टैरो में 78 कार्ड होते हैं जिसमें 22 कार्ड मेजर अर्काना व 56 कार्ड माइनर अर्काना होते हैं। अर्काना लैटिन भाषा के शब्द आर्कान्स से निकला है। आर्कान्स का अर्थ होता है- रहस्यमयी। 56 माइनर कार्ड में से 16 कार्ड राॅयल अर्काना या कोर्ट कार्ड कहलाते हैं जैसे किंग, क्वीन, नाइट व पेज। 22 मेजर अर्काना कार्डों पर विभिन्न चित्र अंकित हैं जो जीवन से जुड़ी घटनाओं, आंतरिक शक्तियों, रहस्यों व उपलब्धियों की ओर संकेत करते हैं। माइनर अर्काना कार्ड्स को चार समूहों में विभाजित किया जाता है, जो चार प्राकृतिक तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि तथा वायु से संबंधित हैं।
इन कार्डों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:
1. (वंैड्स): वैंड्स कार्ड ऊर्जा, आत्मविश्वास, जोखिम, इच्छाशक्ति, ताकत, सृजनशीलता व रचनात्मकता को अभिव्यक्त करता है।
2. कप्स: कप्स कार्ड कामनाओं, इच्छाओं, वैवाहिक जीवन, प्रेम, मानवीयता, आध्यात्मिकता को व्यक्त करता है।
3. स्वोर्ड्स: स्वोर्ड्स कार्ड घृणा, शत्रुता, गति, तर्क, योद्धा, न्याय व मानसिक स्पष्टता को व्यक्त करते हैं।
पेन्टाकल्स: पेन्टाकल्स कार्ड व्यापार, नौकरी, वित्त, उद्योग, स्वास्थ्य, संपत्ति व रचनात्मकता को व्यक्त करते हैं। इस प्रकार टैरो कार्ड्स अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी आदि तत्वों के प्राकृतिक संतुलन को इंगित करते हैं। माइनर अर्काना मानव की ऊर्जा से संचालित होते हैं। मनुष्य किस दिशा की ओर अग्रसर है, इन कार्डों से स्पष्ट होता है। कोर्ट कार्ड्स पेज, नाइट, क्वीन और किंग जीवन में आने वाली घटनाओं, व्यक्तियों व परिस्थितियों को इंगित करते हैं। जब कार्ड्स बिछाए जाते हैं तो ये प्रश्नकर्ता के साथ होने वाली घटनाओं और संभावनाओं की ओर संकेत करते हैं। कोई घटना कब होगी? इसका निर्धारण कार्डों के संकेत तथा टैरो रीडर के अंतर्मन के आभास पर निर्भर करता है। टैरो रीडर प्रश्नकर्ता की समस्या का समाधान करते हैं, उसके भूत, वर्तमान व भविष्य को बताते हैं। उनके सामाजिक जीवन, साझेदारी, प्रेम, शादी, यात्रा, पढ़ाई, नौकरी, व्यवसाय सहित, नाम, शोहरत व वित्त संबंधी प्रश्नों के उत्तर देते हैं।
कार्ड रीडिंग के समय कार्ड्स को बिछाने में प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए- आसन बिछाकर भूमि पर बैठंे, लकड़ी के फर्नीचर का प्रयोग करें, फाइबर, लोहे या प्लास्टिक का नहीं। बिछाने का कपड़ा सूती या रेशमी होना चाहिए, सिंथेटिक नहीं। इंद्रधनुषी रंगों में से कोई भी एक रंग होना चाहिए जो कि हमारे 7 चक्रों का भी होता है। रंग सावधानी से चुना जाता है क्योंकि रंग अपनी उर्जाएं स्वयं साबित करते हैं। ज्यादातर रीडर काला, गहरा नीला तथा जामुनी रंग इस्तेमाल करते हैं। कार्डों को सदैव किसी केस या डिब्बे ें रखना चाहिए। इस सावधानी से उनकी ऊर्जा उन्हीं में कायम रहती है। यह केस या आवरण लकड़ी, पत्थर, सीप या किसी प्राकृतिक वस्त्र का हो सकता है। टैरो कार्ड्स को एक दैवी-संदेश का वाहक समझना व उनके प्रति पूरी श्रद्धा और सम्मान का भाव रखना अनिवार्य है।
यहां कार्ड सबको सही संदेश देंगे। इस पद्धति में श्रद्धा और सम्मान की उतनी ही जरूरत होती है जितनी पूजा में अपने इष्ट का ध्यान करते समय। अतः चेतना पूरी तरह जागृत होने पर कार्डों के संदेश को सही प्रकार से और आसानी से ग्रहण किया जा सकता है। कार्ड सत्र प्रारंभ करने के पूर्व मनः स्थिति पर गौर करना जरूरी होता है। मन शांत और दिमाग केन्द्रित होने पर ही कार्ड रीडिंग करनी चाहिए। भीतरी माहौल के अलावा आस-पास का भी प्रभाव पड़ता है। आदर्श स्थल वही है जहां शांति हो, शोर-शराबा न हो और मस्तिष्क भी ज्यादा व्यवस्थित और केंद्रित हो। अंदर तथा बाहर दोनों तरफ एक पूज्य भाव होना चाहिए। एक कक्ष सुरक्षित कर लेना चाहिए। बार-बार एक ही जगह कार्ड पठन करने से उस कक्ष में स्वतः ही एक दिव्यता का समावेश हो जाता है। इस जगह यदि ध्यान और पूजा पाठ भी नियमित रूप से होता है
