हस्त रेखा के नियम और संयोग विवाह मिलाप करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। संपूर्ण हाथ का अध्ययन, पर्वत, चिह्न एवं रेखाओं का विष्लेषण वर एवं कन्या के विवाह मिलाप में सहायक होते हैं। इसके माध्यम से उन दोनों के शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व पर विचार करके उनके व्यावहारिक और व्यावसायिक योग्यताएं, उनके स्वास्थ्य एवं आयु गणना पर विचार किया जा सकता है। एक सुखमय एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिये निम्न तथ्यों पर विचार आवष्यक है-
1. वर-कन्या के स्वभाव एवं चरित्र अनुकूलता।
2. व्यावसायिक योग्यता एवं स्थिरता
3. अनुकूल शारीरिक आकर्षण एवं क्षमता
4. वर-कन्या में उत्तम संतान योग
5. तलाक स्थिति के योग न होना
6. उत्तम स्वास्थ्य के योग
7. वर कन्या के उत्तम आयु योग इन तथ्यों का विस्तार में विवेचन वर कन्या के सफल वैवाहिक जीवन का मार्गदर्षन देते हैं।
1. वर-कन्या के स्वभाव एवं चरित्र अनुकूलता प्रत्येक व्यक्ति में सकारात्मक एवं नकारात्मक गुण होते हैं। वर-कन्या में नकारात्मक गुणों की अधिकता होने के कारण वैवाहिक जीवन असफल हो सकता है। अतः आवष्यक है कि दोनों के स्वभाव का विष्लेषण किया जाये और उनके मानसिक अनुकूलता का निर्णय किया जाये। जितने अधिक अच्छे संयोग, उतना ही उत्तम मिलाप। अच्छे संयोग
1. आदर्ष एवं उत्तम विकसित हृदय रेखा।
2. उत्तम विकसित जीवन रेखा।
3. शुक्र वलय का केवल प्रारंभ एवं अंत में बनना।
4. हृदय रेखा का बृहस्पति पर्वत पर समाप्त होना।
5. उत्तम विकसित शुक्र पर्वत एवं बृहस्पति पर्वत।
6. जीवन रेखा एवं मस्तिष्क रेखा के बीच सामान्य दूरी।
7. उत्तम विकसित विवाह रेखा नकारात्मक संयोग
1. छोटी एवं हल्की हृदय रेखा
2. मंगल पर्वत का अत्यधिक विकसित होना तथा मंगल पर्वत पर दोषपूर्ण चिह्न।
3. कम विकसित चंद्र, शुक्र एवं बृहस्पति पर्वत।
4. जंजीरदार हृदय रेखा
5. असामान्य जीवन रेखा
6. दोषपूर्ण विवाह रेखा वर-कन्या के हाथों में सकारात्मक संयोग भावनात्मक, मार्मिक एवं महत्वाकांक्षी स्वभाव को दर्षाते हैं। दोनों स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त मन के होते हैं। दूसरी ओर नकारात्मक संयोग प्रबल एवं अहंकारी स्वभाव को दर्षाते हैं। वे जीवन के प्रति उदासीन एवं निराषावादी दृष्टिकोण रखते हैं। अतः यह आवष्यक है कि वर-कन्या के अनुकूल गुणों को संतुलित करके विवाह मिलान उचित है।
2. वर-कन्या की व्यावसायिक एवं आर्थिक स्थिरता उत्तम स्वभाव एवं मनोवैज्ञानिक विषेषताओं के साथ इस भौतिक संसार में सुखी रहने के लिये व्यावसायिक एवं आर्थिक स्थिरता भी आवष्यक है। कई बार पति-पत्नी में मतभेद आर्थिक अस्थिरता के कारण उत्पन्न हो जाते हैं। अतः विवाह मिलान इस प्रकार किया जाना चाहिये कि वर-कन्या के जीवन में आर्थिक स्थिति अनुकूल रहे तथा कभी जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना भी करना पड़े तो दोनों में फिर से आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति हो। अनुकूल गुण
