‘पिरामिड’ दो शब्दों (ग्रीक) - ‘पायरा’ (आग, ऊर्जा या उष्मा) एवं ‘मिड’ (मध्य) से मिलकर बना है अर्थात् वह वस्तु जिसके मध्य धनात्मक या सकारात्मक ऊर्जा हो, तथा जो सक्षमता से सभी शीघ्र नष्ट होने वाली जड़/चेतन वस्तुओं को सुरक्षित रखती हों। पिरामिड के अन्य रूप विभिन्न धार्मिक स्थलों जैसे - मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, बौद्ध मठ, गिरजाघर आदि हैं, जिनके ऊपरी हिस्से पर एक विशेष गुम्बदनुमा आकृति लिए होती है जिनके मध्य यही सकारात्मक ऊर्जा पिरामिड आकृति के कारण प्रवाहित होती रहती है। हां, पिरामिड द्वारा वास्तु दोष सुधार हेतु भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में बिना तोड़े-फोड़े सुधार किया जा सकता है।
यह सुधार स्वास्थ्य क्षेत्र में, चिकित्सा क्षेत्र में, बीमारी में, आध्यात्मिक क्षेत्र में साधना, पूजा, योग, ध्यान में व शिक्षा आदि में किया जा सकता है। इसके लिए उपयोगी बिंदु निम्न हैं- वास्तु में पिरामिड का निर्धारण इसका निर्धारण चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा के अनुसार करना चाहिए। साधारणतया चुंबकीय बल रेखायें उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हैं। अपनी पृथ्वी, जिस पर व्यक्ति रहते हैं, भी एक चुंबक ही हैं। इसमें ऊपर उत्तरी (ध्रुव) दिशा एवं नीचे दक्षिणी (ध्रुव) दिशा होती है, अतः चुंबकीय बल रेखा ऊपर से नीचे की ओर बहती है। अतः पिरामिड की कोई भी सतह पृथ्वी के उत्तर या दक्षिण ध्रुव के समानान्तर रखनी चाहिए। इस्तेमाल सही करने पर ही लाभ होता है, नहीं तो हानि भी हो सकती है।
इसके आसपास गंदगी नहीं होनी चाहिए। इसे साफ-सुथरी हवादार जगह पर रखना चाहिए या निर्माण करना चाहिए। इसे विद्युतीय वस्तुओं जैसे - बिजली के तार एवं उपकरणों से दूर रखना चाहिये जबकि इलेक्ट्राॅनिक वस्तुओं या कंप्यूटर के ऊपर इसे रख सकते हैं, जिससे इनकी कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है। अनियमित आकार के भूखंड को ऊर्जामय बनाना वास्तु अनुसार ऐसा भूखंड शुभ नहीं होता है, प्रगति नहीं हो पाती, व्यवसाय नहीं चलता है, कलह आदि रहते हैं। इसे ठीक कर ऊर्जामय बनाने हेतु मध्य ब्रह्म स्थान के अलावा प्रत्येक कोने में पिरामिड लगाने पर उपरोक्त अशुभ घटनाओं में लाभ होता है।
भूखंड के कटे कोनों को ठीक करना कोने कटे हुए शुभ नहीं माने जाते हैं विशेषकर ईशान कोना, इसके कट जाने से दुकान, कारखाने, धन दौलत एवं कामकाज आदि सभी बंद हो जाते हैं तथा जगा भाग्य सो जाता है, दुर्भाग्य शुरू हो जाता है, मालिक कर्ज में डूब जाता है। लक्ष्मी रूठ जाती है जिससे दरिद्रता शुरू हो जाती है। इसके लिये पिरामिड की दीवार को कोने पर चित्रानुसार लगाना चाहिए जिससे उपरोक्त अशुभ परिणामों में लाभ हो। भूखंड के ईशान में शौचालय होने पर पिरामिड द्वारा उपाय ईशान में शौचालय होने पर आर्थिक कमी, दुर्घटनाएं, मानसिक परेशानी शुरू हो जाती है। उद्योग धंधे बंद हो जाते हैं। परेशानी, संकट व आपदा पीछा नहीं छोड़ती जिससे व्यक्ति का मान, सम्मान, यश, प्रतिष्ठा सब समाप्त हो जाते हैं। अतः इसे सही करने हेतु पिरामिड को इसकी बाहरी दीवार की ओर लगाना चाहिए, इससे इसके ऋणात्मक प्रभाव में कमी आती है
