धन लाभ खुशहाली हेतु
- यदि विशेष धन प्राप्ति की इच्छा हो तो चैदहमुखी रुद्राक्ष स्वर्ण में जड़वाकर मंगलवार को सुबह के समय किसी शुद्ध पात्र में लाल पुष्पों के आसन पर स्थापित करके दूध, दही, घी, मधु, शक्कर से बारी-बारी से गंगा जल या शुद्ध ताजे जल से स्नान कराकर धूप, दीप से पूजन करके सोने की चेन या लाल धागे में गले में धारण करें तथा निम्न मंत्र का 42 दिन तक एक माला नित्य जप करें। मंत्र: ¬ ह्रीं नमः मम गृहे धनं कुरु कुरु स्वाहा।
- स्थिर लक्ष्मी तथा यश प्राप्ति के लिए संपूर्ण श्री यंत्र को अपने घर में गंध, अक्षत, धूप, दीप से पूजन करके घर की उत्तर दिशा में स्थापित करें तथा यंत्र के सम्मुख बैठकर निम्न मंत्र का 49 दिन तक एक माला नित्य जप करें। यह प्रयोग शुक्रवार, सर्वार्थ सिद्धि योग गुरु पुष्य योग में प्रारंभ करने से निश्चित रूप से लाभ होता है। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
- अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, मगर पैसा टिकता नहीं। तो यह प्रयोग करें। जब आप गेहूं पिसवाने जाएं, तो उसमें पहले तुलसी के ग्यारह और केसर के दो पत्ते डाल कर थोड़े से गेहूं को मंदिर में रात को रख दें। सुबह उस गेहूं को सारे गेहूं में मिला दें तथा पिसवा लें। घर में बरकत होगी।
- शनिवार शाम को माह की दाल के दो साबुत दानें ले कर उस पर दही (थोड़ा सा) डाल कर सिंदूर डाल दंे तथा पीपल के नीचे रख दें। उसे पलट कर न देखें। इस क्रिया को सात शनिवार लगातार करें, धन लाभ होगा तथा घर में खुशहाली रहेगी।
- लाख प्रयत्न करने पर भी यदि स्वयं का मकान या दुकान न बन रही हो, तो यह उपाय शुक्रवार से शुरू करें। शुक्रवार को किसी गरीब को खाना खिलाना शुरू करें तथा रविवार को गाय को गुड़ खिलाएं। यह उपाय लगातार करते रहें। जल्दी ही अचल संपत्ति बढ़ जाएगी।
- आप आय का एक स्थायी स्रोत चाहते हैं, प्रयत्न करने पर भी किन्हीं कारणों से स्थायी स्रोत नहीं मिल पाता और परेशान रहते हैं तो निम्न टोटके से इसे संभव कर सकते हैं। लकड़ी के बाजोट पर पीला रेशमी वस्त्र बिछा कर पंाच लाल फूलों को स्थापित करें। प्रत्येक फूल पर एक कमल बीज को स्थापित करें। इनका धूप, दीप, नैवेद्य से संक्षिप्त पूजन करें। एक पीले कागज पर कुमकुम से ¬ षिवाय श्रीं ¬ मंत्र इक्कीस बार लिख लें। उसी कागज में कमल बीजों तथा फूलों को लपेट कर शुक्ल पक्ष के बुधवार को रात्रि के समय किसी तिराहे पर डाल दें। पीछे न देखें, न आपको कोई टोके। मन में स्थायी स्रोत की प्रार्थना करें।
- आर्थिक संपन्नता प्राप्ति हेतु कागज, भोज पत्र, तांबे, चांदी, सोने या स्फटिक पर बने श्री यंत्र का उपयोग अपनी सामथ्र्य के अनुसार करें। दीपावली की रात को इसका विशेष महत्व है। स्नान आदि से निवृत्त हो कर, स्थानादि की शुद्धि कर के पूर्वाभिमुख हो कर, ऊनी आसन पर बैठें। अपने सामने श्री यंत्र स्थापित कर जल, पंचामृत, रोली, चावल और पुष्प से उसका विधिवत पूजन करें तथा माता महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए¬ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्। मंत्र का जप तथा श्री सूक्त का पाठ दीपावली की रात करें। उसके बाद यथाशक्ति उपर्युक्त मंत्र के जप नियमित करते रहने चाहिए। श्री यंत्र को घर में तथा व्यावसायिक स्थान पर पूजा स्थल पर स्थापित कर दें। स्फटिक श्री यंत्र अति प्रभावशाली होता है तथा इस पर मात्र एक गुलाब का फूल नियमित चढ़ाने से ही लक्ष्मी की प्रसन्नता का अनुभव साधक को होने लगता है।
- पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बरतन में जल, चीनी, घी एवं दूध मिला कर उसकी जड़ में डालने से घर में लंबे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है।
- लाल रंग का रिबन, तांबे के सिक्के के साथ, मुख्य द्वार में बांधने से घर में सुख-शांति और धन की वृद्धि होती है।
- सर्व प्रथम घर के मुख्य द्वार पर बैठे हुए गणपति की दो मूर्तियां इस प्रकार लगाएं कि दोनों की पीठ एक दूसरे से सट जाएं। इससे घर में ऋद्धि-सिद्धि का वास होगा।
- घर में वास्तु दोष हो तो बरकत नहीं होती। बीमारी, लड़ाई-झगड़े आदि में धन का नाश होता है। इससे बचने के लिए ढक्कन समेत चांदी की एक लुटिया लें। उसमें गंगाजल डालकर उसकी गर्दन पर कलावे में मूंगा (छेद वाला) पिरोकर बांध दें। फिर ढक्कन लगा दें और इसे घर की उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
- स्फटिक का कछुआ उत्तर दिशा में इस प्रकार रखें कि उसका मुंह घर के अंदर की ओर हो। गल्ले और तिजोरी में भी स्फटिक का कछुआ, सोने-चांदी के सिक्के और चावल रखने से लक्ष्मी आती है।
- सत्यनारायण की पूजा, व्रत और पाठ करवाएं। ‘¬ नमो भगवते वासुदेवाय’ का पाठ करें, लक्ष्मी का स्थायी निवास होगा।
कर्ज से मुक्ति और धन वापसी
- शुद्ध ताम्रपत्र पर बने कनकधारा यंत्र को मंगलवार को लाल कपड़े के ऊपर घर के पूजा स्थल पर पंचोपचार पूजा करके स्थापित करें तथा 21 अथवा 51 दिन तक यंत्र के सम्मुख दीपक जलाकर कनकधारा स्तोत्र का नित्य पाठ करें। इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है एवं दिया हुआ धन भी वापस आ जाता है।
- लाल रंग का चैकोर कपड़ा लें। उसे देव जी के चित्र/मूर्ति के सामने चैकी (पाटा) पर बिछा लें। उसमें लाल चंदन का टुकड़ा, लाल गुलाब के साबुत पुष्प, रोली तथा 58 सिक्के (चवन्नी, अठन्नी, रुपया, दो रुपये, पांच रुपये के सिक्के, परंतु सभी समान मूल्य के ) रखें। फिर कपड़े में सारा सामान लपेट कर उसकी पोटली बना कर अपने गल्ले अथवा अलमारी या संदूक, जो भी आपके हिसाब से उपयुक्त स्थान हो, में रख दें। 6 माह बाद पुनः नव रात्रि की अष्टमी को इस प्रक्रिया को दोहराएं।
