ऐसी ही भयावह घटना घटी सभ्या के साथ। निर्भया कांड के विरोध प्रदर्शनों में सभ्या ने अपने दोस्तों के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था और खुलकर इसके खिलाफ दोषियों को सजा देने की मांग की थी। सभ्या गुड़गांव में फाइनेंस एनालिस्ट के रूप में एक संस्था में काम करती है। 5 दिसंबर को जब उसे आॅफिस में देर हो गई तो वह आॅफिस की कैब से घर के लिए निकली। पूरा दिन काम करने के कारण वह थकी हुई थी
इसलिए कैब में ही उसे नींद आ गई और थोड़ी देर बाद जब नींद खुली तो उसने कैब ड्राइवर को अपने पास पाया और कैब एक निर्जन स्थान पर खड़ी थी। सभ्या एकदम चीख पड़ी, वह रोयी, चिल्लाई और अपनी सुरक्षा के लिए बहुत गिड़गड़ाई पर कैब ड्राइवर शिव कुमार ने एक न सुनी और वह उसे निर्भया कांड की याद दिलाते हुए एक लोहे के राॅड दिखाने लगा कि यदि उसने ज्यादा शोर मचाया तो उसका भी वही हाल होगा जो निर्भया का हुआ था।
सभ्या ने बहुत कोशिश की कि वह उसे जाने दे पर शिव कुमार तो बिल्कुल वहशी हो चुका था। उसने सभ्या को बहुत मारा पीटा और हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। बाद में सभ्या के अनुरोध करने पर उसे उसके घर छोड़ कर फरार हो गया और मथुरा जाकर नेपाल जाने की तैयारी करने लगा।
वैसे तो उसने सभ्या को किसी से भी इस घटना का जिक्र करने के लिए मना किया था और इस बात से लगभग आश्वस्त भी था कि सभ्या इतनी डर गई है कि वह किसी को नहीं बताएगी पर सभ्या ने अपनी बदहवासी की हालत में जो एस. एम. एस अपनी दोस्त को भेजना चाहा वह शिव कुमार के नंबर पर हो गया इसलिए उसे पक्का यकीन हो गया कि अब पुलिस उसे नहीं छोड़ेगी और वह मथुरा जाकर नेपाल भागने की तैयारी करने लगा।
इधर जैसे ही सभ्या ने पुलिस में उसके खिलाफ एफ. आई. आर. दर्ज कराई पुलिस उसकी खोज में लग गई और 3-4 दिन में पुलिस ने उसे धर दबोचा। शिव कुमार यादव एक विदेशी कंपनी उबर कैब सेवा में कैब ड्राइवर की हैसियत से काम कर रहा है और उसका आपराधिक रिकार्ड खंगाला गया तो सभी सकते में आ गये कि इतने सारे आपराधिक मामलों में लिप्त होने के बावजूद उसे कैसे उबर कैब मंे नौकरी मिल गई।
शिव कुमार राम नगर गांव का रहने वाला है और गांव वालों के अनुसार वह 14-15 साल की उम्र से ही गांव की लड़कियों पर भद्दे कमेंट करता था। दुपट्टा खींच लेता था और मौका पाने पर कुछ भी कर सकता था। गांव में उसका इतना आतंक था कि उसके होते हुए महिलाएं घर से अकेले बाहर निकलना बंद कर देती थीं।
मैनपुरी में अनेक महिलाओं से जो उससे उम्र में भी काफी बड़ी थीं, उसने दुष्कर्म किये। लेकिन महिलाओं ने लोक-लाज के भय से और कोर्ट कचहरी के चक्कर के कारण बदनामी के डर से अपने साथ हुए दुष्कर्म को पुलिस में रिपोर्ट नहीं की। इसलिए कुछ साल पहले उसकी हरकतों के चलते स्थानीय पुलिस उसे जिलाबदर कर चुकी थी।
शिव कुमार के माता-पिता भी इसकी गंदी हरकतों से इतना तंग आ गये थे कि उन्होंने उसे घर से दूर रहने की ताकीद कर दी थी और शिव ने दिल्ली में आकर कैब चलाने का काम भी इसलिए शुरू किया ताकि वह अपनी इस गंदी आदत को जारी रख सके। पुलिस के अनुसार उसने पहले भी गुड़गांव में एक माॅल के बाहर देर रात एक डांसर को लिफ्ट दी थी और रास्ते में उसके साथ जबरदस्ती की और महिला को शोर मचाने पर उसे कैब से धक्का दे दिया था। पुलिस ने उसे बाद में गिरफ्तार भी कर लिया था और वह इस मामले में सात महीने तक जेल में रहा।