तो दैवी संदेशों को ग्रहण करते हैं तथा एक शुभ वातावरण स्वयं ही सृजित होता जाता है। टैरो कार्ड जिसके पास रहता है वह उसकी स्वयं की ऊर्जा तथा चरित्र से प्रभावित होता है इसलिए कार्ड रीडर को अपने काड्र्स को सदा अपने पास ही रखना चाहिए क्योंकि ये कार्ड्स ही हंै जो अव्यक्त को व्यक्त करने में सहायक होते हैं तथा किसी के मन को भेद कर उसके रहस्य जानने का कार्य करते हैं। इससे कार्ड एक व्यक्तिगत तादात्म्य स्थापित करते हैं। ऐसा करने से काडर््स का पठन-पाठन करते समय अनुभव काफी अभिभूत करने वाले होते हैं। टैरो पद्धति व भारतीय ज्योतिष का संबंध बहुत ही गहरा है। भारतीय ज्योतिष में लग्न कुंडली का सर्वाधिक महत्व है, जिसमें मनुष्य के जन्म के समय आकाशीय ग्रहों की स्थिति की व्याख्या की जाती है। इन ग्रहों का मानव जीवन पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा गोचर ग्रहों या चलायमान ग्रहों का भी प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। इसी तरह टैरो पद्धति भी ग्रहों के प्रभाव से अछूती नहीं है जैसे कि मेजर अर्काना के सभी कार्ड्स किसी न किसी ग्रह से प्रभावित हैं
जैसे मैजिशियन या जादूगर बुध ग्रह से इम्प्रेस या महारानी शुक्र ग्रह से, द टावर या मीनार मंगल ग्रह से, इस प्रकार मेजर अर्काना की तुलना लग्न कुंडली से की जा सकती है। माइनइर अर्काना को ऊर्जा के प्रवाह से जोड़ा गया है। इसकी तुलना गोचर के ग्रहों से की जा सकती है। यह प्रश्नकर्ता की वर्तमान ऊर्जा से संबंधित है अर्थात् उसके विचार, भावनाएं व धारणाएं आदि। माइनर अर्काना के चार समूहों में से प्रत्येक में 14-14 कार्ड्स हैं तथा ये अग्नि जल, वायु व पृथ्वी को इंगित करते हैं। भारतीय ज्योतिष में भी इन तत्वों का अत्यधिक महत्व है। मानवीय ऊर्जा को संतुलित करने में इन तत्वों का योगदान है। भारतीय ज्योतिष की सभी राशियां इनमें से किसी न किसी तत्व से प्रभावित होती हैं। इसे निम्नलिखित चार्ट द्वारा समझा जा सकता है: तत्व टैरो समूह प्रभावित राशि अग्नि वैन्ड्स मेष, सिंह, धनु पृथ्वी पेन्टाकल्स वृष, कन्या, मकर जल कप्स कर्क, मीन, वृश्चिक वायु स्वोर्ड्स मिथुन, तुला, कुंभ अतः भारतीय ज्योतिष की राशियां एवं माइनर अर्काना काडर््स के समूह दोनों ही अग्नि, जल, वायु व पृथ्वी तत्व से प्रभावित हैं। टैरो कार्ड्स से प्रश्न का हल जानते समय कुछ कार्ड्स उल्टे भी आ जाते हैं अर्थात् प्रश्नकर्ता या टैरो कार्ड्स रीडर जब कुछ कार्ड सत्र के दौरान निकालते हैं तो वो उल्टे आते हैं या हो जाते हैं इससे कार्ड के बताए अर्थ से उल्टे कार्डों का अर्थ विपरीत होता है जैसे कि दी चैरियट- अगर सीधा आता है
तो विजय व आत्मविश्वास को दिखाता है परंतु यदि उल्टा आता है तो विजय में देरी या पराजय या आत्मविश्वास की कमी बताता है। उल्टे कार्डों की तुलना जन्मपत्रिका के वक्री ग्रहों से की जा सकती है। पृथ्वी की गति की तुलना में जब कोई ग्रह मंद गति से चलते हैं तो वे विपरीत दिशा में चलते हुए प्रतीत होते हैं उस अवस्था को वक्री अवस्था कहते हैं। किंतु वक्री ग्रह मानव जीवन पर सदैव विपरीत प्रभाव नहीं डालते जैसा कि जन्म के समय वक्री बृहस्पति वाले जातक अधिकतर उन कामों में सफलता पाते हैं जिनमें दूसरे लोग असफल होते हैं। वक्री नेपच्यून या केतु के प्रभाव में गूढ़ विद्याओं में महारत हासिल होती है तथा सभी कार्ड्स के उल्टा हो़ने पर सदैव विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। यह प्रश्नकर्ता की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। इस प्रकार भारतीय ज्योतिष एवं टैरो पद्धति में कुछ समानताएं होने पर भी दोनों पद्धतियां पूरी तरह से समान नहीं हंै। टैरो पद्धति पिछले कुछ वर्षों से बहुत अधिक प्रचलन में है। टैरो एक गूढ़ दार्शनिक विद्या है, सही टैरो रीडर प्रश्नकर्ता के जीवन पथ का रास्ता खुशियों से भर सही व साफ रास्ता दिखाता है तथा बिखरे हुए जीवन को एक तार में जोड़ता है और जीवन को परिपूर्ण बना देता है और ये सब संभव होता है टैरो से।