- प्रतिदिन सूर्यदेव को जल का अघ्र्य दें। जल में लाल मिर्च के ग्यारह बीज डाल कर अर्पण करें। साथ ही ¬ आदित्याय नमः कहते रहें तथा रुके हुए धन की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करें। शयन कक्ष घर के पश्चिम में रखें। तीन रत्ती का ओनेक्स चांदी की अंगूठी में जड़वा कर शुभ मुहूर्त में कनिष्ठा में बुधवार को धारण करें।
- यदि निरंतर कर्ज में उलझते जा रहे हों, तो श्मशान के कुएं का जल ला कर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाएं। यह टोटका नियमित रूप से यदि 6 शनिवार को किया जाए, तो आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। यह प्रयोग किसी शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। होली और दीपावली भी धन से संबंधित टोटके के लिए सिद्ध मुहूर्त हैं।
- सोते समय पूर्व की तरफ सिरहाना रखा करें। 3 ( रत्ती की चंद्रमणि तथा 3 ( रत्ती वजन का कटैला चांदी में जड़वा कर क्रमशः अनामिका और बीच की उंगलियों में धारण करें। ऐसा शुक्ल पक्ष के सोमवार तथा शनिवार को करें। विशेष उपाय: गेहूं पिसवाते हों, तो हमेशा गुरुवार या मंगलवार को ही चुनें। यदि पिसा-पिसाया आटा लाते हों, तो भी उपर्युक्त दिवस को ही लाएं, अत्यंत लाभ होगा। साथ ही थोड़ा सा आटा एवं शक्कर मिला कर घर के चारों कोनों में डाल दें। इसके लिए श्रद्धा का होना परम आवश्यक है।
- यदि कोई व्यक्ति धन नहीं लौटा रहा हो, तो कर्पूर के सूखे काजल से उसका नाम भोज पत्र पर लिख कर किसी भारी वस्तु के नीचे दबा कर रखना चाहिए। इस टोटके के फलस्वरूप वह व्यक्ति अपने आप ही पैसा लौटा देगा। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के किसी सिद्ध मुहूर्त में करंे।
- जिन लोगों को निरंतर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें ऋण से मुक्ति प्राप्त होगी। इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और, अपने वचनानुसार, शनि देव हनुमान जी की शरण में गए हुए व्यक्तियों को पीड़ित नहीं करते। यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिए। यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करें।
- दोनों मुट्ठियों में काली राई लंे। चैराहे पर पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें तथा दाहिने हाथ की राई को बायीं और बायें हाथ की राई को दाहिनी दिशा में फेंक दें। राई को एक साथ फेंकना चाहिए। राई फेंकने के पश्चात चैराहे पर सरसों के तेल का दोमुखी दीपक जला देना चाहिए। दीया मिट्टी का होना चाहिए। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को संध्या के समय करें। श्रद्धा से किया गया यह उपाय कर्ज से मुक्ति अवश्य दिलाता है। एक बार सफलता प्राप्त न हो, तो फिर करना चाहिए। जिस चैराहे पर टोटका किया जा चुका हो, उस पर उस दिन टोटका नहीं करना चाहिए। यदि अमावस्या हो और शनिवार हो, तो यह टोटका विशेष फलदायी होता है।
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति मंदिर में रखें। गंगा जल में लक्ष्मी गणेश का चित्र और चांदी का एक सिक्का डाल दें। शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से प्रयोग शुरू करें। धूप-दीप जला लें। खीर का भोग रखें। एक माला ú श्री गणपतये नमः का जप करें। इसके अतिरिक्त कनकधारा स्तोत्र का पाठ भी प्रतिदिन करें। धीरे-धीरे स्थिति अनुकूल होती जाएगी और एक दिन कर्ज से मुक्ति प्राप्त होगी। भगवान से दीन हो कर प्रार्थना करें कि कर्ज से मुक्ति मिल जाए। श्रद्धा आवश्यक है।
- शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को नहा-धो कर प्रातः शिवालय जाएं और शिव लिंग पर मसूर की दाल (लाल) निम्न मंत्र जपते हुए चढ़ाएं: मंत्र: ¬ ऋण मुक्तेश्वर महादेवाय नमः ऐसा प्रत्येक मंगलवार को करें। धीरे-धीरे सारा ऋण उतर जाएगा। मंत्र जप के पश्चात प्रार्थना अवश्य करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। लकड़ी की चैकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें। कुंकुम से शंख पर स्वस्तिक का चिह्न अंकित कर लें। अब दायें हाथ से अक्षत का एक-एक दाना शंख पर अर्पित करते जाएं। प्रत्येक अक्षत के साथ निम्न मंत्र का उच्चारण करते रहें। एक घंटे तक इस मंत्र का जप करें और एक-एक अक्षत को शंख में अर्पित करते रहें। इस प्रयोग में दिन की कोई निर्धारित अवधि नहीं होती। जब तक मंत्रपूरित अक्षत से शंख भर न जाए, तब तक इस प्रयोग को करते रहें। जिस दिन शंख पूरा भर जाए, उस दिन मंत्र का प्रयोग बंद कर दें। चावल के दानों के साथ शंख को उसी रेशमी लाल वस्त्र में बांध कर अपने घर में पूजा स्थान, कारखाने या व्यापारिक स्थान पर स्थापित कर दें। मंत्र इस प्रकार है: ¬ श्रीं ह्रीं दारिद्र्य विनाशिनी धनधान्य समृ(िं देहि देहि दक्षणवर्त शंखाय नमः यह शंख बहुत सौभाग्यशाली होता है। यह जब तक जहां रहेगा, जीवन में निरंतर आर्थिक उन्नति होती रहेगी। यदि किसी पर कोई ऋण है, तो श्रद्धापूर्वक यह प्रयोग करने पर निश्चय ही, उतर जाता है।
- आप ने जिसे पैसा दिया हो वह वापिस करने में आनाकानी करे तो श्रद्धा से यह उपाय करें। चांदी के गिलास में पानी पीएं। पीने के बाद गिलास उलटा रख दें। किसी भी कुत्ते को पंद्रह दिन लगातार दूध पीने को दें। उन्हीं पंद्रह दिनों में किसी मंदिर में दूध दान दें। साथ ही प्रार्थना करें कि गया पैसा लौट आए।
