ग्रह स्थिति एवं व्यापार
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जगदम्बा प्रसाद गौड
व्यूस : 4352 | दिसम्बर 2006

गोचर ग्रह परिवर्तन: इस मास ग्रहों का राशि परिवर्तन इस प्रकार होगा। सूर्य 16 दिसंबर को प्रातः 7 बजकर 24 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा। मंगल 7 दिसंबर को रात्रि में 10 बजकर 26 मिनट पर उदित होगा। बुध 4 दिसंबर को प्रातः 6 बजकर 40 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा, 19 दिसंबर को प्रातः 6 बजकर 11 मिनट पर अस्त होगा और 24 दिसंबर को प्रातः 5 बजकर 24 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेगा। गुरु 2 दिसंबर को रात्रि 1 बजकर 1 मिनट पर उदित होगा।

शुक्र 6 दिसंबर को शाम 15 बजकर 28 मिनट पर धनु राशि में तथा 30 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 16 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। शनि 6 दिसंबर को प्रातः 9 बजकर 37 मिनट पर वक्री गति में आएगा। राहु व केतु 14 दिसंबर को अपना नक्षत्र चरण बदलेंगे। शेष ग्रह नेप्च्यून और यूरेनस की स्थिति पूर्ववत ही रहेगी। गोचर फल विचार: मासारंभ वाले दिन शुक्रवार है और इस मास पांच शुक्रवार आएंगे। यह योग सुख, शांति और समृद्धिदायक है। जनमानस में विलासिता बढ़ेगी। नारी जाति का सम्मान होगा।

‘‘शुक्रस्यपंचवाराः स्युयत्र प्रवर्तते। प्रजा वृद्धि सुभिक्षं च सुखं तत्र प्रवर्तते।’’ इस मास पांच शनिवार भी आएंगे। यह योग अत्यधिक महंगाई का संकेत देता है। फलतः जनता में बेचैनी तथा रोष उत्पन्न हो सकता है। उपद्रव, हड़तालों, अग्निकांड इत्यादि की घटनाएं अधिक होने तथा शासक वर्ग में फूट बढ़ने की संभावना है। अधिकतर पूर्वोत्तर देशों या राज्यों में यह योग अधिक कष्टकारी होगा। कहीं सत्ता में परिवर्तन की स्थिति भी पैदा होगी।

‘‘शनिवारायदापंच पाताले कम्पयते फणीः। ईशान देश भंगश्च वह्नि दाहो महर्घता।’’ इस मास पांच रविवारों का आना भी राजनीतिक मतभेदों व वैमनस्य के संकेत देता है तथा कहीं राजसत्ता भंग भी हो सकती है। यह योग उच्चाधिकारी वर्ग के लिए भी कष्टप्रद होगा।


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‘‘यत्र मासे रविवाराः जायन्ते पंचसततम्। दुर्भिक्षं छत्रभंगश्च वह्नि दाहो महर्घता।’’

2 दिसंबर को गुरु का उदय होना प्राकृतिक प्रकोपों का सूचक है। भूस्खलन आदि से जनमानस की हानि हो सकती है। 6 दिसंबर को शनि का वक्री गति में आना तथा मंगल का केंद्र अर्थात् चतुर्दश योग में रहना शासकों में राजनीतिक भेदभाव को और अधिक बढ़ा सकता है। ये लोग एक दूसरे के ऊपर अधिक कीचड़ उछालने की कोशिश में लग जाएंगे। इसी दिन शुक्र का भी धनु राशि में प्रवेश कर शनि से नवपंचम में आना आम जनता को भोग विलास की तरफ ले जाएगा। इस योग के कारण व्याभिचार की घटनाएं अधिक होंगी।

16 दिसंबर को सूर्य का धनु राशि में प्रवेश कर शुक्र के साथ संबंध बनाना वायु दुर्घटनाओं में वृद्धि का कारक है। यह योग देशों के बीच चल रहे शांति वार्तालापों के प्रयासों को ठेस पहुंचाएगा। 11 दिसंबर से 27 दिसंबर तक कालसर्प योग भी बना रहेगा। यह योग देश की प्रगति के चल रहे कार्यों में बाधक तो होगा ही, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी इन दिनों परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न करेगा। अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय व्यापारों में भी बाधा उत्पन्न करेगा।

