दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हुए जिनकी जीवनी बहुत प्रेरणादायक होती है, परंतु दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनकी जीवनी इतनी प्रेरणादायक होती है कि उनकी मिसाल दी जाती है, उनके बारे में साहित्य लिखा जाता है और उनके प्रशंसक करोड़ों में होते हैं। इन्हीं में से एक हैं रजनीकांत जिन्होंने फर्श से अर्श तक आने की कहावत को सच कर दिखाया। रजनीकांत ने अपने अभावों व संघर्षों से भरे जीवन में सफलता का जो इतिहास रचा वह वाकई दुनिया में बहुत कम लोग कर पाए हैं।
एक कारपेंटर से कुली बनने, कुली से बी. टी. एस. कंडक्टर और फिर एक कंडक्टर से विश्व प्रसिद्ध सुपरस्टार बनने तक का सफर आसान नहीं था। रजनीकांत का जीवन ही नहीं बल्कि फिल्मी सफर भी कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। जिस मुकाम पर आज रजनीकांत काबिज हैं उसके लिए जितना परिश्रम और त्याग चाहिए होता है शायद रजनीकांत ने उससे ज्यादा ही किया है।
रजनीकांत ने यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है और अगर व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। 60 वर्ष की उम्र के पड़ाव पर वे आज भी शिवाजी - द बाॅस और रोबोट जैसी हिट फिल्में देने का माद्दा रखते हैं।
एक समय ऐसा भी था जब एक बेहतरीन अभिनेता होने के बावजूद उन्हें कई वर्षों तक नजरअंदाज किया जाता रहा पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। ये बात रजनीकांत के आत्मविश्वास को और विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने वाले जज्बे का परिचय देती है। चुटकुलों की दुनिया में रजनीकांत को ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिसके लिए कुछ भी करना नामुमकिन नहीं है और रजनीकांत सदा इस बात को सच साबित करते रहते हैं। उनका यही अंदाज लोगों के दिलों पर राज करता है।
आइये जानते हैं इस महान सुपर स्टार की प्रेरणादायी जीवनी
रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को कर्नाटक के बंगलोर में मराठी परिवार में हुआ। उनका पूरा नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके पिता पुलिस में एक हवलदार थे और मां हाऊस वाइफ। ये अपने चार भाइ-बहनों में सबसे छोटे थे। मात्र 9 वर्ष की उम्र में उनकी मां का साया उठ गया। चूंकि घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए युवावस्था में ही कुली के तौर पर उन्होंने काम की शुरूआत की और फिर बी. टी.. एस में बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे। अपनी पढ़ाई के दौरान रजनीकांत थियेटर में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे। इसीलिए बस कंडक्टर का काम करते हुए भी अलग तरह से टिकट काटने और सीटी मारने के तरीकों के कारण यात्रियों और दूसरे बस कंडक्टरों के बीच बहुत पाॅपुलर थे।
अपने शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। इंस्टीट्यूट में एक स्टेज शो के दौरान तमिल के मशहूर निर्देशक के. बालाचंदर की नजर रजनीकांत पर पड़ी और वे उनसे इतना प्रभावित हुए कि उन्हें अपनी फिल्म में काम दे दिया और रजनीकांत ने भी अपना चरित्र निभाने के लिए तमिल सीखी और इस तरह उनका फिल्मी करियर शुरू हुआ। उन्होंने साउथ की कई भाषाओं में जैसे मलयालम और कन्नड़ भाषा की फिल्मों में भी काम किया और 1983 में पहली बाॅलीवुड फिल्म अंधा कानून की। वे हाॅलीवुड फिल्में भी कर चुके हैं।
रजनीकांत की पत्नी एक स्कूल चलाती हैं जिसका नाम ‘द आश्रम’ है। इनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी ऐश्वर्या की शादी एक्टर धनुष के साथ हुई है व छोटी बेटी सौंदर्या की शादी एक उद्योगपति आश्विन राम कुमार से हुई है। अपने बेहतरीन काम के लिए रजनीकांत को अनेक पुरस्कार मिल चुका है। भारत सरकार ने उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण देकर सम्मानित किया।
रजनीकांत आज इतने बड़े सितारे होने के बावजूद जमीन से जुड़े हैं वे फिल्मों से बाहर असल जिंदगी में एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन बिताते हैं और असल जिंदगी में धोती कुर्ता ही पहनते हैं।ं रजनीकांत के बारे में ये बात भी जगजाहिर है कि उनके पास कोई भी व्यक्ति मदद मांगने आता है तो वे उसे खाली हाथ नहीं भेजते और उसकी भरसक मदद करते हैं। इसीलिए उनकी फिल्मों में एंट्री होते ही सिनेमाघरों में लोग ‘थलाईवा थलाईवा’ चिल्लाने लगते हैं जिसका मतलब होता है बाॅस और ये जगजाहिर है कि रजनीकांत रियल बाॅस हैं।