पांच दिसंबर से लगभग दस दिन पहले भी शिव यादव कुछ ऐसा ही करने की सोच रहा था। अमेरिका में रहने वाली निधि शाह 26 नवंबर 2014 को दिल्ली आई थी और जब उन्होंने उबर कंपनी के मोबाइल एप से एक कैब बुक कराई तो शिव कुमार कैब लेकर आया। निधि को देखते ही उसके दिमाग में सो रहा हैवान जाग उठा और उसने निधि को कार के अगले हिस्से में लगे रियर मिरर से घूरना शुरू कर दिया।
उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान भी थी इससे पहले कि वह कुछ कर पाता निधि ने इसके इरादों को भांप लिया और वह कैब से उतर गयी और उसने इसकी शिकायत अमेरिका से ही ईमेल के जरिये दिल्ली पुलिस को दी थी। शिव कुमार ने पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कबूल किया कि वह गुड़गांव स्थित सहारा माॅल के पास से लड़कियों को घर छोड़ने के बहाने अपनी कैब में बिठाता था और उनके साथ दुष्कर्म करता था और ज्यादातर मामलों में किसी भी लड़की ने उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करवाया। शिव कुमार के खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मामलों की सूची-
- 2003 में रेप की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार, बेल पर छूटा।
- 2003 में मैनपुरी में गुंडा एक्ट के तहत मामला दर्ज।
- 2006 में अवैध हथियार के चलते आम्र्स एक्ट के तहत मुकदमा।
- 2008 में गुंडा एक्ट के तहत गिरफ्तारी।
- 2008 में मैनपुरी के डी. एम. ने एक साल के लिए जिला बदर किया।
- 2009 में भी शिवकुमार को 6 महीने के लिए जिला बदर किया गया।
- 2011 में दिल्ली के महरौली में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार।
- 2011 के रेप केस में सात महीने की जेल काटी।
- 2013 में फिर से मैनपुरी के इलाके में रेप और लूट का मामला दर्ज।
इस तरह की घटनाएं वास्तव में हर समाज के हर व्यक्ति को सोचने को मजबूर करती हैं कि जिस तरह से कई देशों में ऐसे अपराधियों को बहुत कठोर दंड दिया जाता है उसी तरह भारत में भी ऐसे ही दंड का प्रावधान करना होगा ताकि अपराधी ऐसे दुष्कर्म करते हुए भय महसूस करे अन्यथा यहां के आसान कानून के कारण वे जघन्य अपराधों को अन्जाम देने से भी बाज नहीं आते और कुछ ही महीनों में जेल से बाहर आ जाते हैं और फिर से उन्हीं कुकृत्यों को अंजाम देने लगते हैं।
आइये करते हैं शिव कुमार की कुंडली का विश्लेषण और जानते हैं उन ग्रहों व दशाओं को जिन्होंने उसे इस हद तक नीचे गिरा दिया। कुंडली विश्लेषण शिव की कुंडली में क्रूर ग्रह मंगल लग्न में स्थित होकर काफी बलवान है। लेकिन लग्न तथा लग्नेश मंगल दोनों क्रमशः विशाखा और ज्येष्ठा नक्षत्र में है और दोनों ही राक्षसगण के अंतर्गत आते हैं इसलिए शिव में राक्षसी प्रवृत्ति अधिक विद्यमान है।
मंगल का अष्टमेश बुध के नक्षत्र में होने से वह आपराधिक कामों को अंजाम देता है। मन का कारक ग्रह चंद्रमा अष्टम स्थान में अशुभ ग्रह राहु के साथ स्थित है तथा उस पर क्रूर मंगल की दृष्टि होने से आपराधिक मानसिकता को अधिक बल दे रहा है जिसके फलस्वरूप इसके अंदर मानवता तथा अच्छे संस्कारों का अभाव है।
जैमिनी ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा आत्मा कारक ग्रह है लेकिन अष्टम भाव में राहु की युति के कारण विक्षिप्त मानसिकता दे रहा है और नवांश में भी चंद्र और शुक्र की पशु राशि में युति उसे व्यभिचार की ओर अग्रसित कर रही है तथा उसकी काम वासना में और वृद्धि कर रही है और मानसिक रूप से विक्षिप्त बना रही है।
