बिहार के 14वें विधान सभा चुनाव 2005 में श्री नीतिश कुमार की जनतादल यूनाइटेड सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और राजग ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर सरकार गठित की। 24 नवंबर, 2005 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भारी जन सैलाव के समक्ष श्री नीतिश कुमार ने एन.डी.ए. सरकार की कमान संभाली। श्री कुमार ने 3 मार्च, 2000 को भी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी लेकिन विधान सभा सदस्यों का पर्याप्त समर्थन न मिल पाने के कारण मात्र सात दिन की अल्पायु में उनकी सरकार ने दम तोड़ दिया।
आइए, दोनों शपथ ग्रहण कुंडलियों की तुलना कर देखें कि इस बार की नीतिश सरकार क्या अपना कार्यकाल पूरा करेगी? 13वें विधान सभा चुनाव 2005 के बनिस्वत इस बार जनता ने जिन आकांक्षाओं को जेहन में रखकर राजग गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिया, क्या उन आकांक्षाओं की पूर्ति हो सकेगी?
सर्वप्रथम श्री नीतिश कुमार की जन्मकुंडली पर विचार करें कि वे किन ग्रह स्थितियों में सत्ता प्राप्त करने में सफल हुए। श्री कुमार का जन्म गुरुवार 1 मार्च, 1951 को ज्येष्ठा नक्षत्र के मिथुन लग्न और धनु नवांश में हुआ। उस दिन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी और उस समय वज्र योग के बुध की महादशा चल रही थी। नीतिश कुमार की कुंडली में चंद्रमा और गुरु एक दूसरे से केंद्र में हंै और यह स्थिति गजकेसरी राजयोग बना रही है। यद्यपि चंद्रमा नीच राशि में है तथापि नीच भंग होकर नीचभंग राजयोग बना रहा है। कुंडली में केंद्र में उच्च का शुक्र पंचमहापुरुष का मालव्य योग बना रहा है।
14वीं विधान सभा पर बुध का प्रभाव था और नीतिश कुमार की कुंडली का चतुर्थेश बुध है। चतुर्थ भाव जनता का भाव है, अतः जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए चतुर्थ और चतुर्थेश का शुभ स्थिति में रहना आवश्यक है। चतुर्थेश बुध भाग्य भाव में सूर्य के साथ होकर बुधादित्य योग बना रहा है। चतुर्थेश बुध और भाग्येश शनि में राशि परिवर्तन का संबंध है। चतुर्थ भाव पर महादशा नाथ (वर्तमान) मंगल और उच्च शुक्र की दृष्टि है। लग्नेश भी बुध है और वह भाग्य भाव में है, अतः बुध से प्रभावित चुनाव ने जातक को भाग्यशाली बनाया। दशमेश का भाग्य भाव में जाना भी अच्छा है। वर्तमान बिहार राज्य 14 नवंबर 2000 की अर्द्धरात्रि को 243 सीटों के साथ शेष रह गया।
इस तिथि पर जहां बुध का प्रभाव है वहीं सीट संख्या 243 पर मंगल का प्रभाव है। वर्तमान में जातक पर मंगल की महादशा है जो चुनाव के दरम्यान भी चल रही थी। तीसरा भाव विधान सभा का है। इसके बलवान होने से विधान सभा के सदस्यों का समर्थन मिलता है। तृतीयेश सूर्य ंहै। सूर्य की अपनी राशि पर दृष्टि के साथ बुध, गुरु व राहु की दृष्टि है। इस तरह तृतीय भाव बलवान दिख रहा है। शनि प्रजातंत्र का प्रतिनिधि ग्रह है। यह जब शुभ होता है, तो जातक समाज के उत्थान और समाज के निम्न वर्ग के कल्याण के लिए कार्य करना अपना प्रथम कर्तव्य समझता है। मिथुन लग्न की कुंडली के लिए शनि भाग्येश होने से शुभ होता है।
