जून मास में गोचर ग्रह परिवर्तनः इस मास में ग्रहों का राशि परिवर्तन इस प्रकार होगा। सूर्य ग्रह 15 जून को प्रातः 9 बजकर 45 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। बुध ग्रह 20 जून को शाम 5 बजकर 35 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र ग्रह 19 जून को प्रातः 3 बजकर 29 मिनट पर वृष राशि में प्रवेश करेगा। यूरेनस ग्रह 19 जून को शाम के 5 बजकर 55 मिनट पर वक्री गति में आ जाएगा। शेष ग्रह मंगल, गुरु शनि, राहु, केतु, प्लूटो और नेप्च्यून की स्थिति पूर्ववत ही रहेगी।
गोचर फल विचार: मासारंभ वाले दिन अर्थात 1 जून को गुरुवार है और इस मास में पांच गुरुवार आएंगे। फलस्वरूप जनसाधारण वर्ग को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। पश्चिमी देशों और प्रदेशों में इसके अनिष्ट फल अधिक होने से जन मानस के लिए भय और कष्टदायक रहेगा। यत्र मासे पंचवारा जायंते च बृहस्पतिः। विग्रह पश्चिमे देश खड्ग युद्ध च जायंते।।’’ साथ ही इस मास में पांच शुक्रवार का भी आना सुख और शांति के साधनों में समृद्धिदायक है।
यह योग जनसाधारण को विलासमय जीवन की तरफ आकर्षित करता है अर्थात जनमानस में अधिक फुर्तीलापन लाता है। यह योग स्त्री वर्ग के प्रभुत्व को और भी बढ़ाएगा। ‘‘शुक्रस्य पंचवाराः स्ययुयत्र प्रवर्तते। प्रजा वृद्धि सुभिज्ञं च सुख तत्र प्रवर्तते।।’’ मासारंभ में ही मंगल, शनि का कर्क राशि में संयोग बने रहना प्राकृतिक आपदाओं के अधिक होने का संकेत करता है, कहीं अग्निकांड व अधिक आंधी, तूफान से जन मानस को पीड़ा देता है।
मौसम में अधिक तापमान बढ़ने से जनता में त्राहि-त्राहि करवाता है तथा भारत के पड़ौसी देशों में राजनैतिक उथल-पुथल से भी स्थिति को बिगाड़ेगा। मासारंभ में ही गुरु, शुक्र का समसप्तमक योग में होना उतर-पश्चिम प्रांतों एवं देशों में रोग और शोक अधिक दर्शाता है।
15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश होकर मंगल, शनि से त्रिएकादश योग में आ जाना प्राकृतिक प्रकोप अधिक लाता है। ईशान प्रांतांे एवं देशों में प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन की हानि की तरफ संकेत करता है। 19 जून को यूरेनस का वक्री गति में आना सीमाओं पर पुनः अशांति का वातावरण बनाएगा। यह योग कहीं राजनैतिक परिवर्तन का भी बनाता है। 20 जून को बुध का कर्क राशि में मंगल, शनि से संबंध बनाना कही अधिक वर्षा इत्यादि प्राकृतिक आपदाओं से हानि तथा कहीं सूखे से खड़ी फसलों का नुक्सान करता है।
सोना और चांदी: मासारंभ में 2 जून को गुरु का वक्री गति की चाल चलते हुए स्वाति नक्षत्र के तीसरे चरण में पुनः प्रवेश करना सोने व चांदी में मंदे का रुख दिखाता है। 3 जून को शनि का पुष्य नक्षत्र के चैथे चरण में प्रवेश होना बाजार में मंदे के वातावरण को आगे बढ़ाता है।
4 जून को बुध का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र को वेध में लेना भी सोने में चल रहे मंदे को और बढ़ावा देता है। इसीदिन शुक्र का भरणी नक्षत्र में प्रवेश कर मघा नक्षत्र को वेधना चांदी में भी मंदे की तरफ संकेत करता है।
8 जून को राहु का उभा. नक्षत्र के प्रथम चरण में आना, यह योग चांदी में उतार-चढ़ाव बनाए रखेगा। इसीदिन सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करना सोने में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ बाजार में मंदा ही बनाएगा।
12 जून को बुध का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्र चक्र में मूल नक्षत्र को वेधना तथा इस पर गुरु की भी दृष्टि का होना यह योग बाजार में पूर्व बन रहे मंदे के रुझान को और बढ़ावा देता है।
15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश कर बुध के साथ राशि संबंध बनाना तथा इस पर गुरु की दृष्टि का आना सोने व चांदी के बाजार में बदलाव अर्थात तेजी के वातावरण में ले जाने वाला योग है।
16 जून को शुक्र का कृत्तिका नक्षत्र में प्रवेश कर श्रवण नक्षत्र को वेध में लेना चांदी में तेजी का ही योग चलाएगा।
19 जून को शुक्र का वृष राशि में प्रवेश करना भी सोने के बाजार की तेजी को बरकरार रखता है, सूर्य से द्वादश होने पर चांदी में कुछ मंदे का ही योग चलाएगा। यह अपना प्रभाव सोने में भी कुछ मंदे की तरफ छोड़ेगा।
