गोचर फल विचार मासारंभ में सूर्य, मंगल का शनि, राहु से षडाष्टक योग में होना तथा 6 जून को देवगुरु बृहस्पति का अस्त हो जाना और कालसर्प योग का बनना देश में राजनीतिज्ञों में परस्पर विरोधाभास की स्थिति को और अधिक बनाएगा तथा परस्पर नए मुद्दों को लेकर संघर्ष की स्थिति पैदा करेगा। सूर्य मंगल का केतु के साथ द्विद्वादश योग में रहना दैनिक उपयोगी वस्तुओं में महंगाई को और बढ़ावा देता है जिससे आम जनता को देश के शासकों के प्रति संघर्ष करने पर विवश करेगा। यह योग कहीं आंधी तूफान से भी जन धन की हानि भी कर सकता है। मासारंभ से एक दिन पूर्व मिथुन राशि में देवगुरु बृहस्पति का बुध, शुक्र से संबंध बनाकर सूर्य, मंगल से द्विद्वादश योग में आना भी कहीं पूर्व वर्षा इत्यादि आने से बाढ़ की स्थिति पैदा करेगा।
15 जून को सूर्य का इनसे राशि संबंध बनाकर चतुग्र्रही योग का बनना तथा मंगल का इनसे द्विद्वादश योग एवं शनि राहु का षडाष्टक योग में आना, ये योग देश की सीमाओं पर पुनः युद्ध मय बादलों की काली घटाएं आने से सीमाओं का वातावरण अशांत करेगा तथा प्राकृतिक प्रकोपों से भी धन जन की हानि कर सकता है।
22 जून को शुक्र का कर्क राशि पर आना तथा 28 जून को मंगल ग्रह का उदय होना, यह योग देश में दुर्भिक्ष जैसी स्थिति पैदा करता है। कहीं भू स्खलन, बाढ़ सूखे इत्यादि प्राकृतिक आपदाओं से धन जन की हानि का संकेत देता है और उपद्रवकारी ताकतों के उपद्रवकारी कार्यों से आम जनता में पुनः भय की स्थिति बनाएगा। सोना व चांदी मासारंभ में 3 जून को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना और बुध ग्रह के साथ नक्षत्र संबंध बना लेना बाजारों को मंदी की तरफ ले जाता है।
6 जून को गुरु ग्रह का अस्त होना एवं मंगल का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधने लग जाना बाजारों में बदलाव देकर तेजी के रूख में मोड़ेगा।
8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र पर चित्रा, उत्तराषाढ़ा व रेवती नक्षत्रों को वेधने लग जाना बाजारों में तेजी का ही सूचक बनता है।
10 जून को बुध का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधना व गुरु ग्रह से नक्षत्र संबंध बनाना सोने को तेजी की ओर आगे बढ़ाएगा। इसी दिन चंद्र दर्शन सोमवार के दिन 15 मुहूर्ती में आना चांदी को मंदे के रूझान में ले जाता है।
14 जून को आषाढ़ मास की संक्रांति का 15 मुहूर्ती में आना भी बाजार में तेजी का ही सूचक है। इसी दिन शुक्र का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधने लग जाना और बुध व गुरु से नक्षत्र संबंध बनाना बाजारों को पुनः तेजी की लहर में ले जाएगा।
21 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों को वेधना सोने में पुनः बदलाव देकर मंदी का रूख बनाएगा लेकिन चांदी को पूर्ववत तेजी के रूझान में रखेगा।
25 जून को मंगल का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा शुक्र का भी पुष्य नक्षत्र पर आकर ज्येष्ठा नक्षत्र को वेधना चांदी की तेजी को और आगे बढ़ाता है। यह योग सोने को भी तेजी की लहर में ले जाएगा।
26 जून को बुध का वक्री होना भी बाजारों में तेजी का कारक बनता है।
29 जून को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य के साथ नक्षत्र संबंध बनाना इस बाजार की तेजी में और चमक देगा।
30 जून को राहु का स्वाति नक्षत्र में प्रवेश कर रोहिणी, ज्येष्ठा व शतभिषा नक्षत्रों को वेधना तथा शनि ग्रह के साथ राशि संबंध के साथ-साथ नक्षत्र संबंध भी बनाएगा। दोनांे ही वक्री हैं। ये योग बाजार में आगे तेजी के सूचक बन रहे हैं। गुड़ व खांड़ मासारंभ में 3 जून को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना और बुध ग्रह से नक्षत्र संबंध बनाना बाजार में चल रहे तेजी के वातावरण में बदलाव देकर मंदी की तरफ लेकर जाने वाला योग है।
6 जून को गुरु ग्रह का अस्त होना तथा मंगल का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना खांड़ में तो मंदी का रूझान बनाएगा लेकन गुड़ में बदलाव देकर तेजी की लहर चला देगा।
8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर चित्रा, उत्तराषाढ़ा व रेवती नक्षत्रों को वेधना तथा शनैश्चरी अमावस्या का होना खांड़ में तेजी का ही सूचक है।
10 जून को बुध का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधना व गुरु से नक्षत्र संबंध बनाना तथा चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती सोमवार के दिन होना बाजारों के पूर्व चल रहे रूख में और वृद्धिकारक होगा।
14 जून को आषाढ़ मास की संक्रांति का 15 मुहूर्ती में आना तथा शुक्र का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधने लग जाना और बुध, गुरु से नक्षत्र संबंध बनाना ये सभी योग बाजारों की पूर्व चल रही लहर को और आगे बढ़ाएंगे।
21 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों को वेधना खांड़ के रूख में बदलाव देकर मंदी के रूझान में ले जाएगा।
25 जून को मंगल का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा शुक्र का भी पुष्य नक्षत्र पर आकर ज्येष्ठा नक्षत्र को वेधना बाजारों में उतार-चढ़ाव के साथ मंदी की लहर ही चलाएगा।
