आयुर्वेद विज्ञान में व्यक्तित्व विकास की अवधारणा
आयुर्वेद विज्ञान में व्यक्तित्व विकास की अवधारणा

आयुर्वेद विज्ञान में व्यक्तित्व विकास की अवधारणा  

आशुतोष तिवारी
व्यूस : 7960 | जनवरी 2006

आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान कहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि यह विज्ञान मात्र शारीरिक संरचना, स्वास्थ्य संवर्धन का ही विवेचन नहीं करता, अपितु मनुष्य के आर्थिक, सामाजिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्वास्थ्य की विवेचना भी इसका उद्देश्य है। कहा है: ”शरीरेन्द्रिय सत्वात्म संयोगो आयुः“ शरीर के साथ सत्वात्म की विवेचना ही व्यक्तित्व विवेचना है। सत्वात्म का विभिन्न परिमाणों में सम्मिश्रण ही व्यक्तित्व के बहुविध स्वरूपों का प्रदर्शन है।

इस व्यक्तित्व के विकास के लिए स्वतंत्र रूप से भूत विद्या नामक चिकित्साशास्त्र की अवधारणा संहिताकारों ने की जिसका मूल स्रोत अथर्ववेद की अथर्वण परंपरा से संभवतः गृहीत किया गया है। क्या है व्यक्तित्व: मानस के विभिन्न क्रिया व्यापार के परिणामस्वरूप व्यवहार के रूप में प्राप्त जो विचार है उसे व्यक्तित्व कहते हैं। कुछ विद्वान ”मनोविचय“ को व्यक्तित्व के रूप में स्वीकार किया है। जिस प्रकार शारीरिक क्रियाओं को समझाने के लिए शरीरविचय की आवश्यकता होती है वैसे ही मानस व्यापार के माध्यम से मनोविचय का परिज्ञान होता है। व्यक्तित्व का आभास मनोविचय के माध्यम से भी होता है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


मनस स्वयं अतींद्रिय है इसलिए उसके व्यापार दृष्ट एवं अदृष्ट दोनों प्रकार के होते हैं। इस सूक्ष्म एवं अतींद्रिय मनस के व्यापारों को समझने के लिए चित्त, बुद्धि, अहंकार के विषय का ज्ञान कर व्यक्तित्व ज्ञान किया जाता है। कहा भी है: ”शरीर विचयः शरीरोपकारार्थमिष्यते। ज्ञात्वा हि शरीरतत्वं शरीरोपकारकेषुभावेषु ज्ञानमुत्पद्यते। तस्मात् शरीरविचयं प्रशंसन्ति कुशलाः। चरकसंहिता शारीर 6/3 सभी दर्शन के आचार्य मनस का अस्तित्व स्वीकार करते हैं लेकिन मन के निष्क्रियत्व, क्रियत्व, विभुत्व, अविभुत्व निर्विकार और चिदंश स्वरूप को मानने में एकमत नहीं हैं। मानस के संगठन में संस्कार या संस्कार पुंज का विशेष स्थान है। संस्कार प्रत्येक जीवन के अनुभवों के आधार पर सत्व, रज और तम गुणों से संपृक्त होते हैं। मानस की रचना एवं क्रिया में संस्कार कोषों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसे हम मानस व्यापार के द्वारा समझ सकते हैं।

आचार्य चरक का मत है कि मन अचेतन होने पर भी क्रियाशील है और उसको चैतन्यांश आत्मा से प्राप्त होता है। कहा भी है: अचेतनं क्रियावच्चमश्चेतयिता परः, युक्तस्य मनसा तस्य निर्दिश्यन्ते विभोः क्रियाः। चेतनावान् यतश्चात्मा ततः कत्र्तानिगद्यते, अचेतनत्वाच्च मनः क्रियावदपिनोच्यते। जिस प्रकार देह या शरीर के निर्माण में त्रिदोषों का महत्व है उसी प्रकार महागुणों का महत्व ‘मानस प्रकृति’ या ‘व्यक्तित्व’ निर्माण में स्वीकार किया गया है। महागुण या सत्व, रजस् या तमस गुणों का प्राधान्य ही व्यक्तित्व या मानस प्रकृति का परिचायक है। यह प्रकृति या व्यक्तित्व आचार्य वाग्भट्ट के अनुसार शुक्र आत्र्तव के माध्यम से प्राप्त होता है। यथाः शुक्रात्र्तवस्थैर्जन्मादौविषेणैव विषीक्रिमे, तैश्च तिस्र प्रकृतियोः हीन मध्योत्तमापृथक्। मातरं पितरं चैके मन्यन्ते जन्मकारणम् स्वभावं परनिर्माणं यदृच्छाचापरे जनाः। आचार्य सुश्रुत ने प्रकृति की परिभाषा करते हुए बतलाया है कि शुक्र शोषित संयोग में जो दोष प्रबल होता है उसी से प्रकृति उत्पन्न होती है।

