ग्रह स्थिति एवं व्यापार
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जगदम्बा प्रसाद गौड
व्यूस : 4861 | जनवरी 2006

जनवरी मास में गोचर ग्रह परिवर्तनः इस मास में ग्रहों का राशि परिवर्तन इस प्रकार होगा: सूर्य 14 जनवरी को 11 बजकर 55 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। बुध ग्रह 4 जनवरी को रात्रि 9 बजे अस्त होगा तथा 19 जनवरी को 9 बजकर 48 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र ग्रह 11 जनवरी को शाम के 7 बजकर 42 मिनट पर अस्त होगा तथा वक्री गति की चाल चलते हुए 13 जनवरी को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा तथा फिर 17 जनवरी को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट पर उदय हो जाएगा।

इस मास में मंगल, गुरु, शनि, राहु, केतु, प्लूटो, नेप्च्यून और यूरेनस की स्थिति पूर्ववत ही रहेगी। गोचर फल विचार: मासारंभ वाले दिन अर्थात 1 जनवरी को रविवार है और इस मास में पांच रविवार आएंगे। फलस्वरूप परिणाम अशांतिदायक ही रहता है। राजनैतिक मतभेदों, वैमनस्य तथा प्राकृतिक आपदाओं एवं अग्निकांडों से जनमानस को भयभीत करता है। ऐसे योग में कहीं दुर्भिक्ष और कहीं राजनैतिक परिवर्तन की भी संभावना बनी रहती है। ‘‘यत्र मासे रवेर्वाशः जायते पंच सततम्। दुर्भिक्षं छत्र भंगस्पात दास्ते च मध्यदभयम्।।’’ साथ ही इस मास में पांच सोमवार भी आएंगे जो उपर्युक्त फलों में न्यूनता भी लाते हंै।

सुख साधनों एवं मंगलमय कार्यों की वृद्धि होगी। ‘‘सोमस्य पंचवारास्तु यत्र मासे भवन्ति हि। धन-धान्य समृद्धि स्यात् सुखं भवति सर्वदा।।’’ लेकिन साथ ही इस मास में पांच मंगलवार भी आ रहे हैं जो कि प्राकृतिक प्रकोप तथा देश की सरहदों पर युद्धमय वातावण से पुनः अशांति की तरफ संकेत करते हंै। उपद्रवकारी तत्वों, उग्रवादी संगठनों द्वारा अशांति फैलाने में अपना उग्र रूप धारण करते हंै।

‘‘यत्र मासे महीसूनो जायन्ते पंचवासराः। रक्तेन पूरिता पृथ्वी छत्रभंगस्तदा।।’’ मासारंभ एवं नववर्ष का आरंभ कन्या लग्न में हो रहा है। अष्टम भाव में मंगल की स्थिति दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों और देशों में कहीं आंतरिक अशांति का कारक बनेगी। वर्ष कुंडली में प्राकृतिक प्रकोप जैसे भूकंप इत्यादि और अग्निकांडो से भी जन-धन की हानि की तरफ संकेत मिलता है। 11 जनवरी को शुक्र का वक्री गति में अस्त होकर 17 जनवरी को उदय होना यह योग प्राकृतिक प्रकोपों से खड़ी फसलों के लिए हानिकारक है।


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14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में आकर शनि से समसप्तक योग में आना तथा इससे पूर्व शनि और मंगल का समदृष्टि में रहना यह योग सरहदी राज्यों के लिए अशांतिदायक है। उपद्रवकारी संगठनों द्वारा उपद्रवी कार्यों को बढ़ावा देता है जिससे जनमानस में भय और उदासी की भावना छाएगी। 19 जनवरी को बुध का भी मकर राशि में प्रवेश हो जाना तथा शनि से समसप्तक योग में आ जाना कृषि के लिए नुक्सानदायक है।

मुस्लिम देशों में उपद्रवकारी घटनाओं को करता है तथा देश में किसी रोग के फैलने से जनता को भयभीत करता है। सोना व चांदी: मासारंभ वाले दिन 1 जनवरी को रविवार के दिन चंद्र दर्शन का 45 मुहूर्ती होना सोने और चांदी में तेजी ही दर्शाता है। 4 जनवरी को बुध का अस्त हो जाना सोने के बाजार में अस्थिरता लाएगा। इसी दिन गुरु का विशाखा नक्षत्र में आकर धनिष्ठा नक्षत्र को वेधना चांदी के बाजार में बदलाव देकर मंदे की तरफ ले जाएगा। 8 जनवरी को बुध का पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में आना भी सोने में मंदे का ही सूचक है।

10 जनवरी को सूर्य का उत्तराषाढ़ नक्षत्र में प्रवेश बाजार में चल रही पूर्व लहर को और बढ़ावा देगा। 11 जनवरी को शुक्र का अस्त होना चांदी में मंदे के रुख को आगे धकेलता है। लेकिन इन दिनों शुक्र पर वक्री शनि की भी दृष्टि रहेगी। अतः बाजार दोतरफा भी चल सकता है, बाजार की वर्तमान स्थिति को विशेष ध्यान में लें। 13 जनवरी को शुक्र ग्रह वक्री गति से पुनः धनु राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य और बुध से राशि संबंध बनाएगा।