अब उन्होंने 31 दिसंबर 2017 को अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है। इसके साथ तमिलनाडु की राजनीति में एक नई पार्टी का जन्म हो गया है। उनके अनुसार वे राज्य में होने वाले विधान सभा चुनाव लड़ेंगे और देश के प्रति अपना कत्र्तव्य निभायेंगे। अब देखना यही है कि अपने सफल फिल्मी करियर के बाद रजनीकांत अपने राजनीतिक करियर में कितने सफल होते हैं और दक्षिण भारत की राजनीति में क्या बदलाव लाते हैं।
ज्योतिषीय विश्लेषण
सिंह लग्न स्थिर व अग्नि तत्त्व होने के कारण इनमें गजब की स्फूर्ति तथा अपने कार्य के प्रति दृढ़ दृष्टिकोण है। लग्नेश सूर्य मित्र राशि में चतुर्थ केंद्र स्थान में होने से इनके उच्च आत्मविश्वास तथा दूरदर्शिता को दिखाता है।
इनकी कुंडली में कालसर्प योग होने से बाल्यकाल में काफी संघर्ष रहा और बाल्यकाल में ही चंद्रमा की दशा में माता का देहांत हो गया क्योंकि चंद्रमा व्ययेश होकर षष्ठ भाव में चतुर्थेश मंगल के साथ स्थित है। लेकिन इसके साथ-साथ मंगल और चंद्रमा की युति लक्ष्मी योग भी बना रही है और इनके जीवन में अब लक्ष्मी जी की विशेष कृपा है पर चंूकि दोनों ग्रह बारहवें भाव को देख रहे हैं इसलिए आप अपनी संपत्ति का काफी हिस्सा धर्मार्थ में दान दे सकते हैं। वैसे भी सप्तमस्थ गुरु लग्न को देख रहे हैं इसलिए रजनीकांत जी में दान देने की बहुत अच्छी प्रवृत्ति है और कभी किसी को खाली हाथ वापिस नहीं भेजते और हर आदमी को आपमें एक उम्मीद की किरण नजर आती है।
कुंडली में कर्मेश शुक्र व लाभेश बुध का साथ-साथ पंचम भाव में होने से इनकी अभिनय कला के क्षेत्र में अभिरुचि बढ़ी तथा उसमें इन्हें सफलता भी प्राप्त हुई। लग्नेश सूर्य की कार्य क्षेत्र पर दृष्टि तथा पंचमेश गुरु की लग्न पर दृष्टि होने से इन्हें अपने कार्य क्षेत्र में इतनी बड़ी सफलता प्राप्त हुई। पंचम भाव में शुक्र और बुध होने से दो कन्या रत्न की प्राप्ति हुई। बृहस्पति की लग्न पर दृष्टि होने से इनका चुंबकीय आकर्षक व्यक्तित्व है और लाखों की संख्या में इनके इतने दीवाने हैं। सप्तमस्थ बृहस्पति होने से इनकी पत्नी भी शिक्षा से संबंधित कार्य कर रही हंै।
इनकी कुंडली के प्रमुख योग हैं:
सुनफा योग: चंद्रमा से द्वितीय भाव में ग्रह होने से यह योग बन रहा है जिसके फलस्वरूप आप बुद्धिमान हैं। इन्होंने अपने बाहुबल व बुद्धि के द्वारा इतनी ऊंचाई व सफलता प्राप्त की। वेशि योग: सूर्य से द्वितीय भाव में ग्रह होने से वेशि योग बन रहा है जिसके फलस्वरूप इनके जीवन में सरलता व सादगी के साथ आत्मीयता के गुण भी विद्यमान हैं।
राजमंत्री पद प्राप्ति योग: अमात्य कारक ग्रह यदि लग्न, पंचम या नवम में हो तो यह योग बनता है। यहां अमात्यकारक ग्रह बुध पंचम में होने से यह योग बन रहा है और अब भविष्य में आनेवाली महादशा में आप राजमंत्री पद पर अवश्य विराजमान होंगे। दाम योग: सभी ग्रह यदि छः राशियों में हों तो यह योग बनता है। इनकी कुंडली में यह योग बन रहा है इसलिए आप धीर और गंभीर हैं तथा अनेक राजपुरस्कारों से विभूषित हो चुके हैं।
कुंडली में पंचम भाव में बुध, चतुर्थ सूर्य, छठे भाव में मंगल व सप्तम भाव में बृहस्पति व द्वितीय भाव में शनि केतु के कारण आप राजनीति के क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त करेंगे। जनवरी 2018 से लगने वाली अमात्यकारक बुध की शुभ महादशा इन्हें राजनीति में बड़ा पद अवश्य दिलवाएगी और इन्हें विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।
गोचर पर विचार करें तो गोचर का शनि पंचम भाव धनु राशि से सप्तम भाव, एकादश भाव और नवमस्थ शनि पर पूर्ण दृष्टि डाल रहे हैं और गुरु भी पराक्रम भाव से जन्मस्थ गुरु, भाग्य भाव और लाभ के एकादश भाव पर पूर्ण दृष्टि डालकर अपना आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं लेकिन द्वादश भाव पर राहु का गोचर स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है परंतु 2018 के अंत तक स्वास्थ्य एकदम अनुकूल हो जाएगा और आप पूरी निष्ठा व तत्परता से अपने कार्यों को अंजाम दे सकेंगे।