उत्तरांचल प्रांत के अल्मोड़ा जिले के छोटे से शहर त्याली के मूल निवासी झाड़खंड की राजधानी रांची में रहने वाले महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट जगत के सबसे हाॅट पोस्टर बाॅय हैं।
मैदान और मैदान के बाहर धोनी की सफलताओं ने रांची के साथ साथ पूरे भारत के क्रिकेट के स्वरूप को बदलकर रख दिया है। इससे पहले रांची से एक भी क्रिकेटर टीम इंडिया में नहीं पहुंचा था। महेंद्र सिंह धोनी के बाल और बल्ले के दीवाने भारत एवं झाड़खंड के ही नहीं हैं। 13 फरवरी 2006 को लाहौर में जब क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का बल्ला लहरा रहा था, पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को उनकी हर अदा भा रही थी। धोनी ने 46 गेंदों पर 13 चैकों की मदद से नाबाद 72 रन बनाकर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी थी।
आज महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। 20 अप्रैल 2006 को आई. सी. सी. रैंकिंग में वह पहले स्थान पर थे। उन्होंने यह स्थान आस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग को पछाड़कर प्राप्त किया था। आइए देखें क्या संकेत देते हैं ग्रह नक्षत्र उनके भविष्य के बारे में। धोनी का जन्म 16 गते आषाढ़ संवत 2038 शक 1903 षष्ठी तिथि, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, धनु लग्न और धनु नवमांश में रांची में हुआ।
उनके पिता श्री पान सिंह भारत सरकार के एक उपक्रम मेकाॅन में कार्यरत थे। 6 दिसंबर 2002 से 6 अगस्त 2005 तक की राहु की दशा में राहु के ही अंतर में 23 दिसंबर 04 को बंगलादेश के ढाका में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश किया। अभी उनका समय अत्यंत अनुकूल है और 6 जनवरी 2008 तक अनुकूल रहेगा। इस दौरान वे एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाएंगे।
अगर महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेटर नहीं होते तो भारत की फुटबाल टीम में अवश्य होते। लग्नेश चतुर्थेश बृहस्पति पराक्रमेश धनेश शनि व अष्टमेश चंद्र के साथ राज्य, कर्म, यश के स्थान दशम भाव में स्थित होकर लग्न, प्रसिद्धि, सम्मान, यश, चतुर्थ स्थान और सभी प्रकार के भौतिक सुख सुविधाओं को देख रहा है। लग्न से सप्तम में स्थित बुध अष्टम शुक्र को और छठे घर का मंगल लग्न को मजबूती प्रदान कर रहा है।
इसी योग के कारण छोटी सी उम्र में धोनी ट्वेंटी-ट्वेंटी विश्व कप में भारत के कप्तान बने और चैबीस साल बाद भारत को उनकी कप्तानी में विश्व कप नसीब हुआ इन्हीं योगों के कारण उनकी अंतर्राष्ट्रीय छवि बनी। द्वितीय स्थान का कते ु यागे कारी शुक्र स े दृष्ट है, जिससे उनके एक विज्ञापन के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां 40 से 60 लाख तक की राशि रुपये देने को तैयार बैठी हैं।
धनेश, पराक्रमेश शनि के लग्नेश, सुखेश बृहस्पति से युक्त होने के कारण उनको पिच हिटर, सिक्सर मैन, विश्वकप विजेता, माही आदि विभिन्न उपनामों से पुकारते हैं। क्रिकेट प्रेमी उन्हें वंडर ब्वाय भी कहते हैं। वे जब तक पिच पर रहते हैं, भारत की जीत की आश बरकरार रहती है। चतुर्थ स्थान का स्वामी बृहस्पति अपनी सप्तम दृष्टि से चतुर्थ स्थान को देख रहा है। वहां पराक्रमेश शनि और चंद्र की दृष्टि के कारण 31 अक्तूबर 2005 को जयपुर के एक दिवसीय मैच में उन्होंने दस छक्कों तथा 15 चैकों की मदद से 183 रनों का विशाल स्कोर बनाकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
विंशोत्तरी दशा क्रम में राहु की दशा में बृहस्पति के अंतर ने उन्हें नाम, यश, प्रसिद्धि और सभी भौतिक सुख सुविााएं प्रदान कीं। 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ अपने कैरियर का आरंभ करने वाले धोनी ने कई कीर्तिमान ध्वस्त किए। इस युवा बल्लेबाज ने काफी तेजी से रैंकिंग में छलांग लगाई। धोनी ने 18 वर्ष की उम्र में अपनी पहली बाइक खरीदी।
आज बृहस्पति के कारण उनके पास एक स्काॅर्पियो और एक पजेरो हैं। एक दो नए माॅडल अभी और खरीदेंगे। धोनी रांची डीएवी श्यामली स्कूल की फुटबाॅल टीम में भी थे किंतु कुछ घरेलू कारणों से अंतर्विद्यालय प्रतियोगिता में भाग नहीं ले एके। फिर टीम के कोच चंचल चटर्जी उर्फ चंचलदा ने धोनी से एक क्रिकेट मैच में विकेट कीपिंग करने को कहा। शर्मीले स्वभाव के धोनी इस के लिए इनकार नहीं कर सके और अच्छी कीपिंग करते हुए मात्र चार रन ही दिए।
इसके बाद तो मानो पारखी को हीरा मिल गया। सप्तम स्थान में बुध व सूर्य की युति के कारण बुधादित्य योग तथा केंद्र त्रिकोण योग पराशरीय राजयोग का सृजन होने के फलस्वरूप देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर रहे हैं। उन्हीं योगों के कारण बहुत कम अनुभव होने पर भी उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया है। छठे एवं ग्यारहवें भावों का स्वामी शुक्र अष्टम भाव में राहु के साथ है जिससे विपरीत राजयोग का सृजन हुआ है।
दशम स्थान का बृहस्पति शनि व चंद्र योगकारी हैं। इन्हीं योगों के कारण एक साधारण परिवार में जन्मे महेंद्र सिंह धोनी तीन चार साल के अल्प समय में ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के चमकते सितारे बन गए हैं। एक समय तो वह एल जी, आई सी.सी., एक दिवसीय रैंकिंग में अस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग से भी आगे थे। सप्तम स्थान में सप्तमेश की स्थिति और भाग्येश सूर्य से युति राजयोग कारक है।
इनका प्रेम विवाह योग जीवन के 27वें वर्ष में है लेकिन इसमें कुछ रुकावटें भी पैदा हो सकती हंै और विवाह 27वें की बजाय 30वें वर्ष में हो सकता है। पत्नी से विचारों में भिन्नता की भी संभावना है इस योग को अच्छा योग नहीं कह सकते। भविष्य में उनकी खेल तकनीक में गिरावट आ सकती है जिसका प्रभाव टीम इंडिया पर भी पड़ सकता है।
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