मानसिक तनाव दूर करने के लिए
- सोमवार को गायत्री यंत्र तथा गीता यंत्र को अपने घर में स्थापित करें तथा नित्य श्रद्धा-भक्ति पूर्वक यंत्रों के दर्शन करें। मोती की माला गले में धारण करें और निम्न मंत्र का एक माला जप नित्य करें। मंत्र: ¬ नमो भगवते वासुदेवाय।
- घर के सभी सदस्यों को रात्रि में सोते समय पूर्व या दक्षिण की तरफ सिरहाना रखना चाहिए। शयन कक्ष में सोने से पहले कपूर का दीया या उसका एक छोटा सा टुकड़ा जलाएं।
- प्रतिदिन हनुमान जी का पूजन और स्मरण करें। प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढ़ाएं। अपनी पहनी हुई एक जोड़ी चप्पल किसी गरीब को, शनिवार के दिन, दान कर दें। पांच रत्ती का मोती धारण करें, लाभ प्राप्त होगा।
- प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा और उनका स्मरण करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से उपाय शुरू करें। सोते वक्त एक छोटा सा चाकू सिरहाने के नीचे रखें। जिस कमरे में सोते हों, उसमें कपूर का दीया जलाएं। समस्या का समाधान होगा, पूर्व जन्म के पाप नष्ट होंगे, स्थितियां अनुकूल होंगी तथा मानसिक अशांति दूर होगी।
- यदि परिवार में कोई भी सदस्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो, तो उसे पलंग पर मृग चर्म बिछा कर सोना चाहिए। धीरे-धीरे तनाव दूर होने लगेगा। साथ ही रात्रि में बुरे स्वप्न आते हों, तो एक बर्तन में पानी सिरहाने रख कर सोना चाहिए। सुबह उस पानी को गुलाब, या किसी अन्य कांटे वाले पौधे में डाल दें। मन ही मन 11 बार माधव-माधव का जप करें। दुःस्वप्न निष्फल हो जाएगा।
- प्रातः उठ कर, सूर्य की ओर देखते हुए, अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर निम्न मंत्र का ग्यारह बार जप करें: ¬ घृणिः सूर्याय नमः इससे पूरे दिन तनाव मुक्त रहेंगे। साथ ही रोग दूर भाग जाएंगे।
- दीपावली की संध्या को अशोक वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। उसकी श्रद्धा से पूजा करें। फिर उसी वृक्ष की 3 कोमल पत्तियां घर ले आएं। धो कर, साफ कर, उन्हें प्रातः काल चबा ले,ं हर प्रकार की चिंता दूर होगी।
- कच्चा दूध चीनी मिलाकर जामुन के वृक्ष की जड़ में अर्पित करें। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के शनिवार से श्ुारू करें। चांदी के गिलास में जल पिया करें। साथ ही हर अमावस्या की शाम को मंदिर में मीठी खीर अर्पित करें। शीघ्र ही लाभ प्राप्त होगा।
- सोते समय पूर्व की तरफ सिरहाना रखें। सवा पांच रत्ती का पन्ना चांदी की अंगूठी में जड़वा कर शुभ मुहूर्त में अनामिका में धारण करें। अपने काम-काज की जगह पर दो किलो फिटकिरी किसी चीनी मिट्टी की प्लेट में खुली रखें। विशेष उपाय के तौर पर तीन किलो नमक एक लाल मटकी में अच्छी तरह सहेज कर अपने शयनकक्ष में रखें। सभी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
- अगर अपने भविष्य के लिए चिंता में हैं, तो एक प्याला दूध अपने नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।
परीक्षा में सफल होने के लिए
- जो बालक गूंगे हैं, हकलाते हैं, बार-बार परीक्षा में फेल हो जाते हैं, जिनका मन पढ़ाई में नहीं लगता, उन्हें रविवार से निम्नलिखित मंत्र से 21 बार अभिमंत्रित कर जल पिलाएं । जो बालक जप कर सकते हों, वे इस मंत्र का प्रतिदिन एक माला जप करें। यह बहुत ही चमत्कारिक उपाय है। मंत्र: ¬ ऐं वाण्यै स्वाहा।
- रात्रि को सोते समय पूर्व दिशा की तरफ सिरहाना रखें। शुभ मुहूर्त में 5( रत्ती का मोती तथा 5( रत्ती का पुखराज क्रमशः अनामिका और तर्जनी में धारण करें। मोती चांदी तथा पुखराज सोने की अंगूठी में धारण करें। श्री हनुमान जी का बजरंग बाण प्रतिदिन पाठ करें। परीक्षा में जाने से पूर्व भी भगवान हनुमान जी का पूजन, स्मरण और बजरंग बाण का पाठ कर के जाएं। सफलता निश्चित है।
- शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में एक झंडा चढ़ाएं। उसपर रोली या कुमकुम से लिखें: बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार। हनुमान चालीसा का पाठ नियमित करें। एक कटोरी जल में 5-7 दानें किशमिश के डाल लें। ¬ हनुमते नमः का एक माला जप रोज करें। ऐसा 20 दिन करें। जप के बाद जल पी लें और किशमिश खा लें। लाभ प्राप्त होने लगेगा। जो बच्चा पढ़ाई से जी चुराता हो, उसे 5( रत्ती का ओनेक्स, चांदी में, दायें हाथ की अनामिका में, शुक्ल पक्ष में पहनाएं। बायें हाथ की अनामिका में भी तांबे का एक छल्ला पहनाएं। पूर्व की तरफ सिरहाना रखवाएं। 10-15 दिन में एक बार उसे थोड़े से गौ मूत्र मिले जल से नहलाएं।
- सरस्वती यंत्र का शुद्ध जल से अभिषेक करके गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करके शुक्ल पक्ष में बृहस्पतिवार अथवा पंचमी, दशमी या पूर्णिमा को अपने घर में सुबह के समय स्थापित करें तथा 41 दिन तक निम्न मंत्र का नित्य एक माला जप करें। मंत्र: ¬ ऐं महासरस्वत्यै नमः।
- जब परीक्षाएं हो रही हों, तो बच्चों को नियमित दही दिया करें। केवल उसके समय में परिवर्तन करने चाहिए। इसमें ध्यान केवल इतना रखना है कि अगर एक दिन सुबह 8 बजे दही दिया जाए तो उसके अगले दिन 9 बजे दें, उसके अगले दिन 10 बजे दें। इस क्रिया को दोहराते रहें तथा हर रोज एक घंटा बढ़ाते रहें, तो परमात्मा हर हाल में सहायता करेगा। यदि हो सके, तो दही मीठा दें।
