परस्पर सामंजस्य एवं सुख
समृद्धियुक्त दाम्पत्य जीवन
ही स्वस्थ समाज की संरचना में सहायक
हो सकता है। पारस्परिक समन्वय एवं
वैचारिक सामंजस्य का अभाव दाम्पत्य
जीवन को ही दूषित नहीं करता अपितु
उससे संतति सृजन एवं सृष्टि संरचना
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अध्यात्म, धर्म आदिमंत्रविवाह