20 जून को बुध का कर्क राशि में प्रवेश कर शनि व मंगल के साथ राशि संबंध बनाना बाजार में अपना प्रभाव उतार-चढ़ाव के साथ तेजी के ही वातावरण में रखेगा।
21 जून को मंगल का अश्लेषा नक्षत्र में आकर अनुराधा नक्षत्र को वेधना चांदी में पुनः मंदे की लहर बना देगा।
22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जाना बाजार में अपना प्रभाव मंदे की तरफ ही बनाता दिख रहा है।
24 जून को बुध का पुष्य नक्षत्र में प्रवेश होना और शनि का पहले से ही इस नक्षत्र पर रहना तथा ज्येष्ठा को वेधना सोने व चांदी में मंदे के रुझान को आगे चलाएगा।
27 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना, इसीदिन चंद्र दर्शन 30 मुहूर्ती होना सोने व चांदी में मंदे की लहर को और बढ़ावा देता दिख रहा है
गुड़ और खांड: मासारंभ में 2 जून को गुरु का वक्री गति से स्वाति नक्षत्र के तीसरे चरण पर प्रवेश करना खांड में मंदे का ही कारक है। गुरु पर शनि की दृष्टि में मंगल का समावेश गुड़ के बाजार में तेजी ही बनाएगा।
3 जून को शनि का पुष्य नक्षत्र के चैथे चरण में आना तथा इसीदिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र को सर्वतोभद्र चक्र में वेधना भी खांड में मंदे का वातावरण बनाए रखता है। यह योग गुड़ में भी मंदे का सूचक है।
4 जून को शुक्र का भरणी में प्रवेश कर मघा को वेधना तथा इस पर गुरु व शनि की दृष्टि का बने रहना खांड के बाजार में कुछ बदलाव लाएगा अर्थात तेजी के रुख में ले जाएगा।
8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश होकर चित्रा, उतराषाढ़ व रेवती नक्षत्रों को एक साथ वेधना खांड के बाजार में पूर्ववत बन रही तेजी को और बढ़ावा देता है। इसीदिन राहु का उतराभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण में आ जाना भी बाजार में उतार-चढ़ाव अधिक बनाता है।
12 जून को बुध ग्रह पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर मूल को वेधेगा जो बाजार को अस्थिरता के साथ-साथ तेजी के वातावरण में ही रखेगा।
15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश कर बुध के साथ राशि संबंध बनाएगा और इस पर गुरु की पूर्ण दृष्टि भी होगी। यह योग गुड़ व खांड में तेजी का कारक है।
16 जून को शुक्र का कृत्तिका नक्षत्र में प्रवेश कर श्रवण नक्षत्र को वेधना खांड में कुछ मंदा लाने की संभावना बनाता है।
19 जून को शुक्र का वृष राशि में प्रवेश करना गुड़ में तेजीदायक है, साथ ही खांड को पूर्ववत तेजी में ही चलाएगा।
20 जून को बुध का कर्क राशि में प्रवेश कर शनि व मंगल के साथ राशि संबंध बनाना, यह योग बाजार को उतार-चढ़ाव के साथ मंदे की लहर में ले जाने वाला है।
21 जून को मंगल का अश्लेषा नक्षत्र में आकर अनुराधा को वेधना खांड में मंदा ही दर्शा रहा है।
24 जून को बुध पुष्य नक्षत्र पर आएगा। इसी नक्षत्र पर शनि पहले से ही ज्येष्ठा नक्षत्र को वेध में ले रहा है। यह योग खांड को पूर्ववत मंदे के रुख में रखेगा।
27 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित को वेधना गुड़ व खांड में पूर्ववत मंदे का ही कारक है। अनाज और दालवान: मासारंभ में 2 जून को वक्री गति की चाल चलते हुए गुरु ग्रह का स्वाति नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करना अनाज व दालवान में मंदे का ही कारक है।
3 जून को शनि का पुष्य नक्षत्र के चैथे चरण में प्रवेश गेहूं, जौ चना, ज्वार इत्यादि अनाजों में चल रहे मंदे को और आगे बढ़ाता है। इसीदिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश होकर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र को वेधना मूंग, मौठ, उड़द, अरहर इत्यादि दालों में मंदे का रुख बनाएगा।
4 जून को शुक्र का भरणी नक्षत्र में प्रवेश होकर मूल नक्षत्र को वेधना भी दालवान में मंदे को आगे बढ़ाता है।
8 जून को सूर्य का मृगशिरा में प्रवेश होना तथा चित्रा, उत्तराषाढ़ व रेवती नक्षत्रों को एक साथ वेध में लेना अनाजों में बदलाव अर्थात गेहूं इत्यादि अनाजों को तेजी के रुझान में ले जाएगा।
