गोचर ग्रह परिवर्तन: इस मास में ग्रहों का राशि परिवर्तन इस प्रकार होगा- सूर्य ग्रह 16 जुलाई को रात्रि 8 बजकर 38 मिनट पर कर्क राशि में प्रवेश करेगा। मंगल ग्रह 13 जुलाई को 6 बजकर 3 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश करेगा। बुध ग्रह 5 जुलाई को 1 बजकर 00 मिनट पर वक्री गति में आएगा और 10 जुलाई को 00 बजकर 36 मिनट पर अस्त होगा तथा 20 जुलाई को पुनः रात्रि 11 बजकर 49 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश करेगा और 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 23 मिनट पर उदय होगा तथा 29 जुलाई को 6 बजकर 10 मिनट पर मार्गी होगा।
गुरु ग्रह 6 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 14 मिनट पर मार्गी गति में आएगा। शुक्र ग्रह 14 जुलाई को सुबह 7 बजकर 27 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। शनि ग्रह 20 जुलाई को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर अस्त हो जाएगा। शेष ग्रह राहु, केतु, प्लूटो, नेप्च्यून और यूरेनस की स्थिति पूर्ववत ही रहेगी। गोचर फल विचार: मासारंभ में अर्थात 1 जुलाई को शनिवार है और इस मास में पांच शनिवार आएंगे। यह योग अशुभता का ही प्रतीक है। दैनिक उपयोगी वस्तुओं में अत्यधिक मंहगाई हो जाने से जनता में बेहद रोष की भावना पैदा करता है। कहीं अग्निकांड, भू-स्खलन या प्राकृतिक प्रकोप से भी जन-धन की हानि का संकेत है।
यह योग अधिकतर पूर्वोत्तर देशों तथा राज्यों के लिए अधिक कष्टप्रद रहेगा। साथ ही इस मास में पांच रविवारों का आना देश में चल रहे राजनैतिक मतभेदों को बढ़ावा तथा वैमनस्य व कहीं पर सत्ता परिवर्तन हो जाने का भी संदेश देता है। इस मास में पांच सोमवारों का आना उपरोक्त फलों में कुछ न्यूनता भी करता है। यह योग देश के शासकों तथा जनता में सहयोग दायक है और देश में चल रहे नए अनुसंधानों एवं योजनाओं में सफलता और वृद्धिदायक है। मासारंभ में ही कर्क राशि पर मंगल, बुध व शनि का संबंध बनना तथा सूर्य से द्विद्वादश योग में रहना व सूर्य का बुध व शुक्र के बीच में आ जाना प्राकृतिक प्रकोपों को अधिक बढ़ावा देता है।
कहीं सूखा और कहीं अधिक वर्षा होने से बाढ़ इत्यादि आने से जन मानस के लिए परेशानीदायक बनता है। 13 जुलाई को मंगल का सिंह राशि में प्रवेश होना सुख-समृद्धि का सूचक है तथा भारत के सैन्य बल में नए आविष्कारों की प्राप्ति होने से अधिक सुदृढ़ता के पथ पर अग्रसर करता है। 16 जुलाई को सूर्य का शनि के साथ संबंध बनना शुभ नहीं है। यह योग प्राकृतिक प्रकोपों को और भी बढ़ावा देगा। कहीं अधिक वर्षा और कहीं सूखे से नुकसान देगा। यह योग भारत के कृषक वर्ष के लिए चिंताजनक है। 20 जुलाई को शनि का अस्त होना दैनिक उपयोगी वस्तुओं तथा पैट्रोलियम पदार्थों में अत्यधिक मंहगाई होने से जनता में रोष पैदा करता है।
27 जुलाई को बुध ग्रह का उदय होना आगे बाढ़ इत्यादि से जनमानस के लिए चिंताकारक बनता है। सोना एवं चांदी: मासारंभ की ग्रह स्थिति के अनुसार बाजार पूर्ववत ही मंदे की तरफ संकेत करता है। 4 जुलाई को शनि का अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्र चक्र में अनुराधा नक्षत्र को वेध करना सोने के बाजार को पुनः तेजी की तरफ ले जाता है। 5 जुलाई को बुध का वक्री गति में आना चांदी में भी कुछ बदलाव तेजी की तरफ देगा। 6 जुलाई को गुरु का मार्गी गति में आना चांदी में पुनः मंदे का कारक है। इसीदिन सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर उ.फा., मूल और उ.भा. नक्षत्रों को वेधना सोने में तेजी का सूचक है। 8 जुलाई को शुक्र का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर उ.षा. नक्षत्र को वेधना चांदी के मंदे को और आगे बढ़ाने वाला है।
