शताश्वमेधेन् कृतेन पुण्यं, गोकोटिभिः स्वर्ण सहस्त्र दानात् नृणां भवेत्सूतक दर्शनेन्, यत्सर्वतीर्थेषु कृता भिषेकात्।। अर्थात् 100 अश्वमेघ यज्ञ, कोटि गायों के दान, अनेक स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा चार धाम की यात्रा व तीर्थ स्नान से जो पुण्य मिलता है वह पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। जब पारद से बने शिवलिंग की पूजा विधि विधान, पूर्ण विश्वास व उत्साह के साथ की जाती है तो शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति होती है साथ ही प्राकृतिक आपदाओं व अन्य बाहरी दुष्प्रभावों से रक्षा भी होती है। संत ज्ञानदेव के अनुसार सफलता व उन्नति प्राप्ति के उद्देश्य से पारद शिवलिंग रखना सर्वश्रेष्ठ है। आधुनिक युग में व्यक्ति सब कुछ खरीद सकता है लेकिन पवित्र किया हुआ, भली भांति पूजित, यंत्र सिद्ध व प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग किसी विरले भाग्यशाली के पास ही हो सकता है। संसार के सभी साधु, महात्मा पुरूषों ने ये माना है कि पारद शिवलिंग के स्पर्श व पूजन से सभी प्रकार के सांसारिक, आध्यात्मिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी सुलभ हो जाती है। इसी कारण से सभी ऐश्वर्यवान लोग, राजनीतिज्ञ, फिल्मी सितारे, साधु संन्यासी आदि सभी शुद्ध पारद शिवलिंग की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
आयुर्वेद व अन्य पौराणिक ग्रंथांे से उद्धृत निम्नांकित श्लोकों द्वारा उपरोक्त विश्वास को बल मिलता है - विभिन्न शास्त्रों में ऐसे विविध उल्लेख मिलते हैं जिसके अनुसार यदि पारद शिवलिंग को घर के पूजा स्थल, पवित्र सामाजिक स्थल या किसी मंदिर में स्थापित किया जाय तो इसके शुभ प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि की प्राप्ति तथा भगवती लक्ष्मी के सान्निध्य से न केवल स्थापित करने वाला अपितु उसकी आने वाली पीढ़ियां भी लाभान्वित होती हैं। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को उसके शारीरिक, आध्यात्मिक अथवा मनोवैज्ञानिक कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है। शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि सुयोग्य गुरु अथवा भगवान शिव की कृपा से ही पारद शिवलिंग की प्राप्ति होती है तथा व्यक्ति को सौभाग्य व शुभ कर्मों के संपादन में सफलता के साथ-साथ अंत में परम मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
रसमार्तण्ड में लिखा है - भली भांति शुद्ध व पूजा किये गये पारद शिवलिंग के दर्शन व पूजा का फल अन्य कोटि प्रकार के शिवलिंग से कोटि (करोड़) गुणा अधिक होता है। भगवान शिव के कथनानुसार इसके दर्शन व स्पर्श मात्र से ब्रह्महत्या, गौ हत्या जैसे जघन्य पापों से तुरंत ही मुक्ति प्राप्त हो जाती है। रसरत्नसमुच्चय ग्रंथ के अनुसार पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से आयुष्य, समृद्धि की प्राप्ति तथा सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक पारद शिवलिंग का पूजन करता है उसे तीनों लोकों में प्रतिष्ठित शिवलिंग की कृपा प्राप्त होती है तथा वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श, दान, ध्यान व पूजन से इस जन्म व पूर्व जन्मार्जित सभी पापों का नाश हो जाता है।
योगशिखोपनिषद ग्रंथ के अनुसार - पारद शिवलिंग महालिंग तथा शिव की शक्तियों का निवास स्थल माना जाता है अतः इसकी प्राप्ति से ऐश्वर्य व सर्वविध सफलता प्राप्त होती है।
सर्वदर्शन संग्रह ग्रंथानुसार - भगवान शिव ने पार्वती से कहा कि जो व्यक्ति पारद शिवलिंग की पूजा करेगा भय, मृत्यु आदि उसके समीप नहीं आ सकते तथा उसके घर में कभी भी दारिद्रî नहीं आ सकेगा।
