श्री वैभव समृद्धिदायिनी महालक्ष्मी अर्चना योग
श्री वैभव समृद्धिदायिनी महालक्ष्मी अर्चना योग

श्री वैभव समृद्धिदायिनी महालक्ष्मी अर्चना योग  

बाबुलाल शास्त्री
व्यूस : 4768 | नवेम्बर 2015

श्री चक्रस्वरूपी ललिता वास्तव नम् नमो हैमाद्रिस्ये शिव शक्ति नमः श्रीपुर गते। नमः पद्माव्यां कुतुकिनिनमो रत्र गृहगे।। नमः श्री चक्रस्थ खिलमये नमो बिंदु विलये। नमः कामेशांक स्थिति मति नमस्ते य ललिते।। श्री वैभव समृद्धि अर्थ प्रदायक मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर मनवांछित फल प्राप्ति हेतु आराधना का सहज एवं सुलभ योग महापर्व लक्ष्मी पूजा दीपावली समय का है। कुबेर के असीम ऐश्वर्यशाली होने का राज उनके द्वारा संपन्न महालक्ष्मी साधना मानी जाती है जो उन्हें ब्रह्माजी की कृपा स्वरूप प्राप्त हुई। इस साधना की सफलता में कुबेर को परम सौभाग्य एवं असीम धन भंडार प्राप्ति का आशीर्वाद दिलवाया। अभयदात्रि धनदायिनी महालक्ष्मी और ऋद्धि सिद्धि दाता गणपति के पूजन का महापर्व दीपावली सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता के प्रतीक रूप में अमावस्या के दो दिन पूर्व से लेकर अमावस्या के दो दिन बाद तक पंच पर्व रूप में प्रतिवर्ष बड़े उत्साह एवं उल्लास से मनाया जाता है।

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लक्ष्मी का स्थायी वास संभव है किंतु उसके लिए नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था रखकर प्रथम तो उसी के अनुकूल वातावरण बनाना आवश्यक है। घर में ऐसे वातावरण का निर्माण करें कि परिवार में मधुरता और मृदुभाषी, सत्यभाषी परिवार के सदस्य हांे। धर्म को मानने वाले, सदाचारी हों, लड़ाई-झगड़ा नहीं हो, घर के इष्टदेव के प्रति श्रद्धानत हों, आध्यात्मिक वातावरण हो, पूजा-पाठ होता हो एवं शुद्ध सात्विक भोजन करते हांे। द्वितीय काल गणना अनुसार लग्न मुहूर्त का शुभ योग हो क्योंकि भक्ति आराधना कर्म से जुड़ी है। इनका समन्वय किसी पर्व योग मुहूर्त में होता हो तो मानव जीवन का निर्माण स्वतः ही संपन्न हो जाता है। सही योग व सही लग्न में किया गया कार्य निश्चित ही सफलता प्रदान करता है। लक्ष्मी पूजन स्थिर लग्न में किये जाने से समस्त भौतिक संपदाओं की पूर्ति मां लक्ष्मी के स्थायी निवास से प्राप्त होती है। महालक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवमांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है।