- बाजार से भांग की पत्ती खरीद कर लाएं। उसे पीस कर पानी में छान लें। उस घोल में थोड़ी चीनी मिलाएं तथा परीक्षा देने जाने से पहले शिव जी के मंदिर में जा कर इस घोल को शिव जी पर चढ़ाएं। ऐसा नियमित तब तक करें, जब तक सारी परीक्षाएं खत्म नहीं हो जातीं। सावधानी: भांग में काली मिर्च नहीं होनी चाहिए तथा भांग चढ़ाने के बाद स्वयं शिव जी पर जल नहीं चढ़ाएं। नियम नहीं टूटे इसके लिए विद्यार्थियों के माता-पिता, भाई-बहन भांग चढ़ा सकते हैं।
शीघ्र विवाह के लिए
- यदि कन्या के विवाह में बाधाएं आ रही हों, कहीं भी रिश्ता तय न हो रहा हो तो सोमवार के 21 व्रत करें। कात्यायनी यंत्र की पंचोपचार पूजा करके उसे घर में स्थापित करें। नित्य यंत्र के दर्शन करें तथा उसके सम्मुख बैठकर निम्न मंत्र का एक माला जप करें। मंत्र: कात्यायनि महामाये महायोगिन्य धीश्वरि। नन्द गोप सुतं देवं पतिं मे कुरुते नमः।
- यदि किसी कन्या के विवाह में विलंब हो रहा हो, तो उसे तुलसीकृत रामायण के सुंदर कांड का एक पाठ, प्रतिदिन के क्रम से, इक्कीस दिन करना चाहिए। भगवान महावीर का चित्र या जब हनुमान ने सीता जी को रामचंद्र जी की मुद्रिका दी थी उस समय का चित्र लगाएं। पहले भगवान श्री राम को प्रणाम करें, फिर हनुमान जी को प्रणाम कर अपना मनोरथ सुना दें और उनसे आज्ञा ले कर निम्न चैपाई का पाठ करें। पाठ करने के बाद हाथ जोड़ कर क्षमा याचना भी करें, ताकि पाठ करते हुए कोई गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा मिल जाए। संपुट लगा कर श्रद्धा से पाठ करें। सफलता निश्चित है। ‘‘जब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साज संवरिके,। मांडवी श्रुतकीरीत उरमिला कुंवरि लाइ हंकारि के’’।। सुंदर कांड के दोहे, या चैपाई (प्रत्येक) के पहले और बाद में इस चैपाई को पढ़ें। शुक्ल पक्ष के अच्छे मुहूर्त में शुक्रवार से यह प्रयोग प्रारंभ करना चाहिए।
- प्रति सोमवार को कन्या, नहा-धो कर, मंदिर में शिव लिंग पर जल में दूध मिला कर ‘¬ सोमेश्वराय नमः’ का जप करते हुए चढ़ाए। साथ ही प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का एक माला जप करे। उसके विवाह की संभावना बनेगी। इसके लिए श्रद्धा का होना आवश्यक है।
- विवाह के अभिलाषी लड़के या लड़की को तब तक पीला वस्त्र धारण करना चाहिए, जब तक कहीं रिश्ता न हो। एक पीला रेशमी रूमाल भी साथ में हमेशा रखना चाहिए। इस प्रयोग से विवाह की संभावनाएं शीघ्र बनने लगती हैं।
- कुंवारे व्यक्ति के शयन कक्ष में सोने की स्थिति पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। शयन कक्ष के दरवाजे के सामने सिर या पांव नहीं होना चाहिए तथा अच्छे वर या कन्या को आकर्षित करने के लिए, सिर के सामने सुंदर क्रिस्टल बाॅल और आकर्षक झूमर अवश्य लगा होना चाहिए। इससे विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनने लगती हैं।
- पुराना खुला ताला, सात बार पूरे शरीर के, घड़ी की उलटी दिशा में, घुमा कर अंधेरे में चुपचाप चैराहे परं रख आएं। पीछे मुड़ कर न देखें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार को करें। कन्या का विवाह शीघ्र हो जाएगा।
- यदि विवाह के अच्छे प्रस्ताव नहीं आ रहे हों, तो वर के कक्ष में पूर्वोत्तर दिशा में पानी का फव्वारा रखें। वार्ता के लिए घर आने वाले मेहमानों को ड्राइंग रूम में इस प्रकार बैठाना चाहिए कि उनका मुंह घर के अंदर की ओर रहे, उन्हें द्वार दिखाई न दे।
- विवाह की कामना करने वाली कन्या को सोमवार को शिव मंदिर में जाकर मां पार्वती का शृंगार करना चाहिए तथा शिव पार्वती के मध्य कलावे से गठजोड़ बांधना चाहिए। ऐसा सोलह सोमवार तक करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से यह टोटका शुरू करें। कोई टोके नहीं यह अवश्य ध्यान रखें।
- समय पर विवाह होने के लिए शुक्ल पक्ष के किसी गुरुवार को, प्रातःकाल उठ कर, सिर से स्नान करें। पीले वस्त्र पहन लें। देशी घी में बेसन सेंक कर बूरा मिला कर, उसके 108 लड्डू बनाएं। पीले रंग की प्लास्टिक की टोकरी में पीले रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर उन लड्डुओं को रख दें। इच्छानुसार कुछ दक्षिणा रख दें। यह सारा सामान शिव मंदिर में जा कर, गणेश, पार्वती और शिव जी का पूजन कर, मनोवांछित वर की प्राप्ति की कामना कर किसी ब्राह्मण को दान दें। इस प्रयोग से शीघ्र विवाह की संभावना बनेगी।
- यदि कहीं लड़की की शादी हो रही हो, तो शगुन के पैसे को लड़के, या लड़की का हाथ जरूर लगवाएं। शगुन उसको दें, जो जानता नहीं, या बाहर किसी व्यक्ति को शगुन दे कर कहें: लड़की वालों को शगुन दे दो। मुझे कहीं जरूरी जाना है। इससे भी शादी की रुकावट दूर हो जाएगी।
- लड़की या लड़का 43 दिन तक पीपल पर लगातार जल चढ़ाए, तो शादी की रुकावट दूर हो जाती है। इतवार को या मासिक धर्म के समय जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- वीरवार को विष्णु-लक्ष्मी जी के मंदिर में जा कर विष्णु जी को कलगी (जो सेहरे के ऊपर लगी होती है) चढ़ाएं। साथ में बेसन के 5 लड्डू चढ़ाएं। शादी जल्दी हो जाएगी।
संतान प्राप्ति के लिए
- संतान प्राप्ति में यदि बाधाएं आ रही हों अथवा इच्छित संतान की कामना हो तो संतान गोपाल यंत्र को अपने घर में पूजा स्थान पर पंचोपचार पूजन करके स्थापित करें तथा दस मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें। निम्न मंत्र का एक माला नित्य जप करें। मंत्र: देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वाहं शरणं गतः।।
