सितम्बर के शुरु में पंडित जी को कोचीन के एक नामी श्रिम्प मछली के निर्यात कारखाने में स्वचालित मशीनें लगाने के अवसर पर वास्तु परामर्श के लिये आमंत्रित किया गया था। वहां के मुख्य प्रबंधक (ईसाई धर्म के अनुयायी) के अनुरोध पर उनके घर को देखकर दी गई वास्तु रिपोर्ट आप सब के लाभार्थ यहां दी जा रही है।
आपके घर का दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण कटा हुआ है जिसके कारण घर के मुखिया को अनचाही समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि लम्बी अवधि की बीमारी, धन हानि, शत्रु भय आदि। इसलिए दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम में परगोला डालने से उपरोक्त सभी अशुभ प्रभाव कम हो जायेंगे तथा सुख की प्राप्ति होगी। परगोला डालने के बाद भी पश्चिमी दिशा के शौचालय के स्थान पर कुछ बढ़ने से घर के आकार में अनियमितता बनी रहेगी।
इसके प्रभाव द्वारा घर में सुस्ती व आलस का वातावरण बन सकता है जिसे अच्छे साहित्य का पठन, सुबह की सैर, प्राणायाम, खान-पान में संयम द्वारा आसानी से दूर किया जा सकता है। सिंक के दक्षिण-पश्चिम में होने के कारण घर के मुखिया का स्वास्थ्य खराब रहता है तथा घर के सदस्यों में आपसी मनमुटाव रह सकता है। इसीलिए सिंक को उत्तर में यानि स्टोव की जगह रखना बहुत अच्छा रहेगा।
उत्तर पानी का स्थान है इसलिए आपसी मेल-जोल व धन के अनवरत आगमन को बनाये रखने के लिये पानी से जुड़ी प्रत्येक चीज उत्तर में रखना सर्वश्रेष्ठ है। अग्नि यानि स्टोव आदि को उत्तर में रखने से धन हानि व मानसिक अशांति बनी रहती है। इसलिए स्टोव को उत्तर से हटाकर पश्चिम में रखना उचित रहेगा, चूंकि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख पूर्व या पश्चिम की तरफ होना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
उत्तर-पूर्व व दक्षिण-पश्चिम का सामंजस्य अगस्त माह में पंडित जी को जामनगर (गुजरात) के एक बड़े औद्योगिक समूह ने अपनी शिपिंग कम्पनी के प्रस्तावित मुख्यालय की बिल्डिंग के निर्माण के संबंध में बुलाया था। उसी दौरान उनके एक अधिकारी कैप्टन सुधीर पांडे जी के अनुरोध पर पंडित जी ने उनके अपार्टमेन्ट का अवलोकन किया जो कंपनी ने उन्हें किराये पर लेकर दिया हुआ है।
उसकी संक्षिप्त रिपोर्ट फ्यूचर समाचार के प्रबुद्ध पाठकों के लिये यहां दी जा रही है। पंडित जी ने बताया कि आपके घर का दक्षिण-पश्चिम में मुख्य द्वार ठीक नहीं है, जिसके कारण घर में धन की हानि, चोरों से भय और अनचाहे खर्चे होते रहने की संभावना बढ़ जाती है। इसे ठीक करने के लिये इस द्वार की दहलीज में चांदी की स्ट्रिप दबाएं तथा पीला पेंट करें।
द्वार की चैखट में ऊपर तीन प्लास्टिक पिरामिड लगायें, अवश्य लाभ होगा। घर में घुसते ही पंडित जी ने कहा कि इस घर के ईशान में भी कोई गंभीर दोष होने की प्रबल संभावना है। रसोईघर दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में है जो कि सेहत व धन के लिए बहुत ही अच्छा है।
परन्तु गैस स्टोव पर काम करते समय मुंह दक्षिण में होने के कारण गृहिणी को कंधे में दर्द तथा सर्वाईकल जैसी गंभीर बीमारियां उत्पन्न होने की संभावना होती है। इसलिए स्टोव पर काम करते समय मुंह को पूर्व या पश्चिम में ही रखना चाहिए। दक्षिण में ओवन, माइक्रोवेव रखना उचित रहेगा।
ब्रेकफास्ट टेबल उत्तर-पश्चिम में है जो ठीक है। फ्रीज दक्षिण-पश्चिम में है जो रह सकता हैं परन्तु इस स्थान पर इसके बार-बार खराब होने की संभावना बनी रहती है। अध्ययन कक्ष में मेज की बनावट को समचैरस करवायें। मेज को थोड़ा सा पूर्व की ओर से हटा कर पूजा घर को वहां स्थापित करने से घर व दफ्तर में ज्यादा सामंजस्य रहेगा।
अभी दक्षिण-पूर्व के पूजा घर में केवल दुर्गा पूजा ही ज्यादा अच्छा माना जाता है क्योंकि दक्षिण-पूर्व आग अर्थात शक्ति का स्थान है। अध्ययन कक्ष का शौचालय उत्तर-पूर्व में है जो धन, स्वास्थ्य, बच्चों का विकास व मानसिक शांति को गंभीर रुप से प्रभावित करता है।
उत्तर-पूर्व में शौचालय होने से लाइलाज बीमारी एवं कानूनी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। इसका प्रभाव कम करने के लिए शौचालय की दहलीज बनवाकर उस पर पीला पेंट लगाएं और एक सफेद चीनी मिट्टी के बर्तन में समुद्री नमक डाल कर उत्तर दिशा में रखें और उसे हर सप्ताह बदलते रहें। उत्तर-पूर्व कटा हुआ है।
इससे भारी खर्च व मानसिक अशांति बनी रहती है। ड्राइंग रुम उत्तर में है जो कि व्यवसाय में वृद्धि के लिए अच्छा है। पश्चिम में पाउडर रुम ठीक है। पंडित जी ने समझाया कि उपरोक्त सुझावों को कार्यान्वित करने से अवश्य लाभ होगा। परन्तु इसे बदलना सर्वश्रेष्ठ है।
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