फलादेश कैसे करें?
फलादेश कैसे करें?

फलादेश कैसे करें?  

विनय गर्ग
व्यूस : 10113 | जुलाई 2013

ज्योतिष में फलादेश कैसे करें? यह विचार आते ही हमारे मस्तिष्क में काफी सारे विचार एक साथ कौंध जाते हैं। किसी ने कोई प्रश्न पूछा तो यह जानना सबसे पहले आवश्यक हो जाता है कि प्रश्न किस भाव से संबंधित है, तो सबसे पहले हम अपना ध्यान भाव की ओर केंद्रित करते हैं कि प्रश्न जिस भाव से संबंधित है, उस भाव में राशि कौन सी है, उसमें कौन से ग्रह स्थित हैं और जो ग्रह स्थित हैं वे उस भाव पर कैसा प्रभाव डाल रहे हैं तथा भाव की राशि के स्वामी के साथ नैसर्गिक रूप से कैसा संबंध बनाते हैं?


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


इसके पश्चात किन-किन ग्रहों की दृष्टि उस भाव पर पड़ रही है, वे ग्रह शुभ हैं या अशुभ? उन ग्रहों का भाव के राशि अधिपति के साथ कैसा संबंध है? यदि किसी ग्रह की दृष्टि न हो और न ही कोई ग्रह उस भाव में स्थित हो तो अगले क्रम में हम अपना ध्यान भावेश पर केंद्रित करते हैं। भावेश शुभ है या अशुभ, वह किस ग्रह के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा है? वह ग्रह किस भाव तथा राशि में स्थित है।

यदि ग्रह शुभ भाव अर्थात केंद्र या त्रिकोण में स्थित होगा तो निश्चित रूप से बली स्थिति में होगा। इसके पश्चात किस राशि में स्थित है, उसके आधार पर निश्चय होगा कि ग्रह क्षीण अवस्था में है या बली अवस्था में है। यदि ग्रह कंेद्र और त्रिकोण में स्थित है तथा मूल त्रिकोण, उच्च राशि, स्वराशि या मित्र राशि में हो तथा बालादि अवस्था में भी उसके अंश 120-150 के मध्य हैं तो ग्रह निश्चित रूप से बली अवस्था में कहलाएगा तथा निश्चित रूप से वह ग्रह जिस भाव का स्वामी होगा उस भाव से संबंधित अच्छे फल देगा। अंत में हम अपना ध्यान उस भाव के कारक पर केंद्रित करेंगे। यदि कारक भी संतोषप्रद या अच्छी स्थिति में हो तो हम निश्चित रूप से कह सकेंगे कि उस प्रश्न का उत्तर सकारात्मक अर्थात ‘हां’ में होगा।

इस प्रकार हम देखते हैं कि किसी कुंडली में किसी प्रश्न का उत्तर ‘हां’ होगा या ‘नहीं’ इसके लिए हम कुंडली में प्रश्न से संबंधित भाव, भावेश और कारक पर विचार करते हैं। इस प्रकार उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर कुंडली में योग बन रहा है कि नहीं ज्ञात कर सकते हैं। इसके पश्चात हमें देखना होता है कि कुंडली में योग तो है लेकिन विचाराधीन प्रश्न के उत्तर का फल कब मिलेगा।

इसके लिए हम दो तथ्यों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं- पहला दशा तथा दूसरा गोचर। जिस ग्रह की दशा चल रही है उस ग्रह के लिए यह देखना होगा कि कुंडली के अनुसार ग्रह विचाराधीन प्रश्न के अनुकूल है या प्रतिकूल तथा ग्रह की कुंडली में क्या स्थिति है-कारक है, बाधक है, योगकारक या अकारक है? इस प्रकार हम दशाक्रम देखकर यह निश्चित कर पाते हैं

कि अमुक दशा में विचाराधीन प्रश्न की समस्या का हल हो जाएगा। लेकिन दशा का समय अंतराल काफी अधिक होने के कारण फलादेश और अधिक सटीक हो, इसके लिए हम कुंडली में गोचर का विश्लेषण करते हैं। गोचर का अध्ययन करने के लिए अष्टकवर्ग पद्धति काफी कारगर सिद्ध होती है क्योंकि इसके द्वारा हम गुणात्मक तथा मात्रात्मक दोनों फलों का विश्लेषण गणित के रूप में कर सकते हैं।

इससे यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि किसी ग्रह का गोचर तुलनात्मक कितना शुभ होगा या कितना अशुभ होगा। इसके अतिरिक्त अष्टकवर्ग में वेध या विपरीत वेध की समस्या का निराकरण भी बड़ी सुगमता से हो सकता है क्योंकि एक ही समय में एक ग्रह के लिए विभिन्न ग्रहों का गोचर विश्लेषण ग्रह के अष्टकवर्ग में दिया जाता है।


Know Which Career is Appropriate for you, Get Career Report


अतः ग्रह के वेध या विपरीत वेध के द्वारा उत्पन्न संशयपूर्ण स्थिति का प्रश्न ही नहीं रह जाता। निष्कर्षतः किसी कुंडली का अध्ययन करने के लिए प्रश्न से संबंधित भाव, भावेश और कारक तीनों का अध्ययन करते हैं तथा फल की अवधि जानने के लिए अनुकूल योग, दशा एवं गोचर का विश्लेषण करते हैं। यदि इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो फलादेश बड़ी सुगमता से किया जा सकता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.