बुद्धि विवेक का स्वामी गुरु व्यय भाव में शनि के साथ होने से इसमें विवेक शून्यता है और उसकी हवस का राक्षस बार-बार उसके विवेक पर हावी हो जाता है और उसे पुनः अपराध करने के लिए सक्रिय कर देता है। केतु अधिष्ठित राशि के स्वामी गुरु की पंचमेश होकर द्वादश भाव में स्थिति के कारण शिव एक अच्छे स्कूल में होने के बावजूद अपनी स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर सका और बचपन से ही अच्छे संस्कारों को ग्रहण नहीं कर पाया और बुरी संगत में पड़ कर बुरे काम करने लगा।
इसके अतिरिक्त गुरु स्वाति नक्षत्र में स्थित है जिसका स्वामी राहु अष्टम में है और उसे अधर्म का रास्ता दिखा रहा है। सप्तमेश और व्ययेश होकर शुक्र अपनी नीच राशि लाभ स्थान में स्थित है। नीच शुक्र की लाभ स्थान में स्थिति उसकी स्त्रियों के प्रति वासना की प्रवृत्ति का संकेत देती है और अपनी वासना पूर्ति के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है।
लाभ भाव में नीच का शुक्र इस बात की पुष्टि कर रहा है कि इसकी अनेक स्त्रियों से व्यभिचार करने की प्रवृत्ति है तथा महिलाओं के प्रति उसका दृष्टिकोण असभ्यता और पशुता वाला है। इसकी कुंडली में लग्नेश लग्न भाव में होने से तथा दशमेश लाभ भाव में होने से अपराध करने के पश्चात भी कानून से पकड़े जाने पर भी जल्दी ही छूट कर बाहर आ गया। दशमेश के लाभ भाव में होने के कारण ही उसे इतनी जानी मानी विदेशी कंपनी में आसानी से नौकरी भी मिल गई और पैसों की उसे कभी कोई कमी महसूस नहीं हुई।
पिता ने भी उसकी इच्छाओं की पूर्ति हमेशा की और गांव में सबसे पहली मोटरबाईक भी शिव ने ही खरीदी। लग्न का मंगल उसे बहुत निर्भीक और हिम्मती बनाता है और बारहवें भाव का शनि बहुत सपने भी दिखाता है परंतु सपनों की उड़ान नीच शुक्र के कारण उसकी वासना पूर्ति तक सीमित रह जाती है तथा राहु से युक्त व मंगल की दृष्टि से पीड़ित चंद्रमा के कारण उसकी विकृत मानसिकता को जुर्म में परिवर्तित करने की जुर्रत भी करवाता है।
इसकी कुंडली में कुटुम्बेश गुरु व्यय भाव में होने से तथा शनि की अशुभ दृष्टि होने से शिव अपने परिवार व कुटुंब के लिए अशुभ है और नीच कृत्यों से उसके परिवार को अपमान और बदनामी झेलनी पड़ी। द्वादश भाव में शनि और गुरु की तुला राशि में युति है। शनि चित्रा नक्षत्र में मंगल के स्वामित्व में है और गुरु राहु के नक्षत्र में है अर्थात द्वादश भाव में शनि, मंगल, गुरु, राहु, शुक्र का प्रभाव योग उसे हिंसक प्रवृत्ति प्रदान कर रहा है।
लग्नस्थ मंगल पर शनि का गोचरीय प्रभाव इसके लिए बड़ा अपराध करवाने का तात्कालिक कारण बना। 14 नवंबर 2014 से इसकी बुध की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा प्रारंभ हुई और शुक्र की अंतर्दशा में शुक्र की प्रत्यंतरदशा में ही इसने इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया। बुध चूंकि अष्टमेश भी है और अपने नीच नवांश में स्थित है और अंतर्दशा नाथ शुक्र प्रबल मारकेश भी है इसलिए इस बार कानून से बच पाना असंभव प्रतीत होता है।
इस पर लगे आरोप निश्चित रूप से सिद्ध होंगे और इसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। यह सजा शायद उसकी बुद्धि को सही गलत का अंतर समझा सके और वह एक जिम्मेदार नागरिक बन सके।