सोना एवं चांदी: मासारंभ में मंगल का 2 दिसंबर को अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश कर अश्लेषा नक्षत्र को वेधना चांदी के बाजार में उतार-चढ़ाव अर्थात अस्थिरता पैदा करेगा, फिर भी बाजार को मंदे में ही ले जाएगा। लेकिन इसी दिन सूर्य का ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर अश्विनी, पुष्य और स्वाति नक्षत्रों को वेधना सोने में तेजी का सूचक है। 4 दिसंबर को बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश कर सूर्य, गुरु, मंगल व शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना चांदी में कुछ बदलाव लाकर तेजी के बाजार में ले जाएगा। इसी दिन गुरु का उदय होना सोने को मंदे की लहर में ले जा सकता है।

6 दिसंबर को बुध का अनुराधा नक्षत्र में आकर अश्लेषा नक्षत्र को वेधना चांदी को पुनः मंदे की लहर में ले जाएगा। इसी दिन शनि का वक्री गति में आना भी बाजार में मंदा ही दर्शाता है। 13 दिसंबर को केतु का पू. फा. नक्षत्र के चैथे चरण में प्रवेश कर पुष्य नक्षत्र को वेधना बाजारों में चल रहे मंदे के रुख को बढ़ाएगा। 14 दिसंबर को बुध अस्त होगा। इससे सोने में कुछ बदलाव अर्थात् तेजी आने की संभावना है।

15 दिसंबर को बुध ज्येष्ठा में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधेगा जिसे पहले से सूर्य और केतु भी वेध रहे हैं। यह योग बाजार में बनी तेजी की लहर में कुछ वृद्धि करेगा। 16 दिसंबर को शुक्र पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आकर आद्र्रा नक्षत्र को वेधेगा। इससे चांदी की तेजी में और वृद्धि हो सकती है। इसी दिन सूर्य का भी मूला नक्षत्र में आकर पुनर्वसु, चित्रा व रेवती नक्षत्रों को वेधना तथा पौष की संक्रांति का 15 मुहूर्ती में आना सोने में तेजी का योग बनाए रखेगा।

21 दिसंबर को मंगल ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधने लगेगा। यह चांदी में बने तेजी के रुख में फिर बदलाव देगा अर्थात बाजार को मंदे की तरफ ले जाएगा। शुक्रवार 22 दिसंबर को चंद्र दर्शन होना बाजार में तेजी का कारक है। 23 दिसंबर को बुध धनु राशि में प्रवेश कर सूर्य के साथ संबंध बनाएगा और मूला नक्षत्र में आकर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधेगा। यह योग सोने व चांदी में उतार चढ़ाव के साथ तेजी ही रखेगा।

27 दिसंबर को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आकर मृगशिरा नक्षत्र को वेधने लगना सोने व चांदी में पुनः मंदे की लहर उत्पन्न कर सकता है। 29 दिसंबर को सूर्य का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश कर आद्र्रा नक्षत्र को वेधना चांदी में तेजी लाएगा। 30 दिसंबर को शुक्र का मकर राशि में आ जाना चांदी के साथ-साथ सोने को भी कुछ तेजी में ले जाएगा।


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गुड़ व खांड: मासारंभ में 2 दिसंबर को मंगल का अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश कर अश्लेषा नक्षत्र को वेधना गुड़ में तेजी का सूचक है। इसी दिन सूर्य का भी ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश कर पुष्य नक्षत्र को वेधना खांड के बाजार को भी तेजी की तरफ ले जाने वाला है। 4 दिसंबर को बुध वृश्चिक राशि में प्रवेश कर सूर्य, मंगल, गुरु व शुक्र के साथ पंचग्रही योग बनाएगा। यह योग खांड को तेजी के रुझान में ही ले जाने वाला है।

इसी दिन गुरु का उदय होना गुड़ में कुछ बदलाव अर्थात मंदा लाएगा। 6 दिसंबर को बुध का अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश कर अश्लेषा नक्षत्र को वेधना और इसी दिन शुक्र का मूला नक्षत्र में आकर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधना तथा शुक्र का धनु राशि में प्रवेश होना ये सारे योग बाजारों में तेजी ही दर्शाते हैं। लेकिन इसी दिन शनि का सिंह राशि में वक्री गति में आना बाजार को दो तरफा भी ले जा सकता है। अतः बाजार के वर्तमान रुख को विशेष रूप से ध्यान में रखें।