भाग्येश शनि जनता के भाव में बुध की राशि में बैठा है और उच्च शुक्र से उसका दृष्टि संबंध है। ‘रजत पाद’ के कारण शनि का गोचर शुभ फलदायक होकर चुनाव कार्य में सफलता देने वाला सिद्ध हुआ। मंगल साहस, कार्य करने और स्पर्धा में भाग लेने की शक्ति देता है। षष्ठ भाव प्रतिस्पर्धा का भाव भी है। श्री कुमार का राशि स्वामी मंगल है और षष्ठेश भी मंगल है, जिसकी वर्तमान में महादशा चल रही है। नवम भाव भाग्य, सुख व राजतिलक का भाव है। इस भाव में चार ग्रहों की उपस्थिति और नवमेश के चतुर्थ भाव में जाने के कारण केंद्र-त्रिकोण का संबंध बना है। इस तरह नवम भाव बली है। चंद्रमा जनता का प्रतिनिधि ग्रह है, इसके शुभ होने पर जनता से प्यार, सम्मान व सहायता प्राप्त होती है।
चंद्रमा बुध के नक्षत्र में है और बुध का प्रभाव चुनाव पर व्यापक था। लग्न से वृहस्पति का गोचर शुभ और राशि से भी ‘रजत पाद’ के कारण हर प्रकार से उन्नति, जनता की सहायता से प्रगति एवं मान-सम्मान की वृद्धि करने वाला साबित हाुआ। शपथ ग्रहण कुंडली 3 मार्च, 2000 श्री कुमार ने 3 मार्च, 2000 को शुक्रवार को श्रवण नक्षत्र में सिंह लग्न और मकर राशि में शपथ ली थी। इस कुंडली में लग्न और लग्नेश स्थिर राशि में हैं लेकिन राशि और राशि स्वामी चर राशि के हैं। विधान सभा के भाव तृतीय भाव का स्वामी शुक्र पीड़ित है, राहु-केतु की धुरी में है, और यहीं से कालसर्पयोग निर्मित हो रहा है। तृतीय भाव पर अष्टमस्थ मंगल की अष्टम दृष्टि भी पड़ रही है।
प्रजातंत्र का ग्रह शनि नवम भाव में नीच राशि में है, जहां से चंद्रमा पर दृष्टिपात कर रहा है। चंद्रमा षष्ठ भाव में पीड़ित अवस्था में है। शपथ ग्रहण नक्षत्र भी चर संज्ञक नक्षत्र है। मुहुर्त विज्ञान के अनुसार चंद्रमा षष्ठ भाव में पीड़ित अवस्था में हो तो बालारिष्ट मृत्यु देता है अर्थात कम समय में सरकार गिर जाती है। ऐसा ही हुआ। शपथ ग्रहण कुंडली, 24 नवंबर 2005 श्री कुमार ने 24 नवंबर, 2005 गुरुवार को तिथि अष्टमी, पक्ष कृष्ण, नक्षत्र मघा, लग्न कुंभ और सिंह राशि में शपथ ली। शपथ ग्रहण लग्न स्थिर राशि का है लेकिन लग्न स्वामी षष्ठ भाव में चर राशि में है। लग्नेश पाप ग्रह का षष्ठ भाव में जाना शुभ है। शपथ ग्रहण की राशि स्थिर राशि है और राशि स्वामी सूर्य स्थिर राशि में दशम भाव में है।
पंचमेश बुध दशम भाव में सूर्य के साथ है। कंेद्र-त्रिकोण संबंध के साथ दशम भाव में बुधादित्य योग राजनिर्णय के लिए बहुत अच्छा है जो बौद्धिक कुशलता से राजपाट चलाना दर्शाता है। विधान सभा का भाव तीसरा भाव बलवान होने से विधान सभा के सदस्यों का रुख सहयोगात्मक बनाता है। तृतीयेश का मेष राशि में होना, तृतीयेश मंगल का तृतीय भाव में होना और उस पर गुरु की पंचम दृष्टि सब तृतीय भाव को बलवान बनाते हंै। सूर्य का मंगल की राशि में होना और मंगल से दृष्ट होना तथा सूर्य, जो राज्य का प्रतीक ग्रह है, का राज्य भाव (कर्म भाव) में होना सब राजनीति में सफलता की सीढ़ी प्रदान करते हैं।
मुहूर्त विज्ञान के अनुसार वृहस्पति का नवम एवं चंद्र का सप्तम में होना राज्याभिषेक मुहूर्त के लिए अच्छा है। शपथ ग्रहण कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि गुरुवार को हुआ। यही तिथि, पक्ष एवं वार श्री कुमार की जन्मतिथि को भी है। मघा नक्षत्र में शत्रु को पराजित करने का कार्य प्रारंभ करना अच्छा माना गया है। उपर्युक्त तथ्यों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि श्री कुमार की सरकार पूर्णायु को प्राप्त हो सकेगी।