कहा भी है ”प्रकृतिर्नाम जन्ममरणान्तराल भाविनी गर्भावक्रान्ति समये स्वकारणोद्रेक जनिता निर्विकारिणी दोषस्थितिः।“ व्यक्तित्व या प्रकृति प्रकार एवं विनियोग: आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन धातु साम्य है, अतः प्रकृति का अर्थ धातु साम्य के साथ ही सन्निहित है। जब प्रकृति का अर्थ स्वभाव किया जाता है तब इससे शरीर और मानस व्यक्तित्व का ग्रहण किया जाता है। स्वभावदृष्टया शरीर मानस प्रकृति और देह प्रकृति का परिचायक है। आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इन दोनों प्रकार की प्रकृतियों का निर्माण गर्भावस्था में ही होता है।

यह पोषण पंचमहाभूतात्म, षडरसात्मक आहार जो माता ग्रहण करती है उसी के अंश से गर्भ को प्राप्त होता है। आचार्य चरक ने चरक संहिता सूत्रस्थान 1/5 में कहा है कि शरीर में ऐसा कोई भी पदार्थ नहीं है जिसकी त्रिदोषों या पंच महाभूतों से उत्पत्ति न हुई हो। आचार्य सुश्रुत ने भी पंचमहाभूतों/त्रिदोषों को शरीर की प्राथमिक इकाई के रूप में स्वीकार किया है और ये ही शरीर के सामान्य क्रिया व्यापार को नियमित करते हैं। व्यक्तित्व या मानस प्रकृति के प्रतिनिधित्व के रूप में सत्व, रजस और तमस को भी आधार रूप में मानते हैं।

अतः यहां पर यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि सत्व, रज एवं तम पंचमहाभूतों या त्रिदोषों से अलग नहीं हैं। डाॅ. ए. लक्ष्मीपति का मत है कि त्रिदोष या पंचमहाभूत अथवा महागुण (सत्व, रज, तम) शरीर कोशिकाओं के चारों ओर स्थित होते और उन्हें ठोस, गैस और द्रव रूपात्मक द्रव्यसत्ता से पोषण प्रदान करते हैं। आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिक क्रिया का सुव्यवस्थित, एवं पारदर्शी स्वरूप मिलने के कारण और प्रत्यक्ष प्रमाण से अधिकाधिक ज्ञापित होने के कारण इसे ‘न्यूरोह्यूमर्स’ के रूप में प्रतिपादित करते हैं। आयुर्वेदीय संहिताओं में इस तरह के भी संदर्भ हैं कि गर्भधारण से पूर्व एवं धारण के पश्चात जिस प्रकार के आचार-विचार, व्यवहार, खान-पान का प्रयोग मां करती है उसका भी प्रभाव गर्भ पर पड़ता है।

आधुनिक विज्ञानवेत्ता भी इससे सहमत हैं। व्यक्तित्व एवं ज्योतिष विज्ञान: आयुर्वेद की प्रमुख संहिताओं चरक सुश्रुत एवं अष्टांग संग्रह और अष्टांग हृदय सहित संहितेतर ग्रंथों में शरीरशास्त्र औषधि ग्रहण एवं प्रयोग विधि, निर्माण विधि के संदर्भ में ज्योतिषीय आधारों को ग्रहण करने का निर्देश दिया गया है। ज्योतिषशास्त्र का आधार मुख्य रूप से ग्रहों, नक्षत्रों को माना गया है और इनका ही ‘जातक’ के जन्मकाल, स्थान विशेषादि से गणितीय गणना के आधार पर आकलन कर सुखासुख विवेक निर्धारित किया जाता है।


जानिए आपकी कुंडली पर ग्रहों के गोचर की स्तिथि और उनका प्रभाव, अभी फ्यूचर पॉइंट के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यो से परामर्श करें।


सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, मंगल, शुक्र, राहु, शनि आदि कुंडली के अनुसार सुखासुख विवेक को प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक ग्रह का अपना नैसर्गिक फल होता है। भावाधीश फल का लग्नेश के अनुसार फल बदल जाता है। इसी को आधार मानकर आयुर्वेद के आचार्य साध्यासाध्य व्याधि का विचार कर सकते हैं। अनेक असाध्य व्याधियों का उल्लेख भी है जिनकी साध्यासाध्यता औषधि प्रयोग और ज्योतिषीय फलादेश के आधार पर निश्चित की जा सकती है।

यह बात महत्वपूर्ण है कि जहां आयुर्वेद विज्ञान कार्य कारण सिद्धांत के अनुसार शरीराभिनिवृत्ति, द्रव्यमनि निवृत्ति, रोगारोग्य कारणों सहित व्यक्तित्व का प्रतिवादन करता है वहीं ज्योतिष विज्ञान संभावनाओं के आधार पर जातक के गुणावगुणों और दुःख-सुखादि भावों को बताने में समर्थ है। अतः दोनों विज्ञानों का समन्वय कर चिकित्सा जगत की समस्याओं का निवारण किया जा सकता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.