- नौ साल से कम की कन्याओं के चरण छूने से संतान जल्दी प्राप्त हो जाती है। इस क्रिया को 43 दिन करें। 11 लड़कियों के चरणों को जरूर छूना चाहिए। साथ ही गोपियों से मन में कहें: कृष्ण भगवान या कान्हा को मेरी इच्छा प्राप्ति के लिए मनाएं।
- शुक्रवार को आटे में पनीर डाल कर गाय को खिलाएं। ऐसा 43 दिन लगातार करें।
- जेल में कैदियों को भोजन कराने से भी संतान की प्राप्ति जल्दी हो जाती है। यह आजमाया हुआ उपाय है। जेल में कैदियों को खाना खिलाने से पहले कृष्ण भगवान जी के मंदिर में शीश झुका कर जाएं। इस क्रिया को 43 दिन करें। ध्यान रहे यह क्रम टूटे नहीं। अवश्य लाभ मिलेगा।
- सच्ची लगन से शिव आराधना करें तथा शनिवार को प्रातः काल पीपल के वृक्ष के पास तिल के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही प्रत्येक शनिवार को रोटी पर तेल लगा कर काले कुत्तों को खिलाएं। यह दिव्य प्रयोग है। लाभ अवश्य होगा। संतान प्राप्ति देव आराधना से होती है। यदि बुध और शुक्र बाधक हों, तो शिव भगवान का रुद्राभिषेक करना चाहिए। यदि चंद्रमा बाधक हो, तो भी रुद्राभिषेक करें। यदि बृहस्पति संतान प्राप्ति में बाधक हो, तो यंत्र, मंत्र जप और औषधियों का उपयोग करना चाहिए। शनि, मंगल और सूर्य बाधक हों, तो दुर्गा देवी की आराधना करनी चाहिए। यदि राहु-केतु बाधक हों, तो विधिपूर्वक कुल देवता की पूजा करनी चाहिए। नव ग्रह शांति पाठ भी कराना चाहिए।
- संतान प्राप्ति के जब सभी उपाय असफल हो जाएं, तो तत्काल फल देने वाली यह साधना अवश्य करें, लाभ जरूर होगा। वैष्णो देवी जाएं और अर्धकुंवारी गुफा के अंदर बैठ कर रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जप करें। ¬ एंे ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै मां को प्रणाम करें और सच्चे हृदय से कामना प्रकट करें। मां के दरबार में नारियल, प्रसाद और चुन्नी चढ़ाएं। कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना न भूलें। भैरों के दर्शन भी अवश्य करें। इस साधना में श्रद्धा अति आवश्यक है।
- जिस किसी के बच्चे जीवित न रहते हों, हो होकर गुजर जाते हों, उसे बच्चे के जन्म होने पर मिठाई नहीं बांटनी चाहिए। ऐसे में नमकीन चीज बांटें- आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त होगा। संतान की आयु लंबी होगी।
- संतान सुख की प्राप्ति के लिए जातक को रविवार का व्रत करना चाहिए। सूर्य देवता को जल में लाल फूल या रोली तथा गुलाब जल की कुछ बूंदें डाल कर प्रातः ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अघ्र्य देना चाहिए। साथ ही आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए।
दाम्पत्य जीवन में रोकने के लिए
- गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी के मध्य परस्पर सुख, सहयोग बना रहे इसके लिए मां भगवती मातंगी यंत्र को शुक्रवार के दिन रात्रि के समय अपने घर में स्थापित करें तथा नित्य उसके दर्शन करते रहें। दोनों में से कोई भी गौरी शंकर रुद्राक्ष गले में धारण करे तथा 41 दिन तक निम्न मंत्र का एक माला नित्य जप करे। मंत्र: ऊँ ह्रीं क्लीं हूं मातड्.ग्यै पफट्स्वाहा।
- यदि आपके परिवार का माहौल तनावपूर्ण है, घर में क्लेश से आप परेशान हैं, तो बाजार से आटा न ला कर घर में गेहूं तथा चने खरीद कर रख लें। गेहूं चक्की पर पिसाने जाने से पहले उसमें थोड़े से चने मिला दें तथा केवल सोमवार एवं शनिवार को ही पिस कर काम में लंे। कुछ ही महीनों में परिवार जनों के मध्य क्लेश समाप्त होगा और आपसी संबंधों में मधुरता आएगी।
- श्री गणेश जी और शक्ति की उपासना करें। सोते समय पूर्व की ओर सिरहाना होना चाहिए। चींटियों को शक्कर डालना चाहिए। एक छोटे से कागज पर लाल कलम से पति का नाम लिख कर उसे शहद में डुबो कर, अच्छी प्रकार से शीशी में बंद कर के, घर के किसी कोने में रख दें। धीरे-धीरे कलहपूर्ण वातावरण दूर होगा और स्थिति अनुकूल होगी।
- सादा पान ले आएं। गंगा जल में लाल चंदन को घिस कर उससे, अनार की कलम से, पान पर जिस व्यक्ति के कारण तनाव आया हो उसका नाम लिखंे। फिर पान को पाटे पर रख कर उस पर गुलाब के फूल की कुछ पत्तियां रख दें। अपने इष्ट का ध्यान कर के पुनः संबंधों की मधुरता हेतु प्रार्थना करें। पान को गुलाब की पत्तियों के साथ पीस लें। व्यक्ति के नाम में जितने अक्षर हैं, उसकी उतनी ही गोलियां बना लें। एक गोली रोज उस व्यक्ति के घर के दरवाजे पर फेंकते रहें। थोड़े ही दिनों में दूरियां खत्म होंगी तथा पुनः संबंधों में आत्मीयता आ जाएगी।
- प्रदोष के दिन गुड़ का शिव लिंग बना कर विधिपूर्वक पूजा करें और यदि प्रतिदिन निम्न मंत्र का एक माला जप करें, तो निस्संदेह दाम्पत्य जीवन मधुर बना रहेगा। मंत्र: सर्वमंगल मंागल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन दो सीपियों पर नीचे दिए गए मंत्र का इक्कीस बार जप करें। फिर दोनों सीपियों को नदी में प्रवाहित कर दें। इससे गृहस्थ सुख का लाभ मिलता है। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं पूर्ण गृहस्थ सुख सि(ये ह्रीं श्रीं ¬ नमः मेष लग्न की कुंडली में दाम्पत्य सुख का ग्रह शुक्र होता है। यदि कुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में अर्थात अपनी नीच राशि में स्थित हो, अशुभ ग्रहों से युत एवं दृष्टित हो तो दाम्पत्य जीवन में सुख की कमी होती है। ऐसे में गाय एवं पक्षियों को चावल खिलाएं। प्रत्येक सोमवार को गंगाजल मिश्रित जल से शिव का अभिषेक करें और ¬ नमः शिवाय का एक माला जप नित्य करें। दाम्पत्य जीवन में मधुरता आएगी।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए
- अच्छा स्वास्थ्य बना रहे, घर में दुःख या बीमारियां न आएं इसके लिए किसी शुभ मुहूर्त अथवा शुक्ल पक्ष में सोमवार को महामृत्युंजय यंत्र प्रातःकाल घर में स्थापित करके नित्य उसके पूजन दर्शन करते रहें तथा गले में 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करें और निम्न मंत्रों में से किसी एक का एक माला जप नित्य करें। ¬ हौं जूं सः ¬ नमः शिवाय
- यदि बच्चा ज्यादा बीमार हो, दवाई असर न करती हो, तो उसका हाथ लगा कर एक मुद्रा मृत व्यक्ति के ऊपर डाल दें, बच्चा ठीक हो जाएगा।
- एक रुपये का सिक्का रात को सिरहाने रख कर सो जाएं । प्रातः इसे ष्मषान की सीमा में फेंक आएं । शरीर स्वस्थ रहेगा।
- गधे का दांत अगर किसी के सिरहाने रख दिया जाए, तो उसका अनिद्रा रोग दूर हो जाता है ।
- किसी रोगी पर दवाई का असर नहीं होता हो, तो गुलाब का एक फूल और 7 बताषे पान के एक पत्ते पर रख कर, उसके सिर के ऊपर से वारें और उसे चैराहे पर रख दें। वह ठीक होने लगेगा।
- कभी-कभी खांसीे जी का जंजाल बन जाती है। दवा लेने पर भी आराम नहीं मिलता। खांसी से परेशानी होने पर मंगलवार या शुक्रवार को लोबान के पौधे की जड़ गले में बांध लेने से आराम मिलता है।
- अधिक दस्त लगने पर सहदेई के पौधे के, जड़ के साथ, बराबर टुकड़े करें तथा उसकी माला बना कर गले में पहनें। आराम मिलेगा।
- शनिवार एवं मंगलवार को हनुमान जी के पैरों पर लगे सिंदूर का तिलक लगाते रहने से सिर दर्द की शिकायत खत्म हो जाती है।
- आंखों की बीमारी से मुक्ति के लिए प्रातःकाल उठ कर सूर्यमुखी का फूल सघना चाहि ूं ए तथा शुद्ध गुलाब जल आंखों में डालना चाहिए।
- नाक से खून आने पर नींबू के रस की कुछ बूंदे ं नाक में टपकाने से तत्काल लाभ मिलता है।
- आजकल उच्च रक्तचाप से काफी लोग परेशान रहते हैं। एक बार रक्तचाप बढ़ जाए, तो इसका पूर्ण इलाज औषध विज्ञान में नही हो पाता। दवा लेते रहने पर यह केवल नियंत्रण में रहता है। अतः उच्च रक्तचाप से मुक्ति के लिए रुद्राक्ष की माला, काले धागे में पिरो कर, पहनें। काला घागा लेना जरूरी है। विशेष लाभ हेतु तांबे का कड़ा पहनें तथा ¬ भौमाय नमः मंत्र का नित्य जप करें। मंत्र जप जब तक करें, भोजन में नमक की मात्रा कम रखें।
- यदि आंतों में पथरी की शिकायत हो तो 25 ग्राम गाजर तथा बराबर मात्रा में शलगम के बीज लें। एक मूली को बीच में से चीर कर उसमें ये बीज भर दें। उस मूली को आग पर भून लें। मूली भुन जाने के बाद उसमें से बीज निकाल लें। उन्हें 5 ग्राम सुबह, 5 ग्राम शाम पानी के साथ, लें। पानी पीने वाले बरतन को उलट कर रख दें। यह क्रिया 5 दिन करें, लाभ होगा।
- रोग से मुक्ति के लिए अपने भोजन का चैथाई हिस्सा गाय को और चैथाई कुत्ते को खिलाएं।
- यदि परिवार में कोई व्यक्ति बीमार हो तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात भी स्वस्थ्य नहीं हो रहा हो, तो, किसी भी रविवार से आरंभ कर के, लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी, व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। यदि टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाए तो भी 3 दिन तक लगातार इस कार्य को करें, बीच में रोकें नहीं।
- यदि रोग गंभीर और लंबा हो, तो रोगी के वजन के बराबर सभी खाद्य सामग्री, तेल-घी सहित, तौल कर ब्राह्मण या गरीब गृहस्थ को दें। तुला दान करने से, बीमारी दूर होती है।
- किसी तालाब, कूप या समुद्र में, मछलियों को शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, दें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक हो जाएगा।
- यदि छोटा बालक बीमार हो, तो उसके वजन के बराबर बाजरा लें। उसमें से 7 मुट्ठी बाजरा, रोज बालक पर से 1 बार वार कर, छोटी-छोटी चिड़ियों को सूर्याेदय से पहले डालें, आराम मिलेगा।
- मिरगी के रोगी को ठीक करने हेतु गधे के नाखून की अंगूठी बनवा कर पहनानी चाहिए। इससे मिरगी की बीमारी सदा के लिए दूर हो जाती है।
- आधासीसी के दर्द से मुक्ति के लिए प्रातः काल, सूर्य निकलने से पहले, दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर के और हाथ में पुराने गुड़ का एक टुकड़ा ले कर उसे दांत से काट कर उसी समय समीप के किसी चैराहे पर डाल आएं तथा उसकी चर्चा किसी से न करें। दुख दूर हो जाएगा।
नौकरी/ व्यापार बाधा निवारण
- यदि कार्यों में अधिक विघ्न-बाधाएं आती हों, बहुत परिश्रम करने पर भी वांछित फल न मिलता हो तो शुक्ल पक्ष में मंगलवार अथवा गणेश चतुर्थी के दिन घर में हरिद्रा गणपति की मूर्ति घर में स्थापित करें तथा निम्न मंत्र का नित्य एक माला जप करें। मंत्र: एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।
- व्यापार में यदि बार-बार घाटा होता हो तो संपूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र को शुक्ल पक्ष में बुधवार को पंचोपचार पूजन करके व्यवसाय स्थल अथवा घर में उत्तर दिशा में स्थापित करें तथा तेरह मुखी अथवा एक मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें और निम्न मंत्र का 42 दिन तक एक माला जप नित्य करें। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं मम व्यापार वृ(िं कुरु कुरु स्वाहा।