1. उत्तम विकसित भाग्य रेखा एवं सूर्य रेखा।
2. उत्तम बृहस्पति एवं सूर्य पर्वत
3. विस्तृत हथेली
4. बृहस्पति पर्वत पर समाप्त होती एक भाग्य रेखा।
5. हथेली एवं रेखाओं पर शुभ चिह्न
6. उत्तम मस्तिष्क एवं जीवन रेखा अनुकूलता एवं यौन संबंध जान सकते हैं। उत्तम अनुकूलता द्वारा वे अपने रोमांटिक इच्छाओं को बढ़ा सकते हैं, अच्छे संबंध बना सकते हैं और एक सुखी वैवाहिक जीवन का आनंद ले सकते हैं। दूसरी ओर शारीरिक और यौन अयोग्यता या यौन संबंध में निर्दयी स्वभाव वैवाहिक जीवन में दरार डाल देती है। अतः बहुत निपूणता से यह विवाह मिलान करना आवष्यक है। अनुकूल गुण
1. उत्तम विकसित हृदय रेखा
2. उत्तम विकसित षुक्र एवं चंद्र पर्वत
3. उत्तम विकसित अंगूठे का तीसरा पर्व
4. उत्तम उभार लिये मंगल पर्वत
5. गहरी व गुलाबी विवाह रेखा चित्र संख्या
1.2 नकारात्मक संयोग चित्र संख्या
2.1 अनुकुल गुण नकारात्मक गुण
1. टूटी हुई अथवा जंजीरदार भाग्य रेखा।
2. कम विकसित बुध एवं बृहस्पति पर्वत।
3. कमजोर भाग्य एवं सूर्य रेखा
4. भाग्य रेखा पर नकारात्मक चिह्न
5. भाग्य रेखा से निकलती निचली रेखायें
6. कमजोर जीवन रेखा चित्र
2.2 नकारात्मक गुण वर-कन्या के वैवाहिक जीवन में व्यावसायिक एवं आर्थिक स्थिरता के लिये ऊपर दिये गये संयोगों का मिलान आवष्यक है।
3. उत्तम शारीरिक अनुकूलता हथेली के विष्लेषण द्वारा वर-कन्या के विवाह उपरांत उत्तम शारीरिक चित्र
3.1 अनुकूल गुण नकारात्मक गुण
1. हृदय रेखा पर काले चिह्न
2. बुध रेखा या यकृत रेखा का समाप्ति पर द्विषाखित होना नपुंसक योग बनाता है।
3. मस्तिष्क रेखा एवं जीवन रेखा में अत्यधिक दूरी
4. हाथ का निचला क्षेत्र अत्यधिक विकसित
5. मंगल प्रधान व्यक्तित्व और दोश्पूर्ण मंगल पर्वत
6. अत्यधिक विकसित शुक्र पर्वत एवं मंगल पर्वत के कारण अलग करता है।
3. विवाह रेखा को काटती हुई रेखा तलाक देती है।
4. विवाह रेखा का प्रारम्भ एवं अन्त में द्विमुखी होना कुछ समय के लिये अलग करता है। चित्र
3.2 नाकारात्मक गुण
4. वर-कन्या में उत्तम संतान योग विवाह के पवित्र रिश्ते में बंधने के उपरान्त वर-कन्या सन्तान के इच्छुक हो जाते हैं। ऐसे में दोनों के हाथों में सन्तान होने के योग आवश्यक होते हैं। कन्या के हाथ में संतान योग अत्यधिक शुभ होने चाहिए क्योंकि एक स्त्री संतान को नौ महीने तक गर्भ धारण करके एक स्वस्थ्य बालक को जन्म देना होता है। अनुकूल गुण
1. अंगूठे के आधार पर परिवार मुद्रिका
2. विवाह रेखा के ऊपर पाई जाने वाली सीधी रेखाएं
3. उत्तम विकसित बुध की उंगली
4. उत्तम विकसित शुक्र पर्वत
5. उत्तम विकसित अंगूठे का तीसरा पर्वत
6. उत्तम विकसित हृदय रेखा नकारात्मक गुण
1. छोटी हृदय रेखा
2. कम उभरा हुआ शुक्र पर्वत एवं गुरु पर्वत
3. विवाह रेखा के ऊपर क्राॅस
4. जिस स्थान पर मस्तिष्क रेखा बुध रेखा को काटती है वहां तारा होना