12 जून को बुध का पुनर्वसु नक्षत्र में आकर मूल नक्षत्र को वेधना गेहूं, जौ, चना, ज्वार इत्यादि अनाजों में पुनः मंदे का योग बनाएगा। यह योग दालवान में भी उतार-चढ़ाव अधिक करेगा।
15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में आकर बुध के साथ राशि संबंध बनाना, इस पर गुरु की पूर्ण दृष्टि का होना अनाजों तथा दालवान के बाजार में तेजी की लहर पैदा करता है।
16 जून को शुक्र का कृत्तिका नक्षत्र में आकर श्रवण नक्षत्र को वेधना बाजार की पूर्व तेजी को आगे लेकर जाता है।
19 जून को शुक्र का वृष राशि में प्रवेश होना अनाज के बाजार में पुनः मंदे का योग बनाएगा लेकिन दालवान को पूर्ववत स्थिति में रखता है।
20 जून को बुध ग्रह कर्क राशि में प्रवेश कर मंगल व शनि के साथ राशि संबंध बना रहा है। यह योग अनाजों के बाजार में स्थिरता बना देगा।
21 जून को मंगल का अश्लेषा नक्षत्र में आकर अनुराधा नक्षत्र को वेधना, यह योग भी अनाजों में कुछ तेजी बनाएगा। लाल रंग की दालों में तेजी का वातावरण व अन्य में कुछ मंदे की तरफ बदलाव देगा
22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश होना अनाजों में तेजी को और बढ़ावा देता है।
24 जून को बुध का पुष्य नक्षत्र में प्रवेश तथा इस नक्षत्र पर पूर्व से ही शनि का स्थिर होना अनाजवान के बाजार में फिर से बदलाव लाएगा अर्थात मंदे का योग चलाएगा।
27 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना भी अनाजवान के बाजार में मंदे का ही कारक है। घी और तेलवान: मासारंभ में 2 जून को वक्री गति की चाल चलते हुए गुरु ग्रह का स्वाति नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश होना तेलवान व घी के बाजार में तेजी का ही सूचक है।
3 जून को पुष्य नक्षत्र के चैथे चरण में शनि का आ जाना तेलवान व घी के बाजार में पूर्व चल रही तेजी को और आगे बढ़ाएगा। इसीदिन बुध का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ को वेधना घी में भी तेजी का माहौल बनाएगा।
4 जून को शुक्र का भरणी नक्षत्र में प्रवेश कर मघा नक्षत्र को वेध में लेना तेलवान व घी में बदलाव लाएगा अर्थात बाजार को मंदे के माहौल में ले जाएगा। 8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश होना तथा चित्रा, उतराषाढ़ व रेवती नक्षत्रों को वेधना घी के बाजार में पुनः तेजी बना देगा। इसीदिन राहु का उतराभाद्रपद नक्षत्र पर चरण बदलना तेलों को अस्थिरता के साथ-साथ तेजी के रुख में रखेगा।
12 जून को बुध पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश होकर मूल नक्षत्र को वेध रहा है। यह योग तेलवान के बाजार में चल रहे रुख को बदलाव देगा अर्थात मंदे के माहौल में ले जाएगा
15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश कर बुध के साथ राशि संबंध बनाएगा और बाजार में कुछ तेजी का वातावरण बनाएगा।
16 जून को शुक्र का कृत्तिका नक्षत्र में प्रवेश कर श्रवण नक्षत्र को वेधना तेलों व घी में मंदा ही बनाता है।
19 जून को शुक्र का वृष राशि में आना व गुरु से समसप्तक योग को त्यागना बाजार में हल्का सा बदलाव दे सकता है।
20 जून को बुध का कर्क राशि में शनि के साथ अपना संबंध बनाना तेल, तेलवान के बाजार में उतार-चढ़ाव तो करता है लेकिन बाजार को मंदे के ही माहौल में रखता है।
21 जून को मंगल का अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश होना तथा अनुराधा को वेधना घी को और भी मंदे में ले जाएगा।
24 जून को पुष्य नक्षत्र पर बुध का आना तथा शनि का पहले से ही पुष्य नक्षत्र पर रहना तेल, तेलवान व घी में मंदे को और बढ़ावा देता है।
27 जून को शुक्र का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होना तथा अभिजित नक्षत्र को वेधना भी तेलों तथा घी में पूर्व चल रहे मंदे के वातावरण को और आगे बढ़ाता है। उपर्युक्त फलादेश पूरी तरह ग्रह स्थिति पर आधारित है। पाठकों का बेहतर मार्गदर्शन ही इसका मुख्य उद्देश्य है।
कोई निर्णय लेने से पहले निवेशक को उन अन्य संभावित कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए, जो बाजार को प्रभावित करते हैं। कृपया याद रखें कि व्यापारी की सट्टे की प्रवृत्ति और निर्णय लेने की शक्ति में कमी तथा भाग्यहीनता के कारण होने वाले नुकसान के लिए लेखक, संपादक एवं प्रकाशक जिम्मेवार नहीं हैं।