- किसी गुरु पुष्य योग और शुभ चंद्रमा के दिन प्रातः हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। श्री गणेश के चित्र के आगे संकटनाशक गणेश स्तोत्र के 11 पाठ कर थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रुद्राक्ष, चांदी की एक चवन्नी या रुपया, या 2 सुपारी और हल्दी की 2 गांठंे रख कर, गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं। यह थैली तिजोरी, या कैश बाॅक्स में रख दें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते रहें। आर्थिक स्थिति शीघ्र सुधर जाएगी। एक साल बाद नई थैली बना कर यह क्रिया फिर करें। मनोकामना पूर्ण होगी।
- कई बार ऐसा होता है कि उद्योगपति पुराने उद्योग से आशातीत सफलता पा कर नया उद्योग लगाने के लिए उत्साहित होता है। परंतु जब पुराना उद्योग यथावत चलता रहता है, नया उद्योग जी का जंजाल सिद्ध हो जाता है, ऐसी स्थिति में यह प्रयोग करें: - शनिवार को पुराने कार्यालय से लोहे की कोई भी वस्तु नये संस्थान में ला कर रख दंे। रखने से पूर्व उस स्थान पर थोड़े से साबुत काले उड़द डाल दें। यह ध्यान रहे कि वह वस्तु बार-बार हटाई न जाए। पुराने उद्योग के साथ-साथ नया उद्योग भी चलने लगेगा।
- लाख प्रयत्न करने पर भी व्यापार उन्नति नहीं कर पा रहा हो, तो श्यामा तुलसी के चारों ओर उग आई खरपतवार को किसी पीले वस्त्र में बांध कर व्यापार स्थल पर रख दें। यह क्रिया गुरुवार को ही करें।
- मंगलवार को सीधी डंठल वाली 7 साबुत हरी मिर्च और एक नींबू लाएं। उन्हें काले डोरे में पिरो लें और कार्यालय स्थल के बाहर टांग दें। ऐसा हर मंगलवार को करें। ऐसा करने से व्यापार बढ़ेगा। यह प्रयोग शनिवार के दिन भी किया जा सकता है।
- जिन व्यापारियों को लगातार हानि हो रही हो, वे गायत्री मंत्र के द्वारा हवन करवाएं। व्यापार स्थल के हवन की विभूति को किसी सफेद रंग के कपड़े में डाल कर घर में तथा व्यापार स्थल पर रखें। हानि होनी बंद हो जाएगी। व्यापार अच्छा चल जाएगा। परेषानी होने पर या सेहत खराब होने पर इस हवन की कुछ विभूति का तिलक करें तथा जीभ से भी चाटंे, शारीरिक कष्ट दूर होगा तथा बीमारी ठीक हो जाएगी।
- व्यापार में विघ्न-बाधाएं आने पर रोज सुबह स्नान के पश्चात सूर्य देव को जल अर्पित करें। गायत्री और सूर्य का मंत्र बोलंे एवं महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली का ध्यान करें। पुष्प चढ़ाएं एवं शुद्ध घी के दीपक महालक्ष्मी को दिखाएं। तुलसी में एक लोटा पानी चढ़ाएं। महालक्ष्मी की आरती करें और घी, शक्कर का भोग लगाएं। ऐसा सवा माह नियमित करने पर व्यापार में उन्नति होगी।
- यदि अनेक प्रयत्नों के उपरांत भी बिक्री नहीं बढ़ रही, तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से यह प्रयोग करें। व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगा जल से धो कर स्वच्छ-शुद्ध कर लें। इसके पश्चात हल्दी से स्वस्तिक बना लें और उस पर चने की थोड़ी सी दाल और गुड़ रख दें। इसके बाद स्वस्तिक को बार-बार न देखें। इस उपाय को कम से कम 11 गुरुवार अवश्य करें। पहले चढ़ाए हुए गुड़ और दाल को मंदिर में चढ़ा दें।
- भगवान शिव का पूजन करें। सोमवार को शिव मंदिर जा कर ¬ सोमेश्वराय नमः का जप करते हुए दूध-जल शिव लिंग पर चढ़ाएं तथा रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का एक माला जप करें। पूर्णमासी को जल में थोड़ा दूध मिला कर चंद्रमा को अघ्र्य दें और अपने व्यवसाय की उन्नति के लिए प्रार्थना करें।
- शुक्रवार की रात को सवा किलो चने (काले) भिगो दें। उन्हें सरसों के तेल में बना लें। पहला हिस्सा शनिवार को घोड़े या भैंसे को खिला दें। दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दें। तीसरा भाग अपने ऊपर से घड़ी की सुई से उलटे ढंग से वार कर चैराहे पर रख दें। यह प्रयोग चालीस दिन करें, कारोबार में वृद्धि होगी।
नजर उतारने के लिए
- इंद्र जाल को शनिवार अथवा मंगलवार को रात्रि के समय घर में स्थापित करें तथा नित्य उसके दर्शन करते रहें। साथ ही दुर्गा बीसा लाॅकेट एवं 9 मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें तथा 21 दिन तक निम्न मंत्र का एक माला जप करें। मंत्र: ऊँ दुं दुर्गायै नमः -बच्चों को नज़र शीघ्र लगती है। नज़र लगने की दशा में बच्चा लगातार रोता रहता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को राई की धूनी देनी चाहिए। सात साबुत लाल मिर्च बच्चे पर से उबार कर जला दें। नौ नींबुओं पर तेल लगा कर उन पर सिंदूर लगाएं। अब उन्हंे बच्चे पर से 7 बार उबार कर, किसी चैराहे पर ले जा कर, 4 भाग कर के चारों दिशाओं में फेंक आएं।
- कई बार बच्चे खाना-पीना बिल्कुल बंद कर देते हैं। दूध तो छूते ही नहीं। ऐसी दशा में निम्न प्रयोग करें: घर में जो भी खाना बना हो, बच्चे की खुराक के अनुरूप थाली में परोस लें। फिर बच्चे के मुंह पर लगा कर उसे जूठा कर लें। यदि उसे बच्चे को खिला भी दिया जाए, तो अच्छा हो। पुनः उसी थाली को वापस परोस लें (यदि बच्चे ने खाया हो तो)। अब उस थाली को, ऊँ ह्रीं अन्नपूर्णे सदा पूर्णे स्वाहा बोलते हुए, 29 बार बच्चे पर उबारें। उबारने के पश्चात सारा खाना गाय को खिला दें। बच्चा खाना खाने लगेगा। ऐसा ही प्रयोग दूध पर भी किया जा सकता है। इसमें मंत्र ú सोमाय स्वाहा बोलें। दूध बिल्ली या कुत्ते के पिल्ले को पिलाएं। बच्चा दूध पीने लगेगा।
- नजर लगने पर बच्चे अथवा व्यक्ति के लिए 40 दिन तक प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- जूता लेकर नजर लगे व्यक्ति पर 7 बार घुमाकर जूते को जमीन पर जोर से मारें। फिर ¬ नमः शिवाय मंत्र का मन ही मन जप करें।