ब्रह्मपुराण के अनुसार - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र सभी जन शिवलिंग की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार - जबतक इस ब्रह्मांड में चंद्र व सूर्य रहेंगे तब तक इसकी पूजा करने वाले मनुष्य को जीवनपर्यंत सभी सुख जैसे धन सम्पति, समृद्धि, सफलता, सम्मान, सत्कार, संतान, सद्बुद्धि आदि प्राप्त होते हैं व अंत में मोक्ष लाभ होता है।
शिवपुराणानुसार - पारद शिवलिंग का अर्चन गौ हत्या, भ्रूण हत्या तथा अन्य पाप कर्म जैसे माता-पिता व दूसरों को कष्ट पहुंचाना आदि पाप कर्मों से भी मुक्ति देता है।
वायव्य पुराण के अनुसार - पारद शिवलिंग की पूजा, अर्चना करने से आयु, आरोग्य तथा अन्य सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है। शारंगधर संहिता अध्याय 12 सूत्र 1 के अनुसार पारद शिवलिंग में समस्त आध्यात्मिक शक्तियां यथा वैभव, अष्टसिद्धि, नवनिधि आदि सभी शक्तियों की पवित्रता निहित हैं। एकनाथ भागवत अध्याय 15 व रस रत्न सम्मुच्चय के अनुसार - जिस प्रकार किसी देवता की पूजा, अर्चना करने से मनुष्य आनंद विभोर हो जाता है और उस देवता की पूजा के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले वातावरण से अनेक प्रकार के दोष शांत हो जाते हैं उसी प्रकार का अनुभव पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से सुलभ हो जाता है। इसमें आगे कहा गया है कि इस प्रकार के अमृतमय व पवित्र तथा दुर्लभ पारद शिवलिंग की अवश्य ही पूजा होनी चाहिए। इसकी पूजा, अर्चना करने से मनुष्य को न केवल अनंत आनंद की प्राप्ति होती है अपितु रोग, शोक, पीड़ा, जन्म, जरा, मृत्यु आदि से भी निवृत्ति हो जाती है। पारद शिवलिंग को शिवशक्ति की संयुक्त शक्ति का उपोत्पाद माना जाता है। रसार्णव तंत्रानुसार - पारद शिवलिंग की पूजा करने वाले मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्विध पुरूषार्थ स्वतः सुलभ हो जाते हंै। आगे कहा गया है कि पारद शिवलिंग की उपासना से प्राप्त होने वाली प्रसन्नता व ऐश्वर्य अन्य प्रसिद्ध शिवलिंगों से कोटि गुणा अधिक होती है।
शिवनिर्णय रत्नाकरानुसार - स्वर्ण से बने शिवलिंग की पूजा से प्राप्त होने वाला पुण्य पत्थर से बने शिवलिंग की पूजा से कोटि गुणा अधिक होता है। रत्न से बना शिवलिंग स्वर्ण शिवलिंग से प्राप्त होने वाले पुण्य का कोटि गुणा अधिक शुभ फलदायी होता है। बाणलिंग नर्मदेश्वर से बना शिवलिंग रत्न निर्मित शिवलिंग से कोटि गुणा अधिक पुण्य देता है। अंत में कहा गया है कि पूर्णतया शुद्ध किये गये पारे से बना शिवलिंग बाणलिंग नर्मदेश्वर से कोटि गुणा पुण्यफलदायी होता है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि पारद शिवलिंग विभिन्न प्रकार के अन्य शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ है। इसके जैसा प्रभावशाली शिवलिंग कोई अन्य न है न होगा। अनेक धातुओं एवं काष्ठ तथा पत्थर एवं रत्नों से भी शिवलिंग का निर्माण होता है। सर्वाधिक महत्व पार्थिव शिवलिंग एवं पारद शिवलिंग का है। पार्थिव शिवलिंग मिट्टी से निर्मित किया जाता है तथा पारद शिवलिंग पारा द्रव को ठोस बनाकर निर्मित किया जाता है। पारद शिवलिंग का स्पर्श करने मात्र से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है। इसका अभिषेक करने से अन्य शिवलिंगों की अपेक्षा हजारों गुना अधिक फल मिलता है। इसे घर में स्थापित कर नित्य बिल्व पत्र अर्पित करने से धन की वृद्धि होती है। पारद शिव लिंग पर पानी का असर नहीं होता। इसे धूप में देखने पर इंद्रधनुषी आभा दिखाई देती है। पारद अपने आप में सिद्ध पदार्थ माना गया है। रत्न समुच्चय में पारद शिव लिंग की महिमा का विशद उल्लेख है। इसकी आराधना से सभी रोग दूर हो जाते हैं। निष्कर्षतः पारद शिवलिंग व अन्य पारद निर्मित मूर्तियों की साधना से सफलता शीघ्र प्राप्त होती है। वर्तमान भौतिक युग में विविध क्षेत्रों में साधनारत जातक चमत्कारी सफलताएं पाते देखे गये हैं। जीवन तो ऐसा विलक्षण क्षेत्र है, जो जड़ जगत के किसी मूल्यवान घटक से अधिक बहुमूल्य है। शिव पुराण में पारे को शिव का पौरुष कहा गया है। इसके दर्शन मात्र से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