14 दिसंबर को बुध का अस्त होना बाजार में थोड़ा बदलाव जरूर लाएगा। 15 दिसंबर को बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश कर पुष्य नक्षत्र को वेधने लगना पुनः बाजार में तेजी लाएगा। 16 दिसंबर को सूर्य का धनु राशि में प्रवेश हो रहा है और इसी दिन पौष मास की संक्रांति 15 मुहूर्ती है। मंगल का भी इसी दिन उदय हो रहा है। ये सारे योग गुड़ व खांड के बाजार में बदलाव जरूर लाएंगे अर्थात् गुड़ को मंदे की तरफ ले जाएंगे।

लेकिन इसी दिन सूर्य का धनु राशि में शुक्र के साथ राशि संबंध खांड में तेजी ही दर्शा रहा है। 21 दिसंबर को मंगल का ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधने लगना खांड के बाजार में मंदे का वातावरण उत्पन्न करेगा। शुक्रवार 22 दिसंबर को चंद्र दर्शन होना मंदा ही दर्शाता है। 24 दिसंबर को बुध का धनु राशि में प्रवेश कर सूर्य व शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना बाजार को मंदे की तरफ ही ले जाएगा। इसी दिन बुध का मूला नक्षत्र में आकर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधना भी खांड में मंदा ही दर्शाता है।

27 दिसंबर को शुक्र उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश कर मृगशिरा नक्षत्र को वेधेगा। यह योग चल रही मंदे की लहर को बनाए रखेगा। 29 दिसंबर को सूर्य का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आकर आद्र्रा नक्षत्र को वेधने लगना गुड़ में तेजी का सूचक है। 30 दिसंबर को शुक्र का मकर राशि में प्रवेश गुड़ व खांड में तेजी दर्शाता है। अनाज तथा दालवान: मासारंभ में 2 दिसंबर को मंगल का अनुराधा नक्षत्र में आकर अश्लेषा नक्षत्र को वेधना गेहूं, जौ, चना, चावल इत्यादि अनाजों में तेजी के संकेत देता है।

इसी दिन सूर्य का भी ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधना मूंग, मौठ, उड़द, अरहर इत्यादि दालवान में भी तेजी ही दर्शाता है। 4 दिसंबर को बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश कर सूर्य, मंगल, गुरु व शुक्र के साथ मिलकर पंचग्रही योग बनाना बाजारों में तेजी का सूचक है। इसी दिन गुरु का उदय होना भी तेजी की चमक को और बढ़ाएगा।


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6 दिसंबर को बुध का अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश कर अश्लेषा नक्षत्र को वेधने लगना गेहूं,, जौ, ज्वार इत्यादि अनाजों में चल रही तेजी को और बढ़ाएगा। इसी दिन शुक्र का धनु राशि में प्रवेश होना तथा मूल नक्षत्र में आकर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधना मूंग, मौठ इत्यादि दालवान में तेजी का कारक बनेगा। 6 दिसंबर को ही शनि का वक्री गति में आना उड़द इत्यादि दालों में मंदा लाएगा। 13 दिसंबर को केतु का पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बैठकर पुष्य नक्षत्र को वेधना भी बाजार की तेजी को बरकरार रखेगा।

14 दिसंबर को बुध ग्रह अस्त हो रहा है जो अनाजों में चल रही तेजी में बदलाव लाकर मंदे की तरफ ले जाएगा। 15 दिसंबर को बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधना दालवान की तेजी की लहर में बदलाव लाकर मंदे के रुख में ले जाने वाला योग है।

16 दिसंबर को सूर्य का धनु राशि में प्रवेश कर शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना तथा इसी दिन शुक्र का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आकर आद्र्रा नक्षत्र को वेधना ये सारे योग अनाजों व दालों में कुछ तेजी की स्थिति उत्पन्न करेंगे। लेकिन इसी दिन मंगल का भी उदय होना बाजार को बाद में तेजी के वातावरण में ही ले जा सकता है। 21 दिसंबर को मंगल का ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश कर पुष्य नक्षत्र को वेधना भी तेजी का ही सूचक है।

