सिर दर्द निवारण के लिये
हनुमान अंगद रन गाजे।
हांक सुनत रजनीचर भागे।
विष नाश के लिये
नाम प्रभाव जान शिव नीको।
कालकूट कुल दीन्ह अमी को।
कन्या को मनोवांछित वर पाने
के लिये
जै जै जै गिरिराज किशोरी।
जय महेश मुख चंद्र चकोरी।
खोया हुआ सम्मान पुनः प्राप्त
करने के लिए
गई बहोर गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजु।
आर्थिक संपन्नता के लिए
विश्व भरण पोषण करि जोई।
ताकर नाम भरत अस होई।
गरीबी दूर करने के लिये
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारिके।
कामद धन दारिद्र द्वारिके।
लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये
जिमि सरिता सागद महुं जाहीं।
जघपि ताहि कामना नाहीं।
तिथि सुख संपत्ति विनहि बोलाएं।
धरमशील पहि जाहि सुभाएं।
यात्रा में सफलता के लिय
जेहिं पर कृपा करहिं जनु जानी।
कवि दुर अजिर नवावहिं बानी।
घर में संपत्ति प्राप्ति के लिये
जे सकाम नर सुनहिं जो गावहिं।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहिं।
ऋद्धि सिद्धि प्राप्त करने के लिये
साधक नाम जपहिं लय लाएं।
होंहिं सिद्ध अनिमादक पाएं।
सर्व सुखों की प्राप्ति हेतु
सुनहिं विमुक्त विरत अरू विषई।
लहहिं भगति गति संपति नई।
मनोरथ सिद्धि के लिये
भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर असु नारि।
तिनकर सकल मनोरथ सिद्धि करहिं त्रिसिरारि।
कचहरी में मुकदमा जीतने के
लिये
पवन तनय बल पवन समाना।
बुद्धि विवेक विषपान निधाना।।
आकर्षण के लिये
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहूं।
सो तेहि मिलइ न कुछ सन्देहूं
गंगा में स्नान से पुण्य हेतु
सुनि समुझहिं जन मुदित मन मज्जहिंअति अनुराग।
लहहिं चार फल अछत तनु साधु समाज प्रयाग।