यही कारण है कि शास्त्रों में इसे इतना अधिक महत्व दिया गया है। उपयोग एवं लाभ जैसे एक ही रोग की हजारों दवाइयां होती हैं, उसी प्रकार पारद सामग्री का उपयोग भी अनेक प्रकार से किया जा सकता है, जैसे सामग्री के सम्मुख स्तोत्र, मंत्र, कवच, पूजन, जप, अभिषेक, सामान्य रूप से नमन्, स्पर्श एवं दर्शन आदि जातक को लाभ प्रदान करते हैं। यह धातु शिव की है, अतः शिव के किसी भी मंत्र द्वारा इसकी पूजा की जा सकती है।
पारद सामग्री - एक नजर में
1. पारदशिवलिंग - सभी क्षेत्रों में सफलता
2. पारद लक्ष्मी - धन की प्राप्ति
3. पारद गणेश - विघ्न नाश, ऋद्धि, सिद्धि व धन की प्राप्ति
4. पारद श्रीयंत्र - सुंदरता, धन, ज्ञान
5. पारद पिरामिड - नकारात्मक शक्ति को दूर करने तथा वास्तु में सुधार हेतु
6. पारद लक्ष्मी गणेश - सभी तरह की सफलता
7. पारद शिव - बीमारी से छुटकारा, मृत्यु और गंभीर खतरे से बचाव
8. पारद शंख - भाग्योन्नति
9. पारद दुर्गा - दुःख, रोग और दारिद्रî से मुक्ति, शत्रु नाश
10. पारद शिव परिवार - चारों ओर सफलता और कल्याण
11. पारद लक्ष्मी पादुका - लक्ष्मी का अशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
12. पारद वैभव लक्ष्मी चैकी - लक्ष्मी प्राप्ति
13. पारद हनुमान - शक्ति, बल, सुरक्षा, शत्रुनाश
14. पारद पंचमुखी हनुमान - शक्ति, बल, सुरक्षा, शत्रुनाश
15. पारद गोली - आकस्मिक दुर्भाग्य से सुरक्षा
16. पारद कार्तिकेय - शत्रुनाश, मुकदमे आदि में विजय पारद शिवलिंग की परख
* पारद शिवलिंग का प्रत्यक्ष प्रमाण स्पर्श करने मात्र से पता चल जाता है इसका तापमान बहुत कम होता है।
* पारद शिवलिंग को छूने से बर्फ के समान ठण्डा और वजन में यह बहुत भारी होता है।
* पारद शिवलिंग को माइक्रोस्कोप से देखने पर इसमें कुछ छोटे-छोटे धब्बे दिखते हैं।
पारद शिव परिवार भारतीय संस्कृति में शिव परिवार की स्थापना का बड़ा महत्व है। शिव परिवार की स्थापना सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा देने वाली तथा सुख-समृद्धि व वैभव की प्राप्ति कराती है। शिव परिवार में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय व नंदी सभी साथ होते हैं। दाम्पत्य सुख व संतान प्राप्ति के लिए पारद शिव परिवार की पूजा अत्यंत ही लाभकारी होती है। अधिकतर हिंदू परिवारों में इसकी स्थापना होती है। इसकी स्थापना शिवरात्रि, प्रदोष, नागपंचमी आदि शुभ मुहूर्तों में की जा सकती है। पारद शिवलिंग व पारद शिव परिवार की उपासना हेतु निम्नांकित मंत्र का प्रतिदिन 11 अथवा 108 बार जप करें।
मंत्र: ओम त्रयम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। पारद लक्ष्मी इनकी कृपा से धन प्राप्ति में आने वाली संपूर्ण विघ्न-बाधाएं नष्ट होती हैं जिससे धनागम के द्वार खुल जाते हैं। पारद धातु स्वयंसिद्ध धातु होने से इस से बनी देव मूर्तियों की विशेष पूजा, प्राण प्रतिष्ठा आदि करने की आवश्यकता नहीं होती। इस धातु में बनी लक्ष्मी की पूजा करने से शीघ्र धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं। पारद लक्ष्मी को अपने घर के अतिरिक्त व्यवसाय स्थल, फैक्ट्री, दुकान, कार्यालय आदि में भी स्थापित कर सकते हैं। इनके प्रभाव से आमदनी में वृद्धि, व्यावसायिक संपर्कों में सुधार होता है।