- मंगलवार और शनिवार को मंदिर में जाकर 3 या 7 बार पीपल की परिक्रमा करें और तेल का दीया प्रज्वलित करें।
- बच्चों को नजर से बचाने के लिए काजल का टीका लगाना चाहिए।
- गले में राहु का लाॅकेट पहनें।
- अपनी दुकान या व्यवसाय को नजर से बचाने के लिए वास्तु दोष निवारक यंत्र लगाएं।
- मकान को नजर से बचाने के लिए मकान के मुख्य द्वार पर वास्तु दोष निवारक यंत्र, कवच और गणेश जी की प्रतिष्ठा करें।
- नजर से पीड़ित व्यक्ति को गले में तीन मुखी या पांच मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
- छोटे बच्चों को गले में काले धागे के साथ भगवान के लाॅकेट पहनाएं।
- बालक के पालने में एक साबुत लाल मिर्च, सिंदूर, लोहे की एक कील और साबुत उड़द के सात दानें सफेद सूती कपड़े में पोटली बांध कर, लटका दें। किसी की भी बुरी नजर नहीं लगेगी।
- बच्चे के अत्यधिक रोने तथा नींद न आने से किसी भी बृहस्पतिवार को, 1 फिटकरी का टुकड़ा, सफेद रंग के कपड़े में बांध कर, सफेद धागे से बच्चे के गले में बांध दें, तो बच्चा सुखपूर्वक सोएगा।
वशीकरण
- पांच प्रकार के फलों के रस से तिलक करने से सब लोग मोहित हो जाते हैं ।
- व्यापार में साझेदार को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए: रविवार को उल्लू के पंख लाएं । लाल चंदन से पंख पर अपने साझेदार का नाम लिखें तथा उसे किसी तरह साझेदार के शरीर से स्पर्श करा कर जला डालें। उसकी राख को संभाल कर इकट्ठी करें तथा साझेदार के बदन या सिर पर सावधानी से डाल दें। इससे आपका साझेदार सदा आपके हित में कार्य करेगा। यह एक सहज क्रिया है, जिसमें कोई भी अहित नहीं होगा।
- यदि किसी को वश में करना चाहते हों, तो ‘हमजाद’ के ऊपर अष्ट गंध से उस व्यक्ति का नाम लिखें। फिर ‘हमजाद’ के समक्ष 41 बार निम्नलिखित मंत्र का जप करें: ‘ऊँ सम्मोहय वशमानय शं ऊँ फट्।’ मंत्र जप समाप्त होने के पश्चात ‘हमजाद’ को रात्रि के समय तेल का दीपक जला कर चैराहे पर छोड़ आएं। पीछे मुड़ कर न देखें। किसी पर भी परखने के मकसद से प्रयोग न करें। यह प्रयोग शुक्रवार को करना चाहिए। श्रद्धा नितांत आवश्यक है।
- शत्रु को मित्रवत बनाना हो, अधिकारी से मनोनुकूल कार्य करवाना हो, पति-पत्नी में मतभेद हो या किसी को नियंत्रण में करना हो, तो रविवार (शुक्ल पक्ष प्रथम) को प्रातः स्नान कर, चांदी की एक थाली में मोती शंख को गंगा जल से धो कर रख दें। फिर इस पर कुमकुम लगा दें। घी का दीपक जलाएं। स्फटिक माला से निम्न मंत्र का एक माला जप करें। यह प्रयोग एक महीना नियमित रूप से करें। शीघ्र ही मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी। यह बहुत ही बलशाली प्रयोग है। मगर पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिए। मंत्र: ¬ फ्रीं वांछितं में वशमानय स्वाहा।
- चांदी की थाली में थोड़े से साबुत चावल रख कर मोती शंख स्थापित करें। चावल के दानें खंडित न हों। एक महीने पश्चात मोती शंख, चावल समेत, किसी सफेद कपड़े में बांध कर सुरक्षित स्थान पर रख दें। ऐसा करने से पुरुष या स्त्री वश में रहेगी।
- प्रेम के दीवाने के लिए लोहे के एक टुकड़े को आग में गर्म कर के उसे पानी से बुझाएं। इसी प्रकार 3 बार गर्म कर के क्रमशः पानी में बुझाएं और प्रत्येक बार बुझाते समय यह कहते जाएं कि जिस प्रकार यह गर्म लोहा पानी में शीतल होता है, उसी प्रकार अमुक लड़के का प्रेम अमुक लड़की से शीतल हो जाए। फिर उस पानी से प्रेम में पागल रोगी का मुंह धुलाएं और थोड़ा पानी उसके वक्षस्थल पर भी छिड़क दें। 3 दिन तक यह क्रिया करने से वह अपनी प्रेमिका को भूल जाएगा।
- जिन स्त्रियों के पति बात-बेबात में झगड़ते हों या किसी गलत स्त्री या व्यक्ति के चंगुल में फंस गये हांे, तो वीरवार या शुक्रवार की रात 12 बजे पति की चोटी के स्थान से कुछ बाल चुपचाप काट लें। उन्हें अपने पास रख लें। पति की बुद्धि सुधर जाएगी और वह वष में हो जाएंगे। इन बालों को जला कर बाहर फेंक दें तथा पैरों से रगड़ दें। इस प्रकार करने से सब ठीक हो जाएगा। इस प्रयोग का सबको वष में करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। अगर यह क्रिया स्त्रियां मासिक धर्म के समय करें, तो अधिक लाभ होगा।
- वीरवार को प्याज का रस निकाल कर रोटी पर यदि लिख दें कि मेरे वष में हो जाओ या मेरे हो जाओ और उस रोटी को जिसे वष में करना हो उसे खिला दिया जाए, तो वह वष में हो जाएगा।
- शनिवार की रात को 7 लौंग लें। उसपर 21 बार, जिस व्यक्ति को वष में करना हो, उसका नाम ले कर फंूक मारें। फिर रविवार को लौंग को आग में जला डालें। यह उपाय 7 रविवार करें। इस क्रिया को मासिक धर्म के मध्य में न करें, अन्यथा हानि हो सकती है ।
- अगर पति किसी गलत संगत में हो, या किसी दूसरी औरत के चक्कर में हो, तो रविवार को घर में गूग्गुल की धूनी दें। गूग्गुल को जलाने से पहले उस स्त्री या व्यक्ति का नाम ले कर गुग्गुल जलाएं। वह उस स्त्री या व्यक्ति का साथ छोड़ देगा। Û माता अपनी भरी हुई मांग का टीका लड़के के माथे पर लगाए, तो लड़का कहना मानने लगेगा तथा वष मंे रहेगा।
- चंदन तथा बरगद की जड़ को सम मात्रा में शुद्ध पानी में पीस कर उसमें बराबर मात्रा में भस्म (विभूति) मिलाकर नित्य तिलक करने से देखने वाले वशीभूत होते हैं।
- चंदन, गोरोचन, रोली तथा कपूर सम मात्रा में ले कर, घोट कर, तिलक करने से देखने वाला वशीभूत होता है।
- पुष्य नक्षत्र में चमेली की जड़ को ताबीज में धारण करने से शत्रु भी वश में हो जाता है।