पर्व निर्णय फ्यूचर पाॅइन्टपर मुख्य पर्व जैसे- जन्माष्टमी, शिवरात्री, दीपावली, दशहरा, होली, रक्षा बंधन, भैया दूज, धन तेरस एवं अन्य पर्वों के तिथि निर्णय हेतु क्या शास्त्रीय नियम व आधार हैं?... और पढ़ेंघटनाएँपर्व/व्रतआकाशीय गणितनवेम्बर 2009व्यूस: 16903
एक सही तिथिपत्रक का गणितीय आधार दार्शनेय लोकेशहिंदू संस्कृति में पंचांग का अपना विशेष महत्व है। जीवन के विभिन्न संस्कारों, यात्राओं, किसी कार्य के आरंभ आदि में पंचांग की सहायता ली जाती है। उद्देश्य केवल एक होता है... और पढ़ेंज्योतिषखगोल-विज्ञानपर्व/व्रतआकाशीय गणितनक्षत्रपंचांगग्रहगोचरअप्रैल 2010व्यूस: 5734
संक्रांति की खिचड़ी सुनील जोशी जुन्नकरमकर संक्रांति का दिनं खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रीय मतभेद के चलते भारतीय पंचांगों ने हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मकर संक्रांति की खूब खिचड़ी पकाई है।... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितपंचांगभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2011व्यूस: 6462
पर्व-त्योहारों की तारीखों में मतांतर क्यों? फ्यूचर पाॅइन्टभारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की गरिमा के प्रतीक पर्व-त्यौहारों के संबंध में कई बार मतांतर हो जाने से पर्व-त्यौहारों की तिथियों एवं तारीखों के बारे में भ्रांतियां उत्पन्न हो जाती हैं। फलस्वरूप, धर्म परायण लोगों के मन में कई प्रकार की... और पढ़ेंज्योतिषपर्व/व्रतआकाशीय गणितजनवरी 2004व्यूस: 6940
सर्वोत्तम माह: पुरूषोत्तम मास प्रमोद राजौरियाश्री विक्रम संवत् 2072 में आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से आषाढ़ कृष्ण अमावस्या तक अर्थात् 17 जून से 16 जुलाई सन् 2015 तक अधिक मास रहेगा। अधिक मास क्यों होता है और कब पड़ता है, आइये इसे समझें। वे महीने शुद्ध कहलाते हैं, जिनमें सूर्य की सं... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितपंचांगजून 2015व्यूस: 7554
पांच अंगों का संयोग : पंचांग अशोक शर्माइस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अं... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितपंचांगअप्रैल 2010व्यूस: 8724
कालसर्प योग की सार्थकता डॉ. अरुण बंसलकालसर्प योग राहु और केतु की धुरी के एक और सभी ग्रहों के आ जाने से बनता हैं। यदि राहु के मुख में सभी ग्रह आ रहे हैं। तो उसे उदित योग की संज्ञा दी गई हैं। और यदि दूसरी और हो तो अनुदित योग कहा जाता हैं।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगआकाशीय गणितमार्च 2013व्यूस: 8149
कैलेंडर व पंचांग में भिन्नता क्यों डॉ. अरुण बंसलआधुनिक (ग्रेगोरियन) कैलेंडर में प्रति चार वर्ष पश्चात एक लीप वर्ष होता है, 100 वर्ष पश्चात लीप वर्ष नहीं होता एवं 400 वर्ष पश्चात पुनः लीप वर्ष होता है।... और पढ़ेंज्योतिषखगोल-विज्ञानग्रहणआकाशीय गणितपंचांगगोचरअप्रैल 2010व्यूस: 3277
पंचांगों में भिन्नता क्यों? किशोर घिल्डियालइस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अं... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितपंचांगअप्रैल 2010व्यूस: 9135
पंचांग इतिहास - विकास - गणना विधि रुपेन्द्र वर्माइस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अं... और पढ़ेंज्योतिषखगोल-विज्ञानआकाशीय गणितपंचांगअप्रैल 2010व्यूस: 28086
सटीक जन्म समय का निर्धारण बी. पी. विश्वकर्माभारतीय ज्योतिष में जन्मकुंडली निर्माण में सही समय का होना परम आवश्यक है। परंतु यह विषय हमेशा से ही विवादित रहा है। शिशु जन्म के विभिन्न चरणों में से योनि द्वार का मुख खुलने से लेकर शिशु की नाल काटे जाने तक कौन से चरण को जन्म समय क... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितजुलाई 2011व्यूस: 33810
कैसे करें पंचांग गणना प्रेमपाल कौशिकतिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी जिसमें मिलती हो, उसी का नाम पंचंाग है। पंचांग अपने प्रमुख पांच अंगों के अतिरिक्त हमारा और भी अनेक बातों से परिचय कराता है।... और पढ़ेंज्योतिषआकाशीय गणितपंचांगअप्रैल 2010व्यूस: 17207