मंत्र: ओम महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। पारद गणेश गणेश जी ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि के दाता, सकल विघ्नों के विनाशक हैं। पारद गणेश जी को अपने घर के अतिरिक्त व्यवसाय स्थल, फैक्ट्री, दुकान, कार्यालय आदि में भी स्थापित कर सकते हैं। इनके प्रभाव से समस्त विघ्नों का शमन, आमदनी में वृद्धि, व्यावसायिक संपर्कों में सुधार व व्यापार में वृद्धि होकर ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत होता है।
मंत्र: एकदंताय विद्महे वक्र तुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।। पारद श्री यंत्र श्री यंत्र को स्थापित करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस यंत्र के प्रभाव से जीवन के अनेक अभाव दूर होते हैं। यदि नौकरी में अधिकारियों से मतभेद, मनमुटाव तथा तरक्की में विलंब हो तो ये बाधाएं दूर होती हैं।
मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः। पारद पिरामिड विभिन्न दिशाओं से प्रवेश करने वाली आकाशीय ऊर्जा अवरुद्ध होने से वास्तु के नियम भंग होते हैं तथा आकाशीय ऊर्जा की कमी हो जाती है। इसे वास्तु दोष कहते हैं। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि जिन घरों में आकाशीय ऊर्जा अवरुद्ध, या प्रभावित होती है, उन घरों में वास्तु दोष माना जाता है। वास्तु दोष को कम करने तथा आकाशीय ऊर्जा बढ़ाने के लिए अनेक उपाय करने होते हैं, अथवा घर को पुनः तोड़ कर नये ढंग से बनाना होता है। ऐसी स्थिति में आर्थिक हानि भी होती है। पारद पिरामिड अल्प मूल्य का उपाय है। घर, कार्यालय अथवा कोई भी कार्यस्थल हो, वहां यह पिरामिड रखने से आकाशीय ऊर्जा अधिक मिलती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की अनेक बीमारियां धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं, घर में शांति का वातावरण बना रहता है, आर्थिक स्थिति स्वतः सुधरने लग जाती है तथा व्यक्ति दीर्घायु और सुखी जीवन व्यतीत करता है। पारद लक्ष्मी गणेश लक्ष्मी एवं गणेश जी का आर्थिक समृद्धि के लिए विशेष महत्व है। पारद लक्ष्मी गणेश की पूजा अर्चना से धन प्राप्ति में आने वाली संपूर्ण विघ्न-बाधाएं नष्ट होती हैं जिससे धनागम के द्वार खुल जाते हैं।
मंत्र: ओम लक्ष्मी विनायकाय नमः। पारद शिव भगवान शिव परमयोगी, परमगुरु, परमेश्वर, मृत्युंजय, महादेव, सर्वशक्तिमान, त्रैलोक्य स्वामी आदि नामों से जाने जाते हैं। पारद शिव की उपासना या दर्शन मात्र से व्यक्ति को सैकड़ों गायों के दान, हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा काशी आदि तीर्थों के स्नान करने जितना फल मिलता है। भगवान शिव स्वयं कहते हैं कि जो मेरी आराधना करता है उसके घर में कभी दरिद्रता नहीं आती न ही जीवन में उसे मृत्यु भय रहता है। पारद शिव की पूजा से व्यक्ति को यश, मान, पद, प्रतिष्ठा, पुत्र आदि में पूर्णता प्राप्त करते हुए अंत में मुक्ति की प्राप्ति होती है।
मंत्र: ओम नमः शिवाय। पारद शंख पारद शंख को भगवान कुबेर का प्रतीक माना जाता है। इसका नित्य पूजा-पाठ व अन्य वैदिक अनुष्ठानों में पूजन किया जाता है। शंख को देवताओं का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। पारद शंख की स्थापना से व्यक्ति को मानसिक शांति व आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति तथा चिरस्थायी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। ऐसी भी मान्यता है कि पारद शंख की स्थापना से वास्तु दोषों का निराकरण भी होता है। पारद दुर्गा पारद दुर्गा की स्थापना व पूजा से चोर भय, प्रेत भय, शत्रु भय, रोग भय, बन्धन भय आदि से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त शक्तिमान, भूमिवान बनने व सभी सिद्धियों की प्राप्ति के साथ-साथ चतुर्विध पुरूषार्थ हेतु इनकी उपासना करनी चाहिए।