तथा उपरोक्त नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। शयन कक्ष के साथ शौचालय होने पर पिरामिड शक्ति का उपयोग यदि ऐसा हो तो ऋणात्मक या नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से विभिन्न प्रकार की परेशानियां आयंेगी। इस दोष के निवारण हेतु निम्न चित्रानुसार शौचालय के बाहर की दीवार की चैखट पर तीन पिरामिड लगाने से उपाय हो जाता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। पिरामिड द्वारा मुख्य द्वार की सुरक्षा यदि द्वार के सामने किसी भी प्रकार का वेध हो तो उन्नति पूर्णतया नहीं हो पाती है। आर्थिक तंगी रहती है, कार्यों में विलंब, मानसिक परेशानी आदि बनी रहती है। इसे दूर करने हेतु उपाय के रूप में चित्रानुसार े9 ग् 9 के तीन पिरामिड द्वार के दायें व बायें तथा ऊपर लगाने से दोष दूर हो जाता है। खराब कल-कारखाने आदि को पिरामिड शक्ति द्वारा ठीक करके ऊर्जामय बनाना खराब कल कारखानों में मशीनें सही ढंग से कार्य नहीं कर पाती हैं
या हमेशा कोई नई परेशानी आ रही हो, कार्य करने वालों के साथ मानसिक शांति न हो आदि नकारात्मक प्रभाव दिखते हैं तो इन्हें ठीक करने हेतु भूखंड के चारांे कोणों व चारों दिशाओं तथा मध्य ब्रह्मस्थल में 9 ग 9 का पिरामिड लगाने से भूखंड ऊर्जावान होता है। इससे कार्यक्षमता में वृद्धि होकर उत्पादन अधिक होता है। खाना बनाते समय मुंह पश्चिम या दक्षिण में हो तो पिरामिड शक्ति द्वारा उपाय वास्तु अनुसार, मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए जिससे ऊर्जा मिलती रहे तथा व्यक्ति स्फूर्तिवान, स्वस्थ बना रहे, लेकिन मंुह पश्चिम या दक्षिण में हो तो अस्वस्थता, अस्फूर्ति, उत्साह में कमी व दुर्बलता बनी रहती है तथा मानसिक अशांति व मन कमजोर रहता है, थकान बनी रहती है, आर्थिक तंगी रहती है। अतः खाना बनाने वाले व्यक्ति की दिशा पर मुंह के सामने 9 ग 9 का तीन इंच का पिरामिड लगायें जिससे दोष दूर होकर ऊर्जा का संचार हो सके। पिरामिड द्वारा ब्रह्म स्थल को ऊर्जावान बनाना इसके लिये मध्य में 9 पिरामिड यंत्र चित्रानुसार लगायें। इसके निर्माण हेतु चार चार फुट का लगभग 1 फुट गहरा गड्ढा खोदें। हर यंत्र में छः इंच का अंतर रखते हुए पिरामिड एक दूसरे के समानान्तर रखने चाहिए। इसी तरह चारांे कोणों में भी 9 पिरामिड यंत्र स्थापित करें। इससे केंद्र कोण की सक्रियता बढ़ जाती है जो गृहस्वामी व उसके परिवार के लिये स्वास्थ्यवर्धक होती है।
