प्रातः काल के समय धारण करना चाहिए। मूंगा, मोती मिश्रित माला : यह माला मोती और मूंगा रत्न दोनों को बराबर संखया में लेकर मिश्रित रूप से बनायी जाती है। इस माला को रक्त चाप जैसी रक्त संबंधी बिमारियों में धारण करना शुभ होता है।
इसके अतिरिक्त यदि मन में भ्रम बना रहता हो तो ऐसी स्थिति में भी इस माला को धारण करने से लाभ होता है। इस माला को सोमवार अथवा मंगलवार को सुबह के समय शुद्ध करके धारण करना चाहिए। माणिक माला : यह माला सूर्य ग्रह के प्रधान रत्न माणिक से बनायी जाती है। यह माला रोग शांति की दृष्टि से, विशेष रूप से हृदय संबंधी रोगों में लाभकारी होती है तथा इस के धारण करने से आत्मबल की अभिवृद्धि होती है जिससे व्यक्ति अपने को अंदर-बाहर से मजबूत महसूस करता है। इस माला को रविवार के दिन सुबह के समय शुद्ध करके धारण करना चाहिए। नवरत्न माला : यह माला नवग्रहों के नवरत्नों से निर्मित की जाती है। इस माला को संपूर्ण रोगों की शांति के लिए धारण किया जाता है।
जिनकी कुंडली में अधिकांश ग्रह कमजोर हों शुद्ध करके धारण करना चाहिए।
नवरत्न माला : यह माला नवग्रहों के नवरत्नों से निर्मित की जाती है। इस माला को संपूर्ण रोगों की शांति के लिए धारण किया जाता है। जिनकी कुंडली में अधिकांश ग्रह कमजोर हों उन्हें इस माला को धारण करने से लाभ होता है। इस माला को रविवार अथवा बृहस्पतिवार के दिन पंचामृत से शुद्ध करके धारण करना शुभदायक होता है।