10 जुलाई को बुध ग्रह का अस्त होना बाजार में मंदे का ही संकेत करता है। 13 जुलाई को मंगल का मघा नक्षत्र में प्रवेश कर श्रवण नक्षत्र को वेधना तथा सिंह राशि में प्रवेश होना सोने व चांदी में तेजी का योग बनाएगा। 14 जुलाई को शुक्र का मिथुन राशि में प्रवेश होना तथा शनि से द्विद्वादश योग में आना चांदी में मंदे का संकेत देता है। 15 जुलाई को वक्री गति के बुध का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करना चांदी में पुनः बदलाव ला सकता है। 16 जुलाई को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश कर शनि व बुध के साथ राशि संबंध बनाना यह योग भी सोने व चांदी के बाजार को तेजी की तरफ रखता है।
19 जुलाई को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पू.षा. नक्षत्र को वेधना चांदी में पुनः मंदा चलाएगा। 20 जुलाई को वक्री गति की चाल चलते हुए बुध का पुनः मिथुन राशि में प्रवेश होकर शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना सोने व चांदी में मंदे का कारक है। इसीदिन शनि का भी अस्त होना बाजार को उतार-चढ़ाव के साथ मंदे के माहौल में ही रखता है। 26 जुलाई को चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती में होना बाजार में मंदे का ही सूचक है। 27 जुलाई को बुध का उदय होना बाजारों में कुछ बदलाव दे सकता है।
29 जुलाई को बुध का मार्गी होना बाजार में आए हुए बदलाव को और आगे बढ़ाता है। 30 जुलाई को शुक्र पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर मूल और उ.फा. नक्षत्र को वेध में ले रहा है जो सोने व चांदी में उतार-चढ़ाव करते हुए आगे तेजी के रुझान में ले जाता है। गुड़ व खांड: मासारंभ की ग्रह स्थिति के अनुसार गुड़ व खांड के बाजार में तेजी ही दिखाई देती है। 4 जुलाई को शनि का अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश कर अनुराधा नक्षत्र को वेध में लेना गुड़ के बाजार में तेजी को और भी बढ़ावा देगा। 5 जुलाई को बुध का वक्री गति में आना गुड़ व खांड में तेजी को और भी बढ़ावा देता है।
6 जुलाई को गुरु का मार्गी गति में आना गुड़ की तेजी को और आगे लेकर जाता है। इसीदिन सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर मूल, उ.फा. व उ.भा. नक्षत्रों को वेध में लेना यह योग भी गुड़ व खांड के बाजार में तेजी को बनाए रखता है। 8 जुलाई को शुक्र का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश होकर सर्वतोभद्रचक्र में उत्तराषाढ़ नक्षत्र को वेधना यह योग बाजारों में तेजी का सूचक है। 10 जुलाई को बुध का अस्त होना बाजार में चल रहे तेजी के रुझान में कुछ बदलाव दे सकता है। 13 जुलाई को मंगल सिंह राशि में प्रवेश करेगा। गुड़ में यह तेजीदायक है। इसीदिन मंगल का मघा नक्षत्र में प्रवेश कर श्रवण नक्षत्र को वेधना खांड में मंदे का वातावरण बनाएगा।
