पढ़ाई-लिखाई में सफलता के शास्त्रीय उपाय व उपयोगी ज्योतिषीय सामग्री
पढ़ाई-लिखाई में सफलता के शास्त्रीय उपाय व उपयोगी ज्योतिषीय सामग्री

पढ़ाई-लिखाई में सफलता के शास्त्रीय उपाय व उपयोगी ज्योतिषीय सामग्री  

अंकुर नागौरी
व्यूस : 46570 | आगस्त 2011

पढ़ाई-लिखाई में सफलता के शास्त्रीय उपाय व उपयोगी ज्योतिषीय सामग्री अंकुर नागौरी विद्यार्थी जगत की उपलब्धियों में पुस्तक, विद्यालय और शिक्षक के अलावा जिन महत्वपूर्ण बातों का विशिष्ट योगदान रहता है। उनमें परिवेश अर्थात वास्तु एवं अन्य कारकों का सही योगदान होने और कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने से उपलब्धि की गुणवत्ता निश्चित रूप से कई गुना बढ़ जाती है। यहां ऐसे कुछ घटक तत्वों और कारकों का उल्लेख है जिनका लाभ सभी विद्यार्थी उठा सकते हैं। वास्तु शास्त्र : अध्ययन कक्ष एक ऐसा स्थान है, जहां पर व्यक्ति ज्ञान, बुद्धि के साथ-साथ पढ़ने के शौक को पूरा करता है। इस कक्ष का वास्तविक क्षेत्र, भवन के उत्तर-पूर्व में होता है। इसके अलावा यह कक्ष उत्तर, पूर्व तथा पश्चिम दिशा के बीच भी हो सकता है।

दक्षिण-पश्चिम (नैत्य कोण) दक्षिण, वायव्य कोण अध्ययन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं होते। उत्तर-पश्चिम दिशा के बढ़े हुए भाग में बच्चों को कभी अध्ययन न करने दें। यहां अध्ययन करने से बच्चे के घर से भागने की इच्छा होगी। अध्ययन-कक्ष में विद्यार्थियों को सदैव पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की तरफ मुंह करके पढ़ना चाहिए। इससे वह विलक्षण प्रतिभा का धनी व ज्ञानवान होगा। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस अधिकारी तक हो सकते हैं। पूर्व दिशा लिखने-पढ़ने के लिए सर्वोत्तम होती है। उत्तर-पूर्व में रहने वाले बच्चे की सेहत भी काफी अच्छी रहती है। मकान के उत्तर-पूर्व कोण के बने कमरे में दक्षिण या पश्चिम की ठोस दीवार के सहारे बैठकर पढ़ने से सफलता जल्दी मिलती है। इस कमरे में उत्तर-पूर्व की दीवार पर रोशनदान या खिड़की जरूर होनी चाहिए। बच्चे को आग्नेय कोण में बैठकर पढ़ने से मना करें, क्योंकि यहां बैठने से रक्तचाप बढ़ता है और बच्चा हमेशा ही पेरशान रहता है। मेहनत करने के बावजूद भी सफलता हाथ नहीं लगती।

पढ़ाई हो या दफ्तर, पीठ के पीछे खिड़की शुभ नहीं होती। इससे पढ़ाई/नौकरी छूट जाती है। पीछे व कंधे पर रोशनी या हवा का आना अशुभता को ही दर्शाता है। जिस मकान में, जहां कहीं भी तीन या इससे अधिक दरवाजे एक सीध में हो या गली की सीध में हों तो उसके बीच में बैठकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसके बीच में बैठकर पढ़ने से बच्चे की सेहत ठीक नहीं रहती, साथ ही पढ़ने में भी मन नहीं लगता। विद्यार्थियों को किसी बीम या दुछत्ती के नीचे बैठकर पढ़ना या सोना नहीं चाहिए, अन्यथा मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। अध्ययन कक्ष की दीवार या पर्दे का रंग हल्का पीला, हल्का हरा, हल्का आसमानी हो तो बेहतर है। कुंडली के अनुसार शुभ रंग जानकर अगर दीवारों पर करवाया जाये, तो ज्यादा बेहतर परिणाम सामने आते हैं। यदि विद्यार्थी कम्प्यूटर का प्रयोग करते हैं तो कम्प्यूटर आग्नेय से दक्षिण व पश्चिम के मध्य कहीं भी रख सकते हैं। ईशान कोण में कभी भी कम्प्यूटर न रखें।

