संवत 2069 - महिलाओं के नाम ही क्यों
संवत 2069 - महिलाओं के नाम ही क्यों

संवत 2069 - महिलाओं के नाम ही क्यों  

विनय गर्ग
व्यूस : 6839 | अप्रैल 2013

आज के समय में यदि देखें तो अधिकार और सुरक्षा की बात महिलाओं की ही हो रही है, चाहे वह डी. टी. सी. की बसों में अधिक सीटें सुरक्षित करने की हो या महिलाओं के लिए अलग से महिला बैंक बनाने की बात हो। संवत् 2069 महिलाओं के ही नाम रहा है। इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में दबंग महिलाओं ने बाइक रैली निकालकर समाज को यह अहसास करा दिया है कि महिलाएं किसी की मोहताज नहीं रही हैं बल्कि पुरूष समाज में भय की भावना बढ़ी है कि कहीं उनसे ऐसा कुछ न हो जाये जिससे महिलाओं के आरोप प्रत्यारोप का शिकार हो जायें। 23 मार्च 2012 को संवत् 2069 प्रारंभ हुआ जिस दिन शुक्रवार था, इसी प्रकार सूर्य ने मेष राशि में 13 अप्रैल 2012 को प्रवेश किया। संयोगवश उस दिन का वार भी शुक्रवार था।

जिस दिन नया संवत प्रारंभ होता है उस दिन का वार स्वामी उस संवत् का राजा कहलाता है तथा जिस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है उसे मेष संक्रांति कहते हैं और मेष संक्रांति के दिन का स्वामी उस संवत् का मंत्री कहलाता है। इस प्रकार संवत् 2069 के राजा एवं मंत्री दोनों ही शुक्र थे। संवत् 2069 में शुक्र का पूर्ण प्रभाव रहा और शुक्र ग्रह एक स्त्रीकारक ग्रह है अर्थात महिलाओं से संबंधित ग्रह है। यह 2069 एक ऐसा संवत रहा जिसमें महिलाओं के बारे में ही विशेष चर्चा रही। चाहे वह दिल्ली का गैंगरेप कांड रहा हो या इंडिया गेट से लेकर संसद या जंतर-मंतर तथा देश भर में छोटे से छोटे गांव, शहर, मुहल्लों से लेकर मेट्रोपालिटन सिटी जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे शहरों में महिलाओं के प्रति अपराध के लिए उग्र प्रदर्शन, धरना आदि होते रहे।

इतना ही नहीं इन धरना, प्रदर्शन व जुलूसों ने दिल्ली की संसद के नेताओं व मंत्रीगणों को सोचने को मजबूर कर दिया। महिलाओं के लिये विशेष रूप से आरक्षण, विशेष रूप से सुरक्षा प्रदान करने हेतु नये-नये नियम-कानून पर विचार करना आदि शामिल हुआ। कुल मिलाकर यदि कहा जाय तो इस संवत में आम जनता व सरकार दोनों का ही आकर्षण व केंद्र बिंदु महिलायें ही रहीं। जब से देश आजाद हुआ, सन् 1947 से लेकर आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि महिलाओं के हित के लिये कभी पूरे देश में इतनी गंभीरतापूर्वक विचार और चर्चा सभी राज्यों के सदनों में और देश की संसद में हुआ हो। जब से देश आजाद हुआ तब से कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि राजा और मंत्री दोनों शुक्र रहे हों। यही कारण है कि संवत् 2069 महिलाओं के वर्चस्व का संवत् रहा।

यह संवत् 10 अप्रैल 2013 को समाप्त हो जायेगा। संवत् 2070 का प्रारंभ 11 अप्रैल 2013, गुरुवार को हो जायेगा जबकि मेष संक्रांति 13 अप्रैल 2013 को शनिवार की रात में है। इस प्रकार संवत् के राजा गुरु व मंत्री शनि होंगे। तो इस प्रकार हम कह सकते हें कि इस संवत् के अंत के पश्चात संभव है कि जितनी चर्चा व आकर्षण का केंद्र संवत् 2069 में महिलाएं रही हैं उतना महत्व शायद अगले संवत् के प्रारंभ होने तक न रहे और सरकार व आम जनता का प्रभाव न्यायपालिका व अध्कार के लिये संघर्ष का हो क्योंकि गुरु न्यायप्रिय ग्रह माना गया है और शनि उस न्याय की सजा दिलवाने वाला ग्रह है। इस प्रकार हम कह सकते हैं

कि आने वाले संवत में संभवतः आम जनता अपने अधिकार के लिये अधिक जागरूक हो जाये और सरकार को मजबूरीवश जनता के हित को ध्यान में रखकर फैसले लेने को विवश होना पड़े। ऐसा ही सन् 1857 में हुआ था जब अंग्रेजी सरकार के विरोध में भारतीय लोग उठ खड़े हुए थे। उस वर्ष 1857 में भी संवत् का राजा गुरु और मंत्री शनि रहा था। यदि इसी प्रकार संवत् के राजा और मंत्री का विचार करें तो 15.8.1947 को भी संवत् का राजा सूर्य व मंत्री सूर्य थे, उस वर्ष हमारा देश आजाद हुआ था अर्थात् भारत की जनता का गौरव बढ़ा था। सूर्य का संबंध गौरव, पराक्रम, मान-सम्मान तथा राजा व सरकार से होता है। यही कारण रहा कि हमारा भारतवर्ष जो इतने वर्षों तक गुलाम रहा वह 1947 में आजाद हो गया।


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