ओह ! आप डायबिटिक हैं - यदि कहा जाय कि आपके जीवन में प्यार की कमी है जिसकी वजह से आपको शुगर है तो शायद विश्वास नहीं करेंगे। और यदि आपको माइग्रेन है तो आपके जीवन में जो करना चाहते थे वह नहीं कर सके जिसकी वजह से आपको माइग्रेन है तो विश्वास नहीं होगा।
अगर आपको थायरॉइड है तो समय आने पर आपको लोग नहीं सुनते। ऐसा ही हो रहा है। सम्पूर्ण मानव जाति में जितनी बीमारियां आज हंै, उन सभी रोगों के कारण भावनात्मक हैं, जी यहां उन भावनाओं की बात चल रही है, जिन भावनाओं का हमारे घर या समाज में कोई महत्व नहीं है, उन भावनात्मक पहलुओं को हम नजरअंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से नकारात्मक भावना उत्पन्न होती है और वह भयंकर बीमारियांे का कारण बनते हैं, जिसके बाद शुरू होता है दवाओं का सिलसिला जो जीवन भर हमारे साथ चलता है, या यूं कहूें कि चिकित्सा विज्ञान कितनी ही तरक्की कर गया हो पर आज तक एक भी ऐसी बीमारी नहीं जिससे रोगी पूर्णतया ठीक हो जाता हो, हम जीवन भर दवा खाते रहते हैं और चलते रहते हैं।
ऊपर सिर्फ तीन बीमारियांे का जिक्र किया गया है, जबकि हमारे साथ जितनी बीमारियां हैं, उन सभी के भावनात्मक पहलू हैं, बिना किसी नकारात्मक भावना के कोई बीमारी या तकलीफ नहीं हो सकती, और आज नहीं तो कल मेडिकल पेशा भी इस बात को मानेगा कि ८५ प्रतिशत बीमारियां ठीक न होने का कारण अनसुलझे भावनात्मक पहलू हैं, वास्तव में हमंे जरूरत है एक ऐसी भावनात्मक स्वतंत्र प्रक्रिया की जिसके द्वारा हम बिना दवा के ठीक हो जायें और यह संभव है।
इस लेख को पढ़ने वाली सभी महिलायें इस बात से अवश्य सहमत होंगी कि जब आप रसोई में काम करती हैं और अचानक यदि हाथ या उंगली कट जाये तो बिना दवा के ठीक हो जाता है, यानी हमारे शरीर में सेल्फ हीलिंग पावर है, हम बिना दवा के ठीक हो सकते हैं और यदि अब यह कहा जाय कि ऐसी एक थेरेपी है जिससे हम बिना दवा के ठीक हो सकते हैं और इस प्रक्रिया से हम हर तरह के प्रगाढ़ शारीरिक लाभ ले सकते हैं, जैसे - गुस्सा, किसी भी प्रकार का डर, फोबिया, एलर्जी, रक्तचाप, हादसा, सद्मा, डिप्रेशन, निराशा, महिलाआंे की समस्याएं, यौन संबंधी रोग, गंभीर बीमारियां जैसे (माइग्रेन से कैंसर तक)।
भावनात्मक स्वतंत्र प्रक्रिया विश्व में प्राथमिक स्वास्थ्य लाभ के लिये सबसे उत्तम औजार होगा। स्न २००४ मंे लेखक का एक्सीडेंट हुआ, घुटने मंे फ्रैक्चर हुआ, डॉक्टर्स ने कहा जीवन भर स्टिक लेकर चलेंगे पर आज इन्हें किसी सहारे की जरूरत नहीं है। इमोशनल इंजीनियरिंग मूलतः सायको थेरेपी ( मनोचिकित्सा ) है जिसमें कोई दवा नहीं खानी, किसी प्रकार का रसायन नहीं, कोई सूई नहीं, कोई सर्जरी नहीं, जिसका कोई बुरा प्रभाव नहीं, और न ही शरीर को कोई तोड़, मरोड़, केवल साधारण तरीके से थपथपाना, गुनगुनाना, गिनती गिनना और अपनी आंखांे को घूमाना, बस हो गई आपकी बीमारी ठीक। रोजाना सिर्फ १० मिनट सिर्फ अपने पर, मुझे नहीं लगता की इससे आसान भी कुछ हो सकता है और जो इंसान यह भी नहीं कर सकता तो फिर उसका कुछ नहीं हो सकता।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि पिछले कई सालों में इमोशनल इंजीनियरिंग से हर उस बीमारी में लाभ मिला है, जहां मेडिकल पेशे ने हाथ खड़े कर दिये, जिसका बहुत आसान सा कारण है हम उन समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं जो किसी को नहीं दिखती या उन वजह को उपेक्षित किया जाता है यानी अनसुलझे भावनात्मक पहलू।
जैसे-जैसे आप अपने नकारात्मक भावनाआंे पर विजय प्राप्त करते जायेंगे आप स्वस्थ होते जायेंगे और जिसे जानना या समझना मुश्किल नहीं है, आपके जीवन का सिर्फ एक दिन आप को भयंकर बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है। जीवन का एक दिन इमोशनल इंजीनियरिंग प्रक्रिया को जानने के लिये और जीवन भर स्वस्थ रहने के लिये दें।