यह योग सोने और चांदी के बाजार में कुछ बदलाव देगा अर्थात थोड़ी बहुत तेजी बना सकता है। 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कर शनि से समसप्तक योग में आना तथा मकर संक्रांति का शनिवार को 45 मुहूर्ती होना चांदी में तो मंदे का ही योग दर्शाता है लेकिन सोने में तेजी की तरफ रुझान बनाता है।

19 जनवरी को बुध का मकर राशि में प्रवेश तथा सूर्य के साथ राशि संबंध बनाना, बुध का अस्त अवस्था में शनि से समसप्तक योग में आ जाना सोने और चांदी में पुनः बदलाव लाकर तेजी की लहर में ले जाएगा। 24 जनवरी को सूर्य का श्रवण नक्षत्र में प्रवेश कर कृ., म., और धनि. नक्षत्रों को वेध में लेना बजार की तेजी को और आगे बढ़ाता है। 28 जनवरी को मंगल का कृतिका नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र स्थित गुरु ग्रह को वेधना चांदी को तेजी के रुख में ही ले जाता है।

30 जनवरी को सोमवार को चंद्र दर्शन का पुनः इस मास में होना बाजार को पुनः मंदे के वातावरण में ले जाता है। गुड़ एवं खांड: मासारंभ में 1 जनवरी को रविवार के दिन चंद्र दर्शन का 45 मुहूर्ती होना गुड़ और खांड के बाजार में तेजी का योग बनाता है। 4 जनवरी को बुध का अस्त होना खांड के बाजार में बदलाव देकर मंदे की तरफ ले जाएगा। इसी दिन गुरु का विशाखा नक्षत्र में आकर धनिष्ठा को वेधना गुड़ में तेजी का ही रुझान बनाए रखेगा। 8 जनवरी को बुध का पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में प्रवेश कर उत्तरभाद्रपद नक्षत्र को वेध में ले लेना बाजारों में तेजी ही चलाता है।

10 जनवरी को सूर्य का उत्तराषाढ़ नक्षत्र में आकर मृग, उ. फा. एवं उ. भानक्षत्रों को वेध में लेना भी बजारों के तेजी के रुझान को बढ़ावा देता है। 11 जनवरी को शुक्र का वक्री गति में अस्त हो जाना गुड़ और खांड के बाजार में चल रहे तेजी के रुख को और बढ़ावा देगा लेकिन इन दिनों वक्री गति के शनि की भी दृष्टि रहेगी अतः बाजार का रुख दोतरफा भी हो सकता है।

बाजार की वर्तमान स्थिति को विशेष ध्यान में रखें। 13 जनवरी को शुक्र पुनः धनु राशि में प्रवेश करेगा तथा सूर्य और बुध के साथ राशि संबंध बनाएगा। यह योग भी शनि से षडाष्टक होने से तेजी का ही सूचक है। 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कर शनि से समसप्तक योग बनाना और मकर संक्रांति का रविवार को 45 मुहूर्ती में आना बाजारों में उतार-चढ़ाव के साथ तेजी का ही वातावरण बनाए रखेगा।


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19 जनवरी को बुध का मकर राशि में आकर सूर्य के साथ राशि संबंध बनाना और शनि से समसप्तक योग में आना खांड के बाजार में बदलाव लाएगा, गुड़ को पूर्ववत ही चलाएगा। 24 जनवरी को सूर्य का श्रवण नक्षत्र में प्रवेश कर कृ., भ. तथा धनिष्ठा नक्षत्रों को वेध में लेना बाजारों में तेजी का ही सूचक है। 28 जनवरी को मंगल का कृतिका नक्षत्र में आकर विशाखा नक्षत्र स्थित गुरु को वेध में लेना गुड़, खांड और रसकर में तेजी का ही कारक है।

30 जनवरी को इस मास में पुनः चंद्र दर्शन सोमवार को होना गुड़ और खांड में पूर्व चल रहे रुख में बदलाव लाएगा। अनाज व दालवान: मासारंभ में नववर्ष को रविवार के दिन चंद्र दर्शन का 45 मुहूर्ती होना अनाजों और दालवान में मंदे का सूचक है। 4 जनवरी को बुध का अस्त होना गेहूं, जौ, चावल, चना इत्यादि अनाजों में मंदे की लहर चलाएगा। इसी दिन गुरु का विशाखा नक्षत्र में आकर धनिष्ठा नक्षत्र को वेध में लेना मूंग, मौठ, अरहर, चने के दालवान में तेजी बनाएगा। उड़द में मंदे का ही रुख देगा।

8 जनवरी को बुध का पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में आकर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र को वेध में लेना पूर्वोक्त दालवान में तेजी के रुख में बदलाव देकर मंदा लेकिन उड़द की दाल में तेजी का योग बनाएगा। 10 जनवरी को सूर्य भी उ. षा. नक्षत्र में प्रवेश कर मृग, उ. भा. तथा उ. फानक्षत्रों को वेध में लेगा। यह योग अनाजों और दालवान में तेजी ही दर्शाता है।

