धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के अनगिनत उपाय, शास्त्रों में एवं सिद्ध साधकों द्वारा बताये गये हैं, कुछ अति कठिन हैं और कुछ सरल हैं।
यहां कुछ अचूक एवं अनुभूत उपाय दीपावली यानी लक्ष्मी पूजा पर्व के शुभ अवसर पर प्रस्तुत हैं:
1. श्री यन्त्र्रम्-अचूक साधन ‘श्री यंत्र’ महालक्ष्मी का ही स्वरूप है। इससे बढ़कर कोई दूसरा श्रेष्ठ यंत्र नहीं है। दीपावली, धनतेरस, वसंत पंचमी, रवि पुष्य एवं गुरु पुष्य योग में ‘श्री यंत्र’ की साधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इस यंत्र को पूजा-स्थल अथवा व्यापारिक स्थल पर विधि पूर्वक स्थापित करके प्रतिदिन धूप-दीप दिखाकर ‘श्री सूक्त’ का पाठ करने से आर्थिक, भौतिक उन्नति के साथ-साथ सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की सहज प्राप्ति होती है। (श्री सूक्त या ‘लक्ष्मी सूत्र’) के नाम से छोटी सी पुस्तक बाजार में उपलब्ध है। ‘‘ऊँ हिरण्यवर्णां हरिणींसुवर्ण रजत स्रजाम् ...... श्री कामः सततं जपेत्।। 16।।
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2. व्यापार वृद्धिकारक अड़सठिया यंत्र यह ‘‘68’’ अंकों का यंत्र, अन्य पंद्रह-बीसा-चैंतीसा यंत्रों की भांति ही प्रभावशाली है। दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी पूजन के पश्चात् अथवा किसी रविपुष्य या गुरु पुष्य योग में इस यंत्र को दुकान/व्यापार स्थल में स्थित पूजास्थल पर (दीवार पर) नजर आता हुआ अष्ट गंध या देशी घी में मिले सिंदूर से अंकित कर दें, अथवा चांदी के पत्तर पर भी अंकित करवा सकते हैं। इस यंत्र के प्रभाव से व्यापार में वृद्धि होने लगेगी। नित्य पूजन करें। धूप-दीप दिखायें,
3. श्री महालक्ष्मी बीसा यंत्र प्रयोग एक पुरानी कहावत है ‘‘जिसके पास हो बीसा, उसका क्या करे जगदीसा।।’’ इस यंत्र की साधना-पूजा करने से साधक को महालक्ष्मी की अनन्य कृपा प्राप्त होती है। यह यंत्र बाजार से प्राप्त कर सकते हैं। विधि-पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा करके, गल्ला, तिजोरी में रखें या दुकान व्यापार स्थल पर दीवार पर फ्रेम कराकर टांग दें। नित्य ही यंत्र को धूप-दीपक दिखाकर दर्शन-पूजा करने से आश्चर्यजनक रूप से व्यापार में वृद्धि होने लग जाती है। दीपावली की रात्रि को शुभ मुहूत्र्त है।
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4. व्यापारवर्धक श्री महालक्ष्मी यंत्र प्रयोग इस यंत्र को चांदी के पत्तर पर लिखवाकर दीपावली के दिन लक्ष्मीपूजन के समय प्राण-प्रतिष्ठादि करके चैतन्य करके गल्ले अथवा तिजोरी में स्थापित कर दें। चाहें तो दीवाल पर देशी घी मिले हुए सिंदूर से लिखें। इसके पश्चात् निम्न मंत्र की एक माला (कमलगट्टा) अवश्य जप करें। ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।’’ नित्य एक माला जपने से यंत्र जागृत रह कर व्यापार वृद्धि करेगा।
5. व्यापारिक कर्जे शीघ्र चुकाने का प्रयोग: प्रायः व्यापारियों को मंदी के चलते अथवा कर्जा अधिक हो जाने की समस्याएं बनी रहती हैं। प्रयोग: उपरोक्त चारों यंत्रों को या किसी एक यंत्र को सफेद कागज पर केसर की स्याही से, अनार की कलम द्वारा लिखकर पंचोपचार पूजन दीपावली या अन्य शुभ मुहूत्र्त में करें। तत्पश्चात उसे दुकान, कार्यालय अथवा फैक्ट्री, व्यापार स्थल की चैखट के ऊपर दाहिने कोने में चिपका दें। इस यंत्र की नित्य पूजा करने से ऋण मुक्ति मिलती है और व्यापार सुचारू रूप से चलने लगता है। अत्यधिक लाभ पाने के लिये यंत्र को चांदी के पत्तर पर खुदवा कर शुभ मुहूर्त या दीपावली पर प्राण-प्रतिष्ठा-पूजा करके अपने पास रखें या लाॅकेट बनवा लें। ऋण मुक्ति के बाद इस यंत्र को किसी ब्राह्मण को दान में दे दें।
6. श्री ज्येष्ठ लक्ष्मी यंत्र-स्वामी निवास यह यंत्र बाजार में ताम्रपत्र पर बना हुआ मिल जाता है। इस यंत्र की विधिपूर्वक पूजा-प्राण प्रतिष्ठा कराकर घर, पूजा-स्थल, व्यापार, लक्ष्मी प्रतिमा या चित्र के साथ स्थापित कर लें। मंत्र:- ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठालक्ष्मी स्वयंभुवे ह्रीं ज्येष्ठायै नमः।।’’ की एक माला श्रद्धापूर्वक जपें, ऐसा नित्य जप-पूजा करने से लक्ष्मी का स्थायी वास हो जाता है। साथ में उस स्थान पर सुख-समृद्धि, शांति-वैभव और आरोग्यता का भी वास हो जाता है। विशेष: लक्ष्मी के जप हेतु ‘कमल गट्टा’ की माला अति आवश्यक है। यंत्रों का निर्माण करते समय उसमें लिखे जाने वाले अंक हिंदी में लिखें। इन अंकों को आरोही क्रम से लिखना शुरू करें, अर्थात् पहले सबसे छोटा फिर उससे बड़ा फिर उससे भी बड़ा।
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