पिरामिड द्वारा फ्लैट के ब्रह्मस्थल को ऊर्जावान बनाना यदि किसी का फ्लैट ऊपरी पांचवीं मंजिल पर है और कोई निजी भूमि नहीं है तो ऐसे में सर्वप्रथम ब्रह्मस्थल निकालना चाहिए तथा भीतरी छत या सिलिंग में नौ मल्टियर पिरामिड यंत्र लगाना चाहिए। ये नीचे की ओर करके लगाना चाहिए जैसा चित्र में उल्टा त्रिभुज दर्शाया गया है। ब्रह्म स्थानों में कोई दीवार होने पर ऐसा होने पर िच त्र ा न ु स ा र दीवार पर तीन मल्टियर पिरामिड यंत्र लगाने से ब्रह्म स्थल सक्रिय हो जाता है तथा दीवार का दोष दूर हो जाता है। ब्रह्म स्थान में सीढ़ी होने पर यदि सीढ़ी गोल है तो उसके चारांे ओर पिरामिड लगायें। ये पिरामिड यंत्र फर्श के नीचे या ऊपर सीलिंग (छत) पर लगायें। यदि फर्श के नीचे पिरामिड लगाना संभव हो तो सीलिंग में पट्टी लगाकर उसे अलग कर सकते हैं। ब्रह्मस्थान में शौचालय होने पर यह एक गंभीर दोष है, इसे हटाना ही बेहतर होता है।
यदि हटा नहीं सकते तो पिरामिड द्वारा कुछ मात्रा ें इसका दोष कम कर सकते हैं पूर्णरूप से समाप्त नहीं। पिरामिड स्ट्रिप से प्रभावात्मक रूप से विभाजन करना ही इसका बेहतर उपाय है जिसे चित्र में दर्शाया गया है। तिजोरी को पिरामिड द्वारा ऊर्जावान बनाना इसके लिए इसमें एक पिरामिड यंत्र रखें। जैसे-जैसे ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है वैसे-वैसे तिजोरी भी ऊर्जित होती है। इससे धन के आगमन के प्रवाह में वृद्धि होकर तिजोरी, धन से कभी भी खाली नहीं होती है।
पिरामिड यंत्र का संक्षिप्त विश्लेषण पिरामिड यंत्र में चार उपकरण निम्न लगे होते हैं:
1. पिरामिड चिप ये चिप छोटे आकार के पिरामिड समूह होते हैं। एक चिप में 9 पिरामिड होते हैं। ये पिरामिड, यंत्र में लगाये जाते हैं ताकि उनकी शक्ति को गुणात्मक रूप से बढ़ा सकें। इन्हें 9 पिरामिडांे वाली प्लेट के नीचे लगाया जाता है। इन्हें स्वतंत्र रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
2. पिरामिड प्लेट (एक) पिरामिड प्लेट में 9 पिरामिड बने होते हैं और उनके नीचे जो खाली स्थान होता है वहां पर 9 पिरामिड चित्र लगाये जाते हैं इससे इनकी ऊर्जा शक्ति 9 गुणा या 81 हो जाती है। यदि नीचे 9 चिप लगाये गये तो ये 9 पिरामिड का लाभ देगी। इसे पिरामिड चिप का बड़ा रूप भी कह सकते हैं। पिरामिड प्लेट (दो) यह प्लेट 9 पिरामिड वाली प्लेट के ऊपर लगाई जाती है। इसमें 9 छेद होते हैं जो 9 पिरामिडों के ऊपर आकर समतल धरातल का काम करते हैं। पिरामिड टाॅप इसे पिरामिड गुम्बद कह सकते हैं। यह मंदिर आदि धार्मिक स्थलों की ऊपर ध्वजा के अनुरूप होती है। इसे स्वतंत्र रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है और 9 पिरामिडों वाली प्लेट के ऊपर भी इसके अंदर ब्रह्माण्डीय ऊर्जा शक्ति रहती है। इन चारों को क्रम से लगाने पर अर्थात् सबसे ऊपर पिरामिड टाॅप फिर पिरामिड छिद्र प्लेट, फिर उसके नीचे 9 पिरामिड वाली प्लेट, फिर उसके नीचे प्रत्येक खाली स्थान पर 9 पिरामिड वाली एक-एक चिप इस तरह से पिरामिड यंत्र की संरचना होती है।