अध्ययन-कक्ष के टेबल पर उत्तर-पूर्व कोण में एक गिलास पानी का रखें। इसके अलावा टेबल के सामने या पास में मुंह देखने वाला आईना न रखें। अध्ययन कक्ष में सोना मना है। इस कारण से वहां पर पलंग, गद्दा-रजाई आदि नहीं होनी चाहिए। वैसे सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा की ओर अच्छा रहता है। रुद्राक्ष रत्न कवच : यह कवच चार मुखी रुद्राक्ष एवं पन्ना रत्न के संयुक्त मेल से निर्मित होता है। चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा जी का स्वरूप होने से इसे विद्या प्राप्ति के लिए धारण करना शुभ होता है। पन्ना रत्न से बुद्धि का विकास होता है, जिससे पढ़ाई में अच्छी सफलता प्राप्त होती है। सरस्वती यंत्र : जिन विद्यार्थियों को अधिक मेहनत करने पर भी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं होते, उन्हें यह यंत्र घर में स्थापित करना चाहिए और श्रद्धा से धूप, दीप, गंध, अक्षत आदि से पूजन तथा निम्न मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र : ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः॥ या देवि सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ फेंगशुई : अगर बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा हो, तो टेबल पर एजुकेशन टावर लगाना चाहिए। इसके प्रभाव से बच्चे की पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ेगी और पढ़ाई में बच्चे का मन लगने लगेगा। बच्चे की परीक्षा में शानदार सफलता के लिए अध्ययन कक्ष में स्फटिक गोले उत्तर दिशा में लटकाने चाहिए। नवरत्न का पौधा बच्चे के नवग्रह को ठीक करता है। इसे उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। विद्यार्थी अपनी मेज पर ग्लोब रखें और इसे दिन में तीन बार घुमाएं। पिरामिड : पिरामिड का जल अगर बच्चे को पिलाया जाये तो बच्चे की सेहत ठीक रहेगी और बच्चे की पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी। तंत्र व टोटके : अगर बच्चा पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा हो तो एक साबुत नींबू लेकर बच्चे के सिर के ऊपर से सात बार उतारें, उतारते समय नींबू से निवेदन करें कि 'अमुक की हर बला तेरे सर'।

इसके पश्चात नींबू को आड़ा काटकर किसी चौराहे पर फैंक दें और बिना मुड़े वापिस आ जायें। बच्चे को अगर नजर लगी हो तो बच्चे का पढा़ई में मन नहीं लगता। इसके उपाय के लिए 7 लाल मिर्च, 1 चम्मच राई को लेकर बच्चे के सिर पर से विपरीत दिशा में सात बार उतारकर अग्नि में डाल दें। इससे बड़ी से बड़ी नजर तुरंत उतर जाती है। बच्चे को नजर लगने पर अपने मकान की देहली पर बिठाकर काली उड़द, नमक व मिट्टी को बराबर मात्रा में लेकर सात बार उतारकर दक्षिण दिशा में फैंक दें। 11 गोमती चक्र बच्चे के सिर पर से सात बार उतारकर प्रवाहित करें। यह उपाय लगातार सात सोमवार करें।

बच्चे का पढ़ाई में मन लगना शुरू हो जायेगा। प्रत्येक बुधवार को गाय को हरा चारा डालें, इससे बच्चे को विद्या और बुद्धि आती है। जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो, उन्हें नियमित रूप से 11 तुलसी के पत्तों का रस मिश्री के साथ देने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.