वेदचक्षुः किलेदं स्मृतं ज्योतिषां।
आहार, निद्रा, भय, मैथुन यह मानव और पशु के समान
हैं। किन्तु मानव बुद्धि, विवेक के कारण श्रेष्ठ है। अतः सहज
प्रवृत्ति मैथुन को विवाह रूपी संस्कार से आवृत्त कर सभ्यता
का परिचय प्रदान करता है। ऋग... और पढ़ें
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