5.तलाक स्थिति के योग न हो तलाक विवाह के सम्बन्ध का कानूनी भंग है जब दोनों जीवनसाथी साथ रहकर एक स्वस्थ सम्बन्ध नहीं निभा पाते हैं। अतः विवाह मिलाप करते समय वर-कन्या के हाथ में इस बात की जाँच अवश्य की जाये कि उनके स्वस्थ सम्बन्ध बनेंगे या नहीं क्योंकि तलाक एक दर्दनाक घटना है। तलाक अथवा कुछ समय के लिए अलग होने के योग
1. विवाह रेखा का अंत में द्विशाखित होना कुछ समय के लिये अलग करता है।
2. शुक्र पर्वत पर जाल अथवा काटती हुई रेखाएं शारीरिक कम के कारण अलग करता है।
3. विवाह रेखा को काटती हुई रेखा तलाक देती है।
4. विवाह रेखा का प्रारम्भ एवं अन्त में द्विमुखी होना कुछ समय के लिये अलग करता है।
6. विवाह योग्य वर-कन्या का उत्तम स्वास्थ्य व्यक्ति प्रायः अपने दैनिक जीवन में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करता है। इन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कुछ कारण हैं दुर्बल गठन, जीवन शक्ति की कमी, नेत्र समस्याएं, दुर्बल पाचन शक्ति इत्यादि। ये समस्याएं व्यक्ति को मानसिक रूप से भी कमजोर बनाती हैं और उसके वैवाहिक जीवन की ऊर्जा और उत्तेजना कम हो जाती है। ऐसे में अनेक वैवाहिक सम्बन्ध खराब हो जाते हैं। अतः वर-कन्या के वैवाहिक जीवन का मिलाप करते वक्त इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि उन दोनों का उत्तम स्वास्थ्य एवं अच्छा शारीरिक गठन है। अनुकूल योग
1. उत्तम विकसित जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा एवं हृदय रेखा
2. बुध रेखा का न होना और होना तो उत्तम विकसित होना।
3. उत्तम विकसित मंगल रेखा
4. जीवन रेखा से ऊपर की ओर निकलती रेखायें
5. जीवन रेखा एवं मस्तिष्क रेखा का प्रारम्भ में उत्तम विकसित होना
6. उत्तम भाग्य रेखा
7. स्वस्थ नाखून नकारात्मक गुण
1. कमजोर जीवन रेखा
2. टूटी हुई बुध रेखा
3. कमजोर मस्तिष्क एवं हृदय रेखा
4. प्रारम्भ से जंजीरदार मस्तिष्क रेखा एवं हृदय रेखा
5. जीवन रेखा से नीचे की ओर जाती रेखाए
6. कमजोर नाखून
7. वर-कन्या की पूर्ण आयु विवाह योग्य वर-कन्या के लिये एक उत्तम एवं पूर्ण आयु वैवाहिक जीवन को लम्बे समय तक निभाने के लिए आवश्यक है। यदि दोनों के भाग्य में पूर्ण आयु का योग न हो तो एक लम्बे समय तक वैवाहिक सुख नहीं प्राप्त कर सकते। अनुकूल गुण
1. पूर्ण गोलाई लिये हुये एक अच्छी एवं लम्बी जीवन रेखा
2. उत्तम विकसित बुध रेखा
3. पूर्ण मणिबन्ध
4. उत्तम मस्तिष्क व हृदय रेखा
5. पूर्ण विकसित बुध की रेखा
6. उत्तम विकसित मंगल रेखा नकारात्मक योग
1. जीवन रेखा का दोनों हाथों में कम आयु में टूटना
2. जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा एवं हृदय रेखा का प्रारम्भ में जुड़ना तथा जीवन रेखा का टूटना
3. बुध की रेखा का कम आयु में जीवन रेखा से मिलना तथा जीवन रेखा का टूटना
4. विवाह रेखा का टूटना विवाह योग्य वर-कन्या का विवाह-मिलान एक सफल सम्बन्ध तथा एक स्वस्थ एवं सम्पूर्ण वैवाहिक जीवन की ओर संकेत करता है। हाथों पर पाये जाने वाले संयोग एवं संकेत विवाह मिलाप करने में सहायक हैं तथा वर-कन्या को आपस में अनुकूल बनाते हुये विवाह एवं जीवन को सफल यात्रा की ओर ले जाते हैं।