11 जनवरी को वक्री गति के शुक्र का अस्त होना गेहूं, जौ इत्यादि अनाजों में तेजी ही चलाएगा लेकिन इस पर इन दिनों शनि की भी पूर्ण दृष्टि का रहना बाजार को दोतरफा भी ले जा सकता है। 13 जनवरी को वक्री गति का शुक्र धनु राशि में प्रवेश कर सूर्य और बुध के साथ राशि संबंध बनाएगा और शनि से पुनः षडाष्टक योग में आ जाएगा। यह योग पूर्व माह की तरह अनाजों में तेजी की लहर चलाएगा। 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कर शनि से समसप्तक योग में आना अनाजों में तेजीदायक है लेकिन शनिवार के दिन मकर संक्रांति का 45 मुहूर्ती होना दालवान में मंदे का रुझान पैदा करेगा।

17 जनवरी को बुध का उत्तराषाढ़ नक्षत्र में आकर पू. भा. नक्षत्र को वेध में लेना अनाजों में मंदे का सूचक है। 19 जनवरी को बुध का मकर राशि में प्रवेश कर सूर्य के साथ राशि संबंध बनाना तथा शनि से समसप्तक योग में आ जाना मूंग, मौठ, अरहर, उड़द इत्यादि दालवान में मंदे की लहर चलाएगा। शुक्र का पू. षानक्षत्र में प्रवेश कर हस्त नक्षत्र को वेध में लेना अनाजों में भी मंदा चलाएगा। 24 जनवरी को सूर्य का श्रवण नक्षत्र में आकर कृ., म. और धनि. नक्षत्रों को वेध में लेना अनाजवान में पुनः तेजी का रुख चला देगा।

25 जनवरी को बुध का भी श्रवण नक्षत्र में आना दालवान में तेजी ही दर्शाता है। 28 जनवरी को मंगल का कृतिका नक्षत्र में आकर विशाखा स्थित गुरु को वेध में लेना गेहूं इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मौठ इत्यादि दालवान में चल रही तेजी को बढ़ावा देता है। 30 जनवरी को इस मास में पुनः चंद्र दर्शन का सोमवार को आना बाजारों में तेजी का ही कारक है। घी व तेल: मासारंभ में 1 जनवरी को रविवार के दिन चंद्र दर्शन का 45 मुहूर्ती होना तेलों में तेजी ही दर्शाता है। 4 जनवरी को बुध का अस्त हो जाना तेल और तेलवान के बाजार में बदलाव लाकर मंदे के रुख में ले जाएगा।


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इसी दिन गुरु का विशाखा नक्षत्र में आकर धनिष्ठा नक्षत्र को वेध में लेना घी को भी मंदे की लहर में ले जाएगा। 8 जनवरी को बुध का पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में आकर उ भा. नक्षत्र को वेध में लेना तेलों में तेजीदायक है। 10 जनवरी को सूर्य का उ. षा. नक्षत्र में प्रवेश कर मृग, उ. फा. नक्षत्रों को वेध में लेना तेलों में तेजी का सूचक तथा घी को मंदे के रुझान में ही रखेगा। 11 जनवरी को वक्री गति में शुक्र का अस्त होना तेलवान और घी में तेजी का योग बनाता है। इन दिनों इस पर वक्री गति के शनि की दृष्टि बाजार को दूसरी तरफ भी ले जा सकती है।

13 जनवरी को शुक्र का धनु राशि में प्रवेश कर सूर्य और बुध के साथ राशि संबंध बनाना और शनि से षडाष्टक योग में आ जाना घी के बाजार में तेजी का सूचक है। 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होकर शनि से समसप्तक योग बनाना तेलों में तो तेजी बनाता है लेकिन इसी दिन शनिवार को मकर संक्रांति का 45 मुहूर्ती में होना घी के बाजार में मंदा ही देगा। 17 जनवरी को शुक्र का उदय होना घी में तेजी का सूचक है।

इसी दिन बुध का उ.षा. नक्षत्र में आकर पू. भा. नक्षत्र को वेधना तेलों में भी तेजी का कारक है। 19 जनवरी को बुध का मकर राशि में प्रवेश कर सूर्य से राशि संबंध बनाकर शनि से समसप्तक योग में आ जाना घी के बाजार को तेजी के रुझान में रखेगा। 24 जनवरी को सूर्य का श्रवण नक्षत्र में आकर कृ, मं., ध. नक्षत्रों को वेध में लेना तेलों में पूर्व तेजी को बनाए रखता है।

25 जनवरी को बुध का श्रवण नक्षत्र मे प्रवेश घी के बाजार में मंदे का योग बनाएगा। 28 जनवरी को मंगल का कृत्तिका नक्षत्र में प्रवेश तथा विशाखा नक्षत्र स्थित गुरु ग्रह को वेधना घी को पुनः तेजी के वातावरण में ले जाएगा। 30 जनवरी को सोमवार के दिन चंद्र दर्शन का पुनः इस मास में होना आगे तेलों में मंदे का माहौल पैदा करेगा।



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