मंत्र: ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। पारद लक्ष्मी पादुका पारद धातु में बनी लक्ष्मी पादुकाएं विशेष शुभदायी मानी जाती हैं। घर में अथवा व्यवसाय स्थल पर इनका पूजन करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इन चरण पादुकाओं को बिछाकर मन ही मन देवी लक्ष्मी से अपने घर में अथवा व्यवसाय स्थल आदि में स्थिर रूप से पधारने की प्रार्थना करें। इन पादुकाओं में अंकित समस्त चिह्न जैसे- स्वास्तिक, कमल, कलश, चक्र, मत्स्य, त्रिकोण, त्रिशूल, शंख, सूर्य, ध्वजा आदि शुभ एवं लाभ के प्रतीक हैं। नित्य उन्हें प्रणाम करें, दर्शन करें और सिर पर स्पर्श करें। इस प्रकार, नित्य पूजन, दर्शन आदि करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है। पारद वैभव लक्ष्मी चैकी यह चैकी पारद धातु से निर्मित है, इसके आसन पर यंत्र राज श्रीयंत्र बना है तथा ऊपरी भाग पर अष्ट लक्ष्मी के चित्र अंकित हैं। इस सिद्ध चैकी पर यंत्र हमेशा जागृत रहता है, जिसके प्रभाव से जीवन में धन, वैभव की कभी कमी नहीं होती। पारद हनुमान पारद धातु से निर्मित पारद हनुमान जी की पूजा किसी भी प्रकार की शारीरिक, मानसिक समस्याओं, वाद-विवाद, भूत-प्रेत व वाहन दुर्घटना तथा शनि, राहु के दुष्प्रभावों आदि को दूर करने में विशेष लाभकारक है।
इनकी पूजा के लिए मंगलवार को हनुमान चालीसा, रामचरित मानस व सुंदर कांड का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मंत्र: हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट्। पारद पंचमुखी हनुमान यह शत्रुनाश, कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय, वाहन दुर्घटना व रोग से रक्षा के अतिरिक्त ऊपरी बाधा, बुरी नजर, जादू टोना इत्यादि से रक्षा में अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। चिंता, भय, मानसिक तनाव, दुःख, दारिद्रî, संकट, खतरा व दुर्भाग्य नाश के लिए पंचमुखी पारद हनुमान की उपासना सर्वश्रेष्ठ है। इसके लिए निम्नांकित मंत्र का जप करें - मंत्र: हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट्।
पारद गोली इसे जादू, टोना, बुरी नजर तथा आकस्मिक दूर्भाग्य से सुरक्षा हेतु जेब में रखा जाता है। इसके अतिरिक्त इसे अनाज की विभिन्न प्रकार से कीटों से रक्षा के उद्देश्य से कृषक अपने अनाज भण्डारों में रखते हैं। पारद कार्तिकेय कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र हैं। पारद कार्तिकेय की स्थापना व पूजन से भगवान शिव व मंगल ग्रह की कृपा होती है। वाद -विवाद, शत्रुनाश तथा कोर्ट कचहरी के मामलों में भी सफलता प्राप्त होती है। निष्कर्ष पारद सामग्री घर, व्यवसाय, वाहन आदि में रखने से उसकी दैवीय शक्ति जातक को लाभ प्रदान करती है। घर में पारद सामग्री रखना ज्यादा उचित होता है। पारद सामग्री का तापमान हमेशा ही न्यूनतम् ्होता है, जिसे छूते ही उसकी गुणवत्ता का आभास हो जाता है। पारद धातु में वे अनुपम एवं असीमित गुण पाये जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। पारद से निर्मित वस्तुओं को सूक्ष्मता से देखने पर उन पर छोटे-छोटे धब्बे दिखते हैं।
वजन में यह लोहे से सोलह गुना अधिक भार का होता है। पारद सामग्री को बर्फ के बीच में रखने से वह अपने भार के अनुपात में बर्फ को शोषित कर लेता है। पारद सामग्री के निर्माण में अत्यंत कठिनाइयां आती हैं। अनेक औषधियों के संयोग, मिश्रण, घर्षण एवं विमलीकरण से इसे ठोस बनाया जाता है। ठोस होने पर इसे आलौकिक, दुर्लभ, मूल्यवान एवं शुद्ध माना जाता है। पारद तरल होता है, इसकी विशेषता यह है कि यह अपना रंग हर धातु पर चढ़ा देती है चाहे सोना, चांदी, पीतल, तांबा आदि कोई भी धातु क्यों न हो। शिवपुराण में पारा धातु को भगवान शिव का वीर्य कहा गया है। शास्त्रकारों ने इसे साक्षात् शिव कहा है।