व्यक्ति के राशि वर्गवार मां लक्ष्मी की निम्नानुसार पूजा करना शुभाशुभ है। मेष एवं वृश्चिक राशि वालों को जिनकी राशि का स्वामी मंगल है मां भगवती भुवनेश्वरी देवी की आराधना, पूजा करना शुभ फलदायक है। दीपावली पर गुलाब एवं कनेर के पुष्प तथा बेसन एवं गुड़ से निर्मित मिष्टान्न से लक्ष्मी पूजन संपन्न करें एवं स्थान सिद्धि यंत्र स्थापित करें। वृष एवं तुला राशि वालों को जिनके राशि स्वामी शुक्र हैं, मां भगवती मातंगी देवी की आराधना करना शुभ फलप्रद है। दीपावली पर केवड़ा जल श्वेत पुष्पों से मां लक्ष्मी का पूजन संपन्न करंे एवं भाग्य वृद्धि यंत्र स्थापित करें। मिथुन एवं कन्या राशि वालों को जिनकी राशि का स्वामी बुध है मां भगवती मातंगी देवी की आराधना करना शुभ फलप्रद है। दीपावली पर खस के सुगंध, केवड़ा एवं गुलाब जल के साथ लक्ष्मी पूजन संपन्न करंे एवं स्थान सिद्धि यंत्र स्थापित करें। कर्क राशि वालों को जिनके राशि स्वामी चंद्र हंै, मां दुर्गा की आराधना शुभफलदायी रहती है। दीपावली पर चमेली के पुष्पों एवं खीर से लक्ष्मी पूजन संपन्न करें एवं दोष निवारण यंत्र स्थापित करें।

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सिंह राशि वालों को जिनकी राशि का स्वामी सूर्य है, मां भगवती षोडशी की आराधना करना शुभफलप्रद है। दीपावली पर गुलाब एवं कमल के पुष्पों से लक्ष्मी पूजन संपन्न करें तथा सिद्धि यंत्र स्थापित करें। धनु एवं मीन राशि वालांे को जिनकी राशि का स्वामी बृहस्पति है, मां भगवती श्री बगला देवी की आराधना करना शुभफलप्रद है। दीपावली पर मोगरा के पुष्पों से तथा हल्दी, चावल एवं केसर से निर्मित मिष्टान से लक्ष्मी पूजन करें एवं गुरु यंत्र स्थापित करें। मकर एवं कुंभ राशि वालों को जिनके राशि स्वामी शनि हैं, मां भगवती काली देवी की पूजा आराधना करना शुभफलप्रद है। दीपावली पर मोगरा, चमेली, रातरानी के पुष्पों से तथा बादाम के हलवे से लक्ष्मी पूजन करें तथा शनि महायंत्र एवं बीसा यंत्र स्थापित करें। दीपावली की रात्रि को मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना अवधि में प्राण प्रतिष्ठित सिद्ध यंत्र एवं अन्य यंत्रों द्वारा मां की अर्चना की जाती है। मंत्र को देवता की आत्मा एवं यंत्र को देवता का निवास स्थल माना जाता है।

श्री यंत्र वैभव संपदा की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी का स्वरूप, आत्मा व शक्ति है। इस यंत्र में 2816 देवी-देवताओं की अदृश्य शक्तियां विराजमान रहती हैं। इस यंत्र की पूजा और लक्ष्मी साधना से समस्त देवी देवताओं की पूजा साधना का पुण्य साधक को मिलता है। प्राणी द्वारा यश, धन, मान, पद, प्रतिष्ठा, शांतिमय जीवन व्यतीत करने व व्यापार, व्यवसाय में उन्नति, भौतिक सुख समृद्धि के लिये श्री यंत्र स्थापित कर पूजा अर्चना की जानी चाहिए। साथ में मंत्रोच्चारण किया जाना भी लाभप्रद है। लक्ष्मी मंत्र का जाप स्वयं को करना चाहिये। ओम श्रीं हीं कमले कमलालये प्रसीद। श्रीं हीं ओम श्री महालक्ष्म्यै नमः।। स्तुति है माता शरण में आये हुये भक्तों की रक्षा करने वाली आप शांति स्वरूपा हैं। सभी उदात्त गुणों का आप ही एक मात्र आशय हंै अतः आप शांतिमयी हैं। अपने भक्तों के सभी पापों का नाश करने वाली, सौम्य, धन धान्य देकर समृद्ध बनाने वाली आप जगदात्री हंै। अतः परिवार सहित भावपूर्ण हृदय से चरणों में पुनः पुनः नमन करते हैं। मां लक्ष्मी च विद्महे विष्णु पत्नि च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।

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