26 जून को बुध का वक्री होना बाजारों में उतार-चढ़ाव अफवाहों के साथ बनाए रखता है।
29 जून को गुरु का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य से नक्षत्र संबंध बनाना बाजार में बदलाव देकर मंदी के रूख में ले जाएगा।
30 जून को राहु का स्वाति नक्षत्र मं प्रवेश कर रोहिणी, ज्येष्ठा व शतभिषा नक्षत्रों को वेधना तथा वक्री शनि के साथ राशि और नक्षत्र संबंध भी बनाना बाजारों के पूर्व रूख को और आगे बढ़ाएगा। अनाज व दलहन मासारंभ में 3 जून को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना और बुध ग्रह से नक्षत्र संबंध बनाना गेहूं, जौ, चना, ज्वार, बाजरा इत्यादि अनाजों तथा मूंग, मसूर, मौठ, अरहर इत्यादि दलहन के बाजार को मंदी की लहर में ले जाता है।
6 जून को गुरु ग्रह का अस्त होना तथा मंगल का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना अनाजवान को तेजी के रूझान में ले जाएगा लेकिन दालवान में मंदी का रूख बनाए रखेगा।
8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर चित्रा, उत्तराषाढ़ा व रेवती नक्षत्रों को वेधना तथा इसी दिन शनैश्चरी अमावस्या का होना अनाजों के साथ-साथ दलहन को भी तेजी की लहर में ले जाएगा।
10 जून को बुध का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधना और गुरु ग्रह से नक्षत्र संबंध बनाना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती सोमवार को होना बाजारों की पूर्व स्थिति में और वृद्धिदायक है।
14 जून को आषाढ़ मास की संक्रांति का 15 मुहूर्ती में आना तथा शुक्र का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधने लग जाना और बुध व गुरु से नक्षत्र संबंध बनाना गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा इत्यादि अनाजवान तथा मूंग, मोठ, मसूर इत्यादि दलहन में तेजी को और आगे बढ़ाता है।
21 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाषाढ़ा, हस्त, व उत्तरा भाद्रपद नक्षत्रों को वेधना अनाजों में बदलाव देकर मंदी की लहर में ले जाएगा।
25 जून को मंगल का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा शुक्र का भी पुष्य नक्षत्र पर आकर ज्येष्ठा नक्षत्र को वेधना ये योग बाजारों के पूर्व रूख को और आगे बढ़ाएंगे।
26 जून को बुध का वक्री होना भी बाजारों की पूर्व लहर को आगे बढ़ाता है।
29 जून को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा सूर्य के साथ नक्षत्र संबंध बना लेना बाजारों के रूख में बदलाव देगा अर्थात मंदी की तरफ ले जाएगा।
30 जून को राहु का स्वाति नक्षत्र में प्रवेश कर रोहिणी, ज्येष्ठा व शतभिषा नक्षत्रों को वेधना तथा वक्री शनि के साथ राशि संबंध के साथ-साथ नक्षत्र संबंध भी बनाना बाजारों की पूर्व लहर में और वृद्धि दायक बन जाएगा। घी व तेलहन मासारंभ में 3 जून को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र में आकर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा बुध ग्रह के साथ नक्षत्र संबंध बनाना तेलों में मंदी का सूचक है लेकिन घी को तेजी की लहर में ले जाता है।
6 जून को गुरु ग्रह का अस्त होना तथा मंगल का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधना तेलों में भी बदलाव देकर तेजी के रूख में ले जाएगा तथा घी की तेजी को और आगे बढ़ाएगा।
8 जून को सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर चित्रा, उत्तराषाढ़ा व रेवती नक्षत्रों को वेधने लगना तथा इसी दिन शनैश्चरी अमावस्या का होना तेलों की तेजी को और आगे बढ़ाता है।
10 जून को बुध का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधना व गुरू ग्रह से नक्षत्र संबंध बनाना तथा इसी दिन चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती सोमवार को होना बाजार की पूर्व चल रही लहर को और आगे ले जाता है।
14 जून को आषाढ़ मास की संक्रांति का 15 मुहूर्ती में आना तथा इसी दिन शुक्र का पुनर्वसु नक्षत्र पर आकर मूल नक्षत्र को वेधना तथा बुध व गुरु से नक्षत्र संबंध बनाना घी व तेलवान के बाजारों की तेजी की लहर को और आगे ले जाता है।
21 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र पर आकर पूर्वाषाढ़ा, हस्त व उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों को वेधना बाजार में कुछ बदलाव देगा अर्थात मंदी की तरफ ले जाएगा।
25 जून को मंगल का मृगशिरा नक्षत्र पर आकर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र को वेधना तथा शुक्र का भी पुष्य नक्षत्र पर आकर ज्येष्ठा नक्षत्र को वेधना बाजारों में अस्थिरता के साथ उतार-चढ़ाव बनाए रखेगा।
26 जून को बुध का वक्री होना बाजारों को पुनः तेजी के रूख में ले जाएगा।
29 जून को गुरु ग्रह का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वेधने लगना तथा सूर्य के साथ नक्षत्र संबंध बना लेना घी में एकदम बदलाव देकर मंदी की लहर में ले जाएगा।
30 जून को राहु का स्वाति नक्षत्र में प्रवेश कर रोहिणी, ज्येष्ठा व शतभिषा नक्षत्रों को वेधना तथा वक्री शनि ग्रह के साथ राशि संबंध के साथ-साथ नक्षत्र संबंध बनाना तेलों को अधिक प्रभावित करता हुआ आगे बाजार को तेजी की लहर में रखता है।