24 दिसंबर को बुध का मूला नक्षत्र में प्रवेश कर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधने लगना अनाजों में तेजी का वातावरण बनाए रखेगा। लेकिन धनु में सूर्य व बुध का संबंध दालवान में मंदा ही बनाएगा। 27 दिसंबर को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश कर मृगशिरा नक्षत्र को वेधना बाजार में मंदे का सूचक है। 29 दिसंबर को सूर्य का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश कर आद्र्रा नक्षत्र को वेधने लगना बाजार में मंदे का माहौल बनाएगा।

30 दिसंबर को शुक्र का मकर राशि में प्रवेश अनाज व दालवान के बाजार को तेजी के वातावरण में ले जाएगा। घी व तेलवान: मासारंभ में 2 दिसंबर को मंगल का अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश कर अश्लेषा नक्षत्र को वेधना तेलों में तेजी दर्शाता है। इसी दिन सूर्य का ज्येष्ठा नक्षत्र में बैठकर अश्विनी, पुष्य व स्वाति को वेधने लगना घी में मंदे की संभावना का सूचक है।

4 दिसंबर को बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश कर सूर्य, मंगल, गुरु व शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना तेल, तेलवान व घी के बाजार में तेजी का कारक है। इसी दिन गुरु का उदय होना भी तेजी ही बनाए रखेगा। 6 दिसंबर को शुक्र का धनु राशि में प्रवेश करना तथा मूला में बैठकर पुनर्वसु को वेधना घी में मंदा ही बनाएगा। इसी दिन बुध का अनुराधा नक्षत्र में आकर अश्लेषा को वेधना तेलों की तेजी को बरकरार रखेगा।

13 दिसंबर को केतु पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चैथे चरण में प्रवेश कर अश्विनी नक्षत्र को वेधना शुरू करेगा। यह योग तेल, तेलवान व घी में तेजीदायक है। 15 दिसंबर को बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधना भी घी में तेजी की लहर बनाएगा। 16 दिसंबर को सूर्य का शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना घी के बाजार की तेजी को और बढ़ाएगा। इसी दिन मंगल का उदय होना तथा सूर्य का मूला नक्षत्र में बैठकर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधने लगना तेलों के बाजार में कुछ बदलाव ला सकता है।

फिर भी बाजार की वर्तमान स्थिति को विशेष रूप से ध्यान में रखें। 21 दिसंबर को मंगल ज्येष्ठा नक्षत्र में आकर पुष्य नक्षत्र को वेधने लगेगा, जो तेल व तेलवान पदार्थों में तेजीदायक है। 22 दिसंबर को शुक्र का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आकर आद्र्रा नक्षत्र को वेधने लगना तेलों व घी में मंदा बनाएगा। 23 दिसंबर को बुध का मूला नक्षत्र में आकर पुनर्वसु नक्षत्र को वेधने लगना घी में चल रही मंदे की लहर को और आगे बढ़ाएगा।


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27 दिसंबर को शुक्र का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश कर मृगशिरा नक्षत्र को वेधना घी के साथ-साथ तेलों में भी मंदा ला सकता है। 29 दिसंबर को सूर्य का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश कर आद्र्रा नक्षत्र को वेधना तेलों में पुनः तेजी का रुख बनाएगा। 30 दिसंबर को शुक्र का मकर राशि में प्रवेश करना तथा शनि से षडाष्टक योग में आना घी में पुनः तेजी का सूचक है। उपर्युक्त फलादेश पूरी तरह ग्रह स्थिति पर आधारित है।

पाका बेहतर मार्गदर्शन ही इसका मुख्य उद्देश्य है। कोई निर्णय लेने से पहले निवेशक को उन अन्य संभावित कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए, जो बाजार को प्रभावित करते हैं। कृपया याद रखें कि व्यापारी की सट्टे की प्रवृत्ति और निर्णय लेने की शक्ति में कमी तथा भाग्यहीनता के कारण होने वाले नुकसान के लिए लेखक, संपादक एवं प्रकाशक जिम्मेवार नहीं हैं।



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