14 जुलाई को शुक्र मिथुन राशि में प्रवेश कर सूर्य के साथ युति करेगा और बाजारों की तेजी बनाए रखेगा। 16 जुलाई को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश कर शनि के साथ राशि संबंध बनाना यह योग बाजारों में तेजी ही दायक है। 19 जुलाई को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश होना बाजार में कुछ मंदे का वातावरण जरूर देगा। 20 जुलाई को शनि का अस्त होना तथा बुध का पुनः मिथुन राशि में प्रवेश कर शुक्र के साथ राशि संबंध बनाना और गुरु की दृष्टि में आना, यह योग गुड़ और खांड में तेजी का ही वातावरण बनाए रखता है। 26 जुलाई को चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती हो रहा है। यह योग बाजार में थोड़ा मंदे का सूचक है।
27 जुलाई को बुध का उदय होना बाजारों को मंदे के माहौल में ले जाएगा। 29 जुलाई को बुध का मार्गी गति में आना बाजार में चल रहे मंदे के रुझान को और आगे बढ़ाएगा। 30 जुलाई को शुक्र का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्र चक्र में मूल नक्षत्र को वेधना, यह योग बाजार में उतार-चढ़ाव अधिक करेगा। अनाज व दालवान: मासारंभ में ग्रह स्थिति अनाज व दालवान के बाजार की स्थिति को पूर्ववत ही दर्शाती है। 4 जुलाई को शनि का अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्रचक्र में अनुराधा नक्षत्र को वेधना गेहूं, जौ, चना, ज्वार इत्यादि अनाजों में तेजी का रुख चलाएगा।
5 जुलाई को बुध का वक्री गति में आना मंूग, मौठ, उड़द इत्यादि दालवान को भी तेजी के वातावरण में ले जाएगा। 6 जुलाई को गुरु ग्रह मार्गी होगा। यह योग बाजार की तेजी को और आगे बढ़ाता है। इसीदिन सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र मंे प्रवेश होना तथा सर्वतोभद्रचक्र में उ.फा., मूल व उ.भानक्षत्रों को वेध में लेना भी उपरोक्त बाजारों में तेजी का रुख देता है। 8 जुलाई को शुक्र का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर उ.षा. नक्षत्र को वेध में लेना अनाजों में बदलाव अर्थात कुछ मंदे का वातावरण बनाएगा।
10 जुलाई को बुध का अस्त होना भी बाजार में मंदे का रुझान बनाए रखता है, इसका प्रभाव दालवान में भी देखने को मिलेगा। 13 जुलाई को मंगल का मघा नक्षत्र में आकर श्रवण नक्षत्र को वेधना यह योग गेहूं, जौ, चना, ज्वार इत्यादि अनाजों में पुनः तेजी की लहर चलाएगा। दालवान के बाजार को पूर्ववत ही चलने देगा। 14 जुलाई को शुक्र का मिथुन राशि में प्रवेश होना अनाजों में तो तेजी बनाता है लेकिन दालवान में मंदे का रुख बनाएगा। 16 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा तथा शनि व बुध के साथ राशि संबंध स्थापित करेगा। यह योग गेहूं इत्यादि सभी अनाजों तथा दालवान के बाजार में तेजी का ही सूचक है।
19 जुलाई को शुक्र आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर सर्वतोभद्रचक्र में पूर्वाषाढ़ नक्षत्र को वेध रहा है जोकि अनाजों के बाजार में पुनः मंदा बनाने की क्षमता वाला योग है। 20 जुलाई को शनि ग्रह अस्त होगा। यह योग बाजार में फिर से बदलाव दे सकता है अर्थात गेहूं, जौ, ज्वार इत्यादि अनाजों में पुनः तेजी की लहर बना देगा। 26 जुलाई को चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती में होना बाजार की तेजी को और बढ़ावा देता है। 27 जुलाई को बुध ग्रह उदय होगा। यह योग भी अनाजों में तेजी का ही कारक है लेकिन दालवान को उतार-चढ़ाव के साथ मंदे के रुख में ही रखेगा।
