प्र.-दरिद्रता दूर करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उ.- नहीं दरिद्र सम दुख जग माही। अर्थात जगत में दरिद्रता के समान कोई दुख नहीं है। यह दरिद्रता भी अनेक रूपों वाली है। बुद्धि का विकास न होना मस्तिष्क की दरिद्रता है। दया का अभाव हृदय की दरिद्रता है। स्वास्थ्य का अभाव शारीरिक दरिद्रता है। चरित्र का अभाव यश की दरिद्रता है। अर्थ का अभाव धन की दरिद्रता है। विनम्रता का अभाव संस्कार की दरिद्रता है। उपरोक्त सभी दरिद्रताओं को दूर करने के लिए हरि प्रिया मां लक्ष्मी के निम्न मंत्रांे के श्रद्धा व विश्वास से जाप करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
मंत्र - ऊँ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देव जुष्टामुदाराम्। तां पद्यिनेमीं शरणं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि।।
यह जाप पूर्णमासी के दिन थाली में चावल रखकर श्री यंत्र स्थापित कर उसका विधिवत पूजन कर रूद्राक्ष की माला से उपरोक्त मंत्रों का तीन माला प्रातःकाल प्रतिदिन जाप करें। जाप के उपरांत कमलगट्टे एवं देशी घी से एक माला उपरोक्त मंत्र पढ़कर आहुति दें। तीन माह के अन्दर माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होकर विभिन्न प्रकार की दरिद्रताओं का निवारण होने लगता है।
प्र.-दरिद्रता दूर करने में दक्षिणावर्त शंख की क्या भूमिका है?
उ.- सागर मंथन के समय भगवती महालक्ष्मी एवं दक्षिणावर्ती शंख दोनांे की उत्पत्ति सागर से हुई। इस कारण शंख को लक्ष्मी का सहोदर भाई कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख रहता है, वहां लक्ष्मी निवास करती है। दक्षिणावर्ती शंख के सामने दीपावली के रात्रि काल में दक्षिण लक्ष्मी स्तोत्र का 108 बार जाप किया जाए तो सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। धन, मकान, प्रमोशन एवं कीर्ति की प्राप्ति होती है। दुकान में शंख का जल छिड़कने से बिक्री में वृद्धि होती है। शंख में चावल भरकर 11 बार निम्न दक्षिण लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ कर अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर घूमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दिया जाए तो उस रोगी की व्याधि सदा के लिए समाप्त हो जाती है।
दक्षिण लक्ष्मी स्तोत्र - त्रैलोक्यपूजिते देवी कमले विष्णुवल्लभे। यथाव्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा।।
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूमिर्हरिप्रिया। पद्मा पद्मालया सम्यगुच्चैः श्रीपद्म धारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य यः पत्रेत्। स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत तस्य पुत्रदाराभिः सह।।
प्र.-कार्यालय मे बाॅस के मतभेद के कारण नौकरी छोड़ने पर तथा पुनः अच्छी नौकरी पाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उ.- रविवार के प्रातः काल जल में 22 केसरिया रंग से रंगे रंगीन चावल मिलाकर 22 दिनों तक भगवान सूर्य को अघ्र्य दें, साथ ही निम्न मंत्रों का 108 बार जाप करें।
मंत्र- ऊँ हृीं घृणिः सूर्य आदित्य श्री
प्र.-व्यवसाय में प्रगति, धन की प्राप्ति तथा निरोगी काया एवं दीर्घायु जीवन के लिए क्या करना चाहिए ?
उ.-मां श्री रूपा भगवती त्रिपुरासुन्दरी का ध्यान करके निम्न मंत्र का 10 हजार जाप, शरद् पूर्णिमा से प्रारंभ करके कार्तिक पूर्णिमा तक पूर्ण करना चाहिए। साथ ही जाप समाप्त होने पर सम्पूर्ण मंत्र संख्या का दशांश हवन कमलगट्टा, जावित्री, कपूर, बेलगिरी, तिल, जौ, गुग्गुल, गाय का घी, शम्मी वृक्ष का फल, लाल चन्दन का बुरादा तथा सफेद चन्दन के बुरादे से करना चाहिए।
मंत्र- ऊँ हं जं सः अनिमेषायै अपर्णायै ईश्वरी विद्यायै स्वाहा।
प्र.-पति एवं गृहस्थ सुख प्राप्त करने के लिए कौन सी साधना करना लाभप्रद होता है ?
उ.- दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए यह दुर्लभ साधना प्रत्येक नारी को भाग्यवान बनाती है। माँ लक्ष्मी के चित्र के सामने प्रातः स्नान कर, शुद्ध वस्त्र पहनकर, कुशा के आसन पर पद्मासन लगाकर, देशी घी का दीपक जलाकर पूर्व की ओर मुख करके, 10 माला जाप 21 दिन तक प्रसन्न चित्त होकर श्रद्धा व भक्तिपूर्वक करना चाहिये। जाप के बाद दशांश हवन देशी घी, लौंग, इलाईची व सुपारी से करना चाहिये। सामान्य अवस्था में रोज 108 बार जाप करने मात्र से ही सौभाग्य वृ़िद्ध होने लगती है।
मंत्र-ऊँ हृीं क्लीं ह् सौः सौभाग्य सुन्दरी स्वाहा।
प्र.- घर, बंगला, कार तथा माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उ.- सुन्दर सा घर जो वास्तुदोष रहित हो, परिवार के सदस्य निरोगी, कार एवं समाज में प्रतिष्ठा प्राप्ति के लिए विष्णु प्रिया के समक्ष कमलगट्टे की माला से 108 बार प्रतिदिन जाप करना आवश्यक है।
मंत्र - ऊँ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तनाथ प्रमोदिनीम्। श्रियं देवीमुप हृये श्रीर्मा देवी जुषताम्।।
प्र.-कठोर परिश्रम के बाद भी धन का अभाव रहने पर क्या करना लाभप्रद होगा?
उ.- कठोर परिश्रम के बाद भी यदि धन का अभाव ही रहता है, कर्जा बढ़ता जा रहा हो, दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो, व्यापार में निरंतर घाटा ही हो रहा हो तो निम्न मंत्र साधना शीघ्र ही फलदायी है: कमल के आसन पर बैठी हुई माँ लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने देसी घी का दीपक जलायें । चंदन की अगरबत्ती जलाकर, धूप, दीप दिखाकर अपने दोनों हाथों के मध्य श्री कुंकुम से लिखकर हाथ जोड़कर निम्न मंत्रों का 108 बार जाप करें। जाप के बाद अपने दोनों हाथों से फल-फूल, नैवेद्य , लाल चूड़ियां एवं लाल दुपट्टा माँ लक्ष्मी को अर्पित करें।
मंत्र- ऊँ कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम। श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्मालिनीम्।।