29 जुलाई को बुध का मार्गी गति में आना भी बाजारों की तेजी को बढ़ावा देता है। दालवानों में भी यह तेजी ही देगा। 30 जुलाई को शुक्र पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश होकर मूल नक्षत्र को वेध में लेगा। यह योग बाजारों के पूर्व चल रहे वातावरण को और आगे बढ़ाता है। घी व तेलवान: मासारंभ में 4 जुलाई को शनि का अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश होना तथा सर्वतोभद्र चक्र में अनुराधा नक्षत्र को वेधना यह योग तेल, तेलवान तथा घी के बाजार को तेजी के ही वातावरण में रखता है। 5 जुलाई को बुध का वक्री होना घी के बाजार में चल रही तेजी को और आगे लेकर जाता है।
6 जुलाई को गुरु का मार्गी गति में आना तेलों की तेजी में वृद्धिकारक है। इसीदिन सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र में आकर उ.फा. नक्षत्र को वेध में लेना घी की तेजी को पूर्ववत बनाए रखता है। 8 जुलाई को शुक्र का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश होकर उत्तराषाढ़ नक्षत्र को वेधना घी की तेजी को और आगे बढ़ाता है। 10 जुलाई को बुध का अस्त होना बाजार की चल रही तेजी के वातावरण पर अंकुश लगाएगा अर्थात कुछ बदलाव देगा।
13 जुलाई को मंगल का मघा नक्षत्र में प्रवेश होकर सर्वतोभद्रचक्र में भरणी नक्षत्र को वेधना, तेलों में तो यह योग तेजी का ही सूचक दिखाई देता है लेकिन घी में मंदे का वातावरण पैदा करेगा। 19 जुलाई को शुक्र मिथुन राशि में प्रवेश करेगा जो कि घी के बाजार में चल रहे मंदे के रुख को उतार-चढ़ाव के साथ आगे बढ़ाएगा।
16 जुलाई को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश कर शनि व बुध के साथ राशि संबंध बनाना यह योग तेलों में तेजी ही दर्शाता है। सूर्य का उत्तराफाल्गुन नक्षत्र को वेधना घी के बाजार में पूर्ववत मंदे का ही विचार बनाएगा। 19 जुलाई को शुक्र का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश कर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र को वेधना भी घी के बाजार में मंदे का ही रुख रखता है।
20 जुलाई को शनि ग्रह का अस्त होना तेलों के बाजार की तेजी को ठहराव देगा। इसीदिन वक्री गति के बुध का भी मिथुन राशि में प्रवेश होना तथा उस पर गुरु की दृष्टि का होना बाजार को दोतरफा भी ले जा सकता है। इसीदिन सूर्य का पुष्य नक्षत्र में प्रवेश होकर पूर्वाफाल्गुन नक्षत्र को वेधना घी के बाजार में बदलाव देकर तेजी का माहौल बना देगा। 26 जुलाई को चंद्र दर्शन 15 मुहूर्ती होना घी की तेजी को बरकरार रखता है।
27 जुलाई को बुध का उदय होना तेलों व घी को तेजी के माहौल में ही बनाए रखता है। 29 जुलाई को बुध का मार्गी गति में आना तेलों में मंदे का सूचक है, घी में भी कुछ मंदा ही देगा। 30 जुलाई को शुक्र पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर मूल को वेधेगा। यह योग घी को मंदे के वातावरण में ही बनाए रखेगा। उपर्युक्त फलादेश पूरी तरह ग्रह स्थिति पर आधारित है। पाठकों का बेहतर मार्गदर्शन ही इसका मुख्य उद्देश्य है।
कोई निर्णय लेने से पहले निवेशक को उन अन्य संभावित कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए, जो बाजार को प्रभावित करते हैं। कृपया याद रखें कि व्यापारी की सट्टे की प्रवृत्ति और निर्णय लेने की शक्ति में कमी तथा भाग्यहीनता के कारण होने वाले नुकसान के लिए लेखक, संपादक एवं प